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 क्या क्षेत्रवाद उत्तराखंड के विकास मे अवरोध है ?

Yes
33 (91.7%)
No
1 (2.8%)
Can't Say
1 (2.8%)
Not At all
1 (2.8%)

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Voting closes: February 07, 2106, 11:58:15 AM

Author Topic: Is Regionalism Hurdle? - क्या क्षेत्रवाद उत्तराखंड के विकास मे अवरोध है?  (Read 21848 times)

हेम पन्त

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उत्तराखण्ड से सम्बन्धित कार्यक्रम में आयोजकों द्वारा गढवाल-कुमाऊं में भेद करने की बात सुन कर बहुत बुरा लगा. अब हमें क्षेत्रीयता की इस क्षुद्र मानसिकता से उबरना ही होगा. हम लोग ही आपस में ऐसे धङे बनाने लगे तो गैर-उत्तराखण्डी लोगों के बीच एकजुटता कैसे प्रदर्शित कर पायेंगे?


कल के एक कवि सम्मलेन मे भी यही देखा गया आयोजको ने कवियों को कुमाओं और गड़वाल मे बाट दिया! दर्शको ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया भी जाहिर की!

अगर इस प्रकार के कार्यक्रमों एसा विभाजन किया जाता है तो यह एक ढोंग है !

हमारी नयी पीड़ी को इस पर विचार करना चाहिए !


पंकज सिंह महर

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उत्तराखण्ड वाद होता तो कुछ भला होता, ऐसे में क्या होगा, सब अपना-अपना सर ही फोडेंगे, यह सोच कर कि दूसरे का फोड़ रहे हैं।

Mohan Bisht -Thet Pahadi/मोहन बिष्ट-ठेठ पहाडी

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ek dum sahi kaha apne pankaj bhai... hadd hi ho gaye thairi maharazzzz
उत्तराखण्ड वाद होता तो कुछ भला होता, ऐसे में क्या होगा, सब अपना-अपना सर ही फोडेंगे, यह सोच कर कि दूसरे का फोड़ रहे हैं।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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We have been raising this issue time to time.  But it is old folk have been harping this string always whenever they find any plateform. It is not the responsibility of new generation to think over the issue and work for development of society and the state.

हुक्का बू

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राजनीतिक कारणों से राजनेता उत्तराखण्ड में क्षेत्रवाद ही नहीं जातिवाद भी फैला रहे हैं, जो हमारे अस्तित्व के लिये धीमा जहर है। उत्तराखण्ड के बनते ही यह क्षुद्र राजनीति शुरु कर दी गई थी, अपने राजनीतिक हित साधने के लिये कि ये गढ़वाल का मंत्री बना है तो कुमाऊं का भी, ठाकुर है तो ब्राह्मण भी बनाओ, यहां तक कि तत्कालीन सत्ताधारी दल ने अपने प्रदेश अध्यक्ष और संगठन में भी यही काम किया, ताकि अपने मनपसंद लोगों को किसी न किसी वाद का हवाला देकर एडजस्ट किया जाय।
     फिर आये नौछमी नरैण, उन्होंने इस वाद को ऐसा बनाया कि क्या कहें, लालबत्ती वितरण में हर आयोग में दो उपाध्यक्ष, एक कुमाऊ से एक गढ़वाल से, एक ठाकुर, दूसरा ब्राहमण। भाजपा का भी कहना था कि अगर प्रदेश अध्यक्ष कुमाऊनी है तो नेता प्रतिपक्ष गढ़वाली होना चाहिये, तब भगत दा की जगह कंडारी जी को इस पद पर बैठाया गया। फिर जरनल साहब आये,  फिर यही हुआ, एक सुधार हुआ कि वाद में एक तीसरावाद जोड़ा गया, तराई वाद......अब तीन घटक हो गये हैं।
      हे नेताओ, शर्म करो, हमारे उत्तराखण्ड को उत्तराखण्ड रहने दो......अभी अपने स्वार्थों के लिये हमें कितना बाटोंगे, कितना काटोगे, अपनी अंर्तआत्मा में भी झांको यारो। आने वाला कल तुम्हें इस नीच हरकत के लिये माफ नहीं करेगा। इन वादों का फैलाव एक दिन जिलो, तहसीलो, ब्लाको से होता घर-घर पहुंचेगा....तब क्या होगा। तब सबसे ज्यादा परेशानी तुमको ही होगी, कौन देगा वोट?
        ४२ शहादतों और तमाम जलालतों और ३० साल के संघर्ष ने ये छोटा सा राज्य दिया है। उन आन्दोलनकारियों के खून-पसीने, मुजफ्फरनगर की चीखों की तो इज्जत करो यारो.....................। अपने स्वार्थों के लिये आम आदमी की बलि क्यों दे रहे हो..?
        शर्म करो, तुमसे अच्छे तो अंग्रेज थे, जिन्होंने हम लोगों को 1839 में सिर्फ कुमाऊं गढ़वाल में बांटा, तुमने तो हद कर दी, पता नहीं कहां-कहां बांट दिया हमें?

हेम पन्त

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हुक्का बू आप बोलते कम हो लेकिन जब बोलते हो तो ठिक्क बात बोलते हो... वो क्या कहते हैं     to the point..  आपको सब चीज का अनुभव ठैरा...

आन जनता को मूलभूत सुविधाओं से मतलब है, ये क्षेत्रीयता, जातिवाद जैसे शब्द सिर्फ नेताओं और तथाकथित बुद्धिजीवियों के लिये बने हैं. इन नेताओं और "पढे-लिखे" लोगों को इन दुर्भावनाओं को मिटाने के लिये काम करना चाहिये, न कि बढावा देना चाहिये...

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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During the recent political drama in Uttarakhand. There have reports in the print media that CM has done favoritism in making Ministers.  

CM Pokhiriyal has been alleged that the most of the Minister has made in his Govt from UK are from Garwal. See this news in Dainik Jagran. If so why ?

नेताओं की तरह राज्य के समाचार-पत्र भी क्षेत्रीयता को बढावा देने का नकारात्मक काम कर रहे हैं..
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निशंक मंत्रिमंडल में भी पिछड़ा कुमाऊं
नैनीताल: लोस चुनाव में मिली करारी हार से भी भाजपा सबक लेने को तैयार नहीं है। मंत्रिमंडल विस्तार में कुमाऊं का घटा रुतबा तो यही संकेत दे रहा है। खण्डूड़ी सरकार पर खामोश रहकर कुमाऊं की उपेक्षा का आरोप लगाने वाले भाजपाईयों की उम्मीदें नए सीएम रमेश पोखरियाल निशंक के मंत्रिमंडल विस्तार से धराशाई हो गई है।

खण्डूड़ी सरकार के विश्वासपात्र वन मंत्री बंशीधर भगत की छुट्टी को लेकर गिनाए जा रहे कारण किसी की समझ में नहीं आ रहे है, जबकि लोस चुनाव में अपनी विधान सभा क्षेत्र से पिछड़ना अजय टम्टा को भारी पड़ा तो संगठन की नाराजगी का खामियाजा बीना महराना को भुगतना पड़ा। राज्य मंत्री का पद मिलने के बाद धारी के विधायक गोविंद सिंह बिष्ट का कद अचानक बढ़ गया है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_5589017.html

पंकज सिंह महर

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During the recent political drama in Uttarakhand. There have reports in the print media that CM has favoritism in making Ministers.

CM Pokhiriyal has been alleged that the most of the Minister has made in his Govt from UK are from Garwal. See this news in Dainik Jagran. If so why ?

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निशंक मंत्रिमंडल में भी पिछड़ा कुमाऊंJul 01, 10:55 pm

नैनीताल: लोस चुनाव में मिली करारी हार से भी भाजपा सबक लेने को तैयार नहीं है। मंत्रिमंडल विस्तार में कुमाऊं का घटा रुतबा तो यही संकेत दे रहा है। http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_5589017.html

मेरा अनुरोध है कि ऐसी बेहूदा न्यूजों को कम से कम हम लोग अपने फोरम में तो न डालें।

Mohan Bisht -Thet Pahadi/मोहन बिष्ट-ठेठ पहाडी

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pankaj bhai ek dum sahi bole aap.. per pata to chalna hi chahiye o kisi bhi roop mai meele... ye hamara forumki new nahi ye un ki news hai jo form mai hai.. aur jankari tabhi meelegi... baki aapki baat satya hai..


During the recent political drama in Uttarakhand. There have reports in the print media that CM has favoritism in making Ministers.

CM Pokhiriyal has been alleged that the most of the Minister has made in his Govt from UK are from Garwal. See this news in Dainik Jagran. If so why ?

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निशंक मंत्रिमंडल में भी पिछड़ा कुमाऊंJul 01, 10:55 pm

नैनीताल: लोस चुनाव में मिली करारी हार से भी भाजपा सबक लेने को तैयार नहीं है। मंत्रिमंडल विस्तार में कुमाऊं का घटा रुतबा तो यही संकेत दे रहा है। http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_5589017.html

मेरा अनुरोध है कि ऐसी बेहूदा न्यूजों को कम से कम हम लोग अपने फोरम में तो न डालें।

Risky Pathak

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I also attended yesterday's programme.

Anchors are using 'Garhwal' & 'Kumaun' words repeatdly. It was sounding like that we are from different corners of world. Like "Afro-Asian"...

 

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