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क्या ग्लोबल वार्मिंग से गंगा नदी को सूखने का खतरा है ?

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75 %
3 (25%)
50 %
1 (8.3%)
25 %
1 (8.3%)
Cant' say
1 (8.3%)

Total Members Voted: 11

Voting closed: December 30, 2011, 01:23:48 PM

Author Topic: Effect Of Global warming On River Ganga - ग्लोबल वार्मिंग से गंगा नदी खतरे मे?  (Read 11068 times)

पंकज सिंह महर

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सरस्वती’ न बन जाए ‘गंगा’
यदि ग्लोबल वामग से इसी प्रकार पृथ्वी का तापमान बढ़ता रहा तो बहुत जल्द सरस्वती की तर्ज पर गंगा भी लुप्त हो जाएगी।ं गंगा मात्र जलधारा नहीं वरन् भारतीय संस्कृति की आत्मा है, उसके बिना भारतवर्ष की कल्पना संभव नहीं है। गंगा आज प्रदूषण के अत्यंत भयावह दौर से गुजर रही है। यदि पृथ्वी का तापमान इसी तरह बढता रहा तो गंगा का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा और गंगा भी इतिहास के पन्नों में उसी प्रकार सिमट कर रह जाएगी जैसे सरस्वती।
पृथ्वी के तापमान में निरंतर होती वृद्वि से गंगा बेसिन क्षेत्र के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। गंगोत्री से कुछ किमी पैदल दूरी पर गंगा का उद्गम स्थल गोमुख ग्लेशियर निरंतर पीछे खिसक रहा है। ताजा आकड़े के अनुसार वर्ष 1990 से लेकर 2006 तक गोमुख ग्लेशियर 22.8 हेक्टेयर पीछे खिसका है। इंटरनेशनल कमीशन फार स्नो एण्ड आइस के एक समूह द्वारा हिमालय स्थित ग्लेशियरों का अध्ययन किया गया। अध्ययनकर्ताओं के अनुसार आने वाले 50 वषा में मध्य हिमालय के तकरीबन 15 हिमखंड पिघलकर समाप्त हो जाएंगे। गोमुख ग्लेशियर पर अध्ययन से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार कुछ चौकानें वाले तथ्य सामने आए। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 1935 से 1956 तक गोमुख ग्लेशियर 5.25 हेक्टेयर, 1952 से 1965 तक 3.65 हे., 1962 से 1971तक 12 हे., 1977 से लेकर 1990 तक 19.6 हे. पिघलकर समाप्त हुआ है। वर्ष 1962 से 2006 तक गोमुख ग्लेशियर डेढ़ किमी. पिघला है।
भूगर्भीय सर्वे आफ इंडिया, रिमोट सेंसिग एप्लीकेशन सेंटर, जवाहर लाल नेहरू विश्वविघालय आदि संस्थानो के द्वारा किये गये अध्ययन से स्पष्ट है कि पृथ्वी का तापमान बढ़ने के कारण ग्लेशियर पिछले 40 सालों में 25 से 30 मीटर पीछे खिसक चुका है। यदि यही स्थित रही तो 2035 तक ग्लेशियर पिघलकर समाप्त हो जायेगा। समुद्र तल से 12,770 फीट एवं 3770 मीटर ऊचाई पर स्थित गोमुख ग्लेशियर 2.5 किमी चौड़ा व 27 किमी लम्बा है, जबकि कुछ साल पहले गोमुख ग्लेशियर 32 किमी लम्बा व 4 किमी चौडा था।
गोमुख ग्लेशियर पिघलने से गंगा बेसिन के क्षेत्र उत्तारांचल, बिहार, उत्तार प्रदेश का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा। गोमुख क्षेत्र में लोगों का हजारों की संख्या में पहुंचना भी एक हद तक ग्लेशियर को नुकसान पहुंचा रहा है। यदि ग्लेशियर पर पर्वतारोही दलों के अभ्यास को बंद करने के साथ ही ग्लेशियर पर चढ़ने की सख्त पाबंदी लगा दी जाए तो काफी तक गोमुख ग्लेशियर की उम्र बढ़ सकती है।
जिस प्रकार हमारे वेदों और अनेक ग्रंथों में सरस्वती नदी का वर्णन मिलता है उससे यह साबित होता है कि सरस्वती का कोई अस्तित्व था। पूर्णतया भूगर्भ में समा चुकी सरस्वती को फिर से पुर्नजीवित करने के प्रयास केंद्र सरकार का द्वारा किए जा रहे हैं पर इन प्रयासों को कितनी सफलता मिल पायेगी यह कहना अभी मुश्किल है। भविष्य में सरस्वती की ही तरह गंगा के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह न लगाये जाएं इसलिए आवश्यक है गंगा को हर खतरे से बचाए रखना।
साभार- http://www.rashtriyasahara.com

पंकज सिंह महर

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बढ़ती गर्मी से गंगोत्री ग्लेशियर ख़तरे में

दुनिया भर के बढ़ते हुए तापमान का भारतीय ग्लेशियरों पर व्यापक प्रभाव पड़ने वाला है और गंगोत्री जैसे बड़े ग्लेशियर अगले बीस तीस वर्षों में समाप्त हो सकते हैं. ये आशंकाएं एकबारगी तो फ़िल्मी कहानी जैसी लगती है लेकिन गंगोत्री ग्लेशियर के बारे में स्थानीय लोगों से बात करने पर लगता है कि ऐसा होने में देर हो सकती है लेकिन यह असंभव नहीं है.
गंगोत्री से गोमुख यानी ग्लेशियर के पास तक पर्यटकों को ले जाने वाले गाइड गणेश कहते हैं कि उन्होंने पिछले पांच वर्षों में ही ग्लेशियर को एक किलोमीटर खिसकते देखा है.
उनकी राय बाकी लोगों से अलग बिल्कुल नहीं है. कुली का काम करने वाले जोशी भी कहते हैं कि ग्लेशियर पिघल रहा है. वो कहते हैं ' आबादी बढ़ रही है. लोग बढ़ रहे हैं. गर्मी बढ़ रही है. ग्लेशियर तो पिघलेगा ही. पहले से तो बहुत पीछे चला गया है.'
मिथकों के अनुसार पहले गोमुख वहां हुआ करता था जहां अब गंगोत्री शहर है यानी मिथकों की मानें तो पिछले सौ डेढ सौ साल में ग्लेशियर 18 से 19 किलोमीटर पीछे चला गया है.

गंगोत्री से केवल पचास किलोमीटर दूर कई विस्फ़ोट हो रहे हैं

स्थानीय निवासी मंगल सिंह रावत कहते हैं कि उत्तरकाशी से लेकर गंगोत्री के बीच बड़ी परियोजनाओं ने भी ग्लेशियर को नुकसान पहुंचाया है. वो कहते हैं ' भैरों घाटी में मनेरी बांध बना है. इसके अलावा लोहारीनाग पाला पनबिजली परियोजना चल रही है जिसके तहत पहाड़ों को काटा जा रहा है. प्रकृति के साथ खिलवाड़ तो सही नहीं है. 'स्थानीय लोगों की बात का समर्थन पिछले कई वर्षों से गंगोत्री के पहाड़ों में ही रहने वाले ब्रह्मचारी अनिल स्वरुप भी करते हैं. अनिल पिछले कुछ वर्षों में गंगोत्री बचाओ अभियान मे लगे हुए हैं.

गंगा प्रदूषण या गंगा बचाओ

वो कहते हैं ' लोग गंगा के प्रदूषण की बात करते हैं लेकिन मैं कहता हूं कि गंगा को बचाना अधिक महत्वपूर्ण है. टिहरी बांध के बाद गंगा नाले जैसी बहती है. कहां है गंगा. गंगोत्री पीछे जा चुका है. इतनी गंदगी है.ग्लेशियर को बचाने का कोई उपाय नहीं किया जा रहा है.'
जब भूकंप होता है या ऐसी कोई बड़ा कंपन होता है तो ग्लेशियर पर प्रभाव पड़ता है. जलवायु परिवर्तन का प्रभाव तो है ही- डॉ डोभाल, ग्लेशियर विशेषज्ञ

स्वरुप भी परियोजनाओं से नाराज़ है. वो कहते हैं ' मुझे लगता है कि इन परियोजनाओं के लिए जिस तरह से पहाड़ो में विस्फोट किए जा रहे हैं वो ग्लेशियरों को नुकसान पहुंचा रहा है. ' गंगोत्री से उत्तरकाशी के रास्ते में जगह जगह पर हमने भी यह देखा कि पहाड़ों में विस्फोट किए जा रहे हैं जिससे पूरी हिमालय शृंखला हिलती होगी इससे कोई इंकार नहीं कर सकता.

कई और कारण
देहरादून में वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के डॉ डोभाल भी मानते हैं कि विस्फोटों से ग्लेशियर को नुकसान होता होगा. अगर वार्मिंग नहीं रुकी तो ये बर्फ दिखाई नहीं पड़ेगी
वो कहते हैं ' देखिए जो हिमालय के ग्लेशियर हैं वो बहुत पुराने नहीं हैं. जब भूकंप होता है या ऐसी कोई बड़ा कंपन होता है तो ग्लेशियर पर प्रभाव पड़ता है. जलवायु परिवर्तन का प्रभाव तो है ही. गर्मी बढ़ी है. पहाड़ों में तापमान बढ़ गया है. लेकिन अगर ऐसे विस्फोट होते हैं तो स्थिति ख़राब होती ही है.'
डोभाल कहते हैं कि पिछले दस वर्षो में ग्लेशियर के आस पास के इलाक़े के मौसम में भी बदलाव हुए हैं.
वो कहते हैं ' हो ये रहा है कि गर्मी का समय बढ़ गया. नवंबर तक बर्फ गलती है. बर्फ जमा कम हो रही है. हमारे अनुमान से हर साल गंगोत्री 20 मीटर पीछे जा रहा है. ' वो कहते हैं कि गंगोत्री ग्लेशियर के पास लाखों लोग जाते हैं और वहां गंदगी फ़ैलाते हैं प्लास्टिक फेंकते हैं जो कि ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को और बढ़ा देता है. स्थानीय लोगों और वैज्ञानिकों की बात एक जैसी लगती हो लेकिन भारत में कई लोग यह मानने को तैयार नहीं कि ग्लेशियर ख़त्म होगा और गंगा जैसी नदियां समाप्त हो जाएंगी. जो नहीं मानते उनका कुछ नहीं हो सकता है, लेकिन कम से कम हमें अपने स्तर पर गंगोत्री जैसे ग्लेशियरों को बचाने के लिए कुछ न कुछ करना चाहिए. साभार- सुशील झा, बीबीसी संवाददाता,

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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The sign of global working is appearing everywhere  now.

People must do somehting.

सरस्वती’ न बन जाए ‘गंगा’
यदि ग्लोबल वामग से इसी प्रकार पृथ्वी का तापमान बढ़ता रहा तो बहुत जल्द सरस्वती की तर्ज पर गंगा भी लुप्त हो जाएगी।ं गंगा मात्र जलधारा नहीं वरन् भारतीय संस्कृति की आत्मा है, उसके बिना भारतवर्ष की कल्पना संभव नहीं है। गंगा आज प्रदूषण के अत्यंत भयावह दौर से गुजर रही है। यदि पृथ्वी का तापमान इसी तरह बढता रहा तो गंगा का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा और गंगा भी इतिहास के पन्नों में उसी प्रकार सिमट कर रह जाएगी जैसे सरस्वती।
पृथ्वी के तापमान में निरंतर होती वृद्वि से गंगा बेसिन क्षेत्र के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। गंगोत्री से कुछ किमी पैदल दूरी पर गंगा का उद्गम स्थल गोमुख ग्लेशियर निरंतर पीछे खिसक रहा है। ताजा आकड़े के अनुसार वर्ष 1990 से लेकर 2006 तक गोमुख ग्लेशियर 22.8 हेक्टेयर पीछे खिसका है। इंटरनेशनल कमीशन फार स्नो एण्ड आइस के एक समूह द्वारा हिमालय स्थित ग्लेशियरों का अध्ययन किया गया। अध्ययनकर्ताओं के अनुसार आने वाले 50 वषा में मध्य हिमालय के तकरीबन 15 हिमखंड पिघलकर समाप्त हो जाएंगे। गोमुख ग्लेशियर पर अध्ययन से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार कुछ चौकानें वाले तथ्य सामने आए। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 1935 से 1956 तक गोमुख ग्लेशियर 5.25 हेक्टेयर, 1952 से 1965 तक 3.65 हे., 1962 से 1971तक 12 हे., 1977 से लेकर 1990 तक 19.6 हे. पिघलकर समाप्त हुआ है। वर्ष 1962 से 2006 तक गोमुख ग्लेशियर डेढ़ किमी. पिघला है।
भूगर्भीय सर्वे आफ इंडिया, रिमोट सेंसिग एप्लीकेशन सेंटर, जवाहर लाल नेहरू विश्वविघालय आदि संस्थानो के द्वारा किये गये अध्ययन से स्पष्ट है कि पृथ्वी का तापमान बढ़ने के कारण ग्लेशियर पिछले 40 सालों में 25 से 30 मीटर पीछे खिसक चुका है। यदि यही स्थित रही तो 2035 तक ग्लेशियर पिघलकर समाप्त हो जायेगा। समुद्र तल से 12,770 फीट एवं 3770 मीटर ऊचाई पर स्थित गोमुख ग्लेशियर 2.5 किमी चौड़ा व 27 किमी लम्बा है, जबकि कुछ साल पहले गोमुख ग्लेशियर 32 किमी लम्बा व 4 किमी चौडा था।
गोमुख ग्लेशियर पिघलने से गंगा बेसिन के क्षेत्र उत्तारांचल, बिहार, उत्तार प्रदेश का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा। गोमुख क्षेत्र में लोगों का हजारों की संख्या में पहुंचना भी एक हद तक ग्लेशियर को नुकसान पहुंचा रहा है। यदि ग्लेशियर पर पर्वतारोही दलों के अभ्यास को बंद करने के साथ ही ग्लेशियर पर चढ़ने की सख्त पाबंदी लगा दी जाए तो काफी तक गोमुख ग्लेशियर की उम्र बढ़ सकती है।
जिस प्रकार हमारे वेदों और अनेक ग्रंथों में सरस्वती नदी का वर्णन मिलता है उससे यह साबित होता है कि सरस्वती का कोई अस्तित्व था। पूर्णतया भूगर्भ में समा चुकी सरस्वती को फिर से पुर्नजीवित करने के प्रयास केंद्र सरकार का द्वारा किए जा रहे हैं पर इन प्रयासों को कितनी सफलता मिल पायेगी यह कहना अभी मुश्किल है। भविष्य में सरस्वती की ही तरह गंगा के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह न लगाये जाएं इसलिए आवश्यक है गंगा को हर खतरे से बचाए रखना।
साभार- http://www.rashtriyasahara.com


upadhaya manu

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The Ganga Yamuna the most secred river of India Thousand of myth are woren around it has been a witness to great histroical and culture event are going on the ages.
But Every year in India some of shive Bhakt called kawar go to the near-by the his sorces ....Gangotri Yamnotri Glacier They polluting this glaciers all of us know that this is the restricted area there no one can go near-by the Glacier but people do it why the Govtment does not take any attention there i don know ?thus all you know that the more dangerons thing is that we changing the envoirment in many ways . nature has the capacity to obserb the purity such thing but only to a certain limit.
so this is a one of the most dangerous thing that we are not take any attantion there.plz wake up and do somthing avout this
so my votes goes to the first option

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Manu Ji,

Thanx for your giving your views on the subject.

Since i spent my childhood in pahad and i have seen at which speed the forest are being cut there, the coming future is not good.

Even natural water resources are depleting there. I feel there is need of awarness on this issue and some concrete steps gloably towards this.




The Ganga Yamuna the most secred river of India Thousand of myth are woren around it has been a witness to great histroical and culture event are going on the ages.
But Every year in India some of shive Bhakt called kawar go to the near-by the his sorces ....Gangotri Yamnotri Glacier They polluting this glaciers all of us know that this is the restricted area there no one can go near-by the Glacier but people do it why the Govtment does not take any attention there i don know ?thus all you know that the more dangerons thing is that we changing the envoirment in many ways . nature has the capacity to obserb the purity such thing but only to a certain limit.
so this is a one of the most dangerous thing that we are not take any attantion there.plz wake up and do somthing avout this
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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पर्यावरण व जैव विविधता का संरक्षण मानव हित के लिए जरूरी : डा. ध्यानीDec 21, 03:21 am

लोहाघाट (चम्पावत)। हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्थान कोसी कटारमल अल्मोड़ा के तत्वावधान में कोलीढे़क गांव में आयोजित दो दिवसीय स्टेक होल्डर्स परामर्शी बैठक का समापन हो गया है। इस मौके पर संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. पीपी ध्यानी ने ग्रामीणों को पर्यावरण संरक्षण, जैव विविधता एवं पेयजल स्त्रोतों के रखरखाव के तौर तरीके बताते हुए कहा कि आज की सबसे बड़ी चुनौती ग्लोबल वार्मिग के प्रकोप को कम करने की है। इसके लिए अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाये जाने चाहिए।

उन्होंने कहा कि मानव द्वारा पर्यावरण को पहुंचाई जा रही क्षति के फलस्वरूप हिमग्लेशियरों का पिघलना लगातार बढ़ रहा है। अत्यधिक दूषित पर्यावरण के द्वारा ओजोन परत के क्षतिग्रस्त होने से बड़े पैमाने पर हो रही अम्लीय वर्षा मानव जीवन के लिए खतरा बन गयी है। यदि समय रहते पर्यावरण संरक्षण के लिए काम नहीं किया गया तो आने वाले कुछ ही वर्षो में व्यापक तबाही पैदा हो सकती है। उन्होंने लोगों से अत्यधिक पेड़ लगाने तथा उनका संरक्षण करने का आह्वान किया। कहा कि संस्थान के प्रयासों से कोली में विकसित किया जा रहा पवित्र भू-दृश्य माडल इसी प्रयास का एक हिस्सा है। केवीके के प्रभारी अधिकारी डा. वीके दोहरे ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले कारकों का उल्लेख किया। कहा कि खेतों में रासायनिक खादों के प्रयोगों से भी पर्यावरण व व्यक्ति के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है। समापन कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ग्राम प्रधान मनोहर सिंह ढे़क ने कोली में विकसित किये जा रहे बहुउद्देश्यीय वन के लिए वैज्ञानिक डा. ध्यानी का आभार जताया तथा ग्रामीणों से इस पवित्र कार्य में तनमन से सहयोग करने का आह्वान किया।

upadhaya manu

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My self manoj kumar upadhaya from Delhi. As you know that the honorable chair man of IPCC the NOBLE prizewinner Dr pauchari belong to Nainital.in UTTRANCHAL this is one of the place which literacy rate is so high.
 As you all know that in present time in the world everyone talking about the global warming but no one more attention to do something for this Neither government nor people when we will wake up. When the all the highest peak mountain will be melting. The world is hotter day-by-day this is slow poison which is eating all kind of nature and beauty. And sometime ago the people who is proud of his state what will they describe about his native place specially in hill area what would they describe that there was highest peak once I was seen in childhood. In present time it is more difficult to live in earth. Please wake up and do something for this.
 
After years of debate, a near consensus among the world's scientists has concluded that we are warming the planet, and unless we take steps now to curb global warming, our way of life, our planet, and our children are all in grave danger. But there is hope. Each us can make simple decisions that will reduce global warming pollution. Network of activists and volunteers are dedicated to curbing
This is last opportunity for the people to do something. Lets do something about this.
 
The Government will not do nothing they can give only fund to implement to stop the GLOBAL WARMING.
 
 In Election time everyone want to make a little contribute to elected the leader so why they can’t motivate his/herself to more kind attention to causing/stop the GLOBAL WARMING
 
In election time in India there is million people to giving vote and choose right candidate. That’s mean you are only person who can stop this please be awareness and lets the introduce to the people how they can safe his earth. let think deeply about this. All you are intelligent by the nature.
if you have an any suggestion please carry atleast yourself then talk to general people. I know that everyone want to do the stop global warming. but they can not imagine that what they can do. How they overcome this problem plz go ahead and think about the factor how the our climate changed now days. 
if there is any organisation/ngo who is working on the with global warming plz tell them the suggestion and factor.  how can they safe our greenary/beauty/peak mountain Glacier.


 
 

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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Very well said Manu ji we should have to spread this awareness.

upadhaya manu

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Namaskar
All Board mamber
I want to say to you all that in uttranchal there are lots of NGO/ACTIVITIST are working on this project for Globing warming.I think that they should be talk to with general people. they are our main key fector if they know all would be  know. badi- badi batain karke kuch nahi hoga.
first of all we will have to focus our tourism industery. uttranchal main entery karne se pehle inko yaha ke pryavarn ke bare main awarness  di jaye.
No one should  give permission to go near by of the sorces Ganga&Yamuna. 
kawar shive bhakt haridwar main hi unko rok dena chaiye.
har tourist ko ek viriksh(tree) lagoan abiyan main shamil kiya zana chaiyaain.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Upadhayay Ji,

I fully endorse you views. There huge potentiality of tourism in UK but the Govt has not been able to promote it properly.

As far as NGOs are concenred, they can also work with the Govts on global worming issues.


Namaskar
All Board mamber
I want to say to you all that in uttranchal there are lots of NGO/ACTIVITIST are working on this project for Globing warming.I think that they should be talk to with general people. they are our main key fector if they know all would be  know. badi- badi batain karke kuch nahi hoga.
first of all we will have to focus our tourism industery. uttranchal main entery karne se pehle inko yaha ke pryavarn ke bare main awarness  di jaye.
No one should  give permission to go near by of the sorces Ganga&Yamuna. 
kawar shive bhakt haridwar main hi unko rok dena chaiye.
har tourist ko ek viriksh(tree) lagoan abiyan main shamil kiya zana chaiyaain.

 

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