Author Topic: How To Promote Tourism - उत्तराखंड मे पर्यटन को कैसे बढाया जा सकता है?  (Read 30390 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: HOW TO PROMOTE TOURISM IN UTTARAKHAND ?
« Reply #30 on: November 13, 2007, 11:27:16 AM »

In order to promote tourism in hills. this is in fact a good  demand.

गलचौड़ा मंदिर को धार्मिक पर्यटन से जोड़ने की मांगNov 13, 02:11 am

लोहाघाट(चम्पावत)। देवदार की सुरम्य वादियों में स्थित देवासुर संग्राम की याद ताजा करने वाले सुईं पऊ के ऐतिहासिक गलचौड़ा बाबा मंदिर को धार्मिक पर्यटन से जोड़ने की मांग मुखर होने लगी है। शिक्षा उन्नयन समिति के अध्यक्ष आरपी ओली की अध्यक्षता में आहूत बैठक में ग्रामीणों ने कहा कि गलचौड़ा मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण के मानस खण्ड में मिलता है। इस मंदिर का महात्म्य बाणासुर- श्रीकृष्ण संग्राम में भी स्पष्ट रूप से देखने में आता है। उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष शारदीय नवरात्र के दशहरे के दिन यहां लगने वाले दशहरा मेले में राज्य के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु पंहुचते है। लोगों ने इस बात पर खेद जताया कि ऐतिहासिक मंदिर की अभी तक शासन- प्रशासन ने उपेक्षा की है। उन्होंने जिला प्रशासन से मंदिर को धार्मिक पर्यटन मानचित्र में स्थान देने की पहल करने की मांग की तथा जिला पंचायत सदस्य पूरन सिंह फत्र्याल का इस बात के लिए आभार जताया कि उन्होंने जिला पंचायत से पचास हजार रुपये मंदिर सौंदर्यीकरण के लिए प्रदान की है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: HOW TO PROMOTE TOURISM IN UTTARAKHAND ?
« Reply #31 on: November 13, 2007, 04:34:55 PM »

Tourism point of view ... I would this is not a good news. Govt must ensure such places do not lose thier existance and provide better tourism faciliites.

Narayan Ashram faces threat to existence

Pithoragarh, 11 Nov (Agency): Despite being the prime tourist attraction of the state, the region’s Narayan Ashram is facing a threat to its existence.
Narayan Swami set up the Ashram more than 70 years ago. The ashram was planned away from the usual rush and commotion of the main city. Its construction involved the best art and techniques prevailing at that time and had achieved worldwide acclaim in a short period of time.
But owing to bad roads and difficulty in reaching the ashram because of lack of public conveyance, the popularity of the ashram has suffering a huge blow. The roads are not constructed according to a plan, creating inconvenience for the tourists who have to risk their lives to make it to the ashram. Neither is there help from the government nor is it making any kind of arrangement for it. The devotees are hence unable to derive optimum benefit from the ashram, which was established for a noble cause.
Even after being made a separate state, the government is not promoting tourism with the necessary vigour, it seems. No important development has taken place, so far.
The public cannot reach the ashram despite its eagerness; the thing to be noted is the government’s negligence and uncaring attitude towards the region.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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I feel Govt has not taken this aspect seriouly. Reasons are not known. If tourism is promoted properly, this will not only increase the Govt Treasury but also generate more more employment opportunities

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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ग्लेशियर का आसानी से लुत्फ उठाएंगेNov 16, 02:37 am

नैनीताल। केंद्र सरकार से विभिन्न योजनाओं में धन मिलते ही टूरिज्म प्रदेश की परिकल्पना को अब गति मिलनी शुरु हो गयी है। पिथौरागढ़ जिले के अंतर्गत पंचाचूली के पड़ाव क्षेत्रों में पर्यटकों के लिए हट बनाने की पहल के बाद अब चार करोड़ से बागेश्वर जिले के कपकोट से पिंडारी, कफनी व सुंदरढूंगा ग्लेशियर के प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ उठाने के लिए कुमाऊं मंडल विकास निगम ने दस पड़ाव क्षेत्रों में हट व सुविधाओं का विस्तार करने का कार्य शुरू कर दिया है। इससे अगले वर्ष तक पर्यटकों को तीनों प्रमुख ग्लेशियरों के प्रति पर्यटकों को आकर्षित करने में सफलता मिलने की संभावना बढ़ गयी है।

विदित हो कि एक तरफ प्रदेश में टूरिज्म मास्टर प्लान की देहरादून में तैयारी चल रही है। वहीं, टूरिज्म प्रदेश की परिकल्पना को केंद्र से विभिन्न योजनाओं की स्वीकृति व धन स्वीकृत होने से बल मिलना शुरू हो गया है। इसके तहत बीते दिनों मुनस्यारी से पंचाचूली तक अनेक पड़ाव क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं को लेकर केंद्र से धन केएमवीएन को मिला था। अब केंद्र से पिंडारी, कफनी व सुंदरढूंगा ग्लेशियर के दस दुर्गम पड़ावों पर पर्यटकों के लिए मूलभूत सुविधाओं को लेकर केंद्र से केएमवीएन को करीब चार करोड़ रुपए स्वीकृत हो गए है। कुमंविनि महाप्रबंधक डीसी सिंह जेतवाल ने बताया कि केंद्र से तीन ग्लेशियरों के पड़ाव क्षेत्रों के लिए धन उपलब्ध हुआ है। इसके लिए बागेश्वर जिले के कपकोट से लेकर तीनों ग्लेशियरों तक दस पड़ाव क्षेत्रों में पर्यटकों के लिए हट व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। इसमें जहां जैतोली, कफली, कठलिया, सौंग आदि में हट बनाने के लिए भूमि आदि की व्यवस्था की जा रही है। वहीं लोहारखेत, ढाकुड़ी, खाती, छानी, र्फुक्या में पहले से बने हटों का विस्तार किया जा रहा है। इसके लिए इस वर्ष भूमि आदि की व्यवस्था हो जाएगी, जबकि अगले वर्ष तक सभी पड़ाव क्षेत्र में कार्य पूरा कर लिया जाएगा। इससे भविष्य में पर्यटकों को सुविधाएं मिल सकेंगी। साथ ही पर्यटकों को आकर्षित करने में भी सफलता मिल सकेगी।

बहरहाल अब पिंडारी, कफनी व सुंदरढूंगा ग्लेशियर को लेकर पर्यटकों को आकर्षित करने में भविष्य में सफलता मिलने की संभावना बढ़ गई है।


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Good to see this.

आस्ट्रेलिया व यूरोप के 70 भक्तों ने किए केदारनाथ के दर्शनNov 16, 02:37 am

फाटा/रुद्रप्रयाग। आस्ट्रेलिया व यूरोप के भारतीय मूल के 70 श्रद्धालुओं ने कपाट बंद होने के बाद भी केदारनाथ मंदिर के बाहर से ही दर्शन किए।

केदारनाथ भगवान के कपाट शीतकाल के लिए बंद होने के बावजूद भारतीय मूल के विदेशी श्रद्धालुओं ने केदारनाथ पहुंच मंदिर के बाहर से दर्शन कर अपने को धन्य समझा। विदेशी टीम का नेतृत्व कर रहे कैप्टन अमर जीत हुड्डा ने बताया कि कपाट बंद होने के बाद शासन से केदारनाथ जाने की इजाजत ली गई। सभी यात्री गुरुवार को प्रभातम हवाई कंपनी के दस शिफ्ट में हेलीकाप्टर से केदारनाथ गए। इस यात्रा में शामिल आंधप्रदेश मूल के विदेशी यात्री शिवराम रेड्डी एवं शिवकुमार केदारनाथ मंदिर के बाहर से ही दर्शन कर काफी खुश नजर आए। उन्होंने कहा कि उनके दिल में भोले बाबा के दर्शन करने की सच्ची श्रद्धा थी, कपाट बंद होने के बाद भी उनके दर्शन हो गए। उन्होंने कहा कि केदारनाथ में कपाट साल भर खुले रहने चाहिए। इससे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। हेलीकाप्टर के ब्राजील निवासी पायलट कैप्टन जौन ने भी मंदिर के बाहर से ही मंदिर के दर्शन किए। वहीं पुलिस अधीक्षक बीपी सिंह ने बताया कि यह टीम शासन की अनुमति के बाद केदारनाथ गई। उन्होंने कहा कि केदारनाथ में पुलिस फोर्स तैनात है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Efforts on to boost winter tourism in the state
« Reply #35 on: December 20, 2007, 11:40:35 AM »
THE UTTARAKHAND HILLS witnessing long, sunny spells in winters? Well, that rather unusual phenomenon has been in existence locally for the last some years.

A move, however, is now underway to cash in on the pleasant, balmy winters so that the off-season tourism gets a boost in the region. Chances of the off-season tourism getting a boost in Uttarakhand are now getting brighter, feel the officials while attributing the reason to the reversed climatic conditions prevailing in the hill state and the plain regions in winters for the past some years.

The observation though doesn't appear to be misplaced. For, the plains now start getting engulfed in dense, chilly fog just almost with the onset of winter whereas the weather becomes surprisingly balmy in hills.

Then there is one more dimension to this rather freaky weather. Well, it seems to have had its impact on the tourists' movement as well. For, now the people from Uttarakhand no longer head towards the plain regions as they would until some years ago to escape the harsh, chilly and, at times, foggy winters prevailing in the hills.

It is, in fact, the other way round. Now the people from the plain regions prefer to visit Uttarakhand to enjoy the sunny weather. No wonder, the tourism activity in the region remains on even during the off-season.

And the tourism department, it would appear, is quick to cash in on the changing trend. "Now, a plan is underway to make sure that more and more people from the plains visit the Uttarakhand hills to enjoy the balmy weather in winters", observed the KMVN's (Kumaon Mandal Vikas Nigam) Regional Manager (RM), Tourism, D. K. Sharma.

Speaking to the Hindustan Times he said that in that connection plans were underway to introduce a number of activities to "keep the tourists engaged so that they can make the most of the bright sunny weather."

Elaborating, he revealed that most of the activities that tourists would get to enjoy in the region during the winter months would mainly pertain to adventure tourism.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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रोजगार की अपार संभावनाएं है साहसिक पर्यटन मेंDec 27, 02:32 am

बागेश्वर। जिला पंचायत अध्यक्ष दीपा आर्या ने कहा है कि साहसिक पर्यटन की प्रदेश में अपार संभावनाएं है तथा इसमें रोजगार की भी काफी संभावनाएं है। उन्होंने इसे व्यवसाय के रूप में अपनाने की आवश्यकता जताई। वे मोस्टगांव में पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित दस दिवसीय एडवेंचर फाउंडेशन कोर्स का समापन कर रही थी।

श्रीमती आर्या ने कहा कि प्रदेश सरकार साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए गम्भीर प्रयास कर रही है। उन्होंने युवाओं से सरकार द्वारा चलाई जा रही इस योजना का लाभ लेने की अपील की। विशिष्ट अतिथि एडवोकेट चंदन सिंह ऐठानी ने युवाओं के साहसिक कार्यो की प्रशंसा करते हुए समाज में अपना योगदान देने व प्रशिक्षण का लाभ अन्य युवाओं तक पहुंचाने की अपील की। संचालन करते हुए प्रशिक्षक संजय परिहार ने बताया कि इस दस दिवसीय शिविर में साहसिक युवकों को कैम्पिंग, मैनर, जुमारिंग, कैम्पलिंग, रीवर क्रासिंग का प्रशिक्षण दिया व हिमालय संरक्षण, हिमालय का इतिहास, पर्वतारोहण का इतिहास, फ्लोरा व अनुपालन की विविध जानकारियां दी गई।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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शुभ संकेत: राज्य गठन के बाद पर्यटकों की तादात में दो गुना से अधिक वृद्धि दर्जJan 11, 02:23 am

नैनीताल। राज्य गठन के बाद प्रदेश में सरकारी आंकड़ों में भले ही दो गुनी से अधिक देशी व विदेशी पर्यटकाें की आमद दर्ज हुई हो, लेकिन इससे इतर भी खासी तादात में आए है। पर्यटन विभाग की वर्ष 2007 की ताजा वार्षिक रिपोर्ट शुभ संकेत है। इसमें केवल सरोवर नगरी में ही सात वर्ष पहले के देशी व विदेशी 3,25,078 के बजाय वर्ष 07 में 5,62,060 पर्यटकों ने नैनी सरोवर का लुत्फ उठाया। इससे अब पर्यटन प्रदेश की परिकल्पना को बल मिलने लगा है।

विदित हो कि राज्य गठन के बाद की सरकारों ने प्रदेश को पर्यटन प्रदेश की परिकल्पना देकर विकास का नारा दिया था। इसके लिए प्रदेश के प्रमुख पर्यटन क्षेत्रों के विकास की कवायद शुरु की गयी। इसके लिए पर्यटन विकास परिषद ने अनेक योजनाओं के साथ पर्यटन को रोजगार के रुप में अपनाने को चंद्र सिंह गढ़वाली स्वरोजगार योजना को भी संचालित किया। इसके अलावा प्रदेश सरकार की पहल पर विश्व पर्यटन संगठन की टीम की देहरादून में मास्टर प्लान बनाने की तैयारी जारी है। इससे प्लान के अनुरुप कार्य से भविष्य में पर्यटन को बढ़ावा मिलने की संभावना है।

इधर, पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 1994 में अकेले नैनीताल में 2,66,139 भारतीय, 1778 विदेशी व वर्ष 2000 में राज्य गठन के समय 3,20,322 व विदेशी 4756 व अब राज्य गठन के सात वर्ष बाद बढ़कर 5,80,078 भारतीय, विदेशी 9437 समेत 5,89,516 पर्यटकों की आमद हुई। इसमें इन सात वर्षो में जहां भारतीय पर्यटकों की संख्या में 2,59,757 व विदेशी 4681 बढ़े है। पर्यटन विभाग के स्वागत अधिकारी बीसी त्रिवेदी ने बताया कि यह आंकड़े नगर के होटलों व विदेशियों का एलआईयू आदि से एकत्रित किए गए है। उक्त रिपोर्ट निदेशालय को भेजी जा रही है।

इधर, सूत्रों ने बताया कि इसमें विभिन्न गेस्ट हाउस समेत अन्य स्थानों से रिपोर्ट नहीं आ पाती है। इसमें वास्तविक पर्यटकों की संख्या तीन गुना से अधिक होगी। उक्त विभागीय आंकड़ों से ही स्पष्ट होता है कि पर्यटकों की आमद में निरंतर वृद्धि जारी है। इसमें प्रमुख जिम कार्बेट में वर्ष 2005 में जहां भारतीय 1,39,139 व विदेशी 7,643 आए थे। इसमें भी इस पर तेजी से वृद्धि की बात सामने आ रही है। इसमें खासतौर पर विदेशी पर्यटकों के ट्रैकिंग, ग्लेशियरों के बारे में जानकारी लेने की बात कही गयी है।

बहरहाल, राज्य गठन के बाद वास्तविक रुप से तीन से अधिक गुना पर्यटकों की आमद बढ़ने व निकट भविष्य में टूरिज्म मास्टर प्लान के अनुरुप कार्य से पर्यटन प्रदेश की परिकल्पना के साकार होने की संभावना बढ़ गयी है।

हेम पन्त

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पिथौरागढ़। दूध की किल्लत के लिए जाने जाने वाला पिथौरागढ़ जिला अब अतिरिक्त दूध उत्पादन की स्थिति में आ गया है। जिले में इस समय प्रतिदिन 600 लीटर दूध अतिरिक्त उत्पादित हो रहा है। खपत नहीं होने से दुग्ध संघ अतिरिक्त दूध देश की प्रतिष्ठित सहकारी संस्था मदर डेयरी को उपलब्ध करा रही है।

उल्लेखनीय है कि सीमांत जिले पिथौरागढ़ में गत वर्ष तक दूध की भारी किल्लत थी। इसके बाद संघ ने अपनी व्यवस्थाओं में सुधार करते हुए दुग्ध उत्पादन बढ़ाने पर अपना ध्यान केन्द्रित किया और एक वर्ष में ही दुध के उत्पादन में अच्छी खासी बढ़ोत्तरी कर ली। संघ के मुताबिक वर्तमान में जिले में जरूरत से 600 लीटर दूध अतिरिक्त उत्पादित हो रहा है। जनपद में दूध की खपत नहीं होने पर अब इसकी आपूर्ति चम्पावत जिले के जरिये मदर डेयरी को की जा रही है। मदर डेयरी इस दूध को दूध की किल्लत वाले क्षेत्रों में उपलब्ध करा रही है। दुग्ध संघ उत्पादन को और बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए नई समितियों के गठन के साथ ही उन्नत नस्ल के पशुओं की खरीद भी की जा रही है।

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I feel Uttarakhand Govt should also give some add on media for promoting the tourism  further.


 

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