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आप की राय - क्या होटल इंडस्ट्री उत्तराखंड का पर्यटन एव आर्थिक स्थिति बदल सकती है

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Author Topic: Hotels - क्या होटल इंडस्ट्री उत्तराखंड का पर्यटन एव आर्थिक स्थिति बदल सकती है?  (Read 9244 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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यदि पर्यटन को अच्छी दंग से बढावा दिया जाता, तो उत्तराखंड में लोगो के होटल व्यसाय का एक अच्छा साधन हो सकता है ! फिर से आके बात वही अटकती है, सरकार सरकार...

प्रवासी उत्तराखंडीयो को भी अपने राज्य के विकास भी भागीदारी करनी चाहिए !

Pratap Mehta

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बिलकुल सही मेहता जी, पर सरकार तो सरकार है साहब अब आप खुद ही देख लेना जारती का Panchayat Ghar पिछ्ले 4 या 5 सालो से अभी भी under construction है। इसकी फोटो मै आपको थोडी देर मे post करुगा।


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Uttarakhand is planning to set up a series of ‘green restaurants.’

The green restaurant is a pioneering initiative to promote the highly nutritious but lesser known cuisines of the hill state. The Uttarakhand Organic Commodity Board (UOCB), a state government society, has now decided to facilitate the setting up of such restaurants keeping in view the vast scope for tourism.

To start with, UOCB has invited expressions of interest (EIOs) for setting up, operation, maintenance and management of a green restaurant in Dehra Dun. Four EIOs have so far been received by UOCB, said Senior Programme Manager Binita Shah.

The concept of green restaurant is relatively new in Uttarakhand. In the proposed restaurant, local cuisines made from traditional crops like finger millet and amaranth would be served, which would be made from only organic ingredients. “Our aim is to serve the traditional cuisine for the cosmopolitan palate,” said Shah.

The menu of the restaurant would be such where dishes will be traditional and simple from organically grown ingredients which should be easy to digest with good nutrimental value. Also, innovation will be done in making the meals most commonly receptive without diminishing the traditional savour.

The meals served in the restaurant will be individual dishes, a mini meal, or a combo in which a starter, main course and a beverage can be included.

http://www.business-standard.com/india/news/green-restaurants-proposed-in-uttarakhand/385406/

सत्यदेव सिंह नेगी

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I also believe that hotel industry can definitly boost the tourism business of Uttrakhand. It can generate good employment to our Uttrakhandies Locals as theses days students choosing hospitality as career so lot of our people now can join at senior level in there

राजेश जोशी/rajesh.joshee

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होटल ईण्डस्ट्री उत्तराखण्ड की आर्थिक स्थिति को बदल सकती है पर हमें इस प्रकार से नियोजित करना होगा कि इसका लाभ प्रदेश के गरीब और बेरोजगार युवाओं को मिले। 
सबसे पहले सरकार की तरफ़ से नये पर्यटक स्थलों का चिन्हीकरण और उन स्थानों पर बुनियादी सुविधाऒं की व्यवस्था करना मुख्य कार्य होना चाहिये।  क्योंकि मसूरी, नैनीताल जैसे शहर इसीलिए पर्यटन में आगे हैं क्योंकि यहा पर बुनियादी सुविधाएं अच्छी हैं।  अन्य स्थानों पर भी बुनियादी सुविधाऎं उपलब्ध कराकर हमें पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाये छोटे और मध्यम स्तर के होटलों के निर्माण को बढ़ावा देना होगा।  क्योंकि उच्च श्रेणी के होटलों तो आवश्यतानुसार अपने आप बन जाते हैं और उनसे आम लोगों को कोई खास फ़ायदा होने वाला नही है । 
जिन लोगों के घर सड़क के पास हैं उनको सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान कर कुछ कमरे बनाने तथा उनको गैस्ट हाउस की तरह ईस्तेमाल करने की सुविधा प्रदान की जाये तो उससे उनका आर्थिक स्तर सुधरेगा और निम्न आय वर्ग के पर्यटक जो होटलों का खर्च नही वहन कर सकते वह भी इससे प्रदेश में आने को प्रोत्साहित होंगे।  इसके लिए हमें अपने पड़ोसी राज्य हिमाचल से बहुत कुछ सीखने को मिल सकता है, जो पर्यटन तथा फ़लोत्पादन के द्वारा आर्थिक रूप से हमारे राज्य से कही अधिक सम्पन्न है। 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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I fully agree with the views expressed by Joshi Ji and Negi ji.

If the tourism places are promoted properly, definitely there is scope of rising the hotel industry there. I am sure that this can genrate a lot of employment there.

The only thing rest with first initaitive from Govt to develop the infrastructure there. We have enough scope of tourism. We share almost the same geography like Himanchal Pradesh.



होटल ईण्डस्ट्री उत्तराखण्ड की आर्थिक स्थिति को बदल सकती है पर हमें इस प्रकार से नियोजित करना होगा कि इसका लाभ प्रदेश के गरीब और बेरोजगार युवाओं को मिले। 
सबसे पहले सरकार की तरफ़ से नये पर्यटक स्थलों का चिन्हीकरण और उन स्थानों पर बुनियादी सुविधाऒं की व्यवस्था करना मुख्य कार्य होना चाहिये।  क्योंकि मसूरी, नैनीताल जैसे शहर इसीलिए पर्यटन में आगे हैं क्योंकि यहा पर बुनियादी सुविधाएं अच्छी हैं।  अन्य स्थानों पर भी बुनियादी सुविधाऎं उपलब्ध कराकर हमें पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाये छोटे और मध्यम स्तर के होटलों के निर्माण को बढ़ावा देना होगा।  क्योंकि उच्च श्रेणी के होटलों तो आवश्यतानुसार अपने आप बन जाते हैं और उनसे आम लोगों को कोई खास फ़ायदा होने वाला नही है । 
जिन लोगों के घर सड़क के पास हैं उनको सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान कर कुछ कमरे बनाने तथा उनको गैस्ट हाउस की तरह ईस्तेमाल करने की सुविधा प्रदान की जाये तो उससे उनका आर्थिक स्तर सुधरेगा और निम्न आय वर्ग के पर्यटक जो होटलों का खर्च नही वहन कर सकते वह भी इससे प्रदेश में आने को प्रोत्साहित होंगे।  इसके लिए हमें अपने पड़ोसी राज्य हिमाचल से बहुत कुछ सीखने को मिल सकता है, जो पर्यटन तथा फ़लोत्पादन के द्वारा आर्थिक रूप से हमारे राज्य से कही अधिक सम्पन्न है। 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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पहाड़ों में होटल सबसे बड़ा उद्यमJul 02, 12:59 am

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए प्रारंभ की गई विशेष एकीकृत प्रोत्साहन नीति-2008 के परिणाम बताते हैं कि पहाड़ों में सबसे बड़ा उद्यम होटल है। अधिकांश उद्यमियों ने होटल और रिजार्ट के लिए आवेदन किया है। पहाड़ों में उत्पादित कच्चे माल पर आधारित उद्योग नहीं पनप पा रहे हैं।

उद्योग निदेशालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार एकीकृत प्रोत्साहन नीति-2008 के तहत अभी तक उन्नीस दावे ऐसे हैं, जिन्हें निस्तारित होना है। इनमें तेरह होटल तथा रिजार्ट हैं। बाकी छह में से तीन हर्बल एंड फूड, एक फार्मास्यूटिकल, एक इंडस्ट्रीयल गैस और एक आर्टिफीसियल ज्वैलरी से संबंधित है। इन अनिस्तारित दावों में 45.61 करोड़ का पूंजी निवेश होना है। इन उद्यमियों को 4.35 करोड़ का अनुदान दिया जाना है।

इसके दो गुने से अधिक दावे उद्योग विभाग द्वारा निस्तारित किए जा चुके हैं। इनमें सौ करोड़ से अधिक का पूंजी निवेश हुआ है। इसमें भी अधिकांश उद्यम होटल तथा रिजोर्ट से जुड़े हैं। अपर निदेशक उद्योग सुधीर नौटियाल के अनुसार पर्वतीय क्षेत्र में प्रोत्साहन नीति के तहत पिछले सालों में तीन सौ करोड़ से भी अधिक के निवेश के प्रस्ताव आए थे। गत वर्ष अतिवृष्टि की वजह से उद्यमियों ने हाथ खींच लिए। इसलिए इस नीति के तहत पर्वतीय क्षेत्र में निवेश करने के इच्छुक उद्यमी पीछे हट गए। यही वजह है कि पहाड़ों में होटल को छोड़कर अब तक निवेश के इच्छुक अधिकांश उद्यमी आगे नहीं आ रहे हैं। होटल चार धाम यात्रा मार्ग तथा पर्यटक स्थलों में सीजन में अच्छा व्यवसाय कर लेते हैं, इसलिए उद्यमियों का फोकस सिर्फ होटल व्यवसाय पर ही हो गया है। पर्वतीय उद्योग संघ के संस्थापक सदस्य केएस पंवार का कहना है कि पहाड़ों में यदि परंपरागत उद्योगों को पुनर्जीवित करना है और नए उद्योग स्थापित करने हैं तो वहीं के मूल निवासी उद्यमियों को प्रोत्साहित करना होगा।

(Source - Dainik jagran)


Devbhoomi,Uttarakhand

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होटल इंडस्ट्री  से उन्हीं लोगों को फायदा होता जिनके पास या जो पहले से ही पूंजीपति हैं और जीके पास काला धन है,जैसे की नेता,और बड़े बड़े अधिकारी लोग जो की बिना रिस्पत लिए अपनी कुर्सी से हिलते भी नहीं हैं
 होटलों से उन गरीब गांवं वालो को कुछ भी फायदा नहीं होता हैं,और न ही होगा,


 

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