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How Much Migration From Uttarakhand- कितना पलायन हुआ उत्तराखण्ड से

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पंकज सिंह महर:
देवता भी पलायन कर रहे हैं, इससे ज्यादा गर्व की बात अब सरकारों और नीति-नियंताओं के लिये क्या हो सकती है। धन्य है देवभूमि....

PratapSingh Bharda:

My village name is Simar, post office Gagrigole falls under Bageshwar district. We have nearly 150 families. Now the situation of the village is worse could hardly find few gents in the village. Almost 80% of gents have migrated to Plain areas of haldwani, delhi, chandigarh, mumbai etc etc. Out of these 80%, 10% of them have migrated with their families while others have kept their family in village.

We find these migrated gentlemen during summer vacation and diwali vacation when there are lots of marriage going on and other festivals.

kundan singh kulyal:
मेरा गाँव चम्पावत जिले मैं लाधिया घटी मैं बसा हैं गाँव मैं आज लगभग १५० परिवार रहते हैं गाँव की खेती मैदानी और पहाड़ी दोनों तरह की है ज्यादातर खेती सिचाई से होती हैं इसलिए अछि खेती होती हैं हमारा गाँव दो तरह से बसा हैं एक घाटी मैं दूसरा पहाड़ मैं गाँव के जो मूल निवासी हैं सबके घर उप्पर पहाड़ मैं भी थे और नीचे घाटी मैं भी हमारे के गाँव सभी परिवार के लोग शर्दियों के ६ महीने नीचे घाटी मैं रहते थे और गर्मियों के ६ महीने उप्पर पहाड़ मैं  चले जाते थे घाटी मैं गाँव के ज्यादातर घर एक साथ बने हैं परन्तु उप्पर पहाड़ मैं बहुत दूर दूर घर बने हैं लगभग २० साल पहले से ही गाँव मैं सड़क बिजली हैं नीचे घाटी मैं ज्यू ज्यू सुबिधायें बढाती गई लोगों ने यही स्थाई रूप से रहना सुरु कर दिया उप्पर पहाड़ के बहुत सरे घर तो खंडहर बन चुके हैं और जमीन बंजर पड़ी है पहले तो हमारे गाँव से पलायन नहीं हुवा था १५ साल पहले तक तो वो ही लोग अपने परिवार के साथ बहार रहते थे जो लोग बहार नोकरियाँ करते थे एसे लोगों की संख्या भी बहुत काम थी  परन्तु जब से उत्तराखंड राज्य बना हैं लोगों मैं गाँव छोड़ने की होड़ सी लगी हैं पिछले १० सालों मैं तो लगभग बहुत सरे लोग भाबर के शहरों मैं रहने लगे हैं या फिर रहने की तयारी करने लगे हैं सब मिलकर लगभग १०% परिवार एसे हैं. रही बात युवाओं की  आज गाँव मैं पढ़ने वाले बच्चों के अलावा बहुत कम ही युवा गाँव मैं रहते हैं पढाई भी पूरी नहीं कर पाते उससे पहले ही नौकरी करने चले जाते हैं पुरे गाँव मैं किसी भी घर मैं जवान लड़का मिलना मुस्किल सा हो गया हैं पुरे गाँव मैं अधिकतर जनसंख्या बुजर्गों की रह गई हैं. मैं पिछले १० सालों मैं मुझे सबसे अधिक समय तक अपने पहाड़ मैं रहने का मौका मिला लगभग ढाई महीने तक इस बीच मेरे गाँव मैं मैंने ३ एसी घटनाएँ देखि जो मैंने कभी सोचा भी नहीं था ३ आदमियों का स्वर्गवास हुवा सभी के तीन या चार बेटे थे फिर भी उनके बच्चे उनकी चिता को आग नहीं दे पाए इन घटनाओं से पता लगता हैं की हमारा गाँव भी कितना खली हो गया हैं नौजवानों से.............

kundan singh kulyal:
.....

lalit.pilakhwal:
हमारे गाव के साथ साथ पुरे उत्तराखंड का यही हाल है दोस्तों

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