Author Topic: Election 2012 in Uttarakhand Vs Development-उत्तराखंड में चुनाव २०११ बनाम विकास  (Read 43228 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तराखंड क्रांति दल के दो नेता बीजेपी में शामिल

Politicians have started changing parties now in view of Election. Here is Diwakar Bhatt from UKD joined BJP and BJP Rajendra Bhandari joined Congress.


Monday, 02 January 2012 23:25  देहरादून: उत्तराखंड में विधायक और कैबिनेट मंत्री दिवाकर भट्ट तथा विधायक ओम गोपाल रावत ने थाम बीजेपी का दामन थाम लिया है. यह दोनों नेता उत्तराखंड क्रांति दल का साथ छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हैं.

विधानसभा चुनावों से ठीक पहले इन दोनों नेताओं ने उत्तराखंड क्रांतिदल का दामन छोड़कर बीजेपी में शामिल होने का फैसला कर लिया है.
साल 2007 के विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड क्रांति दल को महज तीन सीटें मिली थीं, जिनमें से दो सीटों पर दिवाकर भट्ट और ओमगोपाल रावत ने कब्जा जमाया था. बाद में पार्टी ने बीजेपी सरकार को समर्थन दिया तो दिवाकर भट्ट को कैबिनेट मंत्री बना दिया गया था.

बीजेपी से मतभेद के बाद उत्तराखंड क्रांति दल ने उत्तराखंड की राज्य सरकार से किनारा कर लिया था लेकिन दिवाकर भट्ट मंत्री मंडल में बने रहे. उनके इस फैसले से पार्टी में फूट भी पड़ी थी.

http://star.newsbullet.in/india/34-more/21580-2012-01-02-17-55-49

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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 उत्तराखंड में भाजपा के 48 प्रत्याशी घोषित

नई दिल्ली,उत्तराखंड में आगामी तीस जनवरी को होने वाले चुनाव के लिये आज भारतीय जनता पार्टी ने कुल सत्तर विधानसभा सीटों में अडतालीस पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिये हैं।आज देर रात नई दिल्ली स्थित भाजपा कार्यालय पर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व उत्तराखण्ड प्रभारी अनंत कुमार ने विधानसभा चुनावों के लिये अडतालीस प्रत्याशियों की घोषणा की। सत्तर सदस्यीय उत्तराखंड विधानसभा में से अडतालीस प्रत्याशियों की घोषणा करते हुए

-  मंख्यमंत्री भुवन चन्द्र खंडूडी - कोटद्वार
-  पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक - डोईवाला
-  प्रकाश पंत पिथौरागढ
-  त्रिवेन्द्र रावत - रायपुर
-  आशा नोटियाल -कैदारनाथ
-  हरबंस कपूर - केंट
-  आदेश चौहान - रानीपुर
-  हरीश पुजारी - कर्ण प्रयाग
-  हेमा जोशी - चम्पावत
-  विजय बडथ्वाल -  यमकेश्वर
-   पीएस चौहान - जोगेश्वर
-   गणेश जोशी - मसूरी
-   रविन्द्र पनियाला - खानपुर
-   मदन कौशिक - हरिद्वार
-   सुरेश जैन - रूडकी
-    धन सिंह नेगी - टिहरी
-    मालचंद - पुरोला
-    नीरू देवा - विकासनगर
-    संजय गुप्ता - लक्सर
-   कलीम अंसारी - मंगलौर
-   यतीश्वरानंदन - हरिद्वार ग्रामीण
-   मंगललाल शाह - थराली
-   मातबर सिंह कंडारी- रूद्रप्रयाग,
-   भीमलाल आर्य - घनसौली
-   महावीर राघड - धनौलटी
-  सहदेव पुंडीर - सहसपुर
-   रविन्द्र कटारिया -राजपुर रोड
-   चन्द्रशेखर भटवाल - ज्वालापुर
-   झबरेडा से देशराज -कर्णवाल
-  दिलीप सिंह रावत - लैंस डाउन
-  खुशहाल सिंह पिपलिया - धारचूला
-  बिशन सिंह चुम्फाल - डीडीहाट
-  गंगोली हाट से श्रीमती गीता ठाकुर
-  कपकोट से बलवंत सिंह भोरियाल
-  बागेश्वर से चंदन राम दास,
-  द्वारहट से नरेन्द्र सिंह बिष्ट
-  साल्ट से सुरेश जीना
-  रानीखेत से अजय भट्ट
-  अल्मोडा से रघुनाथ चौहान
-   जागेश्वर से बीएस नेगी
-   लोहाघाट से पूरण फतरियाल
-   लालकुआं से नवीन दुमका
-   नैनीताल से हेम आर्या
-   जसपुर से आदेश चौहान
-   कांशीपुर से हरभजन सिंह चीमा
-   रूद्रपुर से राजकुमार ठकुराल
-   किच्छा से राजेश शुक्ला
-   सितारगंज से किरण मंडल
-  नानकमत्ता से प्रेम सिंह व खटीमा से पुष्कर धामी को प्रत्याशी घोषित किया गया है।

Source ":
http://www.royalbulletin.com/

Devbhoomi,Uttarakhand

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खंडूड़ी को घेरने की रक्षा मोर्चा की तैयारी
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कोटद्वार में मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी को घेरने के लिए रक्षा मोर्चा ने तीन बिंदुओं को उठाने की घोषणा की है। मोर्चा कल अपने दो दर्जन से अधिक प्रत्याशियों की पहली सूची घोषित कर देगा।

रक्षा मोर्चा के अध्यक्ष टीपीएस रावत ने कहा कि पहली सूची में 15-20 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए जाएंगे। मोर्चा के प्रवक्ता पीसी थपलियाल ने बताया कि कोटद्वार सीट पर मुख्यमंत्री को घेरने के लिए मोर्चा ने तीन बिंदु उठाए हैं। राजधानी पर ढुलमुल रवैये, कमजोर लोकायुक्त और भ्रष्टाचारियों को दिए जा रहे संरक्षण को लेकर घेराबंदी की जाएगी। पूर्व सैनिकों की रथयात्रा निकाली जाएगी। उन्होंने कहा कि उनकी किन्नर रजनी रावत से बात हुई है। उन्हें गढ़ी कैंट, रायपुर और डोईवाला से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया गया है।

दूसरी तरफ रक्षा मोर्चा की नजर भाजपा तथा कांग्रेस में टिकट न मिलने से वंचित रह गए नेताओं पर भी है। भाजपा की पहली सूची जारी होते ही वहां विरोध के स्वर उभरने लगे हैं। कांग्रेस की सूची भी जल्दी ही घोषित हो जाएगी। वहां भी इसी तरह की नाराजगी उभरना तय माना जा रहा है। मोर्चा ऐसे उम्मीदवारों पर नजर लगाए हुए है।


Source dainik jagran

Devbhoomi,Uttarakhand

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गांवों के आबाद होने का इतंजार
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श्रीनगर गढ़वाल, : चलणस्यूं पंट्टी के कांडा गांव के नब्बे वर्षीय सोबन सिंह की आंखें गांव के रास्ते को एकटक ताक रही हैं। कभी 40-50 परिवारों वाले गांव में अब केवल छह-सात परिवार ही शेष रह गए हैं। कोई बच्चों को पढ़ाने तो कोई अच्छी नौकरी पाने की चाह में गांव छोड़कर चला गया। जो एक बार गांव से गया वह लौटकर नहीं आया, लेकिन सोबन सिंह को आज भी उम्मीद है कि एक बार फिर गांवों का जमाना दोबारा लौटेगा और गांव वापस गुलजार होंगे।

कभी दिन भर बच्चों के शोरगुल और शाम को बुर्जुगों की गपशप से गूंजने वाले गांव के पंचायती चौक अब सुनसान हो गए हैं। केवल कांडा ही नहीं, बल्कि क्षेत्र के कई गांवों की यही कहानी है। चलण्स्यूं, कठूलस्यूं, नांदलस्यू, वनगढ़स्यूं, रावतस्यूं, सितोनस्यूं पंट्टी के कई गांव पलायन के चलते खाली हो गए हैं। अपनी खेती और समृद्धि के लिए प्रसिद्ध वनगढ़स्यूं पंट्टी भी पलायन से खाली होने के कगार पर है। सितोनस्यूं पंट्टी के रणाकोट गांव में कभी सौ से भी अधिक परिवार रहते थे, लेकिन आज करीब तीस परिवार रह गए हैं। सम्ठयाल में 10, धारकोट में 15, लुनेठा में तीन, नौल में 12, कमरगढ़ में 11 और पाथली गांव में केवल 11 परिवार ही शेष रह गए हैं।

वहीं, जमसाली, कगड़ी, डूंगरा, स्वारी, गौली गांवों में एक, कोट्या, सिलाखेत और कंडोली ने दो परिवार ही बचे हुए हैं। क्वीसू, धरिगांव, पोखरी और मद्रीगांव भी कुछ परिवारों के कारण ही अपने अस्तित्व को बचाए हुए हैं। जनगणना के आंकड़े भी खाली हो रहे गांवों की तस्दीक करते हैं।

वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार पौड़ी जनपद की कुल जनसंख्या 6,97,078 में से 6,07,203 ग्रामीण और 89875 शहरी आबादी थी। वहीं 2011 की प्राथमिक जनगणना के अनुसार गांवों की आबादी 10551 कम होकर 573847 रह गई है।

क्या रहे पलायन के कारण

विशेषज्ञों के अनुसार बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, यातायात, बिजली, पानी की कमी और खेती में कम हो रही उत्पादकता पलायन के मुख्य कारण हैं। साथ ही बेहतर जीवन व्यतीत करने की चाह में भी लोग गांवों से शहरों की ओर बढ़ रहे हैं।

आंकड़ों में पलायन की सच्चाई

वर्ष जनसंख्या ग्रामीण शहरी

2001 697078 607203 89875

वर्ष जनसंख्या ग्रामीण शहरी

2011 686533 573847 112686


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_8716050.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Uttarakhand locals threaten to boycott upcoming polls By: ANI Date: 2012-01
« Reply #104 on: January 04, 2012, 03:07:09 AM »
This is also a good decision in my personal opinion
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Uttarakhand locals threaten to boycott upcoming polls
By: ANI[/t][/t][/t]
Date:  2012-01-03
Place: Amritpur
[/t][/t][/t]
Locals in Uttarakhand''s Amritpur town on Monday threatened to boycott the upcoming legislative elections complaining about the delay in construction of a bridge connecting the area to the city.
 
According to the locals here, a bridge connecting the villages surrounding Amritpur to the main city broke in the last monsoon season in the month of August.
The villagers blame that the administration has not taken any step to repair the bridge.
Devki Devi, a local said that if the repair work does not start on time, all 500 people from her village will not cast their votes.
"We will cast our vote only when the bridge is constructed. We are demanding that construction work should start before polls, only then we will cast our votes. If the work starts on time, we all would go at any cost, other wise all the 500 voters from our village will not go to the polling booth," she said.
Several villages in Uttarakhand''s Nainital District are located across Gola river and the bridges are the only connecting source between the cities and these villages.
Slamming the local administration, Revadhar, a local, said that the villagers are not left with any choice but to boycott the polls.
"I think that we have tried to get the construction many times, but we have always failed. We are not getting any assurance that the reconstruction will start soon. And now we are forced to say that we are boycotting the elections. We want the funds for reconstruction to be allotted very soon and the work should immediately start," he said.
According to Prem Ballabh, member of the local Block Development Council, Amritpur, the children have been unable to go to schools.
"The children from our village are deprived from school as the bridge is damaged. Also, under any situation, we are unable to take a pregnant woman to a hospital. There is no way to commute from the village. Neither a mid-wife, nor a nurse can come to the village during an emergency situation. If the woman is lucky enough, she would survive, or she would die," he said.
The Election Commission has announced a seven-phased poll in Uttar Pradesh between February 4 and 28, while assembly elections in Punjab, Uttarakhand, Manipur and Goa will be held in a single-phase. 
 
Punjab and Uttarakhand will go to polls on January 30, while it will be held on January 28 in Manipur and on March 3 in Goa. The filing of nominations will begin on January 4 in Manipur
 
The counting of votes in all the five states will be held together on March 4. (ANI)(Source)
http://www.mid-day.com/news/2012/jan/030112-Uttarakhand-locals-threaten-to-boycott-upcoming-polls.htm[/td][/tr][/table][/td][/tr][/table]

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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One more new development now. Jaspal Rana moves to Congress from BJP.
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त्तराखंड: कांग्रेस में शामिल हुए शूटर जसपाल राणा    
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देहरादून
उत्तराखंड में भाजपा नेता जसपाल राणा अब पार्टी छोड़ कर कांग्रेस के हाथ के साथ हो गए हैं। राणा के भाजपा से अलग होने का कारण उन्हें टिकट नहीं मिलना बताया जा रहा है। जसपाल भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह के साले हैं और उनका भाजपा छोडकर कांग्रेस में शामिल होना लोगों के गले नहीं उतर रहा।
राजनाथ सिंह के रिश्तेदार का मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस में शामिल होने कई सवाल खड़े होते नज़र आ रहे हैं, सुगबुगाहट तो यह भी है कि कहीं न कहीं राजनाथ सिंह की भारतीय जनता पार्टी में पकड़ कम होती जा रही है। सूत्र बताते हैं कि राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह भी गाजियाबाद से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में थे लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। इसके बाद उत्तराखंड की धनौलटी सीट से पंकज सिंह के साले जयपाल राणा का टिकट कट जाने से इस बात को बल मिलता है कि राजनाथ सिंह की अपनी ही पार्टी में पकड़ हल्की होती नज़र आ रही है।

पंकज सिंह की जो भी मजबूरी रही हो लेकिन उनके साले जयपाल राणा ने भाजपा के विरोध में सुर उठाने की ठान ली और उन्होंने पार्टी छोड कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। सूत्रों की माने तो कांग्रेस उन्हें धनोलटी विधानसभा सीट से टिकट देकर मैदान में उतार सकती है|

Source - http://www.bhadas4uttarakhand.com/news/1211-2012-01-04-13-54-08.html
http://www.bhadas4uttarakhand.com/news/1211-2012-01-04-13-54-08.html

umeshbani

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विकास तो हुआ है मगर एक बात मेरी  समझ मे नहीं आती कि इतनी भी गरीबी उन लोगों में नहीं है जो २-३ रूपये किलो चावल दे रही है सरकार   ..... में यह नहीं कह रहा कि २-३ रूपये किलो चावल मत दो मगर क्या ये उनको मिल रहा है जिनको मिलना चाहिय ............ विकास हो रहा है ........ पैसा बह रहा है ..... पेसे का सदुपियोग नहीं हो रहा है ......
समय आ गया है प्रायमरी education का विलय हो जुनियर  हाई स्कूल के साथ .......... खाली भात खिलाने से education का स्तर नहीं बढेगा .......

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This is the photo of development in uttarakhand.





 Chandra Shekhar Kargeti
पहाड़ों में विकास की कहानी बताती यह तस्वीर........इस बार की बारिश जहां नदी पार करने का एकमात्र रास्ता, पुल भी रिपेयेर नहीं हो पाया, वही हमारे नेता जी अपनी विधायक निधि का  उपयोग कहाँ कर रहे हैं कोई पूछने वाला नहीं ?
 
 पहाड़ के नौनिहालों ने साबित कर दिया है कि उनको भले ही साधन उपलब्ध ना हो, लेकिन आज भी उनमें अपने भविष्य को संवारने सजाने की लालसा मारी नहीं है भले इन नेताओं का जमीर मर गया हो ?
 
 इस चुनाव में क्या जवाब देंगे इस गाँव के लोगो को ये नेता ?

Rajen

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यह एक कटु सच्चाई है जिसे देख कर प्रदेश के कर्णधारो को शर्म करनी चाहिये.

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इन नेताओ ने कुछ काम नहीं किया बल्कि उत्तराखंड राज्य को विनाश के कगार पर रख दिया!  राजधानी मुद्दे पर इन लोगो ने राज्य को धोखा दिया! राज्य की प्रस्तावित राज्यधानी गैरसैंन है और वही होनी चाहिए थी!
जिन नेताओ ने पूरे ५ साल तक पहाड़ नहीं देखा होगा वो आज वोट के लिए भीख माँगते नजर आयंगे!

 

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