Author Topic: Major Development News Of Uttarakhand - उत्तराखंड के विकास की प्रमुख खबरे  (Read 100513 times)

सत्यदेव सिंह नेगी

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वन कानून छीन रहे काश्तकारों का निवाला   
कोटद्वार (पौड़ी गढ़वाल)। प्रदेश में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की जटिलता विकास योजनाओं में तो बाधक बनी ही हुई थी, आम जनमानस भी इससे प्रभावित होने लगा है। जंगली जानवर काश्तकारों की खून-पसीने की कमाई को पलक झपकते ही चट रहे हैं, लेकिन काश्तकारों के समक्ष सिवाय तमाशाई बनने के कोई चारा नहीं। प्रखंड जयहरीखाल के अंतर्गत ग्रामसभा डाबरी के विभिन्न राजस्व ग्रामों के वाशिंदों ने जंगली जानवरों से त्रस्त होकर खेती करना ही छोड़ दिया है।
पहाड़ों में कृषि न सिर्फ मुख्य व्यवसाय बल्कि काश्तकार की आर्थिकी का भी जरिया है, लेकिन आज हालात बदल रहे हैं। अपनी पैतृक भूमि को खून-पसीने से हरा-भरा करने वाले ये काश्तकार अब खेती से विमुख होने लगे हैं और इसका मुख्य कारण वन्य जीव संरक्षण अधिनियम है। काश्तकार कड़ी मेहनत कर अपने खेतों में फसल उगा रहे हैं, लेकिन वन्य जीव उनकी फसलों को चौपट कर रहे हैं। नतीजतन काश्तकारों के समक्ष दो जून की रोटी का संकट खड़ा हो गया है। प्रखंड जयहरीखाल का ग्रामसभा डाबरी इसका जीता-जागता उदाहरण है। इस ग्रामसभा के भगडयूं,भरत गांव, डाबरी ग्रामों के 90 फीसदी काश्तकार खेती छोड़ अन्यत्र पलायन कर चुके हैं, जबकि ग्वाड़ी के ग्रामीण खेती छोड़ने की तैयारी में हैं। ग्रामीणों की मानें तो ग्रामसभा में जंगली सुअरों का भयंकर आतंक है। जंगली सुअर गेहूं, धान के साथ ही नकदी फसल हल्दी, मिर्च, अरबी, अदरक, मकई आदि को भी नुकसान पहुंचाने लगे हैं, जिससे काश्तकारों के समक्ष रोजी रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है। ग्राम प्रधान प्रकाश गवाड़ी ने बताया कि सुअरों के काश्तकारों की नगदी फसलों को नुकसाने से काश्तकारों के समक्ष आजीविका का संकट उत्पन्न हो गया है। उन्होंने शासन-प्रशासन से वन कानूनों में बदलाव व काश्तकारों को उनकी फसल की भरपाई करने की मांग उठाई है।

सत्यदेव सिंह नेगी

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जीआइसी पुल्ला में भवन के लिये मिले एक करोड़ रूपये  लोहाघाट(चम्पावत)। नेपाल सीमा से लगे राइका पुल्ला के भवन निर्माण के लिए शासन ने एक करोड़ रूपये स्वीकृत किये है। लम्बे समय से जीर्ण भवन की मरम्मत के लिये संघर्ष कर रहे लोगों को जब यह खबर मिली तो उनकी खुशी का ठिकाना नही रहा। लोगों ने विद्यालय भवन के लिये धनराशि स्वीकृत होने पर क्षेत्रीय विधायक माहरा व ब्लाक प्रमुख दीवानी राम टम्टा द्वारा किये गये प्रयासों की सराहना करते हुये कहा कि अब विद्यालय की अन्य समस्याओं का भी शीघ्र निराकरण होने की आस जगी है। शिक्षक अभिभावक संघ के अध्यक्ष केशर सिंह भण्डारी की अध्यक्षता में हुई बैठक में वक्ताओं ने विद्यालय की पठन- पाठन व्यवस्था पर संतोष जताते हुए शासन द्वारा विद्यालय भवन के लिए धनराशि स्वीकृत किये जाने पर खुशी जतायी। इस दौरान विधायक व ब्लाक प्रमुख के प्रयासों का भी गुणगान किया गया।
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6657200.html

सत्यदेव सिंह नेगी

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  बिजली: टिहरी बेहतर, मनेरी ठप              Aug 20, 12:40 am            गढ़वाल। जमकर बरस रहे मेघ जहां टिहरी बांध के लिए वरदान साबित हो रहे हैं, वहीं मनेरी भाली प्रथम चरण परियोजना के लिए यह मुसीबत का सबब बन गए हैं। इन दिनों जलस्तर में बढ़ोतरी से टिहरी बांध से विद्युत उत्पादन पहले से करीब सात गुना बढ़ गया है, वहीं भारी मात्रा में सिल्ट आने से मनेरी भाली प्रथम परियोजना में मानसून क्लोजर घोषित कर दिया गया है।
टिहरी। पिछले महीने तक पानी की कमी के कारण टिहरी झील का जलस्तर 741 आरएल तक गिर गया था, जो इन दिनों 812 तक पहुंच गया है। झील की जलस्तर क्षमता 820 आरएल तक है। झील के जलस्तर में वृद्धि से उत्पादन भी मांग के अनुरूप टीएचडीसी की ओर से बढ़ा दिया गया है। पिछले महीने तक प्रतिदिन टिहरी बांध से तीन से चार मिलियन यूनिट उत्पादन हो रहा था, जो अब 24 मिलियन यूनिट तक पहुंच गया है। टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के मुख्य महाप्रबंधक एएल शाह ने बताया कि बरसात के सीजन के बाद उत्पादन हर वर्ष बढ़ जाता है। हालांकि इसमें मांग को भी देखा जाता है। उन्होंने बताया कि झील में पानी की पर्याप्त उपलब्धता के चलते उत्पादन की स्थिति बेहतर है।
उत्तरकाशी। बारिश व भूस्खलन से भागीरथी में इन दिनों अत्यधिक मात्रा में गाद आ रही है। इससे मनेरी भाली प्रथम चरण परियोजना में मानसून क्लोजर घोषित कर दिया गया है। परियोजना 1300 पीपीएम तक गाद की मात्रा झेल सकती है, जबकि इन दिनों भागीरथी में 2000 पीपीएम से अधिक गाद आ रही है। दूसरी ओर, मनेरी भाली द्वितीय चरण परियोजना में भी अगस्त के पहले पखवाड़े में उत्पादन कई बार रोकना पड़ा। जल विद्युत निगम के डीजीएम एके पटेल ने बताया कि द्वितीय चरण परियोजना में बीते तीन दिनों के बाद गुरुवार सुबह उत्पादन शुरू किया गया था, लेकिन परियोजना को बार-बार बंद करना पड़ रहा है। वहीं, देहरादून के पछवादून क्षेत्र में स्थित चारों पॉवरहाउसों में भी उत्पादन ठप है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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                केदारनाथ के लिए हवाई सेवाएं शुरू

          फाटा (रुद्रप्रयाग): तीन दिन से मौसम में आए सुधार के साथ ही भगवान   केदारनाथ के लिए हवाई सेवाएं भी शुरू हो गई हैं। पवनहंस, प्रभातम के साथ ही   हिमालय हेली एविएशन ने फाटा से नियमित उड़ानें शुरू कर दी हैं।
इस बार भारी बरसात सेविश्व प्रसिद्ध तीर्थधाम भगवान केदारनाथ के लिए   अपनी हवाई सेवाएं दे रही कंपनियों को भारी नुकसान झेलना पड़ा। सितंबर माह   में शुरुआत से ही हवाई सेवाएं शुरू होनी थी, लेकिन लगातार बारिश होने से   ऐसा नहीं हो पाया। अब माह के अंत में मौसम में सुधार आने के बाद ही   कंपनियों ने सेवाएं शुरू कर दी हैं। प्रभातम हवाई कंपनी के कै.पीके छावड़ी   ने बताया कि मौसम में आए सुधार के बाद ही उड़ाने शुरू की गई हैं। मौसम ठीक   रहता है तो उड़ाने जारी रहेंगी।
   
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6763998.html
        

पंकज सिंह महर

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सात दिन उत्तराखंड में बैठेगा नोडल अफसर       देहरादून, जागरण ब्यूरो: उत्तराखंड के मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने केंद्र सरकार में कई वरिष्ठ अफसरों से मुलाकात की। इस दौरान फारेस्ट क्लियरेंस के लखनऊ स्थित कार्यालय के नोडल अफसर को उत्तराखंड में महीने में एक सप्ताह बैठने पर सहमति हुई। श्री कुमार ने राज्य में आपदा से संबंधित प्रजेंटेशन भी रखा। उन्हें चौदह नदियों में खनन की जल्दी अनुमति मिल जाने का आश्र्वासन भी मिला। मुख्य सचिव सुभाष कुमार की वन एवं पर्यावरण सचिव विजय शर्मा से बातचीत हुई। लंबे समय से यह सवाल उठाया जा रहा था कि फारेस्ट क्लियरेंस के ज्यादातर मामले उत्तराखंड से जुड़े हैं, जबकि इसका कार्यालय लखनऊ में स्थित है। इस कार्यालय को उत्तराखंड लाने की मांग की जा रही थी। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण सचिव ने आश्वस्त किया कि नोडल अफसर महीने में एक सप्ताह के लिए उत्तराखंड में बैठकर वहां के मामले निपटाएगा। इस मामले में मुख्यमंत्री डा.रमेश पोखरियाल निशंक तथा केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश के बीच भी कई बार बातचीत होने के बाद सहमति हो चुकी थी। मुख्य सचिव सुभाष कुमार कैबिनेट सचिव, प्रधानमंत्री के सचिव और गृह सचिव से भी मिले। श्री कुमार ने उनके सम्मुख उत्तराखंड में मानसून के दौरान आई आपदा से हुए नुकसान का प्रजेंटेशन दिया। इन अधिकारियों ने जल्दी ही उत्तराखंड के लिए राहत पैकेज जारी करने का आश्र्वासन दिया। इस दौरान उत्तराखंड की चौदह नदियों को खनन के लिए खोलने की अनुमति देने का मामला भी उठा। वन एवं पर्यावरण सचिव विजय शर्मा ने इन नदियों में खनन की अनुमति जल्दी देने का आश्र्वासन भी दिया।

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नए साल में तीन नए जिले !
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विकास धूलिया, देहरादून। राजनैतिक स्तर पर जिस तरह की कवायद चल रही है, उससे मुमकिन है कि राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले तीन नए जिले अस्तित्व में आ जाएं। सियासी समीकरणों के लिहाज से कोटद्वार, पुरोला और रानीखेत के रूप में राज्य में तीन नए जिलों का गठन तय माना जा रहा है, हालांकि दिलचस्प यह है कि शासन के स्तर पर फिलहाल इस संबंध में कोई औपचारिक प्रक्रिया आरंभ नहीं की गई है।

उत्तराखंड में नए जिलों के गठन की मांग इसके अलग राज्य के रूप में वजूद में आने के साथ ही आरंभ हो गई थी। पिछली कांग्रेस सरकार में तो नए जिलों के गठन को लेकर चर्चा काफी आगे तक पहुंची मगर फिर तमाम तरह की दिक्कतों के कारण तत्कालीन सरकार को इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल देना पड़ा। इसके बावजूद राज्य के अलग-अलग जिलों में नई प्रशासनिक इकाइयों के रूप में नए जिलों के गठन की मांग लगातार उठती रही और कई जगह तो इसे लेकर जनांदोलन तक चलाए गए।

अब एक दफा फिर राज्य में नए जिलों के गठन की संभावना ने जोर पकड़ लिया है। सियासी गलियारों से मिल रही जानकारी के मुताबिक प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार निकट भविष्य में राज्य में तीन नए जिले बनाए जाने को लेकर खासी गंभीर है। खासकर, सवा साल बाद होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव से पहले सरकार इसकी घोषणा कर सकती है। जिन तीन जिलों के गठन को इस क्रम में माना जा रहा है वे हैं कोटद्वार , पुरोला और रानीखेत (अल्मोड़ा)। अभी क्योंकि जनगणना के कारण नई प्रशासनिक इकाइयों का गठन नहीं किया जा सकता, इसलिए 31 मार्च 2011 के बाद ही नए जिलों की घोषणा संभावित है।

वैसे राज्य विधानसभा में कुछ अरसा पहले नई प्रशासनिक इकाइयों, जैसे जिला, तहसील, परगना आदि के गठन पर चर्चा हो चुकी है लेकिन तब सरकार ने इससे इंकार किया था। कहा गया कि नई इकाइयों के गठन के स्थान पर जो इकाइयां ज्यादा बड़ी हैं या भौगोलिक रूप से विषम हैं उनके कुछ हिस्सों को दूसरी इकाई में शामिल किया जा सकता है। इसके लिए मुख्य राजस्व आयुक्त की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया। राजस्व महकमे के सूत्रों के अनुसार दरअसल, नई प्रशासनिक इकाइयों के गठन में जो अड़ंगा है वह यह है कि जिन नई इकाइयों की मांग उठ रही हैं वे इसके लिए आवश्यक मानक पूरे नहीं कर रही हैं।

शासन स्तर पर भले ही नए जिलों के गठन का मामला अभी नजर नहीं आ रहा लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा के लिए यह अहम मुद्दा साबित हो सकता है। वैसे भी भाजपा अपने संगठन के लिहाज से राज्य को तेरह से ज्यादा जिलों में बांटकर चलती रही है और इस लिहाज से माना जा सकता है कि छोटे जिलों की पक्षधर भाजपा चुनाव से पहले नए जिले बना सकती है।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6861869.html

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उत्तारकाशी व टिहरी में बनेंगे हेलीपैड
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उत्तारकाशी और टिहरी में एक-एक हेलीपैड बनाने को हरी झंडी दी है। योजना पर करीब एक करोड़ दस लाख रुपये खर्च होने की उम्मीद है। सरकार ने लागत राशि को मंजूर कर लिया है।

सूबे की भौगोलिक स्थिति और पर्यटन को बढ़ावा देने को ध्यान में रखते हुए सरकार की कोशिश अधिक से अधिक अपना हेलीपैड बनाने की है। वर्तमान में सूबे में 39 हैलीपैड हैं।

हाल ही में हुई विभागीय समीक्षा में दो नए हेलीपैड के प्रस्ताव पर मंथन हुआ। बैठक में कहा गया कि पर्यटन के अलावा आपदा के समय राहत कार्यो में तेजी लाने में हेलीपैड बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। प्रमुख सचिव पीसी शर्मा ने संबंधित अधिकारियों इस बारे में बातचीत की। विभाग के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री कार्यालय की सहमति के बाद उत्तारकाशी जिले के खरसाली और टिहरी जनपद के डोबरा में हेलीपैड बनाने का रास्ता साफ हो गया।

यही नहीं सरकार ने बरसाली में प्रस्वावित हेलीपैड के लिए 49 लाख और डोबरा के लिए 59.9 लाख की स्वीकृत भी दी है। कार्यदायी संस्था के चयन की प्रक्रिया जारी है विभाग को उम्मीद है अगले माह निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6879602.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Ratan Tata to deliver lecture in Uttarakhand - 15 Nov 2010
« Reply #417 on: November 11, 2010, 11:23:52 PM »
Ratan Tata to deliver lecture in Uttarakhand

DEHRA DUN: Tata Groups   Chairman Ratan Tata would deliver a lecture on November 15, being   organised on the ocassion of completion of first decade of formation of   Uttarakhand.         
         
          During the lecture on   "India in 21st century: Opportunities and Challenges", Uttarakhand   Governor Margaret Alva and chief minister Ramesh Pokhriyal Nishank would   also be present besides industrialists from the states, an official   release said here.         
         
          Uttarakhand   power secretary Umakant Panwar has been made President of the organising   committee for formation day lecture, which is organised every year   since 2002.

http://economictimes.indiatimes.com/latest-news/Ratan-Tata-to-deliver-lecture-in-Uttarakhand/articleshow/6907301.cms

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चिदंबरम की चिट्ठी से निशंक गदगद,        तो होंगे ही कुछ आपके जब में भी तो जाएगा निशंक साहब
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उत्तराखंड में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार पर केंद्र की संप्रग सरकार खासी मेहरबान नजर आ रही है। राज्य में हालिया दैवीय आपदा में राहत कार्यो के लिए तत्काल 500 करोड़ की मदद मुहैया कराने के बाद अब केंद्र सरकार ने भाजपा आलाकमान को भरोसा दिलाया है कि उत्तराखंड में आपदा राहत कार्यो के लिए राज्य सरकार को पूरी मदद भविष्य में भी जारी रहेगी। केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम से इस आशय का पत्र मिलने के बाद गदगद मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री का शुक्रिया अदा किया है। समझा जा रहा है कि केंद्र सरकार जल्द ही आपदा राहत मद में कुछ और धनराशि की घोषणा कर सकती है।

उत्तराखंड में भले ही कांग्रेस और इसके सांसद व विधायक आपदा राहत कार्यो को लेकर गाहे-बगाहे निशंक सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश करते रहे हैं लेकिन कांग्रेस आलाकमान का स्टैंड तो इसके ठीक उलट ही नजर आ रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम के पत्र से तो कम से कम यही जाहिर हो रहा है। चिदंबरम ने यह पत्र गुजरी 20 सितंबर को भाजपा प्रतिनिधिमंडल द्वारा प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह से मुलाकात के दौरान दिए गए मेमोरेंडम के संदर्भ में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को अभी नौ नवंबर को लिखा है। पत्र में केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा है कि प्रधानमंत्री ने 24 सितंबर को नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फंड से तत्काल पांच सौ करोड़ की राशि उपलब्ध कराई। यह धनराशि स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड में केंद्रीय अंश के रूप में राज्य को दी गई 105.89 करोड़ रुपये की मदद के अलावा है।

पत्र में केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा है कि अंतरिम राहत धनराशि के रूप में उत्तराखंड सरकार द्वारा जो 941.14 करोड़ की धनराशि मांगी गई, उसके लिए एक केंद्रीय टीम राज्य का दौरा कर चुकी है। अब इस टीम द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है ताकि निर्धारित प्रक्रिया के तहत नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फंड से उत्तराखंड को अतिरिक्त मदद दी जा सके। उन्होंने साथ ही आश्वस्त किया है कि भारत सरकार, उत्तराखंड सरकार को भविष्य में भी पूरी मदद जारी रखेगी।

इस संबंध में मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि वे आपदा में मदद के लिए केंद्र सरकार और खासकर प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह व गृह मंत्री पी चिदंबरम के आभारी हैं। डा. निशंक ने उम्मीद जताई कि आपदा से राज्य को हुई इक्कीस हजार करोड़ से ज्यादा की क्षति के मद्देनजर केंद्र सरकार जल्द ही राज्य के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध कराएगी।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6897759.html

Devbhoomi,Uttarakhand

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        50 हजार लोगों को मिलेगी नौकरी
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मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि सरकार ने इस साल 50 हजार पदों पर बेरोजगारों को नियुक्ति देने का लक्ष्य रखा है।
  उन्होंने कहा कि आलोचना और आपदाओं से वह टूटे नहीं हैं बल्कि संघर्ष कर  मजबूती से राज्य को विकास के पथ पर अग्रसर करने के लिए कटिबद्ध हैं।  मंदाकिनी शरदोत्सव एवं कृषि औद्योगिक विकास मेले के समापन अवसर पर  उन्होंने ये बातें कहीं। डा. निशंक ने कहा कि दस साल में राज्य विकास दर  के नजरिये से देश में तीसरे पायदान पर है। भविष्य में इस मामले में पहले  पायदान पर होगा। उन्होंने सरकार के आलोचकों से कहा कि विकास पर  आत्मसमीक्षा करने की आवश्यकता है।
     
  केंद्र से बार-बार मदद की गुहार पर उन्होंने कहा कि इस राज्य ने देश को  पानी और जवानी दी है। 65 फीसदी वन क्षेत्र से आच्छादित यह राज्य  देशवासियों को स्वच्छ हवा दे रहा है। हम केंद्र से कुछ मांग रहे हैं तो यह  हमारा हक है। उन्होंने कुंभ मेले का सफल आयोजन, आपदा राहत में तत्परता,  एलटी में आयु सीमा 40 वर्ष करने, दैनिक वेतनभोगियों को नियमित करने,  बीपीएल एवं एपीएल के लिए खाद्यान्न योजना, शिक्षकों के लिए वेतनमान और  पृथक निदेशालय स्थापना को सरकार की उपलब्धि बताया।
     
  उन्होंने कहा कि काश्तकार मंदाकिनी शरदोत्सव के माध्यम से जड़ी-बूटी,  फल-सब्जी पट्टी और पुष्प उत्पादन के क्षेत्र में कार्य कर आर्थिकी को  सुधारें। उन्होंने पुष्प उत्पादकों से कहा कि यदि उनके फूलों को उचित  बाजार नहीं मिलता तो राज्य सरकार दस रुपये किलो के हिसाब से फूल खरीदेगी।  इस मौके पर जिला पंचायत अध्यक्ष चंडी प्रसाद भट्ट, संसदीय सचिव एवं  स्थानीय विधायक आशा नौटियाल, मीडिया सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष अजेंद्र  अजय, राज्य पशु कल्याण बोर्ड की उपाध्यक्ष बीना बिष्ट, क्षेत्र प्रमुख  मंदाकिनी श्रीमती लक्ष्मी जग्गी, भाजपा जिलाध्यक्ष वाचस्पति सेमवाल, जिला   महामंत्री विजय कपरवाण, मेलाध्यक्ष विक्रम कंडारी, सचिव हर्षवर्द्धन  बैंजवाल समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।
     
  कार्यक्रम का संचालन मेला सचिव गिरीश बैंजवाल ने किया।  इससे पूर्व  मुख्यमंत्री ने अनुसूया प्रसाद बहुगुणा राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के  छात्रसंघ समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कहा कि वह भविष्य में छात्रों के  साथ बैठकर उनके मन के उद्गारों को समझेंगे। उन्होंने जिलाधिकारी को  निर्देश दिए कि वह छात्रों के साथ बैठें तथा उनकी समस्याएं हल करें।  उन्होंने महाविद्यालय में प्रेक्षागृह के निर्माण के लिए जिलाधिकारी से  आगणन शासन को भेजने को कहा।
 

http://www.samaylive.com/regional-news-in-hindi/uttarakhand-news-in-hindi/103868/cm-ramesh-pokhriyal-nishank-uttarakhand-government-mandakini-sar.html

 

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