Author Topic: Hindrance In Progress - उत्तराखंड के विकास मे क्या अवरोध है?: क्या पहाड़ मस्त?  (Read 13259 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

Thanks Umesh Ji / Pratap Ji and others for sharing your views.



हम लोग शराब के बारे कुछ जयदे बदनाम, एक बार एक pragramme में अभिनेता टॉम आल्टर मंच पर बोलने के लिए आये और कहने लगे मेरी पैदायस मसूरी की है मै भी पहाडी हूँ लेकिन शराब नहीं पीता हूँ तो लोग हसने लगे ! पहाडी और शराब नहीं पीता!

Impossible... to kuch image yesi hai.

पकंज दा ने सही लिखा की खुसी में शराब गम में शराब ............... मैं अपने गाँव में देखता हूँ तो १२ साल की उम्र  से ७० वरस के बुडे तक लगभग सभी शराब पीते अगर लोगों (१२ वर्ष से ऊपर मर्द ) की संख्या ३० है तो उसमे से २५ लोग शराब पीते है ...
हालत इतनी बुरी है कि बाप और बेटा एक साथ ही पी रहे है ........  चलो यहाँ तक भी हो तो कोई बात नहीं पी कर गालियों का और गंदे पर्वचनो का जो दोंर चालू होता है वो तभी बंद होता है जब या तो कोई एक दो हाथ रख दे या शराब का नशा उतर जाय ....
एक  गाँव का विकास निर्भर करता है वहां के निवासियों पर जब हम ही नशे में डुबे रहेंगे तो विकास कि किसे खबर ..... और सामने वाला जब ये जानता है तो वह  वोट मांगने से पहले शराब पिला देता है और फिर हम ये कही नहीं सकते कि तुने हमारे गों के लिये क्या किया .............
मुझे सबसे ज्यादा दुःख होता है जब हमारी पीढी या हमसे काफी छोटे जिन्हें हम बच्चे कहते है नशे में धुत होते है चाहे शराब के नसे में या दम के नशे में .............
कल के  बच्चे जब हम घर जाते है तो बोलते है आये ज कर दा .................? मतलब पैसा दो दावत यानि शराब के लीय ... उनको तो शर्म नहीं है मगर मुझे बहुत शर्म और अफ़सोस होता है कि दुनिया कहाँ पहुँच गयी है मेरे गाँव के बच्चे शराब के ठेके तक ही पहुँच पाते है .......... पुरानी  पीढी  तो चलो गो हो गया  है  हो गया है और कितने साल है उनके २०-२५ साल  मगर नयी पीढी भी उसी और जा रही है ................
सरकार को कुछ करना चाहिय नहीं तो आने वाली पीढी को नशा बिलकुल बर्बाद कर देगा ....... किसी से गाँव में बोलो तो बोलता है अरे माहोल ही एसा है ..............

पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
शराब पीना बुरी बात नहीं है, कभी-कभार मैं भी पीता हूं, लेकिन शराब को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लेना गलत है। मैने व्यवहार में देखा है कि पहाड़ में जिस आदमी के पास आमदनी का कोई जरिया नहीं है, वह मजदूरी करके जो पैसे कमाता है, दिहाड़ी मिलते ही शराब पी लेता है और उसकी बीबी दूसरों के खेत में काम करके अपने और अपने बच्चों का पेट पालती है। उसमें भी इस आदमी की शाम को तड़ी होती है कि मुझे शराब पीने के लिये पैसे दे, क्योंकि इसे मालूम है कि फलां के खेत में काम करके इसे आज पैसे मिले हैं।
       शराब का इतनी व्यापक पकड़ मैने उत्तराखण्डियों के अलावा कहीं नहीं देखी। मेरे क्षेत्र देवलथल जिसकी आबादी ५-६ हजार के आस-पास है, वहां पर एक दिन में कम से कम २५० लीटर शराब की खपत है, लगभग हर दुकान में शराब बिकती है, लेकिन प्रशासन को यह अपराध पता नहीं क्यों नजर नहीं आता? मैने यह भी देखा कि जो दुकानदार शराब बेचता था या है, वह आज करोड़पति होकर मारुति जेन में घूम रहा है और जो बेचारा ईमानदारी से दुकानदारी कर रहा था, वह मक्खी मार रहा है।
      शराब से आज भी कई घरों में क्लेश है, लेकिन इस व्यापक और आम समस्या के निदान के लिये सरकार या कोई भी एन०जी०ओ० कुछ काम नहीं कर रहा, पूरा पहाड़ शराब में जकड़ गया है.........पता नहीं इसका अंत क्या होगा???

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

There is mentioned of Dharu in folk songs of Uttarakhand.. See the under mentioned song.



रेखा धस्व्माना और गोपाल बाबू गोस्वामी का यह गाना जो की शराब पर ही बना है
===========================================================

रेखा जी :

ठाड़ उठो मेरी खिमुली बाबा
खुली गे राता, तुमीली करी हैलो भागी बड़ी गजब

गोस्वामी जी

मील (मैंने) ना पीना ना पीन कौछी
वीली नी मानी, चितुवा , पितुवा लीघियो
मीके भागी ..

रेखा जी :

हे भगवाना, कब के करो, अब का मरो
तनखा सबो फुकी आछा, खिमुली बाबा

गोस्वामी जी

सौ पचास पड़ी होला
कुरता जेबा
काज प्याज मा लूना देगे घटा घटी
रेखा जी :

ठाड़ उठो मेरी खिमुली बाबा
खुली गे राता, तुमीली करी हैलो भागी बड़ी गजब



vivekpatwal

  • Newbie
  • *
  • Posts: 21
  • Karma: +1/-0
हमारे प्रदेश की सबसे खतरनाक बीमारी पर राणा जी ये गीत,

ये शराबे  की थेली ये शराबे  की थेली
अब कतुका दिन तक तू पहाडा माँ रेली, ये शराबे  की थेली
दुश्मन का बाटी या पड़ी तू  पहाडा की काव - तू  पहाडा की काव
खान पीनी में सोकी तुल  मोव लगे हाय डाव - तुल  मोव लगे हाय डाव
तेरी गत कसिका हेली- तेरी गत कसिका हेली शराब की थेली,
देविथाना  का पुजारी ज्यूँ या  मंदिर का बाबा - मंदिर का बाबा
पाठशाला का पंडित जू, और पंडित ज्यूँ का श्यावा- पंडित ज्यूँ का श्यावा
तुल च्यल न छोडा  न चेली, ऐ शराब की थेली - ऐ शराब की थेली,

अड़्याट

  • Newbie
  • *
  • Posts: 16
  • Karma: +2/-0
शराब का दोष नहीं है,
शराब पीने और पिलाने वालों का दोष है,

चुनाव में कितनी शराब परोसी जाती है, किसी से छिपा नहीं है, इन्हीं जनप्रतिनिधियों के हवाले हमारा भविष्य है।
अब क्या कहें शराब विरोधी आन्दोलन की शुरुआत करने वाले उत्तराखण्ड में ३० % शराब की दुकानें महिलाओं के नाम पर हैं।

फिर भी जय हो!

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

Thank u sir ji.. For your views.

शराब का दोष नहीं है,
शराब पीने और पिलाने वालों का दोष है,

चुनाव में कितनी शराब परोसी जाती है, किसी से छिपा नहीं है, इन्हीं जनप्रतिनिधियों के हवाले हमारा भविष्य है।
अब क्या कहें शराब विरोधी आन्दोलन की शुरुआत करने वाले उत्तराखण्ड में ३० % शराब की दुकानें महिलाओं के नाम पर हैं।

फिर भी जय हो!

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
2009/4/13 Parambir Rawat <parambir.rawat@ymail.com>

उत्तराखंड राज्य के पीने वालों के लिए कैसी मंदी

Jब समस्त विश्व (भारत भी सम्मिलित है) मंदी की मार झेल रहा है वहीं उत्तराखंड आबकारी विभाग अपने राजस्व में भरी बढ़त देख रहा है |

कारण ?... राज्य में मदिरा की भारी खपत है |

शराब बिक्री आबकारी विभाग के राजस्व में प्रमुख भूमिका निभाता है | क्योंकि राज्य के पास राजस्व संसाधनों का आभाव है अतः यह भी कहा जा सकता है कि शराब कि बिक्री से ही आबकारी विभाग राजस्व कमाता है | और शराब बिक्री में बढोत्तरी आबकारी राजस्व में प्रत्यक्ष बढोत्तरी करती है |

िम्न लिखित तथ्यों पर गौर कीजिये:

इस वित्त वर्ष के लिए आबकारी विभाग द्वारा निर्धारित राजस्व लक्ष्य:______________501 करोड़ रुपये

इस वित्त वर्ष कि तीसरी तिमाही(सितम्बर-दिसम्बर 2008 ) के अंत तक प्राप्त राजस्व:___416 करोड़ रुपये

अर्थात बीती तीन तिमाहियों में , प्रत्येक तिमाही में प्राप्त राजस्व:_________________ 138.6 करोड़ रुपये

यदि यह क्रम बरकरार रहा तो इस वर्ष के अंत तक प्राप्त राजस्व:__________________554 करोड़ रुपये


वह राजस्व जो निर्धारित किए राजस्व से अधिक प्राप्त हुआ: _______554- 501 = 53 करोड़ रुपये

पूर्व निर्धारित एंव असल राजस्व प्राप्ति में बढ़त प्रतिशत: ____________________11 प्रतिशत


वित्त वर्ष 2007-08 में प्राप्त कुल राजस्व:_____________________________444 करोड़ रुपये

वित्त वर्ष 2007-08 कि तुलना में इस वर्ष कि राजस्व बढोत्तरी:_________________25 प्रतिशत

निष्कर्ष:

जहाँ पिछले वर्ष मदिरा पर राज्य के लोग औसतन 37 करोड़ रुपये प्रतिमाह व्यय कर रहे थे | इस वर्ष के अंत तक वे 46 करोड़ रुपये प्रतिमाह खर्च कर रहे होंगे |

यदि मोटे तौर पर राज्य कि जनसँख्या को एक करोड़ मान लिया जाय तो जहाँ पिछले वर्ष राज्य का एक व्यक्ति (महिला-पुरूष) मदिरा पर 37 रुपये प्रतिमाह खर्च कर रहा था वहीं इस वित्त वर्ष के अंत तक वह 46 रुपये खर्च कर रहा होगा | लगभग 25 प्रतिशत अधिक |

आबकारी विभाग के अनुसार सामान भौगोलिक संरचना वाले राज्यों जैसे हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर आदि कि तुलना में उत्तराखंड के निवासी शराब पर कहीं अधिक व्यय करते है |

हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर राज्य सराहना के पात्र हैं |

और उत्तराखंड राज्य को आत्म चिंतन कि आवश्यकता है |

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

I see many talented people who have ruined their families and career.

There is need to retrospect on this subject.

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22