Uttarakhand > Development Issues - उत्तराखण्ड के विकास से संबंधित मुद्दे !

Bageshwar: Undeveloped District - बागेश्वर विकास की दृष्टि से सबसे पिछड़ा जिला

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

दोस्तों,

जैसा की आप जानते है, पूरे उत्तराखंड ने अभी तक उम्मीद के मुताबिक विकास नही किया है! उत्तराखंड के हर कौने के लोगो के विकास न होने के कई खबरे दिन-प्रतिदिन अखबारों में आती है!

मै व्यक्तिगत रूप से उत्तराखंड के विभिन्न जिलो में घूम चुका हूँ लेकिन अन्य जिलो को तुलना में बागेश्वर उत्तराखंड के सबसे पिछड़ा जिला के रूप गिना जा सकता है !  हलाकि में इसी जिले का रहने वाला हूँ उत्तराखंड बनने से पहले और उत्तराखंड बनने के बाद के विकास यदि मुझे को तुलना करने के लिए बोले और १०० में विकास अंक देने के लिए कहे तो मै ...... सिर्फ़ ...... और सिर्फ़     ...... ५ % ही अंक विकास को दूंगा !

अब समस्याए
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    a )

बागेश्वर उत्तराखंड के धार्मिक जगहों में से एक है यहाँ पर सूरयो और गोमती नदियों का संगम है और भगवां शिव का पौराणिक मन्दिर भी ! लेकिन शहर में ट्रैफिक का बड़ा बुरा हाल है गत ६ बरसो से एक बाय पास का रुका ही रुका है !

२)    अस्पताल --  शहर मे एक सरकारी अस्पताल है इसमे भी मुस्किल से १० bed की सुविधा नही है ! इमर्जेंसी केसेस में लोगो को अल्मोडा एव रानीखेत जाना पड़ता है !

३)   रोड  :    अगर मे अपने गाव के रोड के सपने के बार में बताओ तो आप चकित रह जायंगे !   गत ६ सालो के हम अपने गाव को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए लड़ाई लड़ रहे है !  The situation is that we have run pillar to post but no gain !

अगर शहर की आम सडको की बात करे तो - ताकुला से हल्द्वानी वाली सड़क मार्ग का बेहाल है जगह  - २ गद्दे ! कौन आएगा यहाँ पर सैर सपाटे ले लिए ! --   मंत्री एव मुख्य मंत्री लोग आते है मेले और चुनावी मेले पर और वो भी हेलीकॉप्टर से ... हां ... हा.. हां. तो रोड ख़राब होने का पता कैसे लगेगा !

४)   शिक्षा --  भाई इसका हाल तो और भी बुरा है ! चुप रहने बहेतर

५)  पर्यटन -     बागेश्वर शहर के आलावा पर्यटन के लिए यहाँ पर कई जगह है जहाँ पर अब तक के सरकारों ने अनदेखी की है ! प्रसिद्ध पिंडारी ग्लेशियर जो की बागेश्वर से ९० की दूर पर होगा लेकिन वहां तक अभी तक सरकार ने रोड नही पंहुचा सकी है !   इसके आलवा रीमा क्षेत्र में भगवान् मूल नारायण जी का मन्दिर है जो की शिखर जैसे रमणीक स्थल पर और यहाँ पर भी यातायात के कोई साधन नही है !

६.) बेरोजगारी -  अगर नही होते कुमोँन एव गडवाल रेजिमेंट उत्तराखंड का हाल और भी बुरा होता !  इस जिले में रीमा, कांडा, असो आदि जगहों पर काफ़ी खडिया निकलती है लेकिन वह खडिया जाती है हल्द्वानी अगर इसका मिक्सिसिंग का काम बागेश्वर मे कही होता तो लोगो के रोजगार मिलता !


If you have visited this place, kindly give us your feedback on development progress of the area.

Jaari hai...  Vikas ki Gaatha .....


Regards,

M S Mehta


 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:


जन पर्तिनिधि
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बागेश्वर जिले का पिछडे होने का एक कारण यह भी रहा है कि यहाँ से कभी भी बड़े प्रतिनिधि नही आए ! हलाकि पूर्व मुख्य मंत्री भगत सिह कोशियारी जी ने कपकोट क्षेत्र से दो बार लगाकार चुनाव जीता इससे पहले वे पिथोरागढ़ से चुनाव लड़ते थे ! भगत दा ने कुछ प्रयास किए लेकिन तब तक उनका कार्य काल ख़त्म हो गया उसके बाद इस क्षेत्र से कोई दमदार जन प्रतिनिधि नही आया !

राज नेता देखते है बागेश्वर पर

या तो उत्तरायनी पर और या तो वोट मागंने के लिए !!  महानभाव विनीति --- कभी चुनावी वादे भी पूरा करे !!!

भारतवर्ष की रक्षा में यहाँ के जवानो के बहुत शहादते है लेकिन शहीदों ने जिले को ignore
किया है !

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:


I am not denying that the development in other parts of Uttarakhand is very high. Even in remote areas of Chamoli District, Uttarkashi, Pithoragarh, Pauri, champawat etc have the similiar situation but the main city of Bageshar has not changed at all. 

As i have quoted earlier, that if Govt would not have made Kumoan and Garwal Regiments, the siutation of un-employment would be even more worsed.

The migration rate from Bageshwar District is also too high.

If i quote an example from my village, last year 7-8 families have migrated and similiar is the scenario from other villages.

100 out of 100 is never possible, if 50 or slightly less than 50 % development is done, even people would leave their birth places.

But who is going to listen.

पंकज सिंह महर:
70 लाख की लागत से होगा शिखर का विकासFeb 25, 02:00 am

बागेश्वर। धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण कपकोट तहसील के शिखर क्षेत्र का जल्द ही कायाकल्प होने वाला है। जिलाधिकारी डीएस गब्र्याल, जिला जज जयदेव सिंह, जिपं अध्यक्ष राम सिंह कोरंगा सहित विभिन्न विभागीय अधिकारियों ने शिखर का भ्रमण करने के बाद 70 लाख की लागत का आगणन शासन को भेज दिया है। शिखर का भ्रमण करने के बाद जिलाधिकारी ने बताया कि धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिहाज से 70 लाख रुपयों की राशि का आगणन शासन को भेजा गया है। जिससे वहां पर पानी की व्यवस्था, रात्रि विश्राम हेतु रेस्ट हाउस, बिजली, रास्ते आदि का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिखर को ईको टूरिज्म के रूप में भी विकसित करने की प्रशासन की मंशा है। जिलाधिकारी ने जिला जज जयदेव सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष राम सिंह कोरंगा के साथ शिखर के मूल नारायण मंदिर में पूजा अर्चना करते हुए जनपद वासियों की सुख समृद्धि की कामना की। उन्होंने शिखर में पानी की व्यवस्था के लिए ईई एसके तिवारी, सौर ऊर्जा के लिए एके शर्मा तथा ईई एसके सहगल को निर्देशित किया।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

Mahar da,

This is once again an announcement. During the Congress Led Govt there have several such false promises of ruling parties specially during the election time for sake of vote..

Nobody is there truly to develop the district..   


--- Quote from: पंकज सिंह महर/Pankaj on February 25, 2009, 10:30:43 AM ---70 लाख की लागत से होगा शिखर का विकासFeb 25, 02:00 am

बागेश्वर। धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण कपकोट तहसील के शिखर क्षेत्र का जल्द ही कायाकल्प होने वाला है। जिलाधिकारी डीएस गब्र्याल, जिला जज जयदेव सिंह, जिपं अध्यक्ष राम सिंह कोरंगा सहित विभिन्न विभागीय अधिकारियों ने शिखर का भ्रमण करने के बाद 70 लाख की लागत का आगणन शासन को भेज दिया है। शिखर का भ्रमण करने के बाद जिलाधिकारी ने बताया कि धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिहाज से 70 लाख रुपयों की राशि का आगणन शासन को भेजा गया है। जिससे वहां पर पानी की व्यवस्था, रात्रि विश्राम हेतु रेस्ट हाउस, बिजली, रास्ते आदि का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिखर को ईको टूरिज्म के रूप में भी विकसित करने की प्रशासन की मंशा है। जिलाधिकारी ने जिला जज जयदेव सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष राम सिंह कोरंगा के साथ शिखर के मूल नारायण मंदिर में पूजा अर्चना करते हुए जनपद वासियों की सुख समृद्धि की कामना की। उन्होंने शिखर में पानी की व्यवस्था के लिए ईई एसके तिवारी, सौर ऊर्जा के लिए एके शर्मा तथा ईई एसके सहगल को निर्देशित किया।


--- End quote ---

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