Uttarakhand > Development Issues - उत्तराखण्ड के विकास से संबंधित मुद्दे !

Growth of tiger (Bagh) in Uttarakhand

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Devbhoomi,Uttarakhand:
रामनगर: टाइगर कॉरिडोर से सटा सुंदरखाल गांव बाघ की दहाड़ से फिर थर्रा उठा। कुछ दिन की शांत रहने के बाद बाघ आसपास ही नहीं मंडराया बल्कि इस बार वह एक ग्रामीण के घर से सटी रसोई में जा घुसा और पूरा सामान बिखेर डाला। इधर वन कर्मियों ने कहा, रसोई के फर्श पर मिले पदचिह्न गुलदार के हैं। बहरहाल, गांव में एक बार फिर दहशत का माहौल है।

पखवाड़े भर तक सुंदरखाल में बाघ के पदचिह्न न मिलने व दहाड़ न सुनाई देने से खौफ कुछ कम हुआ था। मगर बीती सोमवार की रात बाघ फिर गांव में घुस आया। कुछ देर दहाड़ने के बाद वह ग्रामीण खुशाली राम रसोई में जा घुसा और सारा सामान अस्त-व्यस्त कर डाला।


अगर टाइगर ऐसे ही लोगों के घरों में घुसेंगे तो फिर क्या होगा उन गाँव वालों का जिनके बच्चों को बाघ ने निवाला बना दिया है,अभी तक तक तो कोई भी किसी ने भी आवाज नहीं उठाई,अगर बाघ ऐसे ही आतंक मचाते रहे तो कोई भी टाइगरों नहीं बचा सकता चाहए वो धोनी हों या निशंक

Devbhoomi,Uttarakhand:
शिकारी दल ने आदमखोर गुलदार को मार गिराया,घनसाली, निज प्रतिनिधि: भिलंगना के बालगंगा रेंज में पिछले कई दिनों से आतंक का पर्याय बने गुलदार को रविवार की रात वन विभाग के शिकारी दल ने मार गिराया। गुलदार का खात्मा करने के बाद से प्रभावित क्षेत्र के लोगों ने राहत की सांस ली है।

विदित हो कि बालगंगा रेंज के अंर्तगत दो दिन पूर्व गुलदार ने एक तेरह वर्षीय किशोरी को निवाला बना दिया था इसके बाद से क्षेत्र में दहशत का माहौल बना हुआ था। इसको लेकर क्षेत्रवासियों ने वन विभाग के खिलाफ शव को लेकर धरना प्रदर्शन शुरू किया था। लोगों के आक्रोश को देखते हुए घटना के बाद वन विभाग हरकत में आया और गुलदार को आदमखोर घोषित कर दिया। बीती रविवार की रात्रि को वन विभाग के शिकारी दल ने उसे आदमखोर गुलदार को मार गिराया। जिससे लोगों ने अब राहत की सांस ली है। उधर वन रेंज अधिकारी अनिल कुकरेती ने बताया कि मृतक गुलदार छह वर्षीय मादा थी और उसका एक दांत भी टूटा था। पशुचिकित्सकों के पोस्टमार्टम करने के बाद वन विभाग ने गुलदार के शव को नदी के किनारे जला दिया। उन्होंने बताया कि पीड़ित परिवार को विभाग की तरफ से पांच हजार की आर्थिक सहायता दी गई है!

दोस्तों अब आप ही बताओ की आप लोगों को बचाओगे या टाइगरों को


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

बिलकुल जाखी जी.... विगत कुछ वर्षो से उत्तराखंड बाग़ के लोगो को खाने की घटनाएं काफी बढ गयी है!

नरभक्षी शेरो ने कई लोगो को अपना निवाला बनाया है गावो में!  टाईगर को बचाना अच्छा कार्य है लेकिन नरभक्षी शेरो के सलाखों के पीछे होना चाहिए यानी .. चिड़ियाघरो में ! 

वन विभाग को सचेत होना चाहिए जब भी इस प्रकार की धटनाये आये!

 

Devbhoomi,Uttarakhand:
टाइगर से पहले इन्शान बचाओ अभियान चलाना पड़ेगा पहले,न की टाइगर,और और गांवों मैं जो टाइगर का तहलका मचाया हुवा है ऐसे टाइगरों को तो बचाना ही नहीं चाहिए उन्हें मार दिया जाना चाहिए !

Anil Arya / अनिल आर्य:
देश में कितने हैं बाघ आज हो जाएगा साफ
वन मंत्रालय की ओर से जारी की जाएगी संख्या पर रिपोर्ट
अमर उजाला ब्यूरो
देहरादून। बहुत दिनों से प्रचारित किया जा रहा था देश में सिर्फ 1411 बाघ बचे हैं। इस दौरान कई के मारे जाने की भी खबरें आईं। कुछ शावकों के पैदा होने की भी बात कही गई। आज बाघों की संख्या की हकीकत से पर्दा उठ जाएगा। यह भी पता लगेगा कि कौन सा राज्य बाघ संरक्षण में आगे रहा है। सोमवार को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय नई दिल्ली में बाघों की संख्या के बाबत रिपोर्ट जारी करेगा।
पिछले साल देश भर के पार्कों में बाघों को लेकर गणना की गई थी। इसको लेकर विभिन्न राज्यों से देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्था के पास रिपोर्टें आई थी। रिपोर्ट आने के बाद भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा लगभग आठ माह तक किए गए मैराथन मंथन के बाद बाघों की गणना पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई है। इस रिपोर्ट में देश भर के एक-एक राष्ट्रीय पार्कों में रहने वाले बाघों की गणना की गई है।
इस रिपोर्ट के आने के बाद यह स्पष्ट हो जाएगा कि कौन से राज्य बाघ संरक्षण को लेकर चिंतित है और कौन से राज्य उदासीन बने हुए है। क्योंकि, बाघों की संख्या ही पूरी तसवीर को खुद ब खुद बयां करेगी। इस रिपोर्ट को लेकर उत्तराखंड में भी हलचल का माहौल है। प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव श्रीकांत चंदोला ने बताया कि रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
राष्ट्रीय पार्कों में स्थिति की मिलेगी जानकारी
भारतीय वन्यजीव संस्थान ने बनाई है यह रिपोर्ट
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