Author Topic: Much Schools Less Student, Eduation System of UK-स्कूल ज्यादे पड़ने वाले कम  (Read 4801 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dosto,
 
We are sharing eye opening news about Uttarakhand education system specially in rural areas. This shows how serious is our Govt towards education system.
 
The second major reason of high of migration from Uttarakhand is education but it seems Govt is just not bothered to the improve education standard.
 
There are many schools in Uttarakhand where either one teacher is teaching all the classes and in order hand, there are less student and much in many areas.
 
We will discuss about the eduction standard of Uttarakhand here particulary  the Govt run schools in Uttarakhand.
 
M S Mehta

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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This news from Uttarakashi, opens the poll of education standard of Uttarakhand
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भगवान भरोसे है शिक्षा व्यवस्थाJul 03, 06:50 pm

नौगांव, जागरण कार्यालय: शिक्षकों के अभाव में नौगांव प्रखंड की शिक्षा व्यवस्था पटरी से उतरी हुई नजर आ रही है। अधिकांश प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में एकल शिक्षक के भरोसे शिक्षा व्यवस्था चल रही है। बीते साल की तरह ही इस सत्र की शुरुआत में भी तस्वीर नहीं बदल सकी है।

नौगांव प्रखंड में पटांगणी, करनाली, बीफ, डांडागांव व कुर्र्सिल सहित 64 प्राथमिक स्कूल एकल शिक्षक व 9 प्राथमिक स्कूल शिक्षा मित्र के भरोसे चल रहे हैं। क्षेत्र के 179 प्राथमिक विद्यालयों में 6,441 व 67 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 2,409 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं, लेकिन शिक्षकों के रिक्त पदों के चलते इन स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे है। वर्तमान समय में प्रखंड में प्राथमिक विद्यालय में शिक्षकों के 106 पद रिक्त चल रहे हैं, जबकि जरूरत तीन सौ से अधिक शिक्षकों की है। वहीं, उच्च प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों के सात व सहायक अध्यापकों के 53 पद रिक्त हैं। खास तौर पर दूरस्थ विद्यालयों में शिक्षकों की मौजूदगी को लेकर हमेशा ही संशय बना रहता है। लंबे समय से लोग शिक्षकों की तैनाती मांग कर रहे हैं, लेकिन तस्वीर अब तक ज्यों की त्यों ही बनी हुई है।

जर्जर स्कूल में पढ़ रहे छात्र

नौगांव : प्रखण्ड नौगांव के प्राथमिक विद्यालय स्यौरी में इन दिनों छात्र आपदा से ग्रस्त विद्यालय में अध्ययन कार्य करने के लिए मजबूर है। पिछले वर्ष यहां दैवीय आपदा से विद्यालय भवन की चहारदीवारी गिर गई और भवन भी क्षतिग्रस्त हुआ, लेकिन विद्यालय की अभी तक सुध नहीं ली गई। इस कारण दुर्घटना की आशंका बनी हुई है। क्षेपं सदस्य प्रेम सिंह राणा ने कहा कि पिछले वर्ष विद्यालय में 54 छात्र अध्ययनरत है, लेकिन इस वर्ष भवन की दुर्दशा के चलते 47 छात्र ही रह गए हैं।

'नए शिक्षा सत्र में विभाग में नए अध्यापकों की नियुक्तियों की संभावना है। प्रयास किया जा रहा है कि दूरस्थ विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए।'

-एसएस नेगी, जिला शिक्षा अधिकारी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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This is the photo of my village where junior high school new building work is in progress.
 
At present 03 new teachers have been posted and two student are studing in a panchyat ghar.
 
There are 04 schools in my village 03 Govt and 01 Private.
 
The strength of students in all the schools is very less. Similiar is the news from other villages also.
 
 

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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This is the condition of our education standard. How can we expect bright future of nation and individual. It seems that Govt objective is quantity of education not the quality of education. This is one of the most serious issues of UK. 

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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Now a days, we daily see the achievement video of UK Govt in national Channel where the picture on ground level is this.

This is totally ridiculous.   

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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Uttarakhand has upgraded in primary school to junior high school but standard of education is very poor. Somewhere the problem is related to infrastructure, in some cases teachers not avaialable in the school.


This area seems to be quite neglected by the Govt. We can not appreciate the step by Govt for upgrading the school just for getting political benefits.


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Go through this news.
 
  कक्षा एक की किताब नहीं पढ़ पाते 8वीं के बच्चे      Aug 10, 11:32 am   बताएं              देहरादून [अनिल उपाध्याय]। उत्तराखंड में प्राथमिक शिक्षा का स्तर दिनों दिन गिरता जा रहा है। स्कूलों में गुरुजी आराम फरमा रहे हैं और बच्चे मस्ती में व्यस्त हैं। हालात कितने खराब हैं कि पाचवीं से आठवीं तक के बच्चों को कक्षा एक की किताब पढ़ने में दिक्कत होती है। छात्र जोड़-घटाने में कच्चे हैं। गुणा-भाग तो दूर की बात हैं। अंग्रेजी अक्षरों का ज्ञान बहुत सीमित है।
चौंकाने वाली बात यह है कि शिक्षा के क्षेत्र में अलग दर्जा रखने वाले सुविधा संपन्न देहरादून, हरिद्वार व उधमसिंह नगर प्राथमिक शिक्षा के मामले में फिसड्डी साबित हो रहे हैं।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा की स्थिति का जायजा लेने वाली प्रथम नामक संस्था के असर-09 सर्वे की रिपोर्ट तो यही कही बया कर रही है। राज्य के 13 जिलों में किए गए सर्वे के तहत कक्षा तीन से कक्षा पाच के छात्रों की परख के लिए उनसे कक्षा एक के स्तर की पाठ्य सामग्री पढ़वाकर देखी गई। जो परिणाम आया वह किसी को भी हैरत में डाल सकता है।
राज्य में केवल 74.7 फीसदी छात्र ही इसमें सफल हो पाए। इसमें उधमसिंह नगर [58.3], हरिद्वार [64.0] और देहरादून [64.1] सबसे फिसड्डी साबित हुए। वहीं, दूरस्थ जिले पिथौरागढ़ [90.3] पहले, नैनीताल [86.8] दूसरे व चंपावत [84.6] तीसरे स्थान पर रहे। ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ने वाले आठवीं कक्षा के केवल 6.3 प्रतिशत और पाचवीं कक्षा के 19.5 प्रतिशत बच्चे ही कक्षा एक के स्तर की पाठ्य सामग्री पढ़ने में सक्षम हैं। गणितीय ज्ञान के मामले में भी कमोबेश यही स्थिति है।
8वीं के 16.1 फीसदी छात्र ही संख्या को घटाने में सक्षम है। पाचवी में यह आकड़ा 22.5 फीसदी है। अंग्रेजी ज्ञान की बात करें तो आठवीं के 0.8 फीसदी छात्र अक्षरों की व 1.6 फीसदी शब्दों की पहचान कर सके। 24 फीसदी को नहीं आता घटाना। पहली से आठवीं के ओवरआल परफार्मेस की बात करें तो 24 फीसदी छात्र संख्याएं घटाने में, 35 फीसदी भाग करने में, 15.8 एक से नौ तक के अंग्रेजी अंकों को पहचानने में, 19.8 प्रतिशत 11 से 99 तक के अंकों को पहचानने में, 5.1 फीसदी अंग्रेजी अक्षरों को पहचानने में, 13.6 अंग्रेजी शब्दों को पहचानने में, 17.3 प्रतिशत कक्षा एक की किताब पढ़ने में और 49.8 प्रतिशत छात्र कक्षा दो की किताब पढ़ने में सफल हो पाए।
प्रथम का परिचय
प्रथम सरकारी व गैर सरकारी
संस्थानों के साथ मिलकर दुनियाभर में प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा का मूल्यांकन करती है। इसे एनुअल स्टेटस आफ एजुकेशन इन रूरल एरियाज [एएसईआर] के नाम से जाना जाता है।
सुलगते सवाल
तमाम सुविधाओं के बावजूद क्यों नहीं सुधर रहा शिक्षा का स्तर?
इन जिलों में तबादलों के लिए मारामारी क्या सिर्फ आराम के लिए है?
आखिर कब तक देश के भविष्य से खिलवाड़ करेंगे शिक्षक?
निजी स्कूलों से कैसे मुकाबला करेंगे सरकारी स्कूलों के छात्र?
अंग्रेजी की जरूरत पर शोर तो है, असर नहीं। आखिर क्यों?
 
http://in.jagran.yahoo.com/news/national/general/5_1_6638798.html

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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Increasing numbers of school is not the solution but the moot point is how to improve quality of education. We have been observing ever since  Uttarakhand state was formed this area was never taken on priority by any of the Govt.

The good point is that Navodya School are now being opened in various Distrct of Uttarakhand. Apart from this, centre schools are also opening but State Govt run schools are still neglected due to poor education.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Now go thorugh this news.

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कुमाऊं में छापा, 121 गुरुजन मिले गायबJul 13, 09:19 pmबताएं
Twitter Delicious Facebook नैनीताल: शिक्षा विभाग ने विद्यालयों में शिक्षकों के साथ ही छात्रों की उपस्थित सुनिश्चित करने को शिकंजा कड़ा कर दिया है। इसी के तहत कुमाऊं भर में मारे गए छापों के दौरान 121 गुरुजन अनुपस्थित मिले। इनमें कई शिक्षक ऐसे भी है जिन्होंने अवकाश लिए प्रार्थना पत्र आदि आपैचारिकता भी पूरी करने की जरूरत महसूस नहीं की। वहीं 20 फीसदी छात्र भी गैरहाजिर थे।

अपर शिक्षा निदेशक दफ्तर से शिक्षा निदेशक को भेजी गई सूचना के अनुसार अल्मोड़ा में 35 शिक्षक ,नैनीताल में 8, पिथौरागढ़ में 34, चंपावत में 9, बागेश्वर में 17 शिक्षक अनुपस्थित अथवा अवकाश पर रहे। पूरे मंडल के निरीक्षित 503 विद्यालयों में करीब 20 प्रतिशत छात्र अनुपस्थित मिले। स्कूल ड्रेस व नि:शुल्क किताबों के वितरण की स्थिति भी खासी खराब है। बागेश्वर को छोड़कर अन्य जिलों में बच्चों को ड्रेस बांटने की कार्रवाई चल रही है। बहरहाल शिक्षा विभाग के निरीक्षण अभियान ने साबित कर दिया है कि मोटी तनख्वाह मिलने के बावजूद शिक्षक पढ़ाने को कतई तैयार नहीं है।

(Dainik Jagran)

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This shows how casual are the teachers towards their duty.

Somewhere Govt is responsible for not able to provide better quality of education but in other hand teachers are also responsible.


 

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