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आपके अनुसार विकास की दृष्टि से उत्तराखंड ने १०० % मैं से कितना विकास किया है ?

below 25 %
46 (69.7%)
50 %
11 (16.7%)
75 %
5 (7.6%)
100 %
2 (3%)
Can't say
2 (3%)

Total Members Voted: 62

Voting closes: February 07, 2106, 11:58:15 AM

Author Topic: 9 November - उत्तराखंड स्थापना दिवस: आएये उत्तराखंड के विकास का भी आकलन करे  (Read 69346 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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आंसुओं के घूंट पीकर लौटे गगवाड़ा के लोग

पौड़ी गढ़वाल। जंगल को जिंदा रखने की कोशिशों में अपनी जान दे चुके गगवाड़ा गांव के आठ लोगों के परिजन अब गरीबी में दिन बिता रहे हैं। खेतों में मजदूरी करने के बाद भी उन्हें इतना नहीं मिल पा रहा है कि वे दो जून की रोटी का इंतजाम कर सके। बुरे दौर से गुजर रहे मृतकों के परिजनों ने डीएम का दरवाजा खटखटा कर रोजगार मांगा और डीएम ने जवाब दिया कि प्रक्रिया चल रही है।

काबिलगौर हो कि 1 मई 2008 को मुख्यालय के नजदीकी गांव गगवाड़ा वन पंचायत का जंगल आग की चपेट में आ गया और तब जंगल की आग को बुझाते हुए गांव के आठ लोग बुरी तरह झुलस गए। जंगल की आग ने पांच लोगों की मौके पर ही जान ले ली, जबकि तीन झुलसे हुए लोगों ने दिल्ली अस्पताल में दम तोड़ दिया।

 आग में आठ परिवारों के सामने तभी रोटी का संकट उत्पन्न हो गया था और परिवारों की लाचार स्थिति को देखते हुए सरकारी हुकमरानों ने लोगों को विश्वास दिया था कि उन्हें रोजगार दिया जाएगा, लेकिन अब तक मृतक आश्रितों को नौकरी नहीं मिल पाई है।

आंखों में आंसू भर मृतकों के परिजन बुधवार को जिलाधिकारी दिलीप जावलकर से मिलने पौड़ी पहुंचे। उन्होंने मांग दोहराई कि उन्हें सरकारी सेवा में लिया जाए। इस पर जिलाधिकारी ने बताया कि नियमित रोजगार के लिए सरकार को सूची भेजी जा चुकी है और अब तक शासन से कोई जवाब नहीं आया है।

 इसके अलावा उन्होंने कहा कि इस संबंध में उन्होंने प्रभागीय वनाधिकारी से बातचीत की है और उम्मीद है कि उन्हें संविदा या दैनिक वेतन पर नौकरी दी जाएगी। कब तक मिलेगी इसे लेकर उन्होंने कुछ भी नहीं कहा। आश्वासन और आंसुओं के घूंट पीकर गगवाड़ा के लोग एक बार फिर अपने घरों को वापस लौट गए।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Next month on 9th Nov 2010, uttarakhand state will turn of 10 Yrs (one decade). 09 Nov 2001, this state came in to existence and it has traveld 10 yrs of period now.

I will give only 5% mark to development, if we analyse the development taken place in Uttarakhand.

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सत्यदेव सिंह नेगी

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Mehta sir you are so kind but in my view Development in Uttrakhand is Zero , People enjoying power in uttrakhand definitly developed more than 500%

Next month on 9th Nov 2010, uttarakhand state will turn of 10 Yrs (one decade). 09 Nov 2001, this state came in to existence and it has traveld 10 yrs of period now.

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ranbeer

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hello namaste, sabhi uttaranchal doston ko, there is no quesiton what we gained or lost, the question is...............
uttaranchal should have been seperate state.....or not....?
this is the question.........
in my point of view not.........................many reason behind that...............

Hisalu

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Yes development is there(Comparable to earlier UP-Hills development).
But still it doesnt meeting people's expectation.


Next month on 9th Nov 2010, uttarakhand state will turn of 10 Yrs (one decade). 09 Nov 2001, this state came in to existence and it has traveld 10 yrs of period now.

I will give only 5% mark to development, if we analyse the development taken place in Uttarakhand.

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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सीएम ने उपलब्धियां गिनाई, गवर्नर ने जमीन दिखाई


देहरादून, जागरण संवाददाता। राज्य स्थापना व्याख्यानमाला के तहत टाटा समूह के चेयरमैन रतन नवल टाटा के व्याख्यान से पूर्व राज्य के मुखिया डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने दस वर्ष की अल्प आयु में राज्य द्वारा हासिल की गई उपलब्धियां गिनाई, तो राज्यपाल माग्र्रेट आल्वा ने इस लंबी अवधि के बाद भी मूलभूत सुविधाओं से जुड़े जनहित के कई अनसुलझे सवाल उठाकर सभी को जमीनी हकीकत से रूबरू कराया।

राज्य स्थापना व्याख्यानमाला के दौरान टाटा समूह के चेयरमैन रतन नवल टाटा '21वीं सदी: संभावनाएं व चुनौतियां' विषय पर बोले। इससे पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक व राज्यपाल माग्र्रेट आल्वा के संबोधन कहीं न कहीं राज्य के मौजूदा आर्थिक व सामाजिक हालात की समीक्षा के लिहाज से एक-दूसरे के पूरक नजर आए। मुख्यमंत्री का संबोधन जहां छोटे से अरसे में राज्य द्वारा हासिल की गई उपलब्धियों से परिपूर्ण था। वहीं, राज्यपाल के संबोधन में राज्य गठन के दस साल बाद भी जनता की अधूरे सपनों का समावेश रहा।

मुख्यमंत्री डा. निशंक ने कहा कि वर्ष 2000 में 2.9 प्रतिशत विकास दर वाले नवोदित राज्य ने 2009 तक आते-आते 9.41 प्रतिशत की विकास दर हासिल की है। योजना आयोग के सर्वे में भी विकास दर की गति के मामले में उत्ताराखंड अव्वल आया है। इसी तरह प्रदेश की प्रतिव्यक्ति वार्षिक आय भी इन दस सालों में 14300 रुपये से बढ़कर 42 हजार रुपये तक पहुंच चुकी है। राज्य की यह प्रतिव्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से भी ज्यादा है। उन्होंने कहा कि कर राजस्व के मामले में भी राज्य 165 करोड़ रुपये बढ़कर 3000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।

डा. निशंक ने श्री रतन टाटा से ऐसे नवोदित राज्य के विकास में मैनेजमेंट गुरू की भूमिका निभाने का आग्रह किया। उधर, राज्यपाल माग्र्रेट आल्वा ने इन उपलब्धियों की सराहना करते हुए राज्य के जमीनी हालात की ओर फोकस किया। श्रीमती आल्वा ने बताया कि राज्य गठन के वक्त उत्ताराखंड को बिजली के मामले में सरप्लस स्टेट का दर्जा हासिल था, लेकिन आज डेफिसिट स्टेट बन गया है। गांव व शहर और पहाड़ व मैदान के बीच एक गहरी 'खाई' आज भी मौजूद है। दूरस्थ पर्वतीय इलाकों में लोगों को आज भी मूलभूत सुविधाएं मयस्सर नहीं।

गांव-गांव में स्कूल हैं, लेकिन शिक्षक नहीं। पहाड़ में अस्पताल हैं, लेकिन डाक्टर वहां जाना नहीं चाहते। सुदूरवर्ती इलाकों में गांव हैं, लेकिन सड़क नहीं। लोग शिक्षित हो रहे हैं, लेकिन गुणवत्ता सुधार की गुंजाईश बाकी है। यह तमाम चुनौतियां हैं, जिनसे इस युवा राज्य को निपटना है। जाहिर है इसके लिए सुप्रशिक्षित मैनपावर की कमी को भी पूरा करना होगा।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6909699.html

Devbhoomi,Uttarakhand

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अंधेरे में डूबे हैं नागथात क्षेत्र के 70 गांव
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कालसी/साहिया/चकराता, निज प्रतिनिधि: नागथात स्थित विद्युत सब स्टेशन में तकनीकी खराबी आने से क्षेत्र के 70 गांव पिछले पांच दिनों से अंधेरे में डूबे हुए हैं। विद्युत आपूर्ति ठप होने से इन गांवों में बिजली पर आधारित कार्य प्रभावित हो रहे हैं। विद्युत आपूर्ति बहाल न होने से ग्रामीणों में ऊर्जा निगम के प्रति रोष व्याप्त है।

पांच दिन पूर्व नागथात स्थित विद्युत सब स्टेशन में अचानक खराबी आ गई। खराबी आने से इस विद्युत सब स्टेशन से जुड़े गांव अंधेरे में डूबे हुए हैं। ऊर्जा निगम के अधिकारी अभी तक तकनीकी खराबी को दूर नहीं कर पाए हैं। ग्रामीणों को मोमबत्ती व लैंप के सहारे रात बितानी पड़ रही है। गांवों में स्थित बिजली की चक्की बंद पड़ी हुई हैं। विद्युत आपूर्ति ठप होने से ग्रामीण खासा परेशान हैं। जो गांव अंधेरे में डूबे हुए हैं उनमें नागथात, बिसोई, लाच्छा, कुन्ना-अलमान, दुइना, क्वासा, रकटाड़, चिला, जैंदऊ, बाड़ो, लखस्यार, धनपऊ, लखवाड़, गडौल व शक्रोल आदि शामिल हैं। क्वासा के ग्राम प्रधान शमशेर सिंह चौहान, राजेंद्र सिंह, गजेंद्र सिंह चौहान, चरण सिंह, इंद्र सिंह नेगी, खुशीराम का कहना है कि बिजली न आने से ग्रामीणों की दिनचर्या तरह से प्रभावित हो रही है। बिजली पर आधारित तमाम कार्य ठप पड़े हैं। उनका कहना है कि विभाग पांच दिन बाद भी विद्युत आपूर्ति बहाल नहीं कर पाया है। उधर, ऊर्जा निगम के अधिशासी अभियंता डीएस खाती का कहना है कि नागथात सबस्टेशन में ब्रेकर में खराबी आई आ गई है। ब्रेकर की खराबी को शीघ्र दूर करने के प्रयास किए जा रहे है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7049956.html

Devbhoomi,Uttarakhand

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ऊर्जा निगम 2100 करोड़ के घाटे में
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उत्तराखंड में बिजली वितरण के लिए जिम्मेदार ऊर्जा निगम 2100 करोड़ से भी अधिक के घाटे में पहुंच गया है। निगम की हालत पतली करने में सबसे बड़ी भूमिका सरकारी विभागों की है। इन विभागों पर निगम का सात सौ करोड़ से भी अधिक का बकाया चल रहा है।

राज्य में विद्युत वितरण के लिए जिम्मेदार ऊर्जा निगम का घाटा साल दर साल बढ़ता ही जा रही है। वर्ष 2009-10 में यह 1800 करोड़ के करीब था। अब यह 2100 करोड़ से अधिक हो गया है। ऊर्जा निगम का घाटा बढ़ाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका सरकारी विभागों की है। इन विभागों के पास इस समय ऊर्जा निगम का सात सौ करोड़ से भी अधिक बकाया है। ये विभाग हैं नगर निकाय, जल निगम तथा जल संस्थान, सिंचाई विभाग और विभिन्न तरह की विश्व बैंक और एडीबी की योजनाएं जिनमें बिजली के जरिये पानी लिफ्ट किया जाता है। इन सरकारी विभागों पर सालों से बकाया चढ़ता जा रहा है।

ऊर्जा निगम के एमडी एके जैन इसे घाटे में जोड़ने के पक्षधर नहीं हैं। श्री जैन कहते हैं कि इसकी वसूली के लिए वह विभागों को पत्र लिख रहे हैं, उनसे भुगतान का अनुरोध कर रहे हैं। उन्हें आस है कि बिजली बिलों की यह बकाया राशि शीघ्र ही निगम को मिल जाएगी। यह बात अलग है कि वर्षो से इन विभागों पर भुगतान का भार बढ़ता ही जा रहा है।

ऊर्जा निगम का गठन विशुद्ध रूप से एक व्यावसायिक संस्था के रूप में हुआ था लेकिन निगम पर सरकार के दबाव में सामाजिक जिम्मेदारियों का बोझ लगातार बढ़ाया जा रहा है। निगम की जरूरत के अनुसार टैरिफ रेट नहीं बढ़ाए जा रहे हैं। यहां तक कि जल विद्युत निगम तथा पावर ट्रांसमिशन कारपोरेश (पिटकुल) के बढ़े टैरिफ रेट का भार भी ऊर्जा निगम के सिर पर डाल दिया जाता है। ऊर्जा निगम पर सामाजिक जिम्मेदारियों का भार तो लगातार बढ़ाया जा रहा है, लेकिन घाटे से बाहर निकालने के लिए कोई सरकारी प्रयास भी अभी तक होते हुए नहीं दिखाई दे रहे हैं। यही वजह है कि ऊर्जा निगम घाटे की गर्त में फंसता ही चला जा रहा है

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7971650.html

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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Uttarakhand will complete 11 yrs of its formation on 09 Nov 2011. If we make an analysis on development of Uk during these 11 yrs. We find it around 10% which is very very poor.

The rudimentary problem of the state are the same like..un-employment, migration, health issues, education system, road connectivity etc etc.

So what was the benefit of formation Uttarakhand state?...  Now this is the main question.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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So on 09 Nov 11, Uttarakhand will complete 11 yrs of its formation. If we analyze the development of Uttarakhand during these 11 yrs, we only find dis-appointment and the purpose of formation this new state seems to be defeated.

1)   The only progress we have made is that we got 6 terms of CMs.

2)   Corruption cases were on peak.

3)   Health & employment issues were addressed.

4)   Tourism is at it is.

5)   Capital issue still un-solved.

I can say Uttarakhand hardly made 10% development during these 11 yrs.

 

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