Author Topic: God Vs. Medical - उत्तराखंडियो की स्वास्थ्य जा्गरुकता: चिकित्सा बनाम देवता  (Read 11221 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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खानापूर्ति बन गई स्वास्थ्य सेवाएंFeb 04, 09:54 pm

कर्णप्रयाग (चमोली)। यात्रामार्ग के मुख्य स्थानों पर स्वास्थ्य सेवायें महज खानापूर्ति बनकर रह गई हैं। सरकार ग्रामीण सहित नगरीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना तो कर रही है लेकिन चिकित्सकों की तैनाती न होने से स्थानीय गरीब तबके के साथ ही सैर सपाटे को आने वाले सैलानियों व श्रद्धालुओं को भी इनका लाभ नहीं मिल पा रहा।

बद्रीनाथ यात्रा के केंद्रवर्ती स्थल कर्णप्रयाग में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र वर्षो से फिजिशियन व आर्थोपेडिक की बाट जोह रहा है। दुर्घटना के समय व गंभीर रोगियों को लाने के वक्त संसाधनों का अभाव कभी-कभार शेष रही जीवन-रेखा को भी समाप्त कर देता है। रोगी अन्यत्र ले जाते समय रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। पीड़ा को सहलाने के सिवा राजनेता सुविधायें उपलब्ध कराने की दिशा में कोई कारगर कदम नही उठाते। डाक्टर सुविधाओं के अभाव में यहां आना नहीं चाहते। नगर क्षेत्र में जहां कमोवेश कुछ सुविधाएं डाक्टरों को मिल जाती है वहां जब यह हालत है तो ग्रामीण अंचलों के स्वास्थ्य केन्द्रों की क्या दशा होगी , सहज अनुमान लगाया जा सकता है। जनपद के अंतिम हिल स्टेशन देवाल में भी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोला गया है। यहां मानक के अनुसार एक महिला व 2 अन्य चिकित्सकों की तैनाती होनी चाहिए लेकिन यहां एक ही चिकित्सक है इसी तरह गैरसैंण में स्वीकृत 9 पदों के सापेक्ष वर्तमान में 3 चिकित्सकों की तैनाती है जबकि थराली में स्वीकृत 9 पदों के सापेक्ष एक पद, नारायणबगड़ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में 6 के सापेक्ष 2 ही चिकित्सक तैनात हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में पैथोलाजिस्ट, रेडियोलोजिस्ट,लैब टैक्नीशियन व महिला चिकित्सकों का टोटा वर्षो से बना है। थराली, देवाल, गैरसैंण, नारायणबगड़ के बाशिंदों को यहां मुकम्मल सुविधाओं के अभाव में इलाज के लिए देहरादून जाना पड़ता है। क्षेत्र के बाशिंदों का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा भले ही सचल सेवा 108 शुरू की लेकिन इस सेवा से मरीज तभी लाभान्वित होंगे जब अस्पतालों में चिकित्सक के साथ-साथ आवश्यक संसाधन हों। यहां अधिकांश आयुर्वेदिक अस्पताल किराये के भवनों में संचालित हैं तो अधिकांश में संविदा डाक्टरों की नियुक्ति कर इतिश्री की गयी है। देवाल में मानमति,घेस,वांण,मुंदोली के आयुर्वेदिक केन्द्र फार्मासिस्टों के भरोसे हैं जबकि गैरसैंण के बछुवावांण,माईथान व भराड़ीसैंण केन्द्रों में फार्मेसिस्ट ही तैनात नही हैं कई केन्द्रों पर चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के हवाले इन आयुष केन्द्रों को छोड़ा गया है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_5210433.html

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लैब व एक्सरे टैक्नीशियन की शीघ्र होगी नियुक्ति

प्रदेश के स्वास्थ्य राज्य मंत्री बलवंत सिंह भौंर्याल ने गुरुवार की देर शाम कनालीछीना और डीडीहाट के स्वास्थ्य केन्द्रों का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने डीडीहाट में लैब व एक्सरे टैक्नीशियनों की शीघ्र नियुक्ति करने की बात कही।

स्वास्थ्य राज्य मंत्री बलवंत सिंह भौंर्याल ने गुरवार को सबसे पहले कनालीछीना स्वास्थ्य केन्द्र का निरीक्षण किया और चिकित्सकों से व्यवस्थाओं की जानकारी ली। इसके बाद डीडीहाट में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का निरीक्षण किया। इस मौके पर पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा लैब व एक्सरे टैक्नीशियनों की कमी के कारण मरीजों को होने वाली दिक्कतों से अवगत कराया, जिस पर मंत्री ने शीघ्र चिकित्सालय में टैक्नीशियनों की नियुक्ति करने की बात कही।

उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी चिकित्सा व्यवस्थाओं में सुधार किया जायेगा। इसके बाद उन्होंने पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं की बैठक ली।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_5868889.html

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एसएसबी ने सीमांत गांवों में लगाये नि:शुल्क चिकित्सा शिविर

पिथौरागढ़: सशस्त्र सीमा बल(एसएसबी)ने धारचूला परिक्षेत्र के सीमांत गांवों में नि:शुल्क मानव और पशु चिकित्सा शिविरों का आयोजन किया गया। इन शिविरों में सैकड़ों मानवों और पशुओं का उपचार किया गया।

खुमती गांव में आयोजित शिविरों में एसएसबी के चिकित्सकों ने 450 मानव और 407 पशुओं का उपचार किया। बल की ओर से नि:शुल्क दवायें बांटी गयी। तीन दिवसीय शिविर का समापन सिपू गांव में हुआ। शिविरों के दौरान क्षेत्र संगठक ज्ञान चंद ने ग्रामीणों को सीमा पर रखी जाने वाली सावधानियों के बारे में बताया।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_5866316.html

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CHALO KUCHH TO HUWA KAAM NAHIN TO NAAM HI SAHI "SOME THING BETTER THEN NUTHING"

देश की श्रेष्ठ मेडिकल लाइब्रेरी गढ़वाल में



श्रीनगर गढ़वाल (पौड़ी)। प्रदेश का पहला राजकीय मेडिकल कालेज अपनी स्थापना के तीन साल के भीतर देश की श्रेष्ठ मेडिकल लाइब्रेरी बनकर उभरा है। लाइब्रेरी में लगभग दो सौ देशी- विदेशी जर्नल्स उपलब्ध हैं। इसके अलावा नौ हजार किताबों के भंडार के साथ यह लाइब्रेरी देश के बड़े मेडिकल कालेजों को टक्कर देने को तैयार हैं।

श्रीनगर स्थित मेडिकल कालेज की स्थापना तीन वर्ष पूर्व हुई थी। कालेज के प्राचार्य डा. विपेंद्र सिंह चोपड़ा ने बताया कि लाइब्रेरी में 142 विदेशी जर्नल्स के साथ 18 भारतीय व 41 अन्य प्रतिष्ठित जर्नल्स भी लाइब्रेरी में उपलब्ध हैं। विश्व प्रतिष्ठित नेचर, ब्रिटिश मेडिकल जर्नल्स लेनसेट सहित अन्य कई उच्चतम रेटिंग के लेटेस्ट जर्नल भी लाइब्रेरी में मौजूद हैं।

 खास बात यह है कि इन सभी जर्नल्स के दस साल पुराने वाल्यूम्स भी उपलब्ध हैं। प्राचार्य डा. चोपड़ा ने बताया कि 21 महत्वपूर्ण रिसर्च जर्नल्स तो उन्होंने खुद अपनी ओर से लाइब्रेरी को डोनेट किए हैं। इसके अलावा मेडिकल छात्रों के लिए लगभग नौ हजार अपडेट मेडिकल किताबें भी लाइब्रेरी में हैं, जिनमें से कई किताबों का मूल्य प्रति पुस्तक 19 हजार रुपये से भी अधिक है।

प्राचार्य डा. चोपड़ा ने बताया कि मेडिकल कालेज के सीनियर फैकल्टी सदस्यों ने भी कालेज को पचास पुस्तकें दी हैं। डा. चोपड़ा ने बताया कि छात्रों को अपडेट जानकारियां देने को विशेष थेरेपेटिक बुलेटिन भी शुरू किया गया है। इसके अलावा फैकल्टी के लिए रेफरेंस मेडिकल बुक्स को भी लाइब्रेरी में रखा गया है।

अन्य मेडिकल कालेजों में एमडी, एमएस जैसे पीजी पाठ्यक्रमों के साथ ही सुपरस्पेशलिटी पाठ्यक्रम भी पिछले कई सालों से संचालित हो रहे हैं। जबकि श्रीनगर मेडिकल कालेज में अभी एमबीबीएस द्वितीय वर्ष का पहला बैच ही चल रहा है। इतनी अल्प अवधि में मेडिकल लाइब्रेरी को अपडेट करने के लिए प्राचार्य डा. विपेन्द्र चोपड़ा की प्राथमिकता भी रंग लायी। प्राचार्य डा. चोपड़ा लगभग प्रतिदिन लाइब्रेरी के कार्यो का अवलोकन भी करते हैं।



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