Author Topic: How To Stop Migration From Uttarakhand? - उत्तराखंड से विस्थापन कैसे रोके?  (Read 57267 times)

सत्यदेव सिंह नेगी

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बड़ा मार्मिक दृश्य प्रस्तुत किया मेहता जी आपने

 

 
   रोजी रोटी की तलाश में गांव से पलायन का दंश पहाड़ों में साफ दिखता है। पुरुषों के शहरों का रुख करने से घर और खेतीबारी की जिम्मेदारी महिलाओं के कंधों पर आ गई है। पौड़ी ब्लाक के परसुंडाखाल क्षेत्र का यह दृश्य यही हकीकत बयां कर रहा है। कठुड़ की गीता के पति दिल्ली में नौकरी करते हैं। ऐसे में सुबह-सबेरे खेत में हल चलाने के बाद वह बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करती है। जागरण पलायन का दंश     http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=49&edition=2010-10-22&pageno=6#   

विनोद सिंह गढ़िया

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"पहाड़ की चेली लै  /  पहाड़ की ब्वारी लै, कबै नि खाया द्वि रोटी सुख लै."


 

 
   रोजी रोटी की तलाश में गांव से पलायन का दंश पहाड़ों में साफ दिखता है। पुरुषों के शहरों का रुख करने से घर और खेतीबारी की जिम्मेदारी महिलाओं के कंधों पर आ गई है। पौड़ी ब्लाक के परसुंडाखाल क्षेत्र का यह दृश्य यही हकीकत बयां कर रहा है। कठुड़ की गीता के पति दिल्ली में नौकरी करते हैं। ऐसे में सुबह-सबेरे खेत में हल चलाने के बाद वह बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करती है। जागरण पलायन का दंश     http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=49&edition=2010-10-22&pageno=6#   

हुक्का बू

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आज एक समाचार पढ़कर रोना आ गया, जिस पलायन की चिन्ता को लेकर उत्तराखण्ड राज्य की लड़ाई लड़ी गई, 42 लोगों ने अपनी शहादत दे दी, महिलाओं समेत सभी उत्तराखण्ड वासी सड़क पर अपमानित हुये। आज उसी चिन्ता को लेकर उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री बयान देते हैं कि पलायन गर्व का विषय है। इस बयान से उनकी उत्तराखण्ड और उसके सरोकारों की समझ और चिन्ता सामने आई है- मैं तो इतना ही कह सकता हूं कि शर्म करो।



मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ जौलजीवी मेले में सम्बोधन के दौरान कहा कि, प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों से हो रहा पलायन चिंता का विषय नहीं, बल्कि गौरव की बात है। पलायन के कारण ही लोग आज देश-विदेशों में जाकर नौकरियां कर रहे हैं और प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं। राज्य बनने के बाद से प्रदेश ने लगातार विकास ने नये आयाम छुए है। निशंक ने कहा कि, आधी-अधूरी पढ़ाई करके छोटी-मोटी नौकरियों के लिए पलायन जरूर चिन्ता की बात है। इसे रोकने के लिए सरकार राज्य के विकास की नीतियां बना रही हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. निशंक कि, पलायन के कारण यहां के लोगों ने देश में ही नहीं, वरन विदेशों  में भी रोजगार के नये अवसर खोजे हैं। कुछ लोग पलायन का हौव्वा बना कर जनता को भ्रमित करने में लगे हुए हैं। हकीकत यह है कि प्रदेश से पलायन नही हो रहा है। राज्य दिन प्रतिदिन तरक्की कर रहा है। राज्य बनने के बाद विकास के कई द्वार खुले हैं। पिछले दस वर्षो में एक लाख रोजगार सृजित हुए हैं। भाजपा सरकार 2011 तक 50 हजार नौजवानों को रोजगार देने का संकल्प ले चुकी है। प्रदेश की प्रगति का प्रमाण यह है कि भारत सरकार ने प्रगतिशील राज्यों की सूची में उत्तराखण्ड को तीसरा स्थान दिया है। अगर हिमालयी राज्यों की बात करें तो विकास के मामले में उत्तराखण्ड ने सभी राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। उत्तराखण्ड हिमालयी राज्यों में पहले नम्बर पर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार गुरिल्लाओं, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की समस्याओं के समाधान में लगा हुई है। उन्हें धैर्य रखने की आवश्यकता है। जल्द ही उनकी समस्या का समाधान हो जाएगा।

साभार- http://www.livehindustan.com/news/location/rajwarkhabre/248-0-146153.html&locatiopnvalue=8


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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अगर यह खबर सत्य है तो यह एक घोर अपमान की बात है सबसे पहले उन ४२ शहीदों का जिन्होंने उत्तराखंड के निर्माण के लिए अपना बलिदान दिया था!

मुझे व्यकतिगत रूप से बहुत आहात हुवा है मुख्यमंत्री साब के इस व्यान से!  जिस मुद्दे को लेकर राज्य का निर्माण हुवा था आज हमारे विश्व प्रसिद्ध मुख्यमंत्री साब ने लोगो के गाल पर बहुत बड़ा तमाचा मारा है!

धन्य है सर आप, और आप की सरकार.. खैर इस ममाले में आप को मिलेगा जवाब जनता जनार्दन से २०१२ में! मई विस्तृत रूप से बाद में लिखूंगा इस मामले में!




आज एक समाचार पढ़कर रोना आ गया, जिस पलायन की चिन्ता को लेकर उत्तराखण्ड राज्य की लड़ाई लड़ी गई, 42 लोगों ने अपनी शहादत दे दी, महिलाओं समेत सभी उत्तराखण्ड वासी सड़क पर अपमानित हुये। आज उसी चिन्ता को लेकर उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री बयान देते हैं कि पलायन गर्व का विषय है। इस बयान से उनकी उत्तराखण्ड और उसके सरोकारों की समझ और चिन्ता सामने आई है- मैं तो इतना ही कह सकता हूं कि शर्म करो।



मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ जौलजीवी मेले में सम्बोधन के दौरान कहा कि, प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों से हो रहा पलायन चिंता का विषय नहीं, बल्कि गौरव की बात है। पलायन के कारण ही लोग आज देश-विदेशों में जाकर नौकरियां कर रहे हैं और प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं। राज्य बनने के बाद से प्रदेश ने लगातार विकास ने नये आयाम छुए है। निशंक ने कहा कि, आधी-अधूरी पढ़ाई करके छोटी-मोटी नौकरियों के लिए पलायन जरूर चिन्ता की बात है। इसे रोकने के लिए सरकार राज्य के विकास की नीतियां बना रही हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. निशंक कि, पलायन के कारण यहां के लोगों ने देश में ही नहीं, वरन विदेशों  में भी रोजगार के नये अवसर खोजे हैं। कुछ लोग पलायन का हौव्वा बना कर जनता को भ्रमित करने में लगे हुए हैं। हकीकत यह है कि प्रदेश से पलायन नही हो रहा है। राज्य दिन प्रतिदिन तरक्की कर रहा है। राज्य बनने के बाद विकास के कई द्वार खुले हैं। पिछले दस वर्षो में एक लाख रोजगार सृजित हुए हैं। भाजपा सरकार 2011 तक 50 हजार नौजवानों को रोजगार देने का संकल्प ले चुकी है। प्रदेश की प्रगति का प्रमाण यह है कि भारत सरकार ने प्रगतिशील राज्यों की सूची में उत्तराखण्ड को तीसरा स्थान दिया है। अगर हिमालयी राज्यों की बात करें तो विकास के मामले में उत्तराखण्ड ने सभी राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। उत्तराखण्ड हिमालयी राज्यों में पहले नम्बर पर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार गुरिल्लाओं, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की समस्याओं के समाधान में लगा हुई है। उन्हें धैर्य रखने की आवश्यकता है। जल्द ही उनकी समस्या का समाधान हो जाएगा।

साभार- http://www.livehindustan.com/news/location/rajwarkhabre/248-0-146153.html&locatiopnvalue=8



सत्यदेव सिंह नेगी

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इतनी बात कहने पर तो कांग्रेस पार्टी अपने मंत्री मुख्यमंत्री बदल देती है पर लगता है भाजपा की नजर में मानक उसे छोड़ कर सभी के लिए बने हैं इस दल से बेशर्मी की सारी हदें पर
कर लीं हैं मेहता जी इनके आगे कुछ कहना तो भैंस के आगे बीन बजाने जैसा है

अगर यह खबर सत्य है तो यह एक घोर अपमान की बात है सबसे पहले उन ४२ शहीदों का जिन्होंने उत्तराखंड के निर्माण के लिए अपना बलिदान दिया था!

मुझे व्यकतिगत रूप से बहुत आहात हुवा है मुख्यमंत्री साब के इस व्यान से!  जिस मुद्दे को लेकर राज्य का निर्माण हुवा था आज हमारे विश्व प्रसिद्ध मुख्यमंत्री साब ने लोगो के गाल पर बहुत बड़ा तमाचा मारा है!

धन्य है सर आप, और आप की सरकार.. खैर इस ममाले में आप को मिलेगा जवाब जनता जनार्दन से २०१२ में! मई विस्तृत रूप से बाद में लिखूंगा इस मामले में!




आज एक समाचार पढ़कर रोना आ गया, जिस पलायन की चिन्ता को लेकर उत्तराखण्ड राज्य की लड़ाई लड़ी गई, 42 लोगों ने अपनी शहादत दे दी, महिलाओं समेत सभी उत्तराखण्ड वासी सड़क पर अपमानित हुये। आज उसी चिन्ता को लेकर उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री बयान देते हैं कि पलायन गर्व का विषय है। इस बयान से उनकी उत्तराखण्ड और उसके सरोकारों की समझ और चिन्ता सामने आई है- मैं तो इतना ही कह सकता हूं कि शर्म करो।



मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ जौलजीवी मेले में सम्बोधन के दौरान कहा कि, प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों से हो रहा पलायन चिंता का विषय नहीं, बल्कि गौरव की बात है। पलायन के कारण ही लोग आज देश-विदेशों में जाकर नौकरियां कर रहे हैं और प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं। राज्य बनने के बाद से प्रदेश ने लगातार विकास ने नये आयाम छुए है। निशंक ने कहा कि, आधी-अधूरी पढ़ाई करके छोटी-मोटी नौकरियों के लिए पलायन जरूर चिन्ता की बात है। इसे रोकने के लिए सरकार राज्य के विकास की नीतियां बना रही हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. निशंक कि, पलायन के कारण यहां के लोगों ने देश में ही नहीं, वरन विदेशों  में भी रोजगार के नये अवसर खोजे हैं। कुछ लोग पलायन का हौव्वा बना कर जनता को भ्रमित करने में लगे हुए हैं। हकीकत यह है कि प्रदेश से पलायन नही हो रहा है। राज्य दिन प्रतिदिन तरक्की कर रहा है। राज्य बनने के बाद विकास के कई द्वार खुले हैं। पिछले दस वर्षो में एक लाख रोजगार सृजित हुए हैं। भाजपा सरकार 2011 तक 50 हजार नौजवानों को रोजगार देने का संकल्प ले चुकी है। प्रदेश की प्रगति का प्रमाण यह है कि भारत सरकार ने प्रगतिशील राज्यों की सूची में उत्तराखण्ड को तीसरा स्थान दिया है। अगर हिमालयी राज्यों की बात करें तो विकास के मामले में उत्तराखण्ड ने सभी राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। उत्तराखण्ड हिमालयी राज्यों में पहले नम्बर पर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार गुरिल्लाओं, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की समस्याओं के समाधान में लगा हुई है। उन्हें धैर्य रखने की आवश्यकता है। जल्द ही उनकी समस्या का समाधान हो जाएगा।

साभार- http://www.livehindustan.com/news/location/rajwarkhabre/248-0-146153.html&locatiopnvalue=8



हेम पन्त

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उत्तराखण्ड के मुख्यमन्त्री निशंक  ने पिथौरागढ जिले के जौलजीबी मेले के उदघाटन के अवसर पर कहा कि पलायन के फ्लस्वरूप राज्य से बाहर निकले हुए लोग अच्छा काम कर रहे हैं और पलायन से राज्य को फायदा हुआ है. स्पष्ट है कि राज्य सरकार रोजगार पैदा करने में बुरी तरह असफल रही है और अब निशंक पलायन और बेरोजगारी के मुद्दों पर मूर्खतापूर्ण बातों से अपनी असफलता को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं.
शायद मुख्यमंत्री जी यह भूल गये हैं कि अलग राज्य की मांग के पीछे “पलायन को रोकना” सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य था. राज्य से होने वाले पलायन के समर्थन में बयान देकर पता नहीं निशंक साहब क्या साबित करना चाहते हैं? पलायन से होने वाले फायदे तो उन्होंने गिना दिये लेकिन पलायन के कारण हजारों गांवों में पुश्तैनी मकानों में अब मनुष्यों की जगह सांप-चूहे, छिपकलियां और मेढक रह रहे हैं ये बात उनके संज्ञान में न आई हो ऐसा कैसे संभव है.   
शायद मुख्यमंत्री जी यह बात नहीं समझ पा रहें हैं कि पलायन मजबूरी में करते हैं और यदि राज्य में ही उद्योग और रोजगार के बेहतर मौके मिल जायें तो कोई भी व्यक्ति स्वर्ग समान उत्तराखण्ड को छोड़कर बाहर जाने की सोचेगा भी नहीं.

हुक्का बू

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मजे की बात यह है विपक्ष ने और उत्तराखण्ड के तमाम राजनैतिक दलों ने भी मा० मुख्यमंत्री जी के इस गौरवपूर्ण बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इसका सीधा अर्थ यह है कि उन्होंने भी इस बात का मौन समर्थन ही किया है। धन्य हैं इस उत्तराखण्ड के राजनीतिक दल और राजनीतिज्ञ, जो पलायन को गर्व की बात समझते हैं।

इन लोगों को उत्तराखण्ड के सरोकारों, जन समस्याओं को तो छोड़ ही दीजिये, राज्य की मूल भावना के भी मायने नहीं मालूम।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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सब सोये हुए है ... इससे प्रतीत होता है और दल भी इसी राह पर है!

यह एक बहुत है आपतिजनक  बयान है मुख्यमंत्री साब की और से! दुसरे शब्दों में सीधे गाल पर तमाचा  उन लोगो के गाल पर जो पहाड़ के हित के लिए वर्षो से लडाई लड़ रहे है!

दुसरे राज्य में होता अभी तक मुख्यमंत्री की कुर्सी खतरे में पड़ जाती!

कम से कम अगर विकास नहीं कर पाते तो इस प्रकार का व्यान तो न दे मुख्यमंत्री साब ..

हेम पन्त

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यह है "हिन्दुस्तान" के फ्रन्ट पेज पर छपा निशंक जी का बयान..

सत्यदेव सिंह नेगी

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नौछमी भाग -२ के लिए तैयार रहिएगा
यह है "हिन्दुस्तान" के फ्रन्ट पेज पर छपा निशंक जी का बयान..


 

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