खानापूर्ति बन गई स्वास्थ्य सेवाएंFeb 04, 09:54 pm
कर्णप्रयाग (चमोली)। यात्रामार्ग के मुख्य स्थानों पर स्वास्थ्य सेवायें महज खानापूर्ति बनकर रह गई हैं। सरकार ग्रामीण सहित नगरीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना तो कर रही है लेकिन चिकित्सकों की तैनाती न होने से स्थानीय गरीब तबके के साथ ही सैर सपाटे को आने वाले सैलानियों व श्रद्धालुओं को भी इनका लाभ नहीं मिल पा रहा।
बद्रीनाथ यात्रा के केंद्रवर्ती स्थल कर्णप्रयाग में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र वर्षो से फिजिशियन व आर्थोपेडिक की बाट जोह रहा है। दुर्घटना के समय व गंभीर रोगियों को लाने के वक्त संसाधनों का अभाव कभी-कभार शेष रही जीवन-रेखा को भी समाप्त कर देता है। रोगी अन्यत्र ले जाते समय रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। पीड़ा को सहलाने के सिवा राजनेता सुविधायें उपलब्ध कराने की दिशा में कोई कारगर कदम नही उठाते। डाक्टर सुविधाओं के अभाव में यहां आना नहीं चाहते। नगर क्षेत्र में जहां कमोवेश कुछ सुविधाएं डाक्टरों को मिल जाती है वहां जब यह हालत है तो ग्रामीण अंचलों के स्वास्थ्य केन्द्रों की क्या दशा होगी , सहज अनुमान लगाया जा सकता है। जनपद के अंतिम हिल स्टेशन देवाल में भी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोला गया है। यहां मानक के अनुसार एक महिला व 2 अन्य चिकित्सकों की तैनाती होनी चाहिए लेकिन यहां एक ही चिकित्सक है इसी तरह गैरसैंण में स्वीकृत 9 पदों के सापेक्ष वर्तमान में 3 चिकित्सकों की तैनाती है जबकि थराली में स्वीकृत 9 पदों के सापेक्ष एक पद, नारायणबगड़ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में 6 के सापेक्ष 2 ही चिकित्सक तैनात हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में पैथोलाजिस्ट, रेडियोलोजिस्ट,लैब टैक्नीशियन व महिला चिकित्सकों का टोटा वर्षो से बना है। थराली, देवाल, गैरसैंण, नारायणबगड़ के बाशिंदों को यहां मुकम्मल सुविधाओं के अभाव में इलाज के लिए देहरादून जाना पड़ता है। क्षेत्र के बाशिंदों का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा भले ही सचल सेवा 108 शुरू की लेकिन इस सेवा से मरीज तभी लाभान्वित होंगे जब अस्पतालों में चिकित्सक के साथ-साथ आवश्यक संसाधन हों। यहां अधिकांश आयुर्वेदिक अस्पताल किराये के भवनों में संचालित हैं तो अधिकांश में संविदा डाक्टरों की नियुक्ति कर इतिश्री की गयी है। देवाल में मानमति,घेस,वांण,मुंदोली के आयुर्वेदिक केन्द्र फार्मासिस्टों के भरोसे हैं जबकि गैरसैंण के बछुवावांण,माईथान व भराड़ीसैंण केन्द्रों में फार्मेसिस्ट ही तैनात नही हैं कई केन्द्रों पर चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के हवाले इन आयुष केन्द्रों को छोड़ा गया है।
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_5210433.html