Author Topic: Biggest Cloudburst incident in Kedarnath Uttarakhand-सबसे बड़ी आपदा उत्तराखंड में  (Read 22411 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तराखंड आपदा : राहत सामग्री बची है थोड़ी सी

देहरादून/नई दिल्ली !    बाढ़ की भीषण  त्रासदी से तबाह हुए उत्तराखंड को शुरू में चारो तरफ से मिलने वाली भारी  राहत सामग्री में त्रासदी के लगभग एक महीने बाद अब थोड़ी सी बच गई है। राहत  सामग्री में कमी के कारण गैर सरकारी संगठनों के सामने केदारनाथ के  सुदूरवर्ती गांवों तथा अन्य आपदाग्रस्त इलाकों में फंसे हुए तथा त्रासदी से  प्रभावित हजारों स्थानीय नागरिकों को राहत पहुंचाने में बहुत मुश्किलों का  सामना करना पड़ रहा है। 
वहां स्थानीय स्तर पर राहत कार्य में लगे तथा राहत सामग्री  पहुंचाने वाले गैर सरकारी संगठनों का कहना है कि त्रासदी के एक महीने बाद  राहत के लिए मिलने वाला सामान कम ही बच गया है।
इसी तरह के एक गैर  सरकारी संगठन 'हेल्पएज इंडिया' के भारत में अध्यक्ष अविनाश दत्ता ने  आईएएनएस से कहा, "हम आसानी से भूल जाते हैं। सहानुभूति तो तेजी से घटी ही  है, राहत सामग्री भी मामूली रह गई है। वहां अभी भी लोग ऐसी स्थिति में हैं  कि उनके पास अपना स्टोव जलाने के लिए माचिस तक नहीं है, परिवार का कमाई  करने वाला सदस्य नहीं रहा, कुछ लोगों का पूरा घर ही बह गया है, तो कुछ  लोगों की आजीविका का जरिया ही खत्म हो चुका है। ऐसे में उन्हें हमारी  सहायता की जरूरत है।"
वहां राहत कार्य में लगे गैर सरकारी संगठनों  का कहना है कि उनके पास मौजूद राहत सामग्री हद से हद 25 जुलाई तक समाप्त हो  जाएगी, इसके बाद अनेक पीड़ित परिवारों को सूखे अनाज पर आश्रित रहना पड़  सकता है, क्योंकि उनके पास माचिस तक नहीं है।
उत्तराखंड के बाढ़  प्रभावित इलाकों में अभी हजारों लोग प्रकृति के प्रकोप से तो बचने में  कामयाब रहे, लेकिन अभी भी वे मुख्य भूमि से कटे हुए हैं तथा कभी-कभार मिल  जाने वाली राहत सामग्री के आसरे ही रह गए हैं।
अनेक गैर सरकारी  संगठन उत्तराखंड के आपदा प्रभावित इन सुदूरवर्ती एवं पहुंच से दूर वाली  जगहों पर राहत सामग्री पहुंचाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं।
इन गैर  सरकारी संगठनों का कहना है कि शुरू में तो राजनीतिक दलों एवं स्वयंसेवी  समूहों के बीच राहत पहुंचाने की होड़ मची हुई थी, जिस कारण व्यवस्थित तरीके  से राहत नहीं पहुंचाई जा सकी। यही वजह है कि सैकड़ों जरूरतमंदों को राहत  मिल ही नहीं सकी।
'गूंज' के संस्थापक निदेशक अंशु गुप्ता ने आईएएनएस  को बताया, "हमारे देश में आपदा की आशंका बनी रहती है, इसके बावजूद हमारी  कोई तैयारी नहीं है। हम इस बारे में सोचते ही नहीं। राहत कार्य संचालित  करने के लिए यहां कोई प्रणाली या नियंत्रक संस्था नहीं है। देहरादून और  ऋषिकेश में कम से कम राहत सामग्री को रखने और फिर उसे व्यवस्थित तरीके से  वितरित करने के लिए कम से कम एक नियंत्रक संगठन तो होना चाहिए।"
गैर  सरकारी संगठनों ने राहत सामग्री के रूप में साड़ियों, कपड़ों, कंबलों,  बरसात से बचने के लिए तिरपाल के शीट, गर्म कपड़ों, सूखे खाद्य पदार्थ जैसे,  चीनी, आटा, चावल, मसाले, दूध पाउडर आदि के अतिरिक्त बर्तन, साबुन तथा जल  को पेय योग्य बनाने वाली दवाओं की जरूरत बताई।
आपदा पीड़ितों को  राहत पहुंचाने के इच्छुक लोग गूंज डॉट ऑर्ग, सेवदचिल्ड्रेनइंडिया डॉट ऑर्ग  तथा हेल्पएजइंडिया डॉट ऑर्ग से जानकारी हासिल कर सकते हैं।http://www.deshbandhu.co.in/

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Manoj Istwal केदारनाथ में पड़ी ये सदी गली लाशें अब ब्रेकिंग न्यूज़ इसलिए नहीं रही क्योंकि मीडिया मैनेजमेंट करना अब सरकार को आ गया है-
 केदारनाथ में पड़ी ये लाशें किसी समाचार चैनल के लिए ब्रेकिंग न्यूज़ नहीं हैं क्यूंकि इनमे कुछ मसाला नहीं है न ही कोई ग्लेमर है ।
 न ही किसी मनावाधिकार वालो की नजर इस पर पड़ेगी क्यूँ की ये किसी कश्मीरी आतंकवादीयों या नक्सलीयों के लाशे नहीं हैं …
 और ना ही कोई नेता इनके लिए आंसू बहायेगा क्यूँ की ये कोई माईनोरिटी वाले नहीं हैं
 यहाँ कोई तीस्ता नहीं आएगी कोई मेधा अनशन नहीं करेगी, कोई अभिनेता चादर चडाने नहीं जायेगा, कोई फ़िल्मी खान मदत के लिए शो नहीं करेगा और स्वघोषित बुद्धिजीवी ब्लॉग नहीं लिखेंगे,
 ये मंदिर जा रहे थे तो कुछ दिन बाद कम्युनिस्ट भी देवता को गाली देने के बाद चुप हो जायेंगे।
 उत्तराखंड की ५ लोकसभा सीट के लिए कोन इतना समय देगा। विधानसभा में भी परिसीमन के बाद पहाड़ो में कुछ रहा नहीं बाकि चुनाव के समय की कला तो सभी को पता है जैसे हरक सिंह रावत जी ने रुद्रप्रयाग में और निशंख जी ने डोई वाला और कोटद्वार में किया। पहाडियों का क्या फिर सीख जायेगे ये तो जिंदगी का हिस्सा है, गिरते पहाड़ो पर चलने की आदत है । नौकरी के लिए सेना तो है ही।
 साभार-हिमांशु बिष्ट
केदारनाथ में पड़ी ये सदी गली लाशें अब ब्रेकिंग न्यूज़ इसलिए नहीं रही क्योंकि मीडिया मैनेजमेंट करना अब सरकार को आ गया है- केदारनाथ में पड़ी ये लाशें किसी समाचार चैनल के लिए ब्रेकिंग न्यूज़ नहीं हैं क्यूंकि इनमे कुछ मसाला नहीं है न ही कोई ग्लेमर है । न ही किसी मनावाधिकार वालो की नजर इस पर पड़ेगी क्यूँ की ये किसी कश्मीरी आतंकवादीयों या नक्सलीयों के लाशे नहीं हैं … और ना ही कोई नेता इनके लिए आंसू बहायेगा क्यूँ की ये कोई माईनोरिटी वाले नहीं हैं यहाँ कोई तीस्ता नहीं आएगी कोई मेधा अनशन नहीं करेगी, कोई अभिनेता चादर चडाने नहीं जायेगा, कोई फ़िल्मी खान मदत के लिए शो नहीं करेगा और स्वघोषित बुद्धिजीवी ब्लॉग नहीं लिखेंगे, ये मंदिर जा रहे थे तो कुछ दिन बाद कम्युनिस्ट भी देवता को गाली देने के बाद चुप हो जायेंगे। उत्तराखंड की ५ लोकसभा सीट के लिए कोन इतना समय देगा। विधानसभा में भी परिसीमन के बाद पहाड़ो में कुछ रहा नहीं बाकि चुनाव के समय की कला तो सभी को पता है जैसे हरक सिंह रावत जी ने रुद्रप्रयाग में और निशंख जी ने डोई वाला और कोटद्वार में किया। पहाडियों का क्या फिर सीख जायेगे ये तो जिंदगी का हिस्सा है, गिरते पहाड़ो पर चलने की आदत है । नौकरी के लिए सेना तो है ही। साभार-हिमांशु बिष्ट height=320

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Again - कर्णप्रयाग में फटा बादल, मकान ध्वस्त-कई लापता

उत्तराखंड के चमोली जनपद में आज सुबह बादल फटने की खबर है। बताया जा रहा है कि बादल फटने से कई मकान ध्वस्त हो गए हैं। वहीं कुछ लोगों के लापता होने की खबर है। घटनास्थल के लिए डिजास्टर मैनेजमेंट की टीम रवाना हो गई है।

सूत्रों के मुताबिक चमोली जिले के कर्णप्रयाग के सोनाली गांव में सुबह साढ़े पांच बजे बादल फटने की खबर मिली है। जिस वक्त बादल फटे उस वक्त लोग लोग घरों में सो रहे थे। बादल फटने से कई मकान ध्वस्त हो गए हैं। कई लोग लापता बताए जा रहे हैं। फिलहाल कितने लोग मारे गए हैं, ये साफ नहीं हो पाया है। जबकि बादल फटने से खेती की जमीन बह गई है। डिजास्टर मैनेजमेंट की टीम मौके के लिए रवाना हो गई है। फिलहाल नुकसान होने के बारे में साफ तौर पर नहीं बताया जा सकता है।

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Kind Attention - Mr Vijay Bahuguna, CM of Uttarakhand

आपदा - धारचूला (पिथौरागढ़)- 17 परिवारों ने खुले मैदान में ले रखी हैं शरण

धारचूला (पिथौरागढ़)। धारचूला नगर से दो किमी दूर खोतिला के आपदा प्रभावितों को प्रशासन ने भगवान भरोसे छोड़ दिया है। कस्बे के प्रभावित 22 परिवारों में से पांच परिवार अब भी जान जोखिम में डालकर गिरने के कगार पर पहुंचे मकानों में रह रहे हैं। प्रशासन की यह लापरवाही किसी हादसे का कारण बन सकती है।
खोतिला कस्बे में काली से सटे मदन राम, गगन राम, नीदू बहादुर, कालू बहादुर, धनी राम, बहादुर राम, फकीर राम, शेरू राम समेत 22 लोगों के मकान 17 जून की तबाही में खतरे की जद में आ गए थे। बाद में हर्षू कुरेसी और उसके भाई का मकान काली के कटाव में बह गया। यह दोनों परिवार अब भी क्षतिग्रस्त मकान के एक कमरे में रह रहे हैं। इन लोगों के अलावा तीन और परिवार क्षतिग्रस्त होने की कगार पर पहुंचे मकानों में निवास कर रहे हैं। 17 परिवार खोतिला के ऊपर खुले मैदान में टेंटों में रह रहे हैं।
काली से लगातार कटाव हो रहा है। नदी का बहाव बढ़ा तो सारे मकान एक साथ टूटते चले जाएंगे। आपदा में मकान खो चुकी शहनाज बताती हैं कि अब तक प्रशासन की ओर से उन लोगों को कोई मदद नहीं मिली। खोतिला के आपदा प्रभावित अल्पसंख्यक और अनुसूचित जाति के हैं। यह लोग मेहनत, मजदूरी कर परिवार पालते हैं। सारे परिवार दोराहे पर आ गए हैं। खोतिला के प्रभावितों की दशा देखकर तो यही लगता है कि प्रशासन मुख्यमंत्री के तत्काल मदद देने के आदेशों का पालन नहीं कर रहा है। (amar ujala)

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डगमगाते कदमों से छोड़ रहे
जो पहाड़वासी सदियों से हिमालय की गोद में तमाम आपदाओं को झेलते रहे आज वही भारी दिल से अपने पुश्तैनी घरों को छोड़कर किराए के भवनों में नई जिंदगी की शरुआत करने के लिए डगमगाते हुए कदमों से आगे बढ़ गए हैं।

आपदाओं से पहले भी सामना होता रहा। नए सिरे से फिर खड़ा होने की कोशिशें होती रही। अब जून की भीषण बाढ़ में जीवनभर मेहनत की कमाई गंवाने के बाद शंभू प्रसाद नौटियाल ने उत्तरकाशी से पलायन करना ही मुनासिब समझा। उन्होंने बताया कि जीवन के कई उतार चढ़ाव देखे।

कई आपदाएं झेलीं। अपना जीवन तो जी चुका हूं, लेकिन नाती-पोतों के भविष्य को देखते हुए मन मार कर उत्तरकाशी छोड़ने को मजबूर होना पड़ा। 65 वर्षीय नौटियाल बताते हैं कि नौ वर्ष की आयु में जंगल में घास काटने के काम से जीवन की शुरुआत की थी।

बदलाव में सब चलता रहा
हाईस्कूल में पढ़ते हुए कपड़े की दुकान चलाई। वर्ष 1975 में यह दुकान अग्निकांड में स्वाह हो गई। कुछ नया करने का जज्बा था, इसलिए अपने मित्र ऋकेश्वर प्रसाद कुड़ियाल के साथ मिलकर पिक्चर हॉल खोला। बदलाव के इस दौर में 2004 में वह भी बंद हो गया।

वर्ष 1978 की बाढ़ में भी कारोबार को नुकसान हुआ। 1991 के भूकंप की तबाही ने भीतर तक हिला दिया। वर्ष 2003 के वरुणावत भूस्खलन से बहुमंजिला होटल भी जमींदोज हो गया था।

बाढ़ ने सब उजाड़ दिया
इस सबके बाद भी उत्तरकाशी छोड़ने का विचार मन में नहीं आया। वर्ष 2006 में नेताला में बीएड कालेज की नींव डाली। बीते सत्र में ही यहां कक्षाएं शुरू हुई थीं कि जून 2013 की बाढ़ ने सब उजाड़ दिया।

जोशियाड़ा वाली संपत्ति तथा तिलोथ पुल वाले हिस्से से हुए कटाव के कारण बाड़ाहाट का आवासीय भवन भी खतरे की में है। मेरा मन तो अब भी उत्तरकाशी छोड़ने को नहीं करता, लेकिन बीमार बेटे तथा नाती-नातिन के भविष्य की चिंता ने उत्तरकाशी छोड़ने को मजबूर कर दिया।

घर छोड़ किराए पर शुरु किया जीवन
उत्तरकाशी में खुद का इतना बड़ा मकान जिसमें कई किरायेदार रहते हैं, लेकिन अब पत्नी, बेटा-बहू व नाती-नातिन को देहरादून में आठ हजार रुपये महीने पर आवास किराये पर लेकर शिफ्ट कर दिया है।

‘हिमालय टूट सकता है पर झुक नहीं सकता’
शंभू प्रसाद नौटियाल बताते हैं कि हिमालय पुत्र स्व.हेमवती नंदन बहुगुणा की बात ही कुछ और थी। कांग्रेस से अलगाव के दौर में उनसे जुड़ने का मौका मिला। उनकी कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी (बाद में लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी) का वर्ष 1988 तक उत्तरकाशी का जिलाध्यक्ष रहा।

तन, मन, धन से उनका साथ दिया, लेकिन इस दौर में उत्तराखंड के सर्वेसर्वा बने उनके पुत्र और नाती ने सुध लेने की जहमत भी नहीं उठाई। आज भी हिमालय पुत्र की नसीहत याद है कि ‘हिमालय टूट सकता है पर झुक नहीं सकता।’ http://www.amarujala.com

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उत्तराखंड पुनर्निर्माण के लिये विश्व बैंक, एडीबी 40 करोड़ डॉ–लर

उत्तराखंड में वर्षा, भूस्खलन और बाढ़ से हुई भारी तबाही के बाद राज्य के पुनर्निर्माण और पुनर्वास कार्यों के लिये विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक 40 करोड़ डॉलर की सहायता उपलब्ध कराने पर सहमत हुये हैं। आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि विश्व बैंक और एडीबी की संयुक्त टीम द्वारा प्राकृतिक आपदा से हुई क्षति का प्रारंभिक आंकलन करने के बाद कल यहां मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में सहमति बनी।

इसके तहत आवास, पर्यटन, सिंचाई, कषि, वानिकी, पशुधन, स्वास्थ्य, शिक्षा और सड़क आदि बुनियादी सुविधायें उपलब्ध करायी जायेंगी। अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा ने बताया कि एडीबी 3 करोड़ डालर पर्यटन विकास, 9.50 करोड़ डालर सड़क और संपर्क मार्ग, एक करोड़ डॉलर अतिरिक्त रूप से आपदा से बुरी तरह क्षतिग्रस्त घाटियों की सड़क और संपर्क मार्गों के लिये, 1.20 करोड़ डॉलर शहरी पेयजल और 60 लाख डॉलर शहरी सड़कों और नालों की मरम्मत के लिये  देगा।

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उत्तराखंड राज्य के कुमाँऊ मंडल में मदकोट एक ऐसा क़स्बा है जिसका आपदा के एक महीने बीत जाने के बाद भी सड़क संपर्क क़ायम नहीं हो पाया है. रास्ता न होने के चलते यहाँ राहत सामग्री और रोज़मर्रा की ज़रुरतों का सामान पहुंचना टेढ़ी खीर है.
राहत कामों में लगे आपदाकर्मी भी जान जोखिम में डाल दूसरों की ज़िंदगी बचाने में लगे हैं. मुनसियारी से 22 किलोमीटर दूर बसे मदकोट तक पहुंचने का अब एक ही ज़रिया है, एक किलोमीटर लंबा पहाड़ पार करना.
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स्थानीय लोग घर पहुंचने के लिए दुर्गम पहाड़ को जान हथेली पर रखकर पार करते हैं. मदकोट से तीन किलोमीटर पहले भदेली के बाद सड़क नहीं है. गोरी गंगा ने इस रास्ते को ख़त्म कर दिया है.
ये ही एक मात्र रास्ता था जो मदकोट को मुनसियारी और जॉलजीबी से जोड़ता था पर अब ना तो मदकोट से आगे जाया जा सकता है और ना ही पीछे. इन पहाड़ों को पार करने का एक ही तरीका है, बग़ल में उगी घास-पौधौं को पकड़िए और किसी का नाम लेकर चढ़ जाइए.
चढ़ते समय बस एक ही बात का ध्यान रखना है कि धीरे चढ़ें, क़दम छोटे हों, मुँह से साँस न लें, ज़मीन पर नज़रें गड़ी रहें, अगल-बग़ल देखने से पैर अगर डगमगाए तो सीधा गहरी खाई में. और उतरते समय सिर्फ़ एक बात का ख्याल कि पैर सीधे पड़ें, शरीर के वज़न का संतुलन बनाए रखें ताकि फिसलने की स्थिति में ख़ुद को संभाल सकें.
 नदी काल बन गई  उत्तराखंड में आई बाढ़ से प्रभावित लोग. height=351  नदी से सटे मदकोट बाज़ार को गोरी नदी के कटाव ने निगल लिया. ये बाज़ार ही इस क़स्बे की जान हुआ करता थी. इस जगह आपदा के चलते मौंतें तो नहीं हुईं लेकिन काफ़ी लोगों की रोज़ी-रोटी चली गई.
मुनसियारी के उप ज़िलाधिकारी अनिल कुमार शुक्ला बताते हैं कि मदकोट के 14 मकान पूरी तरह नदी में समा गए है. पटवारी चौकी, प्राथमिक स्कूल, पंचायत घर भी टूट गया है.
क्लिक करें  कल चमन था
नदी किनारे मकान-दुकान सब कुछ नदी में समा गए और जो बच गए हैं, आधे नदी में लटके हुए हैं, इन स्थानीय लोगों के पास राहत शिविर में शरण लेने के अलावा कोई चारा नहीं है. मदकोट के राहत शिविर में 14 परिवार रह रहे हैं, राहत शिविर में रहने वालों में हीरा मरतोलिया भी है.
हीरा उस दिन को याद नहीं करना चाहतीं, "16 तारीख को जब हमने देखा कि नदी अपने प्रचंड वेग पर है, कटाव हो रहा है, हमारे मकान ढहने की कगार पर हैं तो हमने पूरे परिवार के साथ मकान खाली कर दिया. धरती हिल रही थी, नदी उफ़ान पर थी, जलजला आया और मेरी आँखों के सामने मेरा 22 कमरों का मकान पानी में समा गया. मकान के साथ ही हमारी दुकान थी और इसमें हमारी रो़ज़ी-रोटी चला करती थी, पर अब कुछ भी नहीं."
राहत शिविर में रह रहे सभी लोगों को सरकार की ओर से दो लाख का मुआवज़ा मिल चुका है.
 सरकार से शिकायत नहीं  उत्तराखंड में आई बाढ़ से प्रभावित लोग. height=351  राहत शिविर में रह रही महिलाओं, बुज़ुर्गों को सरकार से कोई शिकायत नहीं है. इन लोगों की बस एक ही माँग है कि सरकार इन्हें जल्द से जल्द ज़मीन मुहैया करा दें ताकि नए तरीके से इनकी नई ज़िंदगी की शुरुआत हो सके.
लेकिन बात यहीं ख़त्म नहीं होती. मदकोट से आगे तो स्थितियाँ और भी ख़राब हैं. दो किलोमीटर के आगे जाकर शेराघाट पर सड़क फिर से नदी में. शेराघाट तो इतना दुर्गम हो चुका है कि सामने खड़ी चट्टान है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि अब शेराघाट से अब आगे जाने का रास्ता बनाने के लिए पहाड़ को काट कर खुली सुरंग बनानी होगी. इसके बाद बंगापानी और लुमती में भी सड़क नदी में समा गई है.
क्लिक करें  बर्बादी की दास्तान
डीज़ल, पेट्रोल की किल्लत के बावजूद मदकोट में गाड़ियाँ चल रही हैं. दरअसल गाड़ियों के लिए जो डीज़ल या पेट्रोल आ रहा है, वो भी जान जोखिम में डालकर आ रहा है. डीज़ल 80 रुपए और पेट्रोल 120 रुपए लीटर बिक रहा है.
स्थानीय निवासी जगदीश उप्रेती कहते हैं, "तेल 22 किलोमीटर दूर मुनसियारी से डिब्बों में भर कर लाया जा रहा है. जहाँ तक सड़क है वहाँ तक तो गाड़ी से और उसके बाद लोग दस लीटर के कैन को पीठ पर लादकर पहाड़ की पथरीली पगडंडी पर चढ़कर पहुंचा रहे हैं."
पूरा रास्ता मलबे और गाद से भरा पड़ा है. सीमा सड़क संगठन के लोग सड़क बनाने में जुटे तो हैं पर अगर वो भदेली और मदकोट के बीच सड़क बनाने में सफल हो भी गए, तो शेराघाट पर क्या करेंगे, जहाँ पहाड़ सीधा खड़ा है. चुनौती पहाड़ तोड़कर आगे जाने और बाकी इलाकों से संपर्क बनाने की है.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तराखंड की आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए:भाजपा

नयी दिल्ली: भाजपा उपाध्यक्ष उमा भारती के नेतृत्व में एक दल ने बाढ़ प्रभावित उत्तराखंड का दौरा किया है और अपनी रिपोर्ट में कहा है कि त्रसदी को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए क्योंकि सरकार संकट से निपटने में ‘विफल’ रही.
दल ने केदारनाथ, देहरादून और अन्य स्थानों की जमीनी स्थिति का अध्ययन करने के लिए 19 से 26 जुलाई तक दौरा किया. इस दल में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोशियारी और सांसद शाहनवाज हुसैन भी शामिल थे.
रिपोर्ट में कहा गया है, इस प्राकृतिक आपदा में राज्य सरकार की तरफ से आपराधिक लापरवाही की वजह से लोगों की जान गई. राज्य सरकार कमजोर और निष्प्रभावी है. टीम ने सुझाव दिया कि इस त्रसदी को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाना चाहिए.
टीम ने कहा, राज्य सरकार संकट से निपटने में पूरी तरह नाकाम रही. इसे बर्खास्त किया जाना चाहिए और केंद्र को राज्य को अपने नियंत्रण में ले लेना चाहिए. इस तरह की त्रसदियों से निपटने के लिए विशेषज्ञों का एक दल गठित किया जाना चाहिए और तत्काल और दीर्घावधि का राहत और पुनर्वास कार्यक्रम तैयार किया जाना चाहिए.  उसने केदारनाथ और धारी देवी का पुराना गौरव बहाल करने पर भी जोर दिया.
http://www.prabhatkhabar.com/news/33214-uttrakhand-national-calamity-bjp.html

के बीच के बीच
अगर मकसद अच्‍छा हो तो साथ चलने में प्राब्‍लम नहीं होनी चाहिए और ऐसा ही एग्‍जांप्‍ल सेट करने जा रहे हैं सलमान खान और अमिताभ बच्‍चन. ये दोनों बॉलिवुड सेलिब्रिटीज के साथ मिल कर उत्‍तराखंड फ्लड विक्‍टिम्‍स के लिए फंड रेज करने के प्रोग्राम में शामिल होने जा रहे हैं.
  उत्तराखंड विक्टिम्स के लिए फंड कलेक्ट करने में अब अमिताभ बच्चन भी म्यूजिक कम्पोजर शंकर-एहसान-लॉय और राइटर-पोएट प्रसून जोशी के साथ होंगे. वह इंडिपेंडेंस डे पर ऑर्गनाइज होने वाले स्टार इंडियाज फंड रेजर म्यूजिकल इवेंट में ऑडियंस से रूबरू होंगे. अमिताभ ने कहा, ‘यह इनिशिएटिव हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक अपॉच्र्युनिटी है जिसके जरिए हम उन लोगों की मदद कर सकते हैं जिन्होंने हमें अपना प्यार देकर इस मुकाम पर खड़ा किया है.’ उन्होंने आगे जोड़ा, ‘हमें उन लोगों के साथ खड़ा होना है जो इस कैलेमेटी को झेल रहे हैं.’

बिग बी इस इवेंट में प्रसून जोशी की पोएट्री जिसका टाइटल है ‘साथ हैं हम उत्तराखंड’, को आवाज देंगे, इसका म्यूजिक शंकर-एहसान-लॉय का होगा.  यह इवेंट स्टार इंडिया, विजक्राफ्ट, फिल्म एंड टीवी प्रोड्यूसर गाइड और हिंदी फिल्म फ्रैटर्निटी का ज्वॉइंट इनिशिएटिव है.
 
इसके अलावा सलमान खान और माधुरी दीक्षित भी इवेंट के दौरान आने वाले प्रोमोज में दिखाई देंगे, जिसमें वे लोगों को उत्तराखंड विक्टिम्स की हेल्प के लिए एनकरेज करेंगे. इस इनिशिएटिव को सपोर्ट करने वालों में लता मंगेशकर, अजय देवगन, काजोल, अनिल कपूर, एआर रहमान, बमन इरानी, मुकेश भट्ट, आयुष्मान खुराना के साथ-साथ टीवी शोज के सेलेब्रिटीज भी शामिल हैं.
- See more at: http://inextlive.jagran.com/big-b-and-sallu-to-raise-funds-for-uttarakhand-victims-201308100020#sthash.keoJPZG4.dpufअगर मकसद अच्‍छा हो तो साथ चलने में प्राब्‍लम नहीं होनी चाहिए और ऐसा ही एग्‍जांप्‍ल सेट करने जा रहे हैं सलमान खान और अमिताभ बच्‍चन. ये दोनों बॉलिवुड सेलिब्रिटीज के साथ मिल कर उत्‍तराखंड फ्लड विक्‍टिम्‍स के लिए फंड रेज करने के प्रोग्राम में शामिल होने जा रहे हैं.
  उत्तराखंड विक्टिम्स के लिए फंड कलेक्ट करने में अब अमिताभ बच्चन भी म्यूजिक कम्पोजर शंकर-एहसान-लॉय और राइटर-पोएट प्रसून जोशी के साथ होंगे. वह इंडिपेंडेंस डे पर ऑर्गनाइज होने वाले स्टार इंडियाज फंड रेजर म्यूजिकल इवेंट में ऑडियंस से रूबरू होंगे. अमिताभ ने कहा, ‘यह इनिशिएटिव हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक अपॉच्र्युनिटी है जिसके जरिए हम उन लोगों की मदद कर सकते हैं जिन्होंने हमें अपना प्यार देकर इस मुकाम पर खड़ा किया है.’ उन्होंने आगे जोड़ा, ‘हमें उन लोगों के साथ खड़ा होना है जो इस कैलेमेटी को झेल रहे हैं.’

बिग बी इस इवेंट में प्रसून जोशी की पोएट्री जिसका टाइटल है ‘साथ हैं हम उत्तराखंड’, को आवाज देंगे, इसका म्यूजिक शंकर-एहसान-लॉय का होगा.  यह इवेंट स्टार इंडिया, विजक्राफ्ट, फिल्म एंड टीवी प्रोड्यूसर गाइड और हिंदी फिल्म फ्रैटर्निटी का ज्वॉइंट इनिशिएटिव है.
 
इसके अलावा सलमान खान और माधुरी दीक्षित भी इवेंट के दौरान आने वाले प्रोमोज में दिखाई देंगे, जिसमें वे लोगों को उत्तराखंड विक्टिम्स की हेल्प के लिए एनकरेज करेंगे. इस इनिशिएटिव को सपोर्ट करने वालों में लता मंगेशकर, अजय देवगन, काजोल, अनिल कपूर, एआर रहमान, बमन इरानी, मुकेश भट्ट, आयुष्मान खुराना के साथ-साथ टीवी शोज के सेलेब्रिटीज भी शामिल हैं.
- See more at: http://inextlive.jagran.com/big-b-and-sallu-to-raise-funds-for-uttarakhand-victims-201308100020#sthash.keoJPZG4.dpufअगर मकसद अच्‍छा हो तो साथ चलने में प्राब्‍लम नहीं होनी चाहिए और ऐसा ही एग्‍जांप्‍ल सेट करने जा रहे हैं सलमान खान और अमिताभ बच्‍चन. ये दोनों बॉलिवुड सेलिब्रिटीज के साथ मिल कर उत्‍तराखंड फ्लड विक्‍टिम्‍स के लिए फंड रेज करने के प्रोग्राम में शामिल होने जा रहे हैं.
  उत्तराखंड विक्टिम्स के लिए फंड कलेक्ट करने में अब अमिताभ बच्चन भी म्यूजिक कम्पोजर शंकर-एहसान-लॉय और राइटर-पोएट प्रसून जोशी के साथ होंगे. वह इंडिपेंडेंस डे पर ऑर्गनाइज होने वाले स्टार इंडियाज फंड रेजर म्यूजिकल इवेंट में ऑडियंस से रूबरू होंगे. अमिताभ ने कहा, ‘यह इनिशिएटिव हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक अपॉच्र्युनिटी है जिसके जरिए हम उन लोगों की मदद कर सकते हैं जिन्होंने हमें अपना प्यार देकर इस मुकाम पर खड़ा किया है.’ उन्होंने आगे जोड़ा, ‘हमें उन लोगों के साथ खड़ा होना है जो इस कैलेमेटी को झेल रहे हैं.’

बिग बी इस इवेंट में प्रसून जोशी की पोएट्री जिसका टाइटल है ‘साथ हैं हम उत्तराखंड’, को आवाज देंगे, इसका म्यूजिक शंकर-एहसान-लॉय का होगा.  यह इवेंट स्टार इंडिया, विजक्राफ्ट, फिल्म एंड टीवी प्रोड्यूसर गाइड और हिंदी फिल्म फ्रैटर्निटी का ज्वॉइंट इनिशिएटिव है.
 
इसके अलावा सलमान खान और माधुरी दीक्षित भी इवेंट के दौरान आने वाले प्रोमोज में दिखाई देंगे, जिसमें वे लोगों को उत्तराखंड विक्टिम्स की हेल्प के लिए एनकरेज करेंगे. इस इनिशिएटिव को सपोर्ट करने वालों में लता मंगेशकर, अजय देवगन, काजोल, अनिल कपूर, एआर रहमान, बमन इरानी, मुकेश भट्ट, आयुष्मान खुराना के साथ-साथ टीवी शोज के सेलेब्रिटीज भी शामिल हैं.
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  उत्तराखंड विक्टिम्स के लिए फंड कलेक्ट करने में अब अमिताभ बच्चन भी म्यूजिक कम्पोजर शंकर-एहसान-लॉय और राइटर-पोएट प्रसून जोशी के साथ होंगे. वह इंडिपेंडेंस डे पर ऑर्गनाइज होने वाले स्टार इंडियाज फंड रेजर म्यूजिकल इवेंट में ऑडियंस से रूबरू होंगे. अमिताभ ने कहा, ‘यह इनिशिएटिव हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक अपॉच्र्युनिटी है जिसके जरिए हम उन लोगों की मदद कर सकते हैं जिन्होंने हमें अपना प्यार देकर इस मुकाम पर खड़ा किया है.’ उन्होंने आगे जोड़ा, ‘हमें उन लोगों के साथ खड़ा होना है जो इस कैलेमेटी को झेल रहे हैं.’

बिग बी इस इवेंट में प्रसून जोशी की पोएट्री जिसका टाइटल है ‘साथ हैं हम उत्तराखंड’, को आवाज देंगे, इसका म्यूजिक शंकर-एहसान-लॉय का होगा.  यह इवेंट स्टार इंडिया, विजक्राफ्ट, फिल्म एंड टीवी प्रोड्यूसर गाइड और हिंदी फिल्म फ्रैटर्निटी का ज्वॉइंट इनिशिएटिव है.
 
इसके अलावा सलमान खान और माधुरी दीक्षित भी इवेंट के दौरान आने वाले प्रोमोज में दिखाई देंगे, जिसमें वे लोगों को उत्तराखंड विक्टिम्स की हेल्प के लिए एनकरेज करेंगे. इस इनिशिएटिव को सपोर्ट करने वालों में लता मंगेशकर, अजय देवगन, काजोल, अनिल कपूर, एआर रहमान, बमन इरानी, मुकेश भट्ट, आयुष्मान खुराना के साथ-साथ टीवी शोज के सेलेब्रिटीज भी शामिल हैं.
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Marathon for Uttarakhand victims in Bangalore today
« Reply #38 on: August 12, 2013, 12:08:07 AM »

Marathon for Uttarakhand victims in Bangalore today

 Hundreds of people, including expats and techies will run a 10 km marathon in Bangalore on Sunday to raise funds for the victims of disaster-hit Uttarakhand.
"In addition to our 1,000 members, about 1,000 people have registered so far for the 10km run being held to raise funds and collect household materials for families of the flood-hit Uttarakhand state," organiser and Snap Fitness India founder B.M. Vikram told IANS on Saturday.
The marathon under the banner 'Snap Uttarakhand Benefit Run' will take off early Sunday from Freedom Park in the city centre and pass through the main streets of the city with hundreds of volunteers coordinating the event.
      Marathon for Uttarakhand victims in Bangalore todayMarathon for Uttarakhand victims in Bangalore today
   The goal of the marathon is to help the people struck by the natural disaster in mid-June and assist them in rebuilding.
"We have tied up with Joogu, a non-government organisation (NGO) to send the funds and materials to the Uttarakhand government for the rehab of the affected families," Vikram said.
With the motto of 'every rupee makes a difference to lives of the affected families', Snap Fitness has appealed to the public to run for a humanitarian cause and raise awareness on the need to provide succour to victims of the natural disaster.
"We are asking citizens to make their walking and running meaningful by raising awareness for a noble cause. Our mission is to help the authorities in rehabilitating the victims of landslides and flash floods in the northern state," said Vikram.
Snap members and those registered for the marathon contributed Rs.300 each towards the relief fund.
"We are hoping for a huge response from citizens of Bangalore as they have been always generous for such genuine causes," Vikram noted.
"A week's free gym trial and marathon training will be provided to all participants at our 40 fitness centers across the city," he added.
The US-based Snap Fitness forayed into India five years ago with its first fitness centre in Bangalore.
http://ibnlive.in.com/news/marathon-for-uttarakhand

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तराखंड तबाही: टैंट में जिंदगी बिता रहे हैं लोग

उत्तराखंड में आई तबाही को डेढ़ महीने से ज्यादा बीत गया है लेकिन इसके निशान अब तक बाकी है। इस त्रासदी ने टिहरी के हडियाना मल्ला गांव के 80 से ज्यादा लोगों का आशियाना छीन लिया जो अब एक टेंट के नीचे जिंदगी बिताने को मजबूर हैं। इन लोगों को शिकायत है सरकार से जो मदद के नाम पर इन्हें टेंट देकर भूल गई।
जिंदगी पल पल सिसक रही है। हर रात मौत के खौफ में कटती है। घर के नाम पर सिर्फ ये टैंट है जो ना ही इन्हें मौसम की मार से बचा पा रहा है और ना ही जंगली जानवरों से बचाने के लिए काफी है। उत्तराखंड में आई आपदा ने टिहरी के हडियाना मल्ला गाँव के लोगो के सिर से छत छीन ली। खस्ता हाल घरों में रहना खतरे से खाली नहीं था इसलिए जान बचाने के लिए सरकार से गुहार लगाई तो मदद के लिए बुलाया भी गया और एक टेंट पकड़ा कर लौटा दिया।
करीब 26 परिवार डेढ़ महीने से इस टेंट के नीचे जिंदगी बिता रहे हैं। ना खाने का कोई इंतजाम है, ना ही पीने के लिए पानी का लेकिन हैरानी इस बात की है कि प्रशासन को इनकी खबर तक नहीं। सरकारी कागजों की माने तो इस तबाही ने सिर्फ एक ही परिवार का आशियाना छीना है लेकिन जब सच्चाई तस्वीरों में दिखाईं तो अब मदद का भरोसा दे रहे हैं।
राज्य सरकार की तरफ से इन्हें कोई मदद नहीं मिल रही और जब मीडिया ने लोगों की बदहाली के बारे में केंद्रीय मंत्री हरीश रावत को बताया तो उन्होंने मुख्य़ सचिव से बात करने का वादा किया।
लोग बेहाल हैं आज, भूख -प्यास से लड़ते बीत रहा है तो कल का पता नहीं लेकिन सरकार को परवाह नहीं। कुदरत ने जो जख्म दिए उनके निशान मिट नहीं रहे कि अब सरकार मदद के नाम पर जो चोटें दे रही हैं वो नासूर बनती जा रहा है जिनके निशान शायद ही कभी मिट पाएं।
http://www.p7news.com/states/12

 

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