Uttarakhand > Development Issues - उत्तराखण्ड के विकास से संबंधित मुद्दे !

Hindrance In Progress - उत्तराखंड के विकास मे क्या अवरोध है?: क्या पहाड़ मस्त?

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

Thank u sir ji.. For your views.


--- Quote from: अड़्याट on April 06, 2009, 03:10:01 PM ---शराब का दोष नहीं है,
शराब पीने और पिलाने वालों का दोष है,

चुनाव में कितनी शराब परोसी जाती है, किसी से छिपा नहीं है, इन्हीं जनप्रतिनिधियों के हवाले हमारा भविष्य है।
अब क्या कहें शराब विरोधी आन्दोलन की शुरुआत करने वाले उत्तराखण्ड में ३० % शराब की दुकानें महिलाओं के नाम पर हैं।

फिर भी जय हो!

--- End quote ---

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
2009/4/13 Parambir Rawat <parambir.rawat@ymail.com>

उत्तराखंड राज्य के पीने वालों के लिए कैसी मंदी

Jब समस्त विश्व (भारत भी सम्मिलित है) मंदी की मार झेल रहा है वहीं उत्तराखंड आबकारी विभाग अपने राजस्व में भरी बढ़त देख रहा है |

कारण ?... राज्य में मदिरा की भारी खपत है |

शराब बिक्री आबकारी विभाग के राजस्व में प्रमुख भूमिका निभाता है | क्योंकि राज्य के पास राजस्व संसाधनों का आभाव है अतः यह भी कहा जा सकता है कि शराब कि बिक्री से ही आबकारी विभाग राजस्व कमाता है | और शराब बिक्री में बढोत्तरी आबकारी राजस्व में प्रत्यक्ष बढोत्तरी करती है |

िम्न लिखित तथ्यों पर गौर कीजिये:

इस वित्त वर्ष के लिए आबकारी विभाग द्वारा निर्धारित राजस्व लक्ष्य:______________501 करोड़ रुपये

इस वित्त वर्ष कि तीसरी तिमाही(सितम्बर-दिसम्बर 2008 ) के अंत तक प्राप्त राजस्व:___416 करोड़ रुपये

अर्थात बीती तीन तिमाहियों में , प्रत्येक तिमाही में प्राप्त राजस्व:_________________ 138.6 करोड़ रुपये

यदि यह क्रम बरकरार रहा तो इस वर्ष के अंत तक प्राप्त राजस्व:__________________554 करोड़ रुपये


वह राजस्व जो निर्धारित किए राजस्व से अधिक प्राप्त हुआ: _______554- 501 = 53 करोड़ रुपये

पूर्व निर्धारित एंव असल राजस्व प्राप्ति में बढ़त प्रतिशत: ____________________11 प्रतिशत


वित्त वर्ष 2007-08 में प्राप्त कुल राजस्व:_____________________________444 करोड़ रुपये

वित्त वर्ष 2007-08 कि तुलना में इस वर्ष कि राजस्व बढोत्तरी:_________________25 प्रतिशत

निष्कर्ष:

जहाँ पिछले वर्ष मदिरा पर राज्य के लोग औसतन 37 करोड़ रुपये प्रतिमाह व्यय कर रहे थे | इस वर्ष के अंत तक वे 46 करोड़ रुपये प्रतिमाह खर्च कर रहे होंगे |

यदि मोटे तौर पर राज्य कि जनसँख्या को एक करोड़ मान लिया जाय तो जहाँ पिछले वर्ष राज्य का एक व्यक्ति (महिला-पुरूष) मदिरा पर 37 रुपये प्रतिमाह खर्च कर रहा था वहीं इस वित्त वर्ष के अंत तक वह 46 रुपये खर्च कर रहा होगा | लगभग 25 प्रतिशत अधिक |

आबकारी विभाग के अनुसार सामान भौगोलिक संरचना वाले राज्यों जैसे हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर आदि कि तुलना में उत्तराखंड के निवासी शराब पर कहीं अधिक व्यय करते है |

हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर राज्य सराहना के पात्र हैं |

और उत्तराखंड राज्य को आत्म चिंतन कि आवश्यकता है |

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

I see many talented people who have ruined their families and career.

There is need to retrospect on this subject.

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