Author Topic: Election 2012 in Uttarakhand Vs Development-उत्तराखंड में चुनाव २०११ बनाम विकास  (Read 42653 times)

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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उत्तराखंड में कुछ पत्रकारों ने.. तो पत्रकारिता के मायने ही बदल दिए - "चापलूशिता"

देखिये आज उत्तराखंड हर मानुष .. सिर्फ विकास चाहता है ना की झूठे विकास के वादे! क्या हुवा वो कांग्रेस पार्टी के बड़े-२ विकास के वादे, क्या हुवा खंडूरी जी के बड़े-२ शिलानियाशो का जो उन्होंने लोक सभा चुनाव हारने के पहले किये थे ! एक भी धरातल पर साकार नही हो सका !

गहन मुश्किल में उत्तराखंड राज्य इस समय और नेत्रत्व एक इस प्रकार लोगो के हाथ में है जो सिर्फ मीडिया में छाये रहना चाहता है ! काम कम और लोकप्रियता के पीछे भागते है ! पहली बार कोई मुख्य अपने लिए नोबेल पुरुष्कार मांगते हुए दिखे! भूल गए बड़े-२ कुभ के घोटाले ! ऋषिकेश में भूमि का घोटाला!  घोटाले ही घोटाले!  अपनी जेब भरना और जनता जाए भाड़ में यह मायाने स्थापित कर दिए है लोगो ने !

कांग्रेस पार्टी को भी लोग अपना हितेषी न समझे.. .. पार्टी के एक नेता को हमारे मित्र ने राजधानी के बारे उनके विचार जानने के पूछा हरक सिह रावत जी जो मुख्यमंत्री बनाने के खवाब देख रहे है, उनका कहना था....  हमारे पार्टी के उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से गैरसैंन में ले जाने का रुख साफ़ नहीं है क्यों की पार्टी मैदानी भागो में आपना जनमत खो देगी !  तो ये पहाड़ी नेता आप के पहाड़ भो बेचने के लिए तैयार है !

अब रही मरनासन पर बैठी उत्तराखंड क्रांति दल.. इस पार्टी का सहयोग कभी नहीं भूला जा सकता लेकिन पार्टी के अन्दर इतने सारे बुद्धि जीवी लोगो है जिन्होंने पार्टी का नाश कर दिया.. आपनी बुधि का इस्तेमाल पार्टी नहीं कर पायी हलाकि जनता का पूरा भावनात्मक सहयोग है !

अब मेरे दोस्त ... .. नारायण और जगमोहन के कुछ हिदायते :

१)   भाई साब आप लोगो ने तो हद ही कर दी है.! आपका जमीर और पत्रकारिता बिक गयी है! आप किसी भी हद तक पत्रकार नहीं लगते! आप लोगो को उत्तराखंड में हो रहे भ्रष्टाचार नजर नहीं आते! उत्तराखंड से पलायान नजर नहीं आता!

२)  थोड़ी तो शर्म करो .. .. मुख्यमंत्री साहब की यह झूटी .. चालिषा लिखने से पहले ! अपने जमीर से पूछो क्या आपने वास्तव में सही लिखा है.. उत्तराखंड वास्तव में इतना विकास कर रहा है!

३)  निशक साब..... उत्तराखंड में क्या कोई महापुरुष पैदा नहीं हुवा जिसके नाम से कोई योजना शुरू हो. केवल अटल विहारी बाजपेयी रह गए!

४)  मौज कर सकते है आप कुछ दिनों तक.. क्यों की जनता आपना हिसाब चुकता करेगी

जारी रहेगा.. ...

हमें सिर्फ विकास चाहिए ना. आप हमारे दुश्मन ना.. दोस्त.





 

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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एक ग़रीब राज्य का वैभवपूर्ण सीएम आवास


एक ग़रीब राज्य का वैभवपूर्ण सीएम आवास

सत्ता राजनीति अपनी जनता के व्यवहार विचार और हालात की प्रतिनिधि होती है. होनी चाहिए. ऐसा कहा माना जाता है. लेकिन वास्तव में सत्ता राजनीति अपनी जनता के सरोकारों के प्रति कितनी जवाबदेह बनी रह पाती है ये कम से कम भारत जैसे दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में नुमायां होता ही रहता है.

उत्तराखंड को बने दस साल हुए. यहां आज भी कई जगह बिजली पानी सड़क नहीं है. कई जगह स्कूल नहीं है. कई जगह अस्पताल नहीं है. लेकिन यहां एक ऐसा मुख्यमंत्री आवास बनाया गया है जिसपर क़रीब 16 करोड़ रुपए का खर्च आया है. ये वो खर्च है जो बताया गया है. 16 करोड़ रुपए. क्या आप कल्पना कर सकते हैं. क्या आपको ये अकल्पनीय नहीं लगता है.

क्या आपको देश के महा अमीर व्यवसायी मुकेश अंबानी की याद नहीं आती जिनका एक सपनो का बंगला अरब सागर के किनारे मुंबई में न जाने कितनी अपार संपदा और वैभव का अकल्पनीय नज़ारा है. क्या हमारी होड़ उससे है. क्या उत्तराखंड जैसे एक पहाडी कृषि समाज की प्रतिनिधि सरकार के मुखिया के लिए इतने रुपए खर्च कर किसी बंगले की ज़रूरत है.

क्या अल्मोड़ा के लाल बाज़ार की वास्तुकारी और पहाडी शिल्प कला के अन्य बेमिसाल नमूनों की नुमांयदगी और प्रचार प्रसार और लोकप्रियता के लिए एक मुख्यमंत्री आवास की दरकार थी. क्या और तरीके नष्ट या अलोकप्रिय या बेकार नाकाम हो चुके हैं.

क्या लोक संस्कृति और लोकशिल्प को बढ़ावा देने वाले विभाग बंद कर दिए गए हैं. इस आवास में एक से एक सुविधाएं, आराम और बेशकीमती लकड़ी, आदि लगी है. मुख्यमंत्रियों के लिए इसे बनाया गया है. क्या मुख्यमंत्री को क़िले जैसी जगह में रहना चाहिए. नक्षत्र और नवग्रह वाटिकाओं सरीखीं वास्तु मान्यताओं से घिरे किले में. ये शौक और आराम और सुविधा आखिर किस कीमत पर. (http://www.hillwani.com/ndisplay.php?n_id=484)
Nishank moves into grand house (Source http://www.tribuneindia.com/2011/20110514/dplus.htm#10
Dehradun, May 13
The most prestigious address in the state, the Chief Minister’s house on the Cantonment road finally has occupants with Chief Minister Ramesh Pokhriyal Nishank and his family moving into the house today.


Chief Minister Ramesh Pokhriyal Nishank with his daughters at his new residence in Dehradun on Friday. A Tribune photograph

Nishank moves into grand house
Neena Sharma
Tribune News Service

Dream Mansion

n 58-room mansion has a touch of Lal Bazar houses that are unique to Almora (Kumaon)
n Has been built at a cost of Rs 15.81 crore
n Though conceptualised by Lt-Gen BC Khanduri (retd), Nishank is the first Chief Minister to occupy the mansion
n The black stone or pathal that covers the roof and the sunshades has been sourced from Mandi and Dharamsala in Himachal Pradesh
n The double-storey mansion has been raised on RC columns and a framed structure in order to make it earthquake and fireproof
n The principles of Vastu Shastra have been followed with space allocated to Brahm sthal too

Dehradun, May 13
The most prestigious address in the state, the Chief Minister’s house on the Cantonment road finally has occupants with Chief Minister Ramesh Pokhriyal Nishank and his family moving into the house today.

The elegant porticoed 58-room hill mansion, which is surrounded by manicured lawns, looks very different from the austere design of the house that was used by the first Chief Minister as his residence. That old house was demolished and the entire area has undergone a breathtaking transformation. Amidst the urban milieu, suddenly the emergence of a façade of long-extending wooden balconies, an example of the architecture so commonly found in the hills, adds to the surprise element.

Right from the entry point to the main residence, the hill architecture has been perfectly balanced with modern elements and it took two and half years to build the house.

“The 10 acres of compound encloses the Chief Minister’s residence, the Janata Darbar office and the security block with staff quarters. It has been built at a cost of Rs 15.81 crore for which allocations were made in the 12th Plan,” said engineers from the Public Works Department.

The former Chief Minister, Lieut-Gen BC Khanduri (retd), who had conceptualised the house, had to reign from the post before the construction of the house could be completed. Now, Nishank has become the first Chief Minister to take occupancy of the mansion.

The architectural design marks the marriage between old and the new and has the footprint of the Lal Bazar houses that are unique to Almora (Kumaon) and also architectural elements of modern houses such as the fireplace that can be found in the living rooms.

Carvings on a door in the new residence of the Chief Minister.
Carvings on a door in the new residence of the Chief Minister. A Tribune photograph

“I am happy with the way the engineers have turned around the place. We hope to promote this kind of architecture else where also. I am impressed with the greenery around, especially the herbal and landscape gardens,” said Nishank



n 58-room mansion has a touch of Lal Bazar houses that are unique to Almora (Kumaon)
n Has been built at a cost of Rs 15.81 crore
n Though conceptualised by Lt-Gen BC Khanduri (retd), Nishank is the first Chief Minister to occupy the mansion
n The black stone or pathal that covers the roof and the sunshades has been sourced from Mandi and Dharamsala in Himachal Pradesh
n The double-storey mansion has been raised on RC columns and a framed structure in order to make it earthquake and fireproof
n The principles of Vastu Shastra have been followed with space allocated to Brahm sthal too

From time to time, the Chief Minister vetted the project along with the engineers. “The bay windows have been uniquely crafted by the craftsmen, so also the doors at the main entrance and the jarokhas at the entrance that lend an air of grandeur to the mansion,” said an official from the PWD.



The construction material, comprising stones, tiles and wood, has been sourced from Pauri, Almora and Tehri. While the black stone or pathal that covers the roof and the sunshades has been sourced from Mandi and Dharamsala in Himachal Pradesh. The tiles on the floor with flower motifs were brought from Bikaner.


The entire house has been covered with the Almora stone and cladding has been carried on the brick walls that also resulted in the increase in work for the masons. The double -storied mansion has been raised on RC columns and a framed structure in order to make it earthquake and fireproof. The Almora stone is soft, can be cut into any shape.

The principles of Vastu Shastra have been followed with space allocated to Braham sthal and the kitchen in the east and the study in the north-east directions. It has the right tapering, so distinct of hill houses and the RC roof is covered with pathals

Architects from Dehradun-based company P Jain, who were engaged by the PWD to oversee the design, did not forget to built an indoor 40-foot-long swimming pool in the house.

Jagmohan Azad

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विकास के नाम पर कुछ मित्रों के टिप्पणी यहां पड़कर खुशी हुई....मैं जानता था और जानता भी हूं...कि मेरे लिखने के यहां क्या मायने आप लोग निकाल सकते है...विचार व्यक्त करने की हर किसी को आज़ादी होती है....सो मै कर रहा हूं....मैं इसलिए भी विकास के मायने बता रहा हूं कि...शायद हम उन चिजों पर ज्यादा गौर करते है...जो हमने देखी नहीं होती है....हम विकास के मायने मैदानों में रहकर तय करते है...।
मित्रों मुझे इस बात का दुख नहीं हैं कि आप मेरे लेख पर क्या टिप्पणी कर रहे है...और क्यों कर रहे है....मैं ना ही कांग्रेस का दलाल हूं...ना ही...बीजेपी का...मैं पहाड़ से हूं और पहाड़ बहुत ऊंचे होते है....उनकी ऊंचाई हर कोई नहीं नाप सकता है...।
मैंने पत्रकारिता के मायने 15 सालों से देखे है...और देख भी रहा हूं...मैं उन लोगों के सथ खड़ा रहा हूं...जो पत्रकारिता का अर्थ समझते है....आज निरा राडीया जैसे मामले के बाद पत्रकारिता के मायन क्या हैं...शायद आप जनाते भी होगे....यदि आप वास्त में पत्रकारिता के मायने जानते है।
मेरा कहना सिर्फ इतना हैं कि जो लोग आज निशंक को लेकर या फिर तमाम दूसरी पार्टियों के काम-काज को लेकर पत्रकारिता के नाम पर टिपा-टिप्पणी कर रहे है....मैने इनमें से अधिकांश लोगों को निशंक के दरबार में और नारायण दत्त तिवारी से लेकर...कोश्यारी के दरबार तक हाजरी लगते हुए देखा है...और आज भी लगाते है...। मैंने सच को पल भर में झूठ बनते देखा है....।
मेरा कहना हैं कि विकास की बात करने वाले लोग पहले अपने अंदर झाक कर देखें...कि वह कितने साफ सुथारे है....मैने यह भी कहां है कि राजनीति में किसी का दमान साफ नहीं है....। मैने खुद पर सवाल उठाए है...लेकिन हमें सिर्फ दो लाईन पढ़कर भाषण देने की आदत है...हम शहर में रहकर ऐसी कमरों में बैठकर...पहाड़ के विकास की बात करना जानते है....।
मुझे इंतजार रहेगा उस दिन का जिस दिन निशंक के बाद एक कोई आपके हमारे बीच का चेहरा उत्तराखंड के विकास की बात करने आएगा....।
जीवित रहा तो....मैं उत्तराखंड में विकास के मायने फिर से पूछुंगा.....। एक लेख फिर से प्रकाशित कर रहा हूं। उम्मीद है...आपकी टिप्पणी मिलेगी...एक और चालीस पर ..।
जगमोहन आज़ाद

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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A humble request to all the Esteemed Members to be careful while replying the post. The language should be moderate!

यह एक विचार मंच आशा है हमारे सम्मानीय सदस्य अपने भाषा का थोडा ख्याल रखंगे .. विशेषकर .. हिमालयन वार्रियर जी.... अपनी बात जरुर व्यक्त है लेकिन भाषा में शालीनता हो !

यह लोक तंत्र है .. हर आदमी को अपनी बात रखने का पूरा हक़ है !  ...

जहाँ तक मेरा अपना ख्याल है... आज उत्तराखंड का हर जन मानुष के मन एक तीस है कही -२ विकास के बारे! जिस प्रकार लोगो ९० के दसक में अपने घरबार को छोड़कर आन्दोलन में कूद पड़े थे, उनके से कई लोगो ने आपने प्राणों की आहुति भी दी ! लेकिन वो विकास अभी वहां नहीं दिखा!

पहाड़ की मूल भूत समस्याए वही की वही है!  राजधानी के मुद्दे पर उत्तराखंड में राज्य कर चुकी दो बड़े पार्टिया बिलकुल खामोश है!

जिस तरह राज्य में अब तक पांच मुख्य मत्री बन चुके है उससे प्रतीत होता है सरकारे सिर्फ पांच साल की कुर्सी को पक्के करने में लगे रहे ... पार्टियों के अन्दर नेताओ का मुख्यमंत्री बनने के लिए.. घमासान ..

जगमोहन जी मै आपके बातो से सहमत हूँ, हर आदमी को अपने विचार रखने का पूरा हक़ है ! लेकिन मैंने फसबुक में उत्तराखंड के कुछ पत्रकारों की रिपोर्टिंग एव भाषा येसी देखि जिसे प्रतीत होता है..वो पत्रकार मुख्यमंत्री जी के प्रशंशा करते नहीं थकते , उनकी लेख पर कही भी उत्तराखंड के जव्लन्त्शील मुद्दों पर कोई जिक्र हूँ !

मै भी उत्तराखंड का एक आम नागरिक हूँ और चाहे रोजी रोटी के कारण पहाड़ से दूर क्यों न हूँ पर पहाड़ की पीड़ा सदा हिरदय में है! शायद हमें नहीं भूलना चाहिए उत्तराखंड राज्य बनाने में परवासी लोगो का एक महतवपूर्ण रोल रहा है !

उत्तराखंड राज्य बनने के बाद मुझे नहीं लगता पहाडो क्षेत्रो में १०% भी विकास हुवा हूँ इन दस सालो में! खडन्चे, पानी के गूल ये तो पहले भी बन रहे था जब उत्तराखंड उत्तर प्रदेश से विभाजित नहीं हुवा था !

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राजनीतिक पार्टियों का सिर्फ चुनाव जीतना है सपना नहीं होना चाहिए बल्कि पहाड़ का तीव्र विकास.. !

आज उत्तराखंड राज्य को जरूरत है एक एसे व्यक्ति की जो पार्टी, राजनीती से उठकर उत्तराखंड को विकास के चरम शिखर पर ले जाए और उत्तराखंड के :"विकास पुत्र के रूप में प्रसिद्ध हो"!

क्या कोई मुख्यमंत्री पहाड़ में..... हिमांचल के पूर्व मुख्यमंत्री परमार साब, गुजरात के मोदी, विहार के नितीश जैसा हो!?



   


Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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Thank you Mr Mehta for your advice. ... Plz don't worry for the language. Here we are exchanging views and nothing personal.
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Dear Azaad ji....  .i am also a garhwali. I live in Mumbai for two decades but have been in touch with pahad. I have been regulary visiting pahad and contributing whatsover we can for pahad...

We are only crying for development and development. but i will always oppose for the wrong thing. 
Our CM Mr Nishank ji.. claims that Uttarakhand has attained high GDP rate. and Uttarahkand is No 2 amongst the other state of India. These figure are totally wrong. ... If so why pahad are vacating?

why people are dying for a drop -2 water. ?

Where the road connectiivty ?

Why children are taking birth in 108 Ambulance not in Hospital, for which Nishak Sir wanted to register this record in Guinness World Records?

I have just return from a trip of pahad. I am sharing some photos of pahad.

See the residence photos of Poor State, Top man and residence of poor people


CM Residence at Dehradoon. Estimated cost in construction 16 crs.

Here is a House Poor man in Rudraprayag District



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Second photo of CM Residence



A poor Man residence at hill area.


(photo courtsey K S Bisht G. mumbai)

shailesh

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बेहतर विकास के मॉडल के लिए सर्कार को कई मोर्चों पर एक साथ काम करना होगा ! बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य पहली चुनौती है , ये चीजें आधुनिक समाज मे हवा और पानी की तरह है !
दूसरी चुनौती है जल जंगल जमीन पर यहाँ  के लोगों के अधिकार, पहाड़ के संसाधन यहाँ के लोगों के काम आयें ऐसा सरकार को सुनिश्चित करना होगा ! इन सब चीजों को लागू करे  इनको अर्थव्यवस्था का आधार बनाए,  देश मे विकास का जो भी मॉडल बने वो   आयातित मॉडल है , जिनकी वजह से भरी मात्रा मे पलायन सामाजिक और आर्थिक नुक्सान हुए है , चाहे टेहरी बाँध हो , नॉएडा या देश के किस्सी भी हिस्से मे जमीनों की खरीद फरोख्त हो ! विकास के ऐसे मॉडल की बजाय हमें micro मॉडल के विकास पर ध्यान देना होगा , छोटे व लघु उद्योग , सहकारिता पर आधारित  कृषि, बागवानी , डेरी, टूरिस्म को विक्सित करने के मॉडल पर सरकार काम कर सकती है ! इस तरह के छोटे मोडल्स के लिए जो शोध की आवश्यकता है सरकार उसको आईआईएम के साथ संयक्त रूप से मिलकर काम करे ! तभी विकास का एक बेहतर स्वरुप सामने आ सकता है ! इन चीजों के लिए जो भी तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता है उनसे सम्बंधित  पाठ्यक्रम को आईटीआई , polytechnic ,इंजीनियरिंग , और स्नातक मे शुरू किया जाए इससे हम एक विशेषज्ञ मानव संसाधन तैयार कर पाएंगे , और अपनी विकास की आकांक्षाओं को बेहतर आकार दे पाएंगे !
वर्तमान सरकार विकास के लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठा पाई है है , उसकी सोच गाय, और गोमूत्र और संजीविनी की खोज से आगे नहीं जाती, शराब के व्यवसाय , जमीनों की बेतहाशा खरीद फरोख्त और संसाधनों की नीलामी से सरकारें राजस्व कमा रही है और खूब भ्रष्टाचार कर रही है ! इन सबके गंभीर   सामाजिक और आर्थिक नुक्सान हो रहे है , जैसे पलायन , शराबखोरी , आपराधिक घटनाएं इत्यादि!
नयी सरकारों को विकास के मनावीय मॉडल पर ध्यान देना होगा , और ये तभी होगा जब सरकार नीतियां बनाने मे सभी लोगों को सम्मिलित करे उनको योजनाओ से होने वाले लाभ मे हिस्सेदार बनाये !

Kamalesh S. Mahar

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Bahut dukh ki bat hai ki aaj 10 sal bad bhi Uttarakhand ki koi disa nahi hai. aage kya hoga aur kahan jakar rukega yeh Uttarakhand. 10 sal ka bachha bhi samghdar hone lagta hai lekin Uttarakhand ke mamle mai aisa kuch nahi. Future ke liye na koi disa hai na hi koi soch. rastry party ke neta CM aur Mantri banane tak hi simit hai  aur is pad ke mil jane ke bad unki Uttarakhand ke liye soch ka THE END ho jata hai. pichle 10 salo mai hamne 5 CM dekhe aur kai guna CM ke dawedar. Jise taj mila kush na mila to muh fulaye baith gaye. CM ke lia hui khichtan mai Uttarakhand ka bahut bada nuksan hua. Lekin in 10 salo mai BJP ya Cangress ne kabhi bhi pahad ki aawaj nahi uatahai. Chahe parisiman ka mamla ho ya Rajdhani ka. Parisamptiyo ke mamle mai hamare neta Dilli mai baithe apne AAKAO ke samne natmastak hokar apna jamir bech dete hai. UP ke hito ki raksha karna unka kartabya ban gaya hai. Dehradun Mai 16 karod ki lagat se bana CM aawas Uttarakhand ki janta ko chidane ke liye kafi hai. Aam janta ke liye rasta banane ke liye sarkar ke pas paisa nahi hai lekin ek asthai rajdhani mai karodo pani ki tarah baha diye jate hai.
Kya hoga uttarakhand ka bhavishya???????????????????????????????????
sayed koi nahi janta..
fir chunav hone hai abki bar kya hoga .................... Kya uttarakhand ka vikas hoga ya fir...................................
10 salo mai jo chunav maine dekhe hai unhe dekhkar kam se kam mughe to yahi laga ki 10 salo mai koi chunav nahi hua, jo hua woh sirf Uttarakhand ko bechne ke liye hui NILAMI matra tha jiska pahla tender Congress ko mila aur dusara BJP ko.

Jai Bharat Jai Uttarakhand

geetesh singh negi

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                                    गढ़वाली व्यंग : विधान सभा म़ा खच्चर


उत्तराखंड मा विधान सभा का चुनाव की घोषणा व्हेय ग्या छाई और पक्ष और विपक्ष अपड़ी - अपड़ी रणनीति बणाण  फ़र लग्याँ छाई | पार्टी अध्यक्ष द्वारा कार्यकर्ताओं और पार्टी का बड़ा वक्ताओं थेय झूठा  सौं -करार और सुप्निया दिखाणं का भारी हुकुम सदनी की  चराह  आज भी जारी हुयां छाई | उन्भी उन्थेय याक़ी अब आदत सी व्हेय गया छाई |

सब कुछ ठीक ठाक  से चलणु छाई पर अचांणचक  से  ब्याली भटेय पक्ष -विपक्ष   दुयुं की नीद उड़ीं छाई |

अब साब बात इन् व्हाई की ये  चुनाव मा एक और गुट खडू व्हेय ग्या छाई | अरे भाई कैल बनाई यु गुट ?  और आखिर कब ? पक्ष -विपक्ष येही   सोच विचार करण फ़र लग्याँ छाई |
त़ा भई- बंधो   बात इन्  छाई की गौर- भैंषा ,बल्द , बाघ-बखरा  , कुक्कुर -बिरोला , मूस्सा सब जानवर सरकार से सान्खियुं भटेय तंग त हुयां हि छाई  सो उन्  मिल-जुली एकजुट व्हेय की अपड़ी कौम का विगास  का खातिर चुनोव्   मा भाग लिणा  कु फैसला कैर द्या |

अब साब किल्लेय  की  पहाड़ मा मन्खी  त उन् भी अब कम हि रैंदी ,भंडिया लोग  अब प्रवास   कु सुख  जू भोगंण लग्यां छिन्न पर यूँ  गौर- भैंसों ,बल्द, बाघ-बखरौं ,कुक्कुर -बिरोलौंल कक्ख  जाणू  छाई यूँ डांडीयूँ कांठीयौं और गौं गुठियारौं , धार-पन्द्यरौं थेय छोडिकी और यु नेताओं कु ध्यान सौर नम्मान त़ा देहरादूण और दिल्ली जने हि रैंद  और देहरादूण  मा भी कुछ नेता जोड़ -तोड़  और  " गढ़वाल कुमाओं " थेय मरोड़  मा हि लग्याँ रैंदी त कुछ सता - सुख भोगिकी अब पहाड़ विरोधी मानसिकता का भी व्हेय गईँ पहाड़ कु ख्याल यूँ  निर्भगियुं  थेय  सिर्फ और सिर्फ चुनोव्  का बगत मा हि आन्द नथिर यु  अशगुनी लोग इन्हेय  खुण कभी पैथिर फरकि की भी नी देख्दा और ता और पहाड़ी और पहाड़ से जुड़याँ  राजनेतिक और सामाजिक सरोकारों से भी यूँ थेय  अब कुछ लीणु दीणु नी रैंदु  उलटू पिछला दस बरसों मा यून्की विगास योजना - निति पहाड़ विरोधी मानसिकता कु  जैर से फूंकी पिल्चिं रें |

खैर नया दल कु गठन हूँण से पहाड़ म़ा बस्याँ मनखियुं थेय  भी नयी आस का सुपिन्या जगण बैठी  गईं ,पुराणा सबहि दल त उन् अच्छी तरेह से देख-चाखि याली छाई जौंकू लूँण-कटट स्वाद अभी तक उनकी जीभ म़ा लग्णु छाई ,कत्गौं थेय त भारी मरच भी लगणि छाई की दस साल म़ा क्या सोवाचु  छाई और अब  क्या हुणु  च ,कुई राजधानी का नाम फर पक्ष- विपक्ष थेय  कचोरणु  छाई त कुई पलायन और रोजगार   का नाम फर , त कुई डामौ की डम्याँण की पीड़ा का आंशु पुटुग ही पुटुग धोल्णु राई, पर निर्भगी पक्ष -विपक्ष का यु नेता जू थेय  यूँ लोगुन्ल  सैंत -पालिकी दिल्ली  और देहरादूण  कु रास्ता दिखाई वी आज पहाड़ कु रास्ता और पहाड़  का सुपिन्या  बिसरी   गईं ,बिसरी गईं सखियुं कु खैर और पीड़ा का वू दिन  ,मसूरी ,श्रीनगर, पौड़ी ,खटीमा देहरादून , मुज़फर नगर का वो दिन जब हमुल एकजुट वही की दगड़ म़ा  गीत लगई छाई ,धई लगाई  छाई ,गोली और लठ्याव् सैह  छाई | दिल्ली कु जन्तर मंतर का अन्दोलन काल का दिन भी यु सत्ता  सुख भोगी लोग चुक्कापटट कै की  बिसिर गईं  |

अब साब  पहाड़ म़ा गठित ये  नया दल का घोषणा पत्र म़ा डांडा काँठीयूँ   का समग्र पहाड़ी विकास की नयी धार साफ़ दिखेणी छाई ये  ही कारण से पहाड़  का  रैंवाशियुं और प्रेमी प्रवासियुं   कु भारी  समर्थन यूँ थेय  मिलणु छाई और पक्ष-विपक्ष   खुण भारी मुश्किल खड़ी व्हेय ग्या  छाई ,उन्ल  साम -दाम दंड भेद सभी निति अपनै पर उन्की एक नी चली और सत्ता पहाड़  का यूँ न्या क्रांतिवीरों का हत्थ म़ा ऐय ग्या |

भाई बंधो इन्ह  नै  पार्टी कु  काम-काज  कु  तरीका भी बिल्कुल अलग छाई ,उन्ल पक्ष - विपक्ष का जण कसम खाण से पहली देहरादूण म़ा अपड खुट्टा  नी राखा       बल्कि उन्ल पहली शहीद  स्मारक म़ा जैकी शहीदों  थेय श्रद्धान्जली   अर्पित कैरी  और उन्का खैरी स्वुप्नियों थेय  सम्लैकी देहरादूण की और अप्डू रुख कार | शपथ   समारोह भी बिलकुल  पहाड़ी रूप म़ा संपन्न व्हेय और लोकभाषा म़ा शपथ लेकी उन्ल अप्डू और अप्डी भाषा  दुयुं कु मान -सम्मान कार |

सभ्युंल  मिली जुली की यु फैसला कार की  " प्रजा " खच्चर  थेय राज्य कु मुख्यमंत्री कु पद दिए जाव किल्लेकी  प्रजा थेय  गढ़-कुमौं की पहाड़ की धार धार और उन्कि हर खैर - विपदा  कु भोत ज्ञान छाई और पहाड़ से वेय  थेय  भोत गहरू प्रेम भी छाई ,वेक बाद पहाड़  कु रक्षा कु  भार भोटू कुक्कुर थेय  और संपदा और संपत्ति विभाग बिरोलू  थेय  दिये ग्याई ताकि चंट चालाक  बिरोलू राज्य की परिसम्पतियुं कु ठीक से सोक संभाल कैरी साक नथिर पिछला दस बरसौं बठिं लगातार राज्य की परिसम्पत्तियुं कु भारी नुक्सान यूँ  निकम्मों का कारण से हुणु  छाई | राज्य म़ा बेरोजगारी हटाणा  कु जिम्मा ईमानदार  और कर्मठ हीरू बल्द थेय  दीये  ग्याई और धरम पर्यटन और संस्क्रती कु जिम्मा "बिंदुली गौडी " थेय और राज्य का वित्त मंत्री कु पद स्याल महाराज थेय मिल और जंगल का राजा थेय  विधान सभा कु अध्यक्ष कु पद दीये  ग्याई |

जब प्रजा पहली दिन विधान-सभा म़ा पहुँच त़ा साब क्या ब्वन ,एक से बड़ा एक विपक्षी नेता बैठक म़ा शामिल  हुण खुण  अयां छाई| कुई अप्थेय नरन्कार कू सी पुजरू चिताणु छाई  त़ा कुई अप थेय नो छम्मी  नारायण बताणु छाई | एक नेता साब बार बार खडू व्हेय की प्रवचन  सी दींण   बैठी जाणु राई त एक तबरी बीच बीच म़ा शंख बजा  दिणु राई और जब कुई वे म़ा पुछ्णु की भाई सिन्न किल्लेय  कन्नू छई त उ सर पितली गिच्ची कैरी की कबिता पाठ सी कैरी की बोल दिणु राही की मी त कुछ भी गलत नी करणु छोवं मी फर शक  नी कारा या मी त नाम से बिना शंख कु छोवं | एक नेता साब निछंद   व्हेय की भट्ट भूजण  म़ा लग्युं छाई और दगड़ा दगड धेई लगाणु  राई  की भट्ट ले लो ,  भट्ट ले लो | एक नेता ईनू भी छाई जो अपखुण बार बार गुणा , बार बार गुणा बोल्णु  छाई  त एक नेता कपूर जालंण म़ा ही लग्युं छाई और एक नेता हड़का ही मरण म़ा लग्युं छाई , कुल मिला कै काम की बात कुई नी  करणु छाई  |               

पर साब अब राज-काज त प्रजा का हत्थ म़ा छाई   वैल  पहली चोट म़ा  विपक्ष थेय  धराशाई कैर द्याई  और राज्य की जनता की जिकुड़ी से जुड़याँ  हर पहलु और मुद्दा फर गहराई से चर्चा और सोच बिचारी की फैसला कार और राज्य म़ा पलायन रोको योजना बणे की रोजगार उन्मुखी शिक्षा प्रणाली लागू  कैरी की पहाड़ की भोगोलिक और पारिस्थितिकी का हिसाब से उधोग निति कु निर्माण कार ज्यान्कू  ज्यादा से ज्यादा  लाभ नेतौं - ठेकादारौं थेय  ना मिली की पहाड़ का शिक्षित बेरोजगारों थेय  मिल साक | शिक्षा का वास्ता वैल  पहाड़ का प्रति समर्पित और कर्मठ शिक्षकों कु चयन कार ना की मजबूर बेबस और लाचार बधवा  मजदूरों कु | पर्यटन का क्षेत्र  म़ा यूँल ग्रामीण क्षेत्र म़ा पर्यटन  विकास  योजना लागू कैरी की पहाड़ का गौं गौं थेय आधुनिक संचार का माध्यमों से सजा -सवांर द्याई  ,कंप्यूटर शिक्षा अनिवार्य कैर द्याई  और हर ब्लाक म़ा आधुनिक अस्पताल बणवा  द्याई |

पहाड़ म़ा उन्नत कृषि विकास और अनुसंधान योजना का तहत  युंल गौं गौं म़ा माट-खैड की जांच करवाई  और वेका बाद  किसानों थेय  उन्नत बीज  और ब्वई -बूतै  का  आधुनिक तरीकों कु  प्रशिक्षण  द्याई और दगड़ा दगड फसल- फल -फूल और जड़ी बुटयूँ  कु एक अच्छु और गलादारौं से रहित  बाज़ार उन्थेय द्याई  | राज्य का दूर दराज का पहाड़ी गौं -धार म़ा उन्ल बिजली -पाणी -मोटर पहुंचाई द्याई और भ्रस्टाचारी और गलादार किस्म का अफसरौं फर  ज्यूडा - संगला बाँध  दयीं  |   
 
उन्ल राज्य की लोक-कला संस्कृति -भाषा और रीती -रिवाजौं थेय भोरिकी  सम्मान दिणा का साथ देश विदेश प्रवास म़ा बस्यां पहाड़ का अनुभवी लोगौं थेय  पहाड़ का विकास  म़ा एथिर आण खुण धाद भी मार जुकी फिल्म उद्योग ,व्यापार  ,पर्यटन और शिक्षा ,चिकित्सा और कुटीर उद्योग क्षेत्र म़ा विशेष  दक्षता और अनुभव प्राप्त लोग छाई |

उन्कि लोकप्रियता दिन रात बढदा ही जाणि छाई ज्यां से  विपक्ष थेय  भारी मुंडरु  उठ्युं छाई और जब भटेय प्रजा ल   उत्तराखंड की राजधानी का मुद्दा फर  तैड-फैड करणी शुरू कार त़ा विपक्ष का मुख फर तब भटेय  झमक्ताल रुमुक्ताल सी प्वड़ी ग्याई  ,जक्ख द्याखा   प्रजा की जय जयकार हुणि छाई  | आज विपक्ष का हर पहाड़ी नेता थेय   भोत अफसोश  सी हुणु च और  वू  सोच म़ा प्वडयाँ छीं की जू काम  प्रजा खच्चर करणु च उन्  हमुल किल्लेय्य   नी कारू उन्थेय  अपनाप से घिण  सी आणि छाई  और जू ब्याली तक सदनी लोग - बागौं की भीड़ से घिरयाँ रेंदा छाई उन्थेय अब भीड़ म़ा जाण म़ा भी शर्म सी आणि छाई  |
पर लोग अब भोत खुश छीं और बुना छीं की यूँका राज से त़ा प्रजा कु राज भोत भोत बढिया चा ,काश दस बर्ष   पैल्ली प्रजा जन्नु नेता मंत्री बणदू त आज हमारू उत्तराखंड और भी ज्यादा  ठाठिलू और छजिलू  राज्य हुन्दू |

पर  खैर कुई बात नी च अबही भी देर नी व्हाई,प्रजा - सरकार जागरुक रैली त विगास का सबही सुपिन्या एक ऩा एक दिन जरूर पूरा  व्हाला |
इन्नेह प्रजा की जय जयकार अबही भी हूँण लगीं छाई और विपक्षी मुख लुका की अपड़ा अपड़ा दोलणो  पुटुग भटेय मजबूर  और लाचार व्हेय की देखण लाग्यां छाई
की अब क्या व्हालू ,कक्खी भोल  प्रजा राजधानी का मसला फर भी अप्डू गिच्चू त नी खोली द्यालू ? 

लेखक : ( गीतेश सिंह नेगी ,सिंगापूर प्रवास से ,सर्वाधिकार सुरक्षित )
स्रोत :   म्यार ब्लॉग हिमालय की गोद से (http://geeteshnegi.blogspot.com)
(नोट : इस व्यंग के सबही पात्र और घटनाएं काल्पनिक हैं ,यदि कहीं कुछ भी  ऐसा घटित होता है या  हो रहा है तो उसे महज  एक संयोग मात्र  ही समझा  जाये )
 

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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शर्म करो पहाड़ के नेताओ......... आपका जमीर बिक चुका है.!

जिन शहीदों की कुर्बानी के बदौलत आज आप मंत्री, मुख्यमंत्री बने घूम रहे हो, कभी आपने उन शहीदों के उत्तराखंड बनाने की कोशिश नहीं की!

१)     परिसीमन पर एक भी पहाड़ी नेता नहीं बोला.. क्यों की ये सब .. बिक चुके है पहाड़ को भी बेच रहे है! उनके खुद के घर तो देहरादून और मैदानी इलाको में है! पहाड़ से सिर्फ मतलब .... वोट का है! गरीब जनता को शराब या. पैसा के बल पर खरीदकर आप चुनाव जीत जाते हो! भूल गए.. आप सरकार तो सिर्फ पांच साल की होती है.. आवोगे मिलोगे हमारे साथ रोड में.. फिर मिलेगा हिसाब.! जूते !

२) राजधानी के मुद्दे पर चुप है....! भूल गए उत्तराखंड राज्य के आन्दोलन का वो दौर.. जब हमारे राज्य की प्रस्तावित राजधानी सिर्फ गैरसैंन थी .. उसके बाद इन कुकर्मी नेताओ ने १० साल तक इस मुद्दे हो.. आयोग पर आयोग बैठा कर जनता से इस मुद्दे को दूर करने की कोशिश की ! यह होगा नहीं.. .. उत्तराखंड देश का पहला हिमालयीय राज्य है जिसकी राजधानी सिर्फ मैदानी इलाके मे है!

३) क्या जरूरत थी.... ये हरिद्वार और रूडकी के इलाके उत्तराखंड में मिलाने की! हमारे लोगो बलिदान का पूरा फायदा उनको जा रहा है .. सरकारी नौकरी या.. अन्य फायदे ! दूसरी तरफ पहाड़ खाली होते जा रहे है !

४)   हमारे वर्तमान मुख्यमंत्री जी. काम कम और दिखावे में ज्यादे विश्वाश करते है! उनको पहले सुख्रिया अदा करना चाहिए खंडूरी एव कोशियारी जी का जो आपसे में लड़े और कुर्सी इनको मिल गयी !  सर.. इन दो सालो में आपका भी कार्यकाल देख लिया ..आप भ्रष्टाचारो के मामलो में ही ज्यादे छाये रहे ना की विकास पर!

एक बार तो आपने कह डाला.. मुन्सियारी में कह डाला.. "पहाड़ से पलायन गर्व की बात है" ! वह वाह.... क्या बात कह डाली सर आपने... जवाब नहीं.. यही विकास का विजन है आपका ...
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अब मेरे मित्र आज़ाद जी के कुछ सवालों के जवाब
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दोस्त.. आपका नाम आज़ाद है बिलकुल आप आज़ाद है अपने विचार इस मंच में व्यक्त करने के लिए ! लेकिन आपके इस लिखे में बिलकुल झलकता है की आप निशक के तारीफों के पुल बांध रहे है जिसके वो लायक नहीं है कम से कम उत्तराखंड में उनके शाशन के दौरान हुए विकास के !

निशक जी. धोनी और सचिन को मसूरी में घर बना के दंगे लेकिन पिछले साल उत्तराखंड में आयी आपदा के जिन लोगो ने अपने घर बार खोया था उनके पास अभी भी रहने के लिए आवास नहीं है! इस बारे में आपने नहीं लिखा.. !  निशक जी फ़ैल हो गए है !

अपने निशक जी के इस बयान के बारे में नहीं लिखा जब मुन्सियारी में एक प्रोग्राम में बोला था. " पलायन पहाड़ से गर्व की बात है"! एक पत्रकार को निष्पक्ष होकर लिखना चाहिए समाज के प्रति अपने दयातिव को निभाना चाहिए!

वैसे इस बात को आप गाँठ बाँध कर रख लो.. उत्तराखंड में अब भारतीय जनता पार्टी दुबारा नहीं आयेगी कभी.. इस हार के जिम्मेवार सिर्फ निशक जी महराज होंगे.. क्यों को हर गली गली पर आन्दोलन है आज उत्तराखंड में आज. ! जनता भड़क उठी है.. यह आग..... निशक जी एव भारतीय जनता पार्टी के लिए" हारने के लिए शंक ध्वनि है!


Rest.. in coming post.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Have a look on following photos. The pain of pahadi people is still the same even after the formation of State.

The objective behind formation of Uttarakhand was fast development.



This is the tough life in pahad. Who will realize the pain of these people ?


 

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