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Biggest Cloudburst incident in Kedarnath Uttarakhand-सबसे बड़ी आपदा उत्तराखंड में

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
14 घंटे रेंगकर पूरा किया पहाड़ियों का सफरजागरण संवाददाता, ऋषिकेश: भानमल  गेंहू की मशीन में एक हाथ कटवा बैठा था। इस हालत में भी केदारघाटी में आई आपदा के बीच भानमल ने पत्नी सोनी देवी के साथ 14 घंटे पथरीली पहाड़ियों पर बैठकर और रेंगकर सफर तय किया। कई बार उनका हौसला कमजोर पड़ा, लेकिन उन्होंने इसे टूटने नहीं दिया और उनका यही हौसला आज यह सब मंजर बयां करने के लिए उन्हें जिंदा रखे है। लसडावन लिमबाड़ा जिला चित्तौड़ राजस्थान निवासी भानमल और उनकी पत्नी सोनी देवी 15 जून को केदारनाथ के दर्शन करने के बाद गौरीकुंड आ गए थे। बाबा केदार के दर्शन के बाद उनका मन काफी प्रसन्न था। बाबा केदार के दर्शनों की मुराद जो पूरी हो गई थी। लेकिन, इसके बाद जो हुआ वह यह दंपती ताउम्र नहीं भूला सकते। इस दंपती की बुजुर्ग आंखें भी केदार घाटी में हुए प्रलय को कैद किए हुए है। भानमल का हालांकि एक हाथ कटा है, मगर हिम्मत पूरी है। इस उम्र में भी शरीर की अपंगता ने भानमल के इरादों को नहीं तोड़ा। यही कारण है कि भानमल व उनकी पत्नी सुरक्षित ऋषिकेश पहुंचकर रिलीव सेंटर में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। भानमल के मुताबिक 16 जून की सुबह पांच बजे जब जमकर पानी बरसने लगा तो चारों तरफ तबाही का मंजर था। इसे देखते ही उनके रोंगटे खड़े हो गए। अपनी पूरी जिंदगी में उन्होंने ऐसी प्रलय नहीं देखी। मकान घरौंदों की तरह पानी में बह रहे थे। इसमें रह रहे लोग भी पानी में समाते दिखे। गाड़ियां भी पानी के साथ बह रही थी। बरसते पानी में मैं पत्नी के साथ पहाड़ी की ओर भागा। तीन रात और दो दिन पहाड़ी में ही बिताए। इस दौरान खाने को कुछ नहीं था। भूखे प्यासे ही वहां जान की सलामती के लिए बैठे रहे। जब वापस लौटे तो पुलिया टूट चुकी थी। 16 व 17 जून को 14 घंटे पहाड़ी से पहाड़ी चलते रहे। इसे चलना भी नहीं कहा जाएगा, बल्कि खाई में गिरने का डर था। इसलिए सरक-सरक कर कभी कोहनी के बल तो कभी बैठकर 14 घंटे का सफर तय किया। भानमल के मुताबिक किसी तरह गौरीगांव पहुंचे, जहां दो रात थाने में बिताई। गौरीगांव से हेलीकाप्टर ने हमें गुप्तकाशी तक छोड़ा। वहां से गाड़ी में बैठकर ऋषिकेश पहुंचे। http://www.jagran.com/uttarakhand/dehradun-city-10501196.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
लोगों पर गिरते-गिरते बचा हेलीकॉप्टरजागरण संवाददाता, देहरादून: पुलिस की जरा सी चूक उस वक्त आठ लोगों की जान पर भारी पड़ती, जब एक हेलीकॉप्टर संतुलन खोने से लड़खड़ा गया था। दरअसल, जब राहत सामग्री लेकर एक हेलीकॉप्टर उड़ रहा था तो उस वक्त हेलीपैड के किनारे काफी भीड़ जमा थी। इसी दौरान हेलीकॉप्टर का संतुलन गड़बड़ा गया और वह हेलीपैड किनारे जमीन से कुछ ही ऊपर लड़खड़ाने लगा।
 इस दौरान सात लोग हेलीकॉप्टर के ठीक नीचे आ गए। इन्हें बचाने एक पुलिस कर्मी दौड़ा तो वह भी वहीं फंसा रह गया। इसके बाद नायब तहसीलदार ने हेलीपैड किनारे से भीड़ को न हटा पाने पर हेलीपैड समन्वयक सीओ स्वतंत्र कुमार से नाराजगी व्यक्त की, लेकिन उल्टे वह झल्ला कर बोल पड़े कि किस-किस को तो हटाएं। खैर, गनीमत रही कि पायलट ने सूझबूझ दिखाते हुए हेलीकॉप्टर को पहले जनता के ऊपर से हटाया और फिर संतुलन बनाकर उड़ान भरी। गंभीर यह कि इस घटना के बाद भी लोगों का हेलीपैड तक पहुंचने का सिलसिला जारी रहा और पुलिस कुछ नहीं कर पाई।
 पांच मिनट थमा रहा मोदी का काफिला
 गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का काफिला जब सहस्रधारा हेलीपैड की तरफ बढ़ रहा था तो जाम लगने से उनके वाहन थम गए। हेलीपैड के बाहर बेतरतीब खड़े वाहनों के चलते यह नौबत आई। मोदी के साथ तैनात कमांडो व एसपीजी के जवानों ने जाम खुलवाया। गंभीर यह कि इस दौरान पुलिस का कोई जवान वहां तैनात नहीं था।http://www.jagran.com/

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
List of people missing Uttarakhand..


- https://docs.google.com/a/micamail.in/spreadsheet/ccc?key=0Aq0pLvVqzPfodEE0TkE3TG54YkgyVzZkTGY0STU5NWc#gid=0

Gourav Pandey:
केदारनाथ धाम की तबाही के बाद की  तस्वीरें।





Gourav Pandey:
किसी चमत्कार से कम नहीं केदारनाथ मंदिर का बचना

गांधी सरोवर से आए सैलाब की रफ्तार का अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि केदारनाथ मंदिर के बाहर लगे लोहे का बैरिकैटर टेढ़ा मेढ़ा हो गया। मंदिर का चबूतरा तक ध्वस्त हो चुका है। लेकिन वही सैलाब आस्था की सबसे बड़ी नींव यानी केदारनाथ मंदिर को हिलाने में नाकामयाब रहा।

शिव में आस्था रखने वाले इसे चमत्कार मानते हैं कि जब सैलाब आया तब करीब 40 फुट का एक पत्थर आकर मंदिर के पास ठहर गया। सैलाब का पानी इस पत्थर से टकराकर दो हिस्सों में बंट गया। जिससे मंदिर पर सैलाब का सीधा असर नहीं पड़ा और मंदिर सुरक्षित खड़ा रहा। मंदिर की छत पर लगी आस्था की पताका आसमान पर अब भी लहरा रही है।

एक टीवी चैनल ने मंदिर के अंदर का दृश्य दिखाया है। इस दृश्य में मंदिर के अंदर सैलाब ने जो तबाही फैलाई है उसके निशान अब भी दिख रहे हैं। शंकराचार्य की मूर्ति को क्षति पहुंची है। लेकिन मंदिर के अंदर मौजूद नंदी की प्रतिमा को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है।

मंदिर के बाहर भी नंदी की प्रतिमा है, वह भी सुरक्षित है। ताज्जुब की बात तो यह है कि 16 तारीख से शिवलिंग की पूजा नहीं हुई है फिर भी शिवलिंग के माथे पर बेलपत्र मौजूद हैं। शिवलिंग का आधा भाग मलवे में दबा है, मानो शिव समाधि में लीन बैठे हों।

http://www.amarujala.com/news/spirituality/religion-festivals/how-kedarnath-temple-safe-from-flood/

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