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 108 स्वास्थ्य सेवा कितनी कारगर है उत्तराखंड में ?

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Author Topic: How Effective 108 Service - 108 स्वास्थ्य सेवा कितनी कारगर है उत्तराखंड में?  (Read 10503 times)

हेम पन्त

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मेरी जानकारी के अनुसार 108 सेवा एक सफल प्रयोग बन चुका है... मुझे गांव के कुछ दोस्तों ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को समय से अस्पताल पहुंचाने के कई मामलों में इस सेवा ने बहुत त्वरित गति से कार्य किया. अब 108 सेवा की फोनकाल्स को गढवाली, कुमांउनी या अन्य बोलियों में भी Operate किया जा रहा है..   

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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This facility has been defintly brought some relief in emergecy cases. However, the condition of rest of the Hospitals is very bad.

in many hospital there is dearth of Doctors.

पंकज सिंह महर

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This facility has been defintly brought some relief in emergecy cases. However, the condition of rest of the Hospitals is very bad.

in many hospital there is dearth of Doctors.

but like only an ambulance

पंकज सिंह महर

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मेरा जानकारी के अनुसार १०८ सेवा की एक गाड़ी की कीमत ३० लाख रुपये है, आज १०८ सेवा का जो धरातलीय प्रयोग उत्तराखण्ड में हो रहा है, वह सिर्फ और सिर्फ यह है कि फोन काल आने के बाद मरीज को उठाकर सीधे हास्पिटल पहुंचा दिया जाता है। जब कि इस सेवा की शुरुआत इसलिये की गई थी कि पहाड़ी क्षेत्रों में दुर्गम रास्ते और हास्पिटल कम होने तथा हास्पिटल होने पर भी वहां तक पहुंचने मॆं (कम दूरी पर भी ज्यादा समय लगने) परेशानी होती थी। इसलिये इस गाड़ी में जीवन रक्षक उपकरण लगाये गये। लेकिन आज हालत यह है इन गाड़ियों में टेक्निशयन त्तो हैं नहीं और यह मात्र एम्बुलेंस बनकर रह गई हैं, जिनमें कोई इलाज नहीं होता, ये मरीज को उठाकर अस्पताल पहुंचा देती हैं।  लेकिन एक एम्बुलेंस २ लाख रुपये में आ जाती है और उसमें भी आक्सीजन सिलेंडर और फर्स्ट ऎड बाक्स होता ही है। जो काम १०८ सेवा आज कर रही है, वैसा काम तो १०२ डायल कर जिला अस्पताल की एम्बुलेंस भी करती ही थी, तो फिर इतना खर्च करने की जरुरत क्या थी?
       अच्छा होता कि सरकार जिला अस्पतालों CHC, PHC पर ज्यादा एम्बुलेंस खरीदवा देती या फिर १०८ सेवा शुरु करनी ही थी तो पहले टेक्निशियन की व्यवस्था की जानी चाहिये थी, ताकि इस योजना का लाभ जनता को मिल सके।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Some good news there about introduction this 108 service in Uttarakhand even in hill areas.
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108 सेवा ने कराया सुरक्षित प्रसवApr 23, 02:06 am

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कपकोट (बागेश्वर)। पं दीनदयाल उपाध्याय आपातकालीन सेवा 108 के कर्मचारियों ने गोलना में प्रसव पीढ़ा से जूझ रही एक महिला का सुरक्षित प्रसव कराया। जानकारी के अनुसार कर्मी निवासी खुशाल सिंह देव पत्‍‌नी सरिता देवी रात को प्रसव पीढ़ा से परेशान हो गई। जिसे 108 सेवा द्वारा कपकोट के चिकित्सालय में लाया गया चिकित्सकों ने महिला की गम्भीर स्थिति को देखते हुए हायर सेंटर को रेफर कर दिया परंतु महिला की नाजुक हालात को देखते हुए उसका एम्बुलेंस में ही प्रसव कराया। सेवा के मनोज चौधरी, गंगा प्रसाद व गोपाल सिंह ने बताया कि बच्चे का कोई अंग महिला के किसी अंग से फंस गया था जिस कारण काफी परेशानी से प्रसव कराया गया। उन्होंने महिला व बच्चे को कपकोट अस्पताल में भर्ती किया है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Once again. It is proving to be a good service.

However, it is like a "oot ke muh me jeera". As i mentioned earlier, due to poor road connectivity, this service is being to fruitful for remote areas people.

Something is better than nothing.

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108 चिकित्सा वाहन में जुड़वा बच्चों को जन्मMay 28, 01:48 am

नाचनी(पिथौरागढ़): दूरस्थ व चिकित्सा विहीन क्षेत्रों के लिये 108 चिकित्सा व्यवस्था वरदान साबित हो रही है। बुधवार को क्षेत्र में तैनात चिकित्सा वाहन में स्वस्थ्य प्रसव कराया गया। मिली जानकारी के मुताबिक क्वीटी से दो किमी दूर कुपौला गांव निवासी दीपा देवी पत्‍‌नी भूपाल सिंह को प्रसव पीड़ा हुयी। परिजन इसकी सूचना 108 नंबर पर देने के बाद दीपा को लेकर क्वीटी पहुंचे। वाहन से जिला महिला चिकित्सालय ले जाते समय मार्ग में ही उसे तेज प्रसव पीड़ा हुयी। जिस पर चिकित्सा कर्मी रवि पंत व भूपेन्द्र ने वाहन में ही सुरक्षित प्रसव कराया। महिला ने दो जुड़वा बच्चियों को जन्म दिया। सुरक्षित प्रसव कराने में आशा कार्यकत्री पूजा द्विवेदी ने विशेष सहयोग दिया।

umeshbani

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हर योजना को सही ढंग से किर्यान्वत होने मे कुछ समय तो लगता है लेकिन बस योजना बंद न हो  ........ मुझे तो 108 स्वास्थ्य  सेवा बिलकुल कारगर लगती है और इसका फायदा धीरे धीरे सामने आएगा ...............
बस इसकी जानकारी सभी दूर दराज गाँव को हो और उनको इसका फायदा उठाना चाहिय ............. कोई योजना का कारगर होना न होना भी तो हम पर निर्भर करता है ......... कि किस तरह इसका लाभ ले सके ..............


Once again. It is proving to be a good service.

However, it is like a "oot ke muh me jeera". As i mentioned earlier, due to poor road connectivity, this service is being to fruitful for remote areas people.

Something is better than nothing.

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108 चिकित्सा वाहन में जुड़वा बच्चों को जन्मMay 28, 01:48 am

नाचनी(पिथौरागढ़): दूरस्थ व चिकित्सा विहीन क्षेत्रों के लिये 108 चिकित्सा व्यवस्था वरदान साबित हो रही है। बुधवार को क्षेत्र में तैनात चिकित्सा वाहन में स्वस्थ्य प्रसव कराया गया। मिली जानकारी के मुताबिक क्वीटी से दो किमी दूर कुपौला गांव निवासी दीपा देवी पत्‍‌नी भूपाल सिंह को प्रसव पीड़ा हुयी। परिजन इसकी सूचना 108 नंबर पर देने के बाद दीपा को लेकर क्वीटी पहुंचे। वाहन से जिला महिला चिकित्सालय ले जाते समय मार्ग में ही उसे तेज प्रसव पीड़ा हुयी। जिस पर चिकित्सा कर्मी रवि पंत व भूपेन्द्र ने वाहन में ही सुरक्षित प्रसव कराया। महिला ने दो जुड़वा बच्चियों को जन्म दिया। सुरक्षित प्रसव कराने में आशा कार्यकत्री पूजा द्विवेदी ने विशेष सहयोग दिया।


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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frombhopal.mehta@gmail.com


Any service intrtoduced by the government is aimed for the welfare of people but despite good intentions same not reaches to the needy.  Similarly the 108 service in Uttrakhand is a good measure towards people welfare but its succes in the hilly area is less due to terrain and villages not connected with the roads.  Even though whereever villages are connected with road, their condition is very bad. Pot holes exist throught the road, non metallic roads are also hindarance in the speedy evacuation of patients.  Non existance of basic first aid facilitites in the villages is also another factor for unsuccess of 108 service in Uttrakhand hil areas.  Most of the villagers are unkonwn about such a service.  People are required to be made aware of such good service.  So in my opinion, the success of 108 service depends upon the awareness of people about the service and the connectivity as well as communication facilities existing in the villagers.

पंकज सिंह महर

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यह सेवा तो अच्छी है, लेकिन सरकार को इस विभाग के इंफ्रास्ट्रक्चर भी ध्यान देना चाहिये, इसमें टेक्निकल स्टाफ रहना ज्यादा जरुरी है, यह सेवा आज मात्र एम्बुलेंस सेवा बन कर रह गई है, इसमें कम से कम एक फार्मासिस्ट को तो रहना चाहिये जो आपात स्थिति में कम से कम फर्स्ट एड, आक्सीजन देना, पट्टी आदि कर सके, मात्र एक ड्राइवर के भरोसे तो इसे नहीं छोडना चाहिये। मेरा मत यह है कि सरकार को कोई भी योजना शुरु करने से पहले उसके लायक इंफ्रास्ट्रक्चर तो तैयार कर लेना चाहिये.......अन्यथा एम्बुलेंस तो २ लाख रुपये में भी आ जाती है, इस ३० लाख के सफेद हाथी की क्या जरुरत थी?

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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देखो हे है विकास की बात, सही काम हो रहा है तो सराहना मिलनी चाहिए !! जनता दे रही है !

लेकिन सरकार इसको इतनी बड़ी उपलब्धि बता रही है जैसे की लगता है की उत्तराखंड मे हैल्थ की सारी समस्या solve हो गयी है !

ये तो just  ऊट के "मुह में जीरा है"

यह सेवा तो अच्छी है, लेकिन सरकार को इस विभाग के इंफ्रास्ट्रक्चर भी ध्यान देना चाहिये, इसमें टेक्निकल स्टाफ रहना ज्यादा जरुरी है, यह सेवा आज मात्र एम्बुलेंस सेवा बन कर रह गई है, इसमें कम से कम एक फार्मासिस्ट को तो रहना चाहिये जो आपात स्थिति में कम से कम फर्स्ट एड, आक्सीजन देना, पट्टी आदि कर सके, मात्र एक ड्राइवर के भरोसे तो इसे नहीं छोडना चाहिये। मेरा मत यह है कि सरकार को कोई भी योजना शुरु करने से पहले उसके लायक इंफ्रास्ट्रक्चर तो तैयार कर लेना चाहिये.......अन्यथा एम्बुलेंस तो २ लाख रुपये में भी आ जाती है, इस ३० लाख के सफेद हाथी की क्या जरुरत थी?

 

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