यह उत्तराखण्ड का दुर्भाग्य है कि यहां की पानी और जवानी ही नहीं, बल्कि यहीं की मिट्टी में पला-बढा़ और सफल व्यक्ति भी उत्तराखण्ड के काम नहीं आता। आज हमारे उत्तराखण्ड मूल के कई लोग ऎसे प्रतिष्ठित पदों पर बैठे हैं कि वह अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके बहुत कुछ इस प्रदेश के लिये कर सकते हैं। लेकिन......जो जाता है वह आता नहीं, कहता है कि पहाड़ बहुत दूर है, बच्चे चल नहीं पाते, हम भी अब बूढ़े हो गये..इत्यादि।