Poll

आपके अनुसार विकास की दृष्टि से उत्तराखंड ने १०० % मैं से कितना विकास किया है ?

below 25 %
46 (69.7%)
50 %
11 (16.7%)
75 %
5 (7.6%)
100 %
2 (3%)
Can't say
2 (3%)

Total Members Voted: 62

Voting closes: February 07, 2106, 11:58:15 AM

Author Topic: 9 November - उत्तराखंड स्थापना दिवस: आएये उत्तराखंड के विकास का भी आकलन करे  (Read 69346 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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From: "l mohan kotiyal" <cmgpauri@rediffmail.com>
To: <members@apnauttarakhand.com>
Date: 9 Nov 2009 07:20:56 -0000
Subject: Re: [Members-MeraPahad] 08 NOV 09 (Sunday) INVITATION FOR CULTURAL PROGRAMME

Acha laga kee aap programme kar rahe hain. Aaap ko lagta hai kee rajya banne par acha hua. par hum to afsos kar rahen hain kee yah rajya kee bajai ut hota to accha hota.


but where is actual uttarakhand which we thought of.
Kisan ujar rahen hain.
Jamin banjar ho rahi hai
Palayan bahut jyada badh gaya hai
Manti sani deharadun se ae nahin soche rahe hain.
Lal batti shan banti ja rahi hai
Rajniti me sharab land mafia and builders ate ja rahen hain
Rajya uttar pradesh kee carbon copy ban chuka hai.
Corruption hi corruption hai.
pradhan, vidhayak. manti see lekar adhikari tak.

with best compliments

lmohan

Devbhoomi,Uttarakhand

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9 saal main uttarakhand ki sarkari tamche uttarakhand diwas hi bhool gaye


राज्य स्थापना दिवस की तिथि ही भूला सरकारी अमला

नैनीताल। उत्तराखण्ड राज्य का गठन नौ नवंबर 2009 यानी इस साल हुआ। भले ही यह गलत है पर राज्य स्थापना की नौंवी वर्षगांठ पर सूचना विभाग द्वारा जारी की गयी पुस्तिका तो यही तथ्य बयां कर रही है।

राज्य स्थापना दिवस के मौके पर 'उत्तराखंड-विश्वास के साथ बढ़ते कदम' शीर्षक से प्रकाशित पुस्तिका के पहले पेज पर मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की आकर्षक तस्वीर प्रकाशित की गयी है। पुस्तिका के अगले ही पृष्ठ पर मुख्यमंत्री के संदेश में लिखा गया है कि 'देश के 27वें राज्य के रूप में नौ नवम्बर 2009 को उत्तराखंड का गठन हुआ था'। जबकि इस तथ्य से सभी वाकिफ है कि उत्तराखंड राज्य नौ नवम्बर 2000 को अस्तित्व में आया था।

लगता है राज्य स्थापना दिवस पर उत्तराखण्ड सरकार की योजनाओं व विकास कार्यक्रमों के प्रचार-प्रसार में जुटा सूचना विभाग राज्य स्थापना दिवस की तिथि ही भूल गया। यदि अब इसे मुद्रण की त्रुटि का नाम देकर जिम्मेदारी से बचने की कोशिश की गयी तो यह और भी गंभीर बात होगी। आखिर सवाल उठता है कि राज्य स्थापना की नौंवी वर्षगांठ के मौके पर विमोचन के लिए तैयार की गयी इस पुस्तिका में प्रदेश के मुखिया के संदेश में इतनी लापरवाही किस स्तर पर हुई। मुख्यमंत्री डा.रमेश पोखरियाल निशंक के तीन माह के कार्यकाल का महिमा मंडन करती इस पुस्तिका के माध्यम से पूरे देश में राज्य गठन की तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। हजारों की संख्या में प्रकाशित यह पुस्तिका भ्रामक तथ्यों के चलते मीडिया कर्मियों व अफसरों, कर्मचारियों व अन्य लोगों में चर्चा का विषय बनी है

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_5930101.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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God knows that will happen to this state. when it will come on the track of development.

Devbhoomi,Uttarakhand

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DEAR MR MEHTA IT WILL NAVER COME ON THE TRCK OF DEVELOPMENT,

ITS A DREAM OF UTTARAKHANDIES


Devbhoomi,Uttarakhand

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KYA DEVELOPMENT KAREGI UTTARAKHAND KI SARKAAR JAB KI INKE PAAS KHANE SAMLE TEST KARNE KE YNATR BHI MAUJOOD NAHI HAI KYA AB TAK UTTARAKHAND KI SARKAAR JHAK MAAR RAHI THI JO KI YE KHANE KE SAMPLE KO TEST KRAANE KE LIYA BAHAAR BHEJNE KI NAUBAT AAYI HAI KYA VIKHAS HOGA IS DEVBHOOMI KA. IS NEWS KO PADNA

अब हिमाचल प्रदेश जांचेगा आपका खानपान

 Nov 12, 10:15 pm
बताएं

   

हल्द्वानी(नैनीताल)। उत्तराखंड के खाद्य पदार्थो के नमूनों की जांच अब हिमाचल प्रदेश करेगा। जांच को लेकर उप्र से चला आ रहा गतिरोध खत्म करते हुए उत्तराखंड सरकार ने यह फैसला लिया है। जांच जल्दी की जायेगी और जांच के लिए प्रदेश सरकार करीब 100 रुपये नमूने की दर से हिमाचल प्रदेश को भुगतान भी करेगी। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य निदेशक ने सभी खाद्य निरीक्षकों और स्वास्थ्य अधिकारियों को इस बाबत निर्देश भी जारी कर दिए हैं।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_5935778.html


पंकज सिंह महर

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जहां से चले थे, वहीं पर पहुंच कर ठिठके हुआ है उत्तराखण्ड।

उत्तराखण्ड राज्य गठन की ्मांग १८ सदी से उठती आई, लेकिन १९९४ का जनांदोलन इसकी परिणिति बनी, १९९४ का जो आंदोलन यहां ही जनता ने किया, वह उ०प्र० सरकार की हमारे काम न आने वाली , मैदानी भूभाग को देखकर बनाई गई नीति को लेकर और सबसे ज्यादा उग्रता उत्तराखण्ड ने तब दिखाई जब ओ०बी०सी० को २७ % आरक्षण देने की बात आई। हमारे उत्तराखण्ड में OBC की संख्या २ % भी नहीं है और आम उत्तराखण्डी अपने हिस्से की नौकरी उन्हें देने को तैयार नहीं था। तो बात आई कि भई पूरे उत्तराखण्ड को या तो OBC में शामिल करो या फिर हमें अलग स्टेट दे दो। मांग का कारण नौकरी ही था और नौकरी के कारण होने वाले पलायन का दर्द था।
खैर राज्य बना, ४२ शहादतें हुई, कई जलालतें सहीं, अपमान सहे। हमारे राज्य के निवासी प्राचीन काल से ही प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर रहा है, प्रकृति के अलावा हमें सिर्फ नौकरी का ही सहारा है। राज्य बनने के बाद लोकतंत्र के बहाने लोगों ने राजनैतिक लाभ लेने और पहुंचाने की ही कोशिशें की और कर रहे हैं। राज्य की सुध लेने वाला आज भी कोई नहीं है। चन्द, परमार, शाह, कत्यूरी राजाओं ने भी हमारे लिये खड़ंजे बनाये, मुगलकाल से लेकर ब्रिटिशकाल में भी हमारे हिस्से खड़ंजा ही आया और उ०प्र० के शासन १७ विधानसभा क्षेत्रों में भी वही और आज अपनी सरकार ७० विधान सभा में भी वहीं खड़ंज हमारे रास्तों पर बिछ रहा है। अब अंदाजा लगाया जा सकता है कत्यूरी राजाऒं के शासन काल से आज तक का अंतराल और उसमें होने वाले कामों में भी।
इतिहास को पलटें तो ७२५ ई० के राजाओं का फोकस इस बात पर रहता था कि मेरा राज्य कैसे आत्मनिर्भर हो, कैसे इसकी अर्थव्यवस्था ठीक हो। लेकिन आज के राजा का फोकस इस बात पर है कि मेरी अर्थव्यव्स्था ठीक हो। राज्य गौण हो गया है और मैं सर्वोपरि।
हम १९५० में भी वहीं पर थे, उ०प्र० के समय में ४५० करोड़ का योजनागत व्यय उत्तराखण्ड के लिये होता था। आज ४५०० करोड़ है, लेकिन काम वही हो रहा है, खडंजा, टूटी नाली, प्यासे नल, टूटते-गिरते पहाड़ के गांव, खाली होते गांव। जहां से चले थे, वहीं पर ठिठके खड़े हैं हम कि कब होगा विकास?
उत्तराखण्ड आज शारीरिक रुप से तो बड़ा हो रहा है, उसकी उम्र तो बड़ रही है, लेकिन मानसिक और आंतरिक स्वास्थ्य की स्थिति ऐसी है जैसे कोई मानसिक बीमारी से ग्रस्त बच्चा हो।

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

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Bilkul sachai likhi hai Pankajda aapane, ye baat Govt. ke samajh main to nahi aa rahi hai lekin hum yuva log yah samajh sakte hai mera manana hai ki well educated yuva varg ka rajniti main hastkshep hona chaheye aur pradesh ko vikash ke platform par le jana chahiye.

Devbhoomi,Uttarakhand

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हमने या उत्तराखंड क़ी सरकार ने अलग होकर या उत्तराखंड अलग राज्य बनाकर क्या उखाड़ लिया है,पहले तो राजाओं क़ी  नौकरशाही चलती थी और उसके बाद अंग्रेजो का राज था लेकिन अब तो लगता है वही राजाओं क़ी नौकरशाही और अंग्रेजों का राज सही था, आज भी उत्तराखंड प्राकिर्तिक संशाधनों पर निर्भर है और उसी पर निर्भर रहेगा,पहले तो राजा सोचते थे क़ी कौन अपने राज्य मैं सबसे अच्छा विकास कर सकेगा उनमें हौड लगी रहती थी ,अपने इलाके मैं विकास करने क़ी,चाहे वो भी जनता का ही षोसन करते थे लेकिन जनता को कभी भी भूके मरने आन्ही देते थे

,लेकिन आज क़ी उत्तराखंड सरकार भी वैसे क़ी वैसे ही है जो क़ी ९-१० साल पहले थी हालांकि इस सरकार मैं भी हौड लगी हुई है विकास करने क़ी,लेकिन सिर्फ अपने आप का विकास कहाँ से मेरी जेब मैं पैसा आये कहाँ मैं महल बनवाऊं,कहाँ जम्में करिडून यही हौड लगी है आज के उत्तराखंड के नेताओं क़ी, नेता छाए कितने भी अमीर क्यूँ न हो लेकिन आखिर मैं नेता इस दुनिया मैं सबसे बड़ा भिखारी कहलाता है,वोट मांगने के लिए उसे भीख मांगनी ही पड़ती है,

जनता के आगे हाथ फैलाने क़ी आदत पड जाती है इनको, लेकिन जनता को देखो चाहे जनता भूखी प्यासी हो, या जनता खुद को भूखी रख सकती है लेकिन इन भिखारी नामक नेताओं को कभी खाली हाथ नहीं जाने देती विचारी जनता,कितनी भोली होती है, लेकिन ये वेसर्म भिखारी इनको तो सरम भी नहीं आती है, आ जायेंगे फिर से पांच  साल के बाद हाथ फैलाने !

Lalit Mohan Pandey

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Pankaj da bilkul sahi kaha apne... pahle Netau ko itni to saram hoti thi ki kuch karte hue parteet ho (bhale hi kuch kare nahi lekin lage to sahi),, AAj to wo bhi nahi rah gaya hai... Hal hi mai CM sahab ka pithoragarh bharman, logu mai sirf nirasa jagane wala tha... itna bada district hote hue aaj tak ek besh hospital ki mag poori nahi ho payi.. Rai jheel jaise kitne mudde hai..jinke vikas se pithoragarh mai paryatan ko badawa diya ja sakta hai.. lekin hamare netau ko to sirf fool malaye pahanana ki ata hai. Pantji pey-jal mantri hai.. lekin khud unki vidhan sabha mai pani ka akal pada hai, poore uttarakhand ki dasha kya hogi koe asani se soch sakta hai...

जहां से चले थे, वहीं पर पहुंच कर ठिठके हुआ है उत्तराखण्ड।

उत्तराखण्ड राज्य गठन की ्मांग १८ सदी से उठती आई, लेकिन १९९४ का जनांदोलन इसकी परिणिति बनी, १९९४ का जो आंदोलन यहां ही जनता ने किया, वह उ०प्र० सरकार की हमारे काम न आने वाली , मैदानी भूभाग को देखकर बनाई गई नीति को लेकर और सबसे ज्यादा उग्रता उत्तराखण्ड ने तब दिखाई जब ओ०बी०सी० को २७ % आरक्षण देने की बात आई। हमारे उत्तराखण्ड में OBC की संख्या २ % भी नहीं है और आम उत्तराखण्डी अपने हिस्से की नौकरी उन्हें देने को तैयार नहीं था। तो बात आई कि भई पूरे उत्तराखण्ड को या तो OBC में शामिल करो या फिर हमें अलग स्टेट दे दो। मांग का कारण नौकरी ही था और नौकरी के कारण होने वाले पलायन का दर्द था।
खैर राज्य बना, ४२ शहादतें हुई, कई जलालतें सहीं, अपमान सहे। हमारे राज्य के निवासी प्राचीन काल से ही प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर रहा है, प्रकृति के अलावा हमें सिर्फ नौकरी का ही सहारा है। राज्य बनने के बाद लोकतंत्र के बहाने लोगों ने राजनैतिक लाभ लेने और पहुंचाने की ही कोशिशें की और कर रहे हैं। राज्य की सुध लेने वाला आज भी कोई नहीं है। चन्द, परमार, शाह, कत्यूरी राजाओं ने भी हमारे लिये खड़ंजे बनाये, मुगलकाल से लेकर ब्रिटिशकाल में भी हमारे हिस्से खड़ंजा ही आया और उ०प्र० के शासन १७ विधानसभा क्षेत्रों में भी वही और आज अपनी सरकार ७० विधान सभा में भी वहीं खड़ंज हमारे रास्तों पर बिछ रहा है। अब अंदाजा लगाया जा सकता है कत्यूरी राजाऒं के शासन काल से आज तक का अंतराल और उसमें होने वाले कामों में भी।
इतिहास को पलटें तो ७२५ ई० के राजाओं का फोकस इस बात पर रहता था कि मेरा राज्य कैसे आत्मनिर्भर हो, कैसे इसकी अर्थव्यवस्था ठीक हो। लेकिन आज के राजा का फोकस इस बात पर है कि मेरी अर्थव्यव्स्था ठीक हो। राज्य गौण हो गया है और मैं सर्वोपरि।
हम १९५० में भी वहीं पर थे, उ०प्र० के समय में ४५० करोड़ का योजनागत व्यय उत्तराखण्ड के लिये होता था। आज ४५०० करोड़ है, लेकिन काम वही हो रहा है, खडंजा, टूटी नाली, प्यासे नल, टूटते-गिरते पहाड़ के गांव, खाली होते गांव। जहां से चले थे, वहीं पर ठिठके खड़े हैं हम कि कब होगा विकास?
उत्तराखण्ड आज शारीरिक रुप से तो बड़ा हो रहा है, उसकी उम्र तो बड़ रही है, लेकिन मानसिक और आंतरिक स्वास्थ्य की स्थिति ऐसी है जैसे कोई मानसिक बीमारी से ग्रस्त बच्चा हो।

Tanuj Joshi

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We had celebrated Uttarakhand Diwas in Bangalore as well with some strength of 200 people. There were folk songs, dance and other events along with lunch.
These captured events/pics are available @

http://picasaweb.google.com/n. bahuguna/ UttarakhandSthapanaDivas
 
 http://picasaweb.google.com/ adobhal/USD09?feat=email#
 
http://picasaweb.google.com/n. bahuguna/ UttarakhandSthapanaDivas#
 
http://www.youtube.com/watch? v=2J0wJOrhdj8&feature=player_ embedded

http://picasaweb.google.co.in/sumit.negi/UttarakhandSthapnaDivas?feat=directlink

 

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