Author Topic: Election 2012 in Uttarakhand Vs Development-उत्तराखंड में चुनाव २०११ बनाम विकास  (Read 42657 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Nobdoy is there to see what is happening in UK.
 
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पुष्कर सिंह रावत, उत्तरकाशी
गोविंद पशु विहार क्षेत्र में कौड़ियों के भाव बाहरी लोगों को बेची गई जमीनें आज सोना उगल रही हैं। सेब, आलू और राजमा की लहलहाती नकदी फसलों के कारोबार में स्थानीय लोग मजदूर और चौकीदार की भूमिका में ही नजर आ रहे हैं।
जंगलों पर अधिकार खोने के बाद गोविंद पशु विहार क्षेत्र की सीमा के भीतर आने वाले 42 गांवों के लोगों की पूरी निर्भरता खेती और पशुपालन पर ही रही है। हर गांव में नापभूमि पर ग्रामीणों का अपना मालिकाना हक था। आजीविका के इन साधनों को विकसित कर ग्रामीण बेहतर जीवन निर्वाह कर सकते थे, लेकिन क्षेत्र पर बाहरी लोगों की नजर पड़ने के बाद कौड़ियों के भाव जमीनें बिकने लगी। इनमें उत्तराखंड समेत हिमाचल प्रदेश, यूपी व दिल्ली के खरीददार शामिल हैं। डेढ़ दशक पहले से ही ग्रामीणों से छह से बारह हजार रुपए प्रति नाली के भाव से जमीनें खरीदी जाने लगी थी। वर्ष 2002 तक यह सिलसिला काफी तेज गति से चलता रहा। इससे पहले कि ग्रामीणों को अपनी जमीन की कीमत मालूम होती तब तक अधिकांश ग्रामीणों के पास खेत ही नहीं रह गये थे। लिहाजा आज बाहरी लोगों के बगीचों में काम करने वाले मजदूर और चौकीदार स्थानीय लोग ही हैं। रसूखदार लोग पार्क प्रशासन की नाक के नीचे अवैध तरीके से इन बगीचों का विस्तार भी करते रहे। इन बगीचों में सेब, आलू और राजमा जैसी नगदी फसलें उगाने के साथ ही आधुनिक सुविधाएं भी जुटाई गई हैं। क्षेत्र में सर्वाधिक जमीन ओडार पट्टी के कोट गांव के ग्रामीणों ने बाहरी लोगों को बेची है। राजस्व अभिलेखों के मुताबिक सिंगतूर पट्टी के पोखरी, दणमाण गांव, सौड़ और सिदरी में भी बड़े पैमाने पर जमीनें बेची गई। इन गांवों में अधिकांश लोग बेहद कम जमीन पर ही अब अपनी खेती करने को मजबूर हैं। खेती में कमी आने के कारण पशुपालन भी प्रभावित होने से ग्रामीणों के आजीविका के साधन बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
 
कोट गांव- 285.95 नाली
पोखरी गांव- 106.5 नाली
सौड़ गांव- 83.65 नाली
दणमाण गांव- 85.4 नाली
सिदरी गांव- 65.8 नाली
भूमि बेचने को ग्रामीण स्वतंत्र
उत्तरकाशी : इस संबंध में गोविंद पशु विहार के उपनिदेशक जीएन यादव ने बताया कि अपनी भूमि पर खेती या उसे बेचने के लिये ग्रामीण स्वतंत्र हैं। ग्रामीणों को जमीन के महत्व को लेकर जागरूक होने की जरूरत है ताकि वे आजीविका के ठोस साधन विकसित कर सकें।
 
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7760082.html

ThethUttarakhandi

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Uttarakhand mai logo ki nak ke niche 16 karod ka ghotala

Sathiyo Uttarakhand mai BJP aur Congress ka mila jula 16 karod ka ghotala samne aaya hai. Ek Navodit pahadi aur avikasit rajya jiske pas vikas karne ke liye sansadhan nahi hai uske mukhiya ke liye ek bhavya aur aalisan mahal ka nirmaran karaya gaya aur woh bhi Dehradun mai. Asthai rajdhani mai bade nimaran to hone hi nahi chahiye the, kamchalau kam to dun mai ho hi raha tha, naye nirman karya to sthai rajdhani mai hi hona chahiye tha.
16 karod ka nirman karya aauchitya vihin hai. ek garib rajya ke CM ke liye itna bhavya mahal. Pahad ki janta ki khoon pasine ki kamai in haramkhoro ne udai. aisi kya jarurat ho gai thi ki asthai rajdhani mai CM aawas banwana pada??????
 Kya jahan abhi CM aawas tha wahan CM ke liye koi dikkt thi??????????
sthai rajdhani ka intjar kyo nahi kia gaya????????
Jabki vidhan bhawan aur anya bhawan abhi nahi bane hai aise mai CM aawas ka banana apne aap mai ek prasn khada karta hai.
yeh CM aawas nahi ek bahut bada ghotala hai jo BJP aur Congress nai milakar kiya hai, In ghotalebajo ne Uttarakhand ke SHAHIDO ka apman kiya hai.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जब तक उत्तराखंड के राजधानी का मुद्दा नहीं सुलझा है! अभी क्या जरुरत थी १६ करोड़ रूपये का मुख्या मंत्री आवास बनाने का ! इसका मतलब यह है की ना तो भारतीय जनता पार्टी और ना है कांग्रेस उत्तराखंड के लिए हितेषी पार्टिया नहीं है !

इन दोनों पार्टियों ने उत्तराखंड में दबा के भ्रष्टाचार किया है ! जिसके हाथ जितने भी साल का राज लगा, इन लोगो ने अपने घर भरे और जन भावनाओ के साथ खिलाड़ किया!

भोली भाली गरीब जनता के साथ धोखा किया है!  खूब पैसे बहा कर और झूठे दावे कर अगर ये पार्टिया चुहाव भी जीत लेते है लेकिन विकास तो फिर भी कोसो दूर है !

आज मैंने किसी पेपर में पड़ा था मुलायम सिह ने मायावती को नसीहत दी है को वो उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश की तरह भ्रष्ट करने की कोशिश न करे ! क्यों की बहुजन पार्टी इस चुनाव में बड़े स्तर वहां चुनाव लडेगी!

चलो बहुजन समाज पार्टी फिर भी ठीक! लेकिन मुलायम सिह को उत्तराखंड के बारे में कुछ कहने के हाक नहीं है !

मुलायम सिह उत्तराखंड के आन्दोलन कारियों का सबसे बड़ा gunehaar है ! उन्ही के शाशन काल में
मुज्जफरनगर जैसे काण्ड हुवा था!
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जनता को सोच समझकर ही वोट करना चाहिए !




एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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 See the water crisis in Uttarkhand...  -----------------------------------
   पानी की खातिर 40 किमी दूर जल निगम मुख्यालय पहुंचे ग्रामीण 
बाराकोट विकास खण्ड के चमनपुर व निगालीगाड़ लोगों को पानी ने इतना रूलाया कि वे मंगलवार को 40 किमी दूर लोहाघाट पहुंच गये तथा जल निगम के अधिशासी अभियंता का घेराव कर दिया।
चमनपुर ग्राम विकास समिति के अध्यक्ष पूर्णानन्द जोशी के नेतृत्व में पहुंचे लोगों ने जल निगम के अधिशासी अभियंता का घिराव कर शीघ्र पेयजल सुविधा उपलब्ध कराने की माग की। ग्रामीणों का कहना था कि दैवीय आपदा के तहत ध्वस्त हुई क्षेत्र की पेयजल योजना की मरम्मत के लिए ढ़ाई लाख रुपये स्वीकृत किए गए थे लेकिन इस धनराशि से योजना का निर्माण पूरा होने के बाद भी लोगों को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ा रहा है। ग्रामीणों ने पेयजल योजना को सफेद हाथी बताते हुए निर्माण में धांधली बरतने का आरोप लगाते हुए जांच करने की मांग की। अधिशासी अभियंता द्वारा बुधवार को स्वयं गाव का दौरा कर समस्या का स्थानीय समाधान करने का भरोसा देने पर ग्रामीण शान्त हुए। घेराव करने वालों में बाराकोट कांग्रेस के पूर्व ब्लाक अध्यक्ष चेतराम शर्मा, किशोर प्रमोद जोशी, पंत, भुवन चंद्र, मुकेश जोशी, अंबादत्त, गिरीश चंद्र, महेश जोशी समेत दर्जनों लोग शामिल थे।
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7769082.html

ThethUttarakhandi

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कोरे साबित हुए सीएम के आश्वासन May 27, 06:52 जागरण कार्यालय,
मुनस्यारी: सीमांत विकासखंड तमाम समस्याओं से जूझ रहा है। क्षेत्र की शिक्षा, चिकित्सा, विद्युत, संचार और यातायात व्यवस्थाएं बदहाल हैं। इन मामलों को लेकर एक वर्ष पूर्व सीएम द्वारा दिए गए आश्वासन भी कोरे साबित हुए हैं। जिससे क्षेत्रवासियों में गहरा आक्रोश व्याप्त है।

मुनस्यारी विकासखंड की सर्वाधिक आपदा से जूझ रहा है। पिछले एक दशक से आपदा से जूझ रहे इस क्षेत्र के लोगों के पुनर्वास को लेकर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। लोग जर्जर हाल भवनों में भय के साए में जीने को मजबूर हैं। विद्यालयों में शिक्षक नहीं होने से प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा की स्थिति बदहाल है। स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर दूरस्थ के कुछ गांवों में एएनएम सेंटर ही खोले गए हैं। समकोट, क्वीरीजिमियां, सांईपोलू सहित एक दर्जन गांवों में विद्युत नहीं है। ग्राम प्रधान धरम सिंह और देवेन्द्र सिंह ने बताया कि पिछले वर्ष क्षेत्र में आए मुख्यमंत्री को इन समस्याओं से प्रमुखता से अवगत कराया गया था। जिस पर सीएम द्वारा शीघ्र समाधान का आश्वासन देते हुए संबंधित विभागों को निर्देश दिए थे। परंतु एक वर्ष का समय बीतने के बाद भी कोई सुध नहीं ली गई है। इसके खिलाफ ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश व्याप्त है। यदि समस्याओं का समाधान नहीं किया जाता है तो पूरे क्षेत्र की जनता आंदोलन छेड़ने को बाध्य होगी।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7782888.html

ThethUttarakhandi

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उत्तराखंड का विकास - एक नज़र सीमांत जिला पिथोरागढ़ भाग १
विरोध दिवस मनायेगी आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन
मृग विहार की सीमा नहीं घटाने से विकास कार्य ठप
पेयजल योजना ध्वस्त होने से ग्रामीण परेशान
तीन सूत्रीय मांगें पूरी नहीं होने से गुरिल्लों में आक्रोश
नगर पंचायत की घोषणा न होने से गंगोलीहाटवासी मायूस
छाए रहे शिक्षा व सड़क के मामले
(http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4-5-129.html)

एक वर्ष से ध्वस्त पड़ा है मदकोट-वल्थी पैदल मार्ग
जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन
विकलांगों के आंदोलन को एक माह पूरा
अव्यवस्था को लेकर सड़कों पर उतरे कांग्रेसी
चिकित्सा व्यय का भुगतान न होने पर पेंशनर्स नाराज
जांच की मांग को लेकर धरना जारी
करंट से झुलसे व्यक्ति की इलाज के दौरान मौत
तहसील की मांग को लेकर अनशन
मांगें पूरी न होने पर 16 से आमरण अनशन करेगा चेतराम
बेरीनाग में शीघ्र खोला जाय युवा भवन
(http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4-5-129.html?pgn_current=3)

दो वर्षो से शोपीस बना है सेटेलाइट फोन
केदार कालोनी सहित विभिन्न हिस्सों में पेयजल संकट
कीड़ा जड़ी दोहन की अनुमति नहीं मिलने से ग्रामीण मायूस
नियमित नियुक्तियां करे सरकार
थल थाने में पुलिस वाहन चालक तक नहीं
हिमनगरी में पर्यटन पुलिस तैनात करने की मांग
(http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4-5-129.html?pgn_current=4)

जर्जर हो गया सिमलकोट का पाठशाला
हड़ताल में जाने की चेतावनी
गंगावली जिले की मांग को लेकर आंदोलन जारी
गणाई क्षेत्र में पानी को लेकर हाहाकार
विकलांगों ने दी उग्र आंदोलन की धमकी
आंदोलन पर डटे रहने की चेतावनी
77 वें दिन भी क्रमिक अनशन जारी (देवलथल को तहसील बनाने की मांग) (May 18, 10:08 pm ) lagbhag 3 mahine se ansan
सार्वजनिक स्थलों से शराब की दुकान हटाने की मांग
आठ घंटे गुल रही बिजली
वर्षा के बाद भी नहीं मिल रहा पीने का पानी
आधे घंटे की वर्षा ने खोली ड्रेनेज सिस्टम की पोल
तहसील की मांग को लेकर बंद रहा कनालीछीना बाजार
17 वें रोज भी जारी रहा जवानों का आंदोलन
विकलांग मांगों पर कायम
सीएम की घोषणाओं उठा सवाल
धारीगाड़ में एक पखवाड़े से बिजली आपूर्ति ठप
तहसील की मांग को लेकर कनालीछीना व देवलथल में धरना

१० सालो की विकास गाथा लिखने में पता नहीं कितना समय लगेगा ................................................
अगली बार एक नए जिले के विकास के साथ फिर आऊंगा

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बाल बाल बचे निशक साब. कुर्सी छिनने वाली थी!

भारतीय जनता पार्टी ने और उनके चहेते गडकरी ने कल उनको ४-५ महीने तक के लिए मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का जीवन दान दिया !

लेकिन लगता नहीं है की जनता चुनाव में उनको अगले पांच साल के लिए कुर्सी देने वाली है !

इसके लिए भारतीय जनता पार्टी ही मुख्य रूप से जिम्मेवार है उन्होंने इतने मुख्य मंत्री जो पैदा कर दिए है वहां

विकास कम मुख्यमंत्री जायदे !

धन्य हो..


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Public is crying for development. In most of the surveys carried out, it apperas the BJP is not coming to power again in UK.
 
The 5 of the BJP Govt has been big failure.
 
No development .. only fight for chair.
 
Koshiyari > Khanduri then Nishank.
 
 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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     Harendra S Madeti Now all of us, Uttarakhandis, are gearing up for the next Assembly elections. It is, therefore, the right time to ponder over our options. We have tried all options available with the BJP and Congress. And we have seen what they have done or not done for the people of Uttarakhand. From their actions it is clear that the so called national parties do hardly care for the regional or the local interests. Their interests can best be served, if at all, only by some regional outfit. Then what is the option now available with the Uttarakhand electorate? In the scenario the only viable option seems to be that of UKD (Uttarakhand Kranti Dal). In fact these poor people have done much more for the people of Uttarakhand, including sacrificing for the creation of State, than any other political party. However, they have not yet received any reward for their services. It is therefore high time that the option of trying UKD must be given a chance. This, in spite of the fact that in India or for that matter in any state of India better options are rarely available. We have recently seen the results of West Bengal, Tamilnadu and even the past results of our mother state Uttar Pradesh. Poor electorate of all these states! They had to go in for worse choices. May be the similar fate awaits the people of Uttarakhand. But then there is no harm in giving UKD a chance to prove themselves. I am sure given their regional feelings they will at least not harm the interests of the hill State as the other so called national parties have been doing all these years.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मेरी राय में कोई क्षेत्रीय पार्टी का उत्तराखंड में आना जरुरी है अब !


 

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