Uttarakhand > Development Issues - उत्तराखण्ड के विकास से संबंधित मुद्दे !

2017 Assembly Election vs Development issues- २०१७ चुनाव और विकास के मुद्दे

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
चुनावी मौसम में उत्तराखंड पहुंचे राजनाथ, कांग्रेस पर किए तीखे प्रहार

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि राज्य में कांग्रेस ने 10 साल के शासन में कोई काम नहीं किया। यही दस साल अगर भाजपा को मिल जाए, तो उत्तराखंड को पूरी दुनिया के लिए पर्यटन की दृष्टि से आकर्षण का केंद्र बना देंगे।
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  by Taboola
शुक्रवार को मसूरी सीट से प्रत्याशी गणेश जोशी के समर्थन में मालसी में आयोजित चुनावी जनसभा में केंद्रीय गृह मंत्री सिंह ने कहा कि कांग्रेस ने कभी उत्तराखंड की चिंता नहीं की। पलायन समेत विभिन्न समस्याओं पर भी कांग्रेस सरकार का रुख निराशाजनक रहा।

उन्होंने कहा कि भाजपा पर्यटन की दृष्टि से भी कुछ ऐसा कर देगी कि लाखों की संख्या में नौजवानों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में राजमार्ग विकास परियोजना का उत्तराखंड में शिलान्यास कर इसकी शुरूआत भी कर दी है। सरकार चाहे किसी की भी हो, भाजपा यह सोच रखती है कि जब तक राज्यों का विकास नहीं होगा, देश का भी विकास नहीं हो सकता।

उन्होंने चुटकी ली कि कांग्रेस नेता कहते हैं कि भाजपा सरकार ने सारे हिंदुस्तानियों को लाइन में खड़ा कर दिया। जबकि राशन से लेकर गैस सिलेंडर आदि तक में जनता को सर्वाधिक लाइन में खड़ा करने का काम कांग्रेस ने किया है। गृह मंत्री राजनाथ ने कहा कि भाजपा ने नोटबंदी का फैसला राजनीतिक लाभ के लिए नहीं राष्ट्र के हित में किया है।

अगर ऐसा होता तो यूपी जैसे बड़े राज्य और उत्तराखंड आदि राज्यों के चुनाव के बाद नोटबंदी का फैसला करते। उन्होंने कहा कि भाजपा को अगर 10 से 15 साल का अवसर मिल जाए तो भारत को विश्व की आर्थिक महाशक्ति के रूप में खड़ा करने में सफल होंगे। इस अवसर पर टिहरी सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह, मसूरी सीट से प्रत्याशी गणेश जोशी, मंडल अध्यक्ष पूनम नौटियाल आदि शामिल रहे।

http://www.amarujala.com/dehradun/rajnath-singh-rally-in-uttarakhand

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Chandra Shekhar Kargeti
 
बल #हरदा,
वो कौन जो शराब से वोट खरीदता है ?
दिनांक 06-फरवरी को #रामनगर जिला - नैनीताल के गाँव #उम्मेदपुर में पूर्व #ग्राम_प्रधान के घर से शराब का जो जखीरा 12000 पव्वो के रूप में बरामद हुआ था, असल में वह किसका था ? वर्तमान विधानसभा चुनाव में रामनगर क्षेत्र से वो कौन सा प्रत्यासी है जो रामनगर के मतदाताओं की औकात एक शराब के पव्वे से ज्यादा नहीं समझता ?
यह वाकया केवल शराब का जखीरा बरामद कर लेने तक ना नहीं है, बल्कि यह वाकया रामनगर के समूचे #पुलिस_प्रशासन और #चुनाव_आयोग की टीम द्वारा निष्पक्षता और इमानदारी से चुनाव संपन्न कराने की नीयत पर भी सवाल खडा करता है l
आखिर शराब के 12000 पव्वे बरामद करने के 4 दिन बीतने के बाद भी प्रशासन इस बात का खुलासा क्यों नहीं कर पाया कि चुनाव लड़ रहा वह कौन दोयम प्रत्यासी है जो शराब के पव्वो से रामनगर के मतदाताओं को खरीदने की कूव्वत रखता है और शराब के दम पर चुनाव जीत कर राज्य विधानसभा में पहुँचने के मंसूबे पाले हुए है !
ऐसे में यह सवाल भी उठना लाजिम है कि जब रामनगर में शराब से वोट खरीदने की कुत्सित कवायद लगातार हो रही है तो क्या शराब से वोट खरीदने वाला प्रत्यासी वोट खरीदने के लिए नोट नहीं बांट रहा होगा ? ये कैसा चुनाव है, ये चुनाव है भी या वोटरों की खरीद फरोख्त की मंडी ?
इन सबके बीच सवाल यह भी है कि जिस पूर्व ग्राम प्रधान के घर से शराब का जखीरा बरामद हुआ वह किस राजनैतिक दल से सम्बन्ध रखता है और उसे ग्राम प्रधानी भी किस दल के समर्थन से प्राप्त हुई थी, तभी इस बात का खुलासा हो पायेगा कि बरामद शराब किस दल के प्रत्यासी की थी !
इन सब बातों का खुलासा भले ही पुलिस ना कर पाए कि बरामद शराब के जखीरे का असल वारिस कौन था, लेकिन क्या यह उन #पत्रकारों की नैतिक जिम्मेदारी नहीं है जो लोकतंत्र में अपने चौथे स्तम्भ होने का दम्भ भरते हैं, वे अपने सूत्रों से इस बात का खुलासा कर ही सकते है कि बरामद शराब का जखीरा चुनाव लड़ रहे अमुक प्रत्यासी का था ! क्या इतनी हिम्मत रामनगर के वे लोग दिखा पायेंगे जो अपने आप को लोकतंत्र का #चौथा_स्तम्भ कहते नहीं अघाते हैं !
बरामद शराब के बहाने सवाल बहुत से हैं जो वक्त बीतने के साथ बाहर तो आयेंगे ही !

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:


Chandra Shekhar Kargeti
February 8 at 6:42pm ·
बल #भैजी
आखिर उत्तराखण्ड का वो अंतिम व्यक्ति कौन ?
जिस अंतिम व्यक्ति की खुशहाली की बात #मुख्यमंत्री , #मंत्री, #विधायकों और #अफसरों और तमाम #राजनेताओं के भाषणों में हमेशा होती है, क्या आपने कभी देखा है कि वह अंतिम व्यक्ति किस हाल में रहता है ?
आज मिलिए #उत्तराखण्ड के उस अंतिम व्यक्ति से और सुनिए उस अंतिम व्यक्ति की कहानी, उसी की जुबानी.....
उस अंतिम व्यक्ति की जुबानी सुनकर आपको लगेगा वो अंतिम व्यक्ति आपका अपना ही कोई है जिसके सपनो को हम लील गये ।
वीडियों देखने बाद तय जरूर करे कि ऐसे ही उत्तराखण्ड की कल्पना की थी हम सब ने ? क्या उत्तराखण्ड के उस अंतिम व्यक्ति के हालात के जिम्मेदार हम सब नही ?
साभार : दैनिक उत्तराखण्ड

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
This is the reality of development in uttarakhand.

विधानसभा चुनाव: उतराखंड का एक गांव, जहां हैं दो परिवार और वोटर सिर्फ तीन -

पौड़ी गढ़वाल, [मनोहर बिष्ट]: राज्य को अस्तित्व में आए 16 साल का अर्सा गुजर चुका है, लेकिन पर्वतीय क्षेत्र के गांवों की सूरत बदलने की बजाए और बदरंग होती जा रही है। सियायत की उपेक्षा का दंश झेल रहे तमाम गांवों में तो वर्तमान में अगुलियों पर गिनने लायक लोग ही रह गए हैं।

बावजूद इसके लोकतंत्र में भागीदारी को लेकर उनका हौसला जरा भी डिगा नहीं है। अब कोट विकासखंड के बंडुल गांव को ही ले लीजिए। 40 परिवारों वाले इस गांव में अब केवल दो परिवार ही रह गए हैं और इनमें वोटर हैं सिर्फ तीन। आजादी के 70 साल बाद भी पानी, बिजली व सड़क सुविधा से महरूम यहां के निवासियों की लोकतंत्र में आस्था डिगी नहीं है।

बंडुल गांव की 75 वर्षीय पुष्पा देवी कहती हैं कि मतदान स्थल करीब तीन किमी दूर है। बावजूद इसके यहां के लोग उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में हमेशा अपने मताधिकार का प्रयोग करते आए हैं और इस बार भी करेंगे। हालांकि, सरकारी उपेक्षा से वह खासी आहत भी हैं। वह बताती हैं कि जब उत्तराखंड बना, तब गांव में 40 परिवार थे। लेकिन, सुविधाओं के अभाव में लोग धीरे-धीरे पलायन करते चले गए। नतीजा, खाली होते गांव के रूप में सामने आया।

अपनी 65 वर्षीय माता उषा देवी के साथ रह रहे 40 वर्षीय नवीन कहते हैं कि गांव के लोग हमेशा लोकतंत्र के महोत्सव में भाग लेते आए हैं, लेकिन अब तक किसी भी सरकार ने ग्रामीणों की सुध लेने की जहमत नहीं उठाई। अलबत्ता, पौधरोपण के नाम पर गांव को चारों ओर चीड़ के जंगल से जरूर घेर दिया गया है।

गांव छोड़ चुके सुरेंद्र चंद्र जुयाल बताते हैं कि राज्य आंदोलन की भूमि पौड़ी से सटे विकासखंड कोट का बंडुल आज सड़क, पानी जैसी मूलभूत जरूरत के लिए जूझ रहा हैं। गांव में बिजली भी 2007 में पहुंची। सिस्टम की इस बेरुखी के चलते धीरे-धीरे गावं खाली होता चला गया। यही नहीं, जंगली जानवरों का खौफ भी पलायन एक बड़ी वजह बना।

खेतों में खूब लहलहाती थी फसलें
एक दौर में बंडुल गांव में खेतों में फसलें खूब लहलहाती थीं, लेकिन अब खेत बंजर में तब्दील होते जा रहे हैं। लोग बताते हैं कि 2007 से पहले तक गांव की सिंचित भूमि में धान, गेंहू, प्याज, लहसुन, तंबाकू का बड़ी मात्रा में उत्पादन होता था। जबकि, अङ्क्षसचित भूमि में धान, गेहूं, मंडुवा, झंगोरा के साथ ही उड़द, सोयाबीन, तोर, गहथ समेत अन्य दलहनी फसलें खूब हुआ करती थीं। खेती ग्रामीणों की आजीविका का मुख्य साधन भी थी, लेकिन पलायन की मार ऐसी पड़ी कि खेती लगभग खत्म हो गई है।

क्षेत्रफल के लिहाज से विशाल भूभाग वाले पौड़ी जिले में पलायन की मार का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि कुल 1212 गांवों में से 341 खाली हो चुके हैं। चकबंदी आंदोलन के प्रणेता गणेश सिंह गरीब कहते हैं कि पहाड़ के इन गांवों को आबाद करने के लिए सरकार के पास न पहले ठोस नीति थी। न आने वाली सरकारों के पास ही कोई विजन नजर आ रहा हैं। उन्होंने कहा कि गांव खेती से ही बचेंगे, लेकिन सरकारों के पास कृषि की समृद्धि को लेकर कोई नीति ही नहीं हैं।
- See more at: http://www.jagran.com/elections/uttarakhand-there-are-two-families-and-voters-just-three-in-uttarakhand-election-15506139.html?src=uk-state#sthash.gr7UxQqG.dpuf

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
चुनावी गन्ध
हर चुनाव में लडने की क्या परिभांषा है
प्रजातंत्र दुर्भाग्य युद्व की अभिलाशा है
सब खद्दरधारी रण भूमि में चिल्लाते हैं
द्वन्द गन्द में अमन चैन की क्या बातें हैं
क्षेत्रवाद और जातिवाद का जहर भरा है
राजनीति में भ्रष्ट आचरण आज खरा है
नेता की हर बात घात की तलवारें हैं
आज जगत में नेता के वारे न्यारे हैं
प्रतिद्वन्दी को मञ्चो से गाली देते हैं
पागल जन मानस हैं जो ताली देते हैं
सब एक दूसरे की औखातें खोल रहे हैं
चोर मोर की भांषा कैसे बोल रहे हैं
निम्न कोटि के नेताओं की भीड खडी है
मंञ्चो पर प्रपंञ्चों की बुनियाद पडी है
लञ्च,मञ्च,प्रपञ्च भाषणों में जारी है
ये खद्दर धारी सांड देश में क्यों भारी है
भ्रष्टाचार शिखर पर चढकर बोल रहा है
नेता जनता की औखातें खोल रहा है
पागल जन पागल को मत डाल रहा है
ये भ्रष्टाचारी प्रजातन्त्र को पाल रहा है
वतन लूट कर खाने वाला चरितवान है
चरितहीन का राजनीति में बडा मान है
चोरों कोभी जनता सम्मानित करती है
अपने कर्मों से ही तो जनता मरती है
बहुत होगया अब तो ये पागल पन छोडो
चिन्तन मन्थन से अपनी उर्जा को माडो
समझदार हो नासमझों से नाता तोडो
भारत को महाभारत के पथ पर ना मोडो
अश्लील शब्द मर्यादा अपनी लांघ रहे हैं
शूली पर संस्कार, संस्कृति के टांग रहे हैं
क्यों उंचे पद से भी टुच्ची भांषा होती है
औकात राष्ट्र की राजनीति क्यों खोती है
जब बडे-बडे अश्लील शब्द उपयोग करेंगे
जो वैमनस्य का सत्ता में विनियोग करेंगे
सहिसुष्ण भी ,अहिसुष्ण बन ही जाता है
कवि आग ने जो देखा लिखता जाता है।।
राजेन्द्र प्रसाद बहुगुणा (आग)
मो0 9897399815

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