This poems talks about development and corruption in uttarakhand.
उत्तराखंड में बेरोजगारी
रोजगार कार्यालयों के कमरे
बेरोजगारों के नामों से भरे
एक पद हेतु आवेदन हजार
नौकरी के लिए है मारामार
नियुक्ति के लिए धन चाहिए
धन देने के लिए माध्यम चाहिए
सरकारी ताकत हावी है
रिश्तेदारों की चाँदी है
आम आदमी को हक नहीं मिल रहा
सरकारी पहुँच वाला मौज कर रहा
उत्तराखंड बनने का यही नतीजा है
एक कुर्सी पर चाचा दूसरे पर भतीजा है
यहां तो नौकरी की उम्मीद है व्यर्थ
देवभूमि उत्तराखंड का यही है अर्थ।
महिपाल मनराल
सैणमानुर, अल्मोड़ा