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How do you rate Uttarakhand progress during these 9 yrs ?

Below 25 % Development
21 (43.8%)
25 % Development
11 (22.9%)
50 % Development
4 (8.3%)
75 %- Development
0 (0%)
Poor Performance
12 (25%)

Total Members Voted: 45

Voting closes: February 07, 2106, 11:58:15 AM

Author Topic: Development Survey Of Uttarakhand - उत्तराखंड राज्य के विकास का सर्वेक्षण  (Read 30853 times)

Anil Arya / अनिल आर्य

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HAVE YOU SEEN HMT COLONY, AMRITPUR RANIBAG, NAINITAL?

This is the development of picture of Uttarakhand state.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Uttarakhand growth rate at 11.3% till 2007- Is it true ?
« Reply #71 on: March 28, 2011, 08:44:02 AM »
  Uttarakhand growth rate at 11.3% till 2007- Is it true?
----------------------------------------------------------------------[/t][/t]
Shishir Prashant / New Delhi/ Dehradun March 28, 2011, 0:57 IST[/t][/t]
[/t] Uttarakhand Chief Minister Ramesh Pokhriyal Nishank may be taking credit for the strong growth rate of 11.3 per cent in the hill state.
But the department of industrial development, in its latest report presented in the state Assembly, has stated that the growth rate in the hill state took a sharp upswing from 9.4 per cent in 1999-2000 to 11.3 2006-07. Barring a short period between November 2000 and March 2002, when the Bharatiya Janata Party was in power, Congress ruled the state under the leadership of N D Tiwari for the rest of the five years. And 2003-07 was the period when industrial growth was at its best in the state, especially after the announcement of hill-based tax incentives, experts said.
 
Interestingly, the chief minister, who is facing a stinging Opposition attack on the issues of development and alleged scandals these days, had been repeatedly trying to blunt the criticism by claiming credit for the current 11.3 per cent growth rate in the state in his Budget speech.
“The robust industrial growth took place only during 2003-07. After that there was a slowdown in the state due to various factors like the world financial crisis,” said Pankaj Gupta, President of the Industries Association of Uttarakhand.
“It is a fact that most of the growth took place when the Congress was in power. The chief minister must not take credit for the achievements of the Congress,” said the leader of Opposition, Harak Singh Rawat.
Despite the criticism by the Opposition, Nishank continued to take credit for scores of achievements. For example, in the Budget speech, Nishank said the revenue receipts in the state in 2000-01 were Rs 2,733 crore which are not estimated to reach Rs 14,635 crore in 2011-12.
The total industrial investments when the state was formed were Rs 5,500 crore which are now touching Rs 30,000 crore, said the chief minister.
He also stated that since 2003 when the Centre announced the industrial package in the form of tax incentives, nearly 2,500 industrial units entailing an investment of Rs 26,500 crore have been set up in the state which include top companies like Hindustan Unilever Limited, Tata Motors, Nestle, Hero Honda and Bajaj Auto.
 
http://www.business-standard.com/india/news/uttarakhand-growth-rate-at-113-till-2007/429993/

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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See the Condition of road, health services, employment etc.

Nothing has changed in Uttarakhand even after formation of this new state.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तराखंड में लग जाएगी पहली पवन ऊर्जा परियोजनाशिशिर प्रशांत / देहरादून

September  22, 2011उत्तराखंड के टिहरी जिले की ऊंची पहाड़ी पर बछेलीखाल में राज्य सरकार पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने जा रही है। यह हिमालय क्षेत्र में इस तरह की पहली परियोजना है, जिसे राज्य सरकार ने मंजूरी दे दी है।
 राज्य सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि इस सिलसिले में पहले ही एक अधिसूचना जारी कर दी गई है। इस संयंत्र से 2.4 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होगा। प्रस्तावित परियोजना की स्थापना में कुल 12.5 करोड़ रुपये का निवेश होगा। पिछले साल मुंबई स्थित एक सलाहकार संस्था दाराशॉ ने इसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की थी। ।
 एक दशक पहले चेन्नई स्थित सेंटर फार विंड एनर्जी टेक्नोलॉजी (सीडब्ल्यूईटी) ने विभिन्न सर्वे के माध्यम से इस इलाके का अध्ययन किया था। अधिकारी ने कहा, 'हम बछेलीखाल में 800 किलोवॉट क्षमता के 3 विंड टरबाइन स्थापित कर रहे हैं, जिससे 2.4 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होगा।' राज्य सरकार की उत्तराखंड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (यूआरईडीए) ने परियोजना की अंतिम स्वीकृति के लिए विस्तृत परियोनजा रिपोर्ट केंद्र सरकार के नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय को भेजा है, जिससे इस परियोजना के लिए सब्सिडी मिल सके। एजेंसी को उम्मीद है कि इस परियोजना के लिए 5.25 करोड़ रुपये की भारी सब्सिडी मिल सकेगी। इसके साथ ही यूआरईडीए विंड मैपिंग संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रहा है, जिससे राज्य में पवन ऊर्जा की क्षमता के बारे में वस्तुस्थिति की जानकारी मिल सके।


http://hindi.business-standard.com/hin/storypage.php?autono=51470

Devbhoomi,Uttarakhand

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          विकास कु पैंसा कख च खर्च हौंणू


गोपेश्वर। बारिश और भूस्खलन के चलते जिले के दशोली विकासखंड के पलसारी-बमियाला मोटर मार्ग की तीन माह बाद भी कोई सुध लेने वाला नहीं है।  मार्ग बंद होने से क्षेत्र के नौ गांवों की जनता को पिछले तीन माह से तमाम परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। मार्ग की हालत इतनी खराब है कि पैदल लायक रास्ता भी नहीं बचा है।  लोगों को जानजोखिम में डालकर जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति पीठ के सहारे करनी पड़ रही है।

हैरत की बात यह है कि  यह सड़क जिला मुख्यालय के समीप होने के बावजूद पीएमजीएसवाई के अधिकारी की मरम्मत के प्रति लापरवाह बने हैं।

क्षेत्र के दुगड़ी कांडई गांव की 70 वर्षीय बैसाखी देवी ठेठ पहाड़ी लहजे में कहती है-गौं की सड़क तीन मैना बिटिन बंद पड़ी च, हम राशन-पानी अर रसोई गैस पीठ मा छन गौं तक ल्योंणा, सरकार यों विभागों तैं पैंसा द्योंणी च पर यी अधिकारी कख छन ये पैसा तैं खर्चणा, यू पता नीं चलणूं।

स्थानीय जनप्रतिनिधियाें का कहना है कि अतिवृष्टि और भूस्खलन से मार्र्ग की हालत इतनी खराब हो गई है कि ग्रामीण यहां से पैदल भी नहीं जा पा रहे हैं। सड़क के क्षतिग्रस्त होने से बमियाला, दोगड़ी कांडई, टंगसा, नल गदेरा, नगर, आनंदपुर, कठूड़, पीपलखन्ना गांवों के ग्रामीणों को मीलों दूर पैदल ही नापनी पड़ रही है। ग्राम प्रधान टंगसा सचिदानंद, प्रधान दोगड़ी कांडई गुड्डी देवी औैर प्रधान बमियाला भरत सिंह का कहना है कि पीएमजीएसवाई द्वारा मार्ग की हिल कटिंग कर निर्माण अधूरा छोड़ दिया है, मार्ग काफी संकरा हो गया। अधिकारियों से कई बार गुहार लगाई जा चुकी है, लेेकिन वह सुनना ही नहीं चाहते।

 
मीलों पैदल दूरी नापनी पड़ रही है क्षेत्र के लोगों कोपीठ के सहारे कर रहे जरूरी वस्तुओं की आपूर्तिइनका कहना है...उक्त सड़क का मामला मेरे संज्ञान में है, क्षेत्र के प्रधान भी मुझे मिले हैं, मैने पीएमजीएसवाई को शीघ्र मार्ग के सुधारीकरण करने के निर्देश दे दिए हैं।                             -डा. बी षणमुगम, सीडीओउक्त मार्ग पर चट्टान वाले हिस्सों में भारी मात्रा में भूस्खलन हुआ है। शासन से दैवीय आपदा मद में मलबे को हटाने के लिए साढे़ सात लाख रुपये मांगे गए हैं। पैसा मिलते ही शीघ्र मार्ग सुधारीकरण कार्य शुरू किया जाएगा।       -नरेंद्र सिंह, ईई, पीएमजीएसवाई, पोखरी



Amarujala
 

Devbhoomi,Uttarakhand

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आखिर ये कैसा विकास? तीस किमी लंबी सड़क सिमट कर हो गई सोलह किलोमीटर


उत्तरकाशी। विश्व प्रसिद्ध सैरगाह डोडीताल क्षेत्र के गांवों के लिए गंगोरी से 30 किमी की दूरी तक की सड़क सुविधा बढ़ने के बजाय अब सिमट कर 16 किमी ही रह गई है। विकास की इस उलटबांसी का आलम यह है कि अभी तक इस केल्सू भंकोली क्षेत्र का एक भी गांव मोटर मार्ग से नहीं जुड़ पाया है।

टिहरी रियासत के समय वर्ष 1910 में गंगोरी से डोडीताल तक 31 किमी पैदल सड़क तैयार हो गयी थी। वर्ष 1960 में अलग जिला बनने के बाद यहां पर्यटन विभाग के बजट से वन विभाग ने डोडीताल से एक किमी पीछे तक मोटर मार्ग बनाया। इससे डोडीताल क्षेत्र में मछली का शिकार और जंगल सफारी के शौकीन देशी-विदेशी पर्यटकों और स्थानीय लोगों को काफी सुविधा मिलती थी। सहारनपुर पेपर मिल के ट्रक वर्षों तक यहां से लकड़ी भी ले जाते रहे।

वर्ष 1984 में यह सड़क लोनिवि को हस्तांतरित होने के बाद उन्होंने समरेखण में ऐसा बदलाव कर मोटर मार्ग का निर्माण शुरू किया कि गंगोरी से 16 किमी आधी अधूरी सड़क तैयार करने में ही 27 साल लग गए।

 चार साल पहले गंगोरी से पांच किमी आगे मोटर पुल बहने से यहां बना रपटा बरसात में यातायात रोक देता है तो संगमचट्टी से आगे छह किमी गजोली रोड हमेशा बंद रहती है। ऐसे में यहां अध्यापक, अधिकारी, कर्मचारी कम ही आ पाते हैं। पर्यटकों को लंबी दूरी नापनी पड़ती है तो ग्रामीणों की नकदी फसलें मंडी तक पहुंचाने में भारी दिक्कतें आती हैं।
उपेक्षित रवैया अपना रही सरकार
उत्तरकाशी। भंकोली के सुरेंद्र सिंह, त्रिभुवन सिंह, अगोड़ा के मान सिंह तथा जिला पंचायत सदस्य कमल सिंह रावत का कहना है कि केल्सू-भंकोली क्षेत्र के प्रति सरकार उपेक्षित रवैया अपना रही है। जिला बनाते समय 51 वर्ष पूर्व जो सड़क थी आज उससे भी कम हो गई है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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I think it is below 25 % development in uttarakhand.


Development in Uttarakhand is below 20% after formation a new state.

This is really shocking.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तराखंड को मिलेगा संयुक्त राष्ट्र से अनुदान

उत्तराखंड सरकार राज्य में कृषि आजीविका को सुधारने के लिए संयुक्त राष्ट्र से तक़रीबन 90 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुदान प्राप्त करेगी.

anil_chamba@yahoo.co.in

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दोस्तो,

जैसे की आप को विदित है कुछ दिनों पहले हमने दिल्ली एक सेमिनार का आयोजन किया था जिसमे उत्तराखंड के के प्रमुख व्यक्ति आए थे और सारे लोगो ने उत्तराखंड के ७ वर्षो के विकास की परिचर्चा की लेकिन सारे लोगो ने यह माना की उत्तराखंड ने वो विकास नही किया है जिसकी लोगो आशा कर कर रहे थे.

आएये एक सर्वेक्षण करे और पता लगाये की किस क्षेत्र क्या विकास हुवा है उत्तराखंड बनने के ७ वर्षो के उपरांत.. 

यह पर कुछ सवाल है जिसे आप copy करके उत्तर दे सकते है.

नाम                   : Anil Bhatt

पहले गाव का नाम       : Chamba

विकास खंड का नाम. Chamba

जिले का नाम   : Tehri Garhwal



प्रशन ) उत्तराखंड बनने के बाद आपके क्षेत्र मे क्या मुख्य विकास हुवा ?

  उत्तर . Mai to delhi me rehta hun. Par highway ki halat pehle se achi h. han chamba ki sadak ki halat pehle jaisi kharab hi h. Aur jyada vikas B.C.Khanduri ji ke time pe hua par wo bhi jyada din tak nahi tik paye.

  प्रशन )  उत्तराखंड बनने के बाद आपके गाव से और क्षेत्र के कितने लोगो को रोजगार मिला ?

  उत्तर .. Mere kafi jaanne walo ko job mili, rojgar ke awsar mile hain, par pahado se palayan ki samasya jyo ki tyon h.
 

प्रशन ) उत्तराखंड बनने के बाद क्या आप के क्षेत्र मे सड़क की सुविधा आयी?

  उत्तर .. chamba me abhi tak road kharab hi h n highways pehle se ache h

प्रशन ) उत्तराखंड बनने के बाद क्या आप के गाव मे स्वास्थ्य सुविधा सुधरी  ?

  उत्तर .. 108 sewa ne kafi had tak dur daraj ke gaon me achi suvidha uplabh karai h. par hospitals ki kami abhi bhi khalti h. jiske liye uttarakhand government ne kuch dilchaspi nahi li h.

प्रशन  )  क्या आपके क्षेत्र में बिजली-पानी की सुविधा पहले से बेहतर हुई?


 उत्तर . pehle se behtar par garmiyon me wahi dikkat h. bijli dusre rajyon ko dene se pehle apni bijli ki jaruraton ko pura karne par jor dena chahiye.

तो आप उत्तराखंड के विकास तो १०० मे से कितने अंक देगे :___30______

अन्य ___________________

आशा है की आप आपने क्षेत्रो से संबंधित जानकारी देगे .


एम् एस मेहता
 

______________________________________________________________________


TO WRITE IN HINDI USE THIS LINK. WRITE  YOUR TEST ENGHLIGH (HIND) IT WILL AUTHOMATICALLY CONVERT IN HINDI.

http://www.google.com/transliterate/indic/


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