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Effect Of Global warming On River Ganga - ग्लोबल वार्मिंग से गंगा नदी खतरे मे?

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Uttarakhandi-Highlander/मी उत्तराखंडी छियो:

The state flowers of Uttarakhand "Burash" has blossomed before time i.e. almost 2-3 months before. This is clear indication of global warming. The way glaciers are receding, it is a big threat for human and environment. The existence of rivers is at stake.

Efforts should be intensified in this regard.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

निश्चित रूप से बुराश फूल का समय से पहले खिलना एक चिंता का विषय है! कही ना कही, यह ग्लोबल वार्मिंग का ही स्पष्ट कारन है!   

देखिये इस न्यूज़ को
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माघ में खिले बुरांश को खतरे की घंटी मानते हैं वैज्ञानिक

आईएएनएस ॥ देहरादून : हर साल चैत के महीने में खिलने वाला उत्तराखंड का राज्य वृक्ष बुरांश इस बार माघ महीने में ही अपना सौंदर्य बिखेरने लगा है। वैज्ञानिक और पर्यावरण प्रेमी इसे जलवायु परिवर्तन का खतरा मान रहे हैं। राज्य वृक्ष बुरांश अमूमन समुद्र की सतह से पांच से आठ हजार फीट की ऊंचाई वाले भूभाग में होता है और यह चैत माह यानी मार्च से अप्रैल महीने में खिलता है। करीब 15 से 20 दिन के अंदर फूल खिलने की प्रक्रिया संपन्न होती है। बुरांश का जूस हृदय रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है।
गोविंद बल्लभ वानिकी एवं कृषि विश्वविद्यालय, रानीचौरी के पारिस्थितिकी के वरिष्ठ शोध अधिकारी वी.के. शाह का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और शीतकाल में देर से बारिश होने के चलते बुरांश का फूल समय से पहले खिल गया है। उन्होंने बताया कि इस समय पर्यावरण का तापमान छह डिग्री सेल्सियस के हिसाब से बढ़ रहा है।
चिपको आंदोलन के प्रेरक चंडी प्रसाद भट्ट का कहना है कि मौसम में आ रहे बदलावों के कारण हमारी वनस्पति भी इससे प्रभावित हो रही है और इसके कारण ही बुरांश समय से पहले खिल गया है। इसका असर फसल चक्र पर पड़ने के साथ ही जीव जंतुओं पर भी पड़ रहा है। पहाड़ी इलाकों में वनस्पतियां धीरे धीरे लुप्त होने लगी हैं। उन्होंने इस बारे में शोध किए जाने की जरूरत महसूस की है।


http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/7380395.cms

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