Author Topic: Natural Disaster:Cloud Burst in Uttarkashi Chamoli & Other parts of Uttarakhand  (Read 18598 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Chandra Shekhar Kargeti  मित्रों अब इस प्रकार की विचार गोष्ठियां अत्यंत ही आवश्यक हो गयी है, इनका आयोजन अब हर जिलें में, हर तहसील में, हर गाँव में होना चाहिए l राज्य में उत्तरकाशी और श्रीनगर सुमगढ़ (बागेश्वर) में पहाड़ों की मूल स्थिति से छेड़छाड़ के दुष्परिणाम हम देख ही रहें है, कैसे इन जल विद्युत परियोजनाओं के कारण हमारे पहाड़ और पर्यावरण विलुप्ति के कगार पर है ! यह तबाही की अभी केवल बानगी भर है, जब जब पहाडो में वर्षा होगी तब तब हमारी नदियों का यह विकराल रूप सामने आता रहेगा.....इन आपदाओं से तभी बचा ज सकता जब पहाड़ों पर बारिस होना बन्द हो जाये, सभी लोग पहाड़ों को छोड़ कर चले जाये या फिर हम पहाड़ों एवं यहाँ की नदियों से पर्यावरण के विरुद्ध छेड़छाड़ बन्द कर दें.......अब जो सबसे सुगम हो वह अपनाया जा सकता l
 
 क्या पहाड़ पर वर्षा होना बन्द हो सकती है ?
 क्या आप हम पहाड़ को हमेशा के लिये छोड़ने को तैयार है ?
 क्या हम पहाड़ों एवं यहाँ की नदियों से पर्यावरण के विरुद्ध छेड़छाड़ बन्द कर दें ?
 चुनना आपको है सरकारों को नहीं........क्योंकि संसाधन आपके है किसी निजी कम्पनी के नहीं....
 
 हम आप सभी इन हिमालय विरोधी जल विद्युत परियोजनाओं का विज्ञान सम्मत विरोध कर रहें और इनको ना बनाए जाने के पक्ष में तर्क सहित अपनी बात रख रहें है, हमारी गोष्ठियों का मूल उद्देश्य हिमालय बचाओं हिमालय बसाओ......जब हिमालय ही नहीं रहेगा तो उस पर बना या राज्य कहाँ रहेगा, जिसके लिये दी गयी आहुतियों पर हम गर्व करते नहीं अघाते........यह तभी संभव जब हिमालय जैसा है वैसा ही रहे, प्रकृति के साथ समन्वय स्थापित करके भी विकास होता है, छेड़छाड़ से विनास ही हुआ है और इसके हमारे सामने बहुत से उदाहरण भी है......हमारा प्रयास इतना भर है
 
 लेकिन हमारे ही बीच के कुछ उत्तराखंडी भाई और संगठन है जो इन परियोजनाओं के कलमी लठैत बने हुए है, जिनके पास इन परियोजनाओं को बनाए जाने के सम्बन्ध में ठोस आधार भी नहीं है, बस ये इन परियोजनाओं को बनाने वाली कंपनियों के साथ मिलकर हमारे भोले-भाले ग्रामीणों को विकास का दिवास्वप्न दिखाकर और कम्पनी से पैसा दिलाकर अपने ही लोगो के खिलाफ खड़ा कर रहे हैं, इसमें इनका क्या स्वार्थ है ? हमें इन लोगो को पहचानने के साथ ही इनकी सच्चाई भी समाज के सामने लानी होगी l
 
 उत्तराखण्ड में एक ऐसा ही चिरकुटिया संगठन "उत्तराखण्ड जनमंच" हैं जिसके स्वयं भू संचालक श्री राजेन टोडरिया है, ये स्वयं कभी भी सामने आकर कुछ नहीं कहेंगे, लेकिन अपने तथाकथित चेले चपाटो से कुछ न कुछ ऐसा करवाते रहेगें, जिससे इस राज्य का माहोल खराब होता रहे, अपने इन्ही प्रयासों को सोशियल मीडिया फेसबुक व अन्य साईटों पर जारी रखने के लिये इन्होने एक आईडी भी बना रखी है l यह वही संगठन है जिसने श्री भरत झुनझुनवाला के मुँह पर कालिख पोतने वालो को सम्मानित कर इस राज्य की गौरवशाली परम्परा को कलंकित किया था l इस राज्य की पहचान विचारवान लोगो से होती है , जिसे आज इनके संगठन ने कलंकित किया है, विरोध करना आपका अधिकार है, लेकिन आपको यह अधिकार किसने दिया कि आप किसी के भी साथ बल पूर्वक आमनवीय व्यवहार करके सार्वजनिक रूप से अपमानित करेन, यह अपने आप में शर्मनाक है,अरु इस विचारधारा प्रवर्तक है “उत्तराखण्ड जनमंच” l उत्तराखण्ड जनमंच ऐसा ही होना चाहिये , क्या उत्तराखण्ड के लोग ऐसे ही है ?
 
 विरोध हम भी कर रहे है, हमारे विरोध करने के तरीके उनसे अलग है और कतिपय उन्ही पर चलकर हमने राज्य भी प्राप्त किया था, और आज भी हम अपनी बात विचारों के माध्यम से ही रखते है, हम अपनी बात मनवाने को “उत्तराखण्ड जनमंच” की तरह ओछी हरकत तो कतई नहीं करते चाहे हमें कितना ही कष्ट सहन क्यों ना करना पड़े l
 
 मैं जनमंच के संचालको में से एक श्री राजेन टोडरिया से कहना चाहूँगा अगर राज्य के विकास और भविष्य तथा अस्मिता के इतने ही बड़े हितैषी है तो कालिख पोतों उन लोगो के मुँह पर जो दोषी है मुजफ्फरनगर कांड के दोषियों को सजा से बचाने के, कालिख पोतों उन बाहरी लोगो के जो तुम्हारे राज्य में भोले-भाले ग्रामीणों की जमीने खरीद कर बंगले एवं कोठियां बना कर बैठ गये पहाड़ों में , कालिख पोतों उन बाहरी अधिकारियों के मुँह पर जो यहाँ की प्रतिभाओं का हक मार कर बैठे हैं, कालिख पोतों उन अधिकारियों के मुँह पर जिन्होंने राज्य की जनता की गाढ़ी कमाई से करोडो का गबन किया है फिर भी चैन से इस राज्य में इज्जतदार पद बैठे है......लेकिन इन्हें यह नहीं दिखाई देगा......क्योकि ये खुद उनके बगलगीर हैं...........आने वाले वक्त में इसकी पुष्टि भी होगी कि बोल पहाड़ी हल्ला बोल के पीछे असली वजह पहाड़ी हित नहीं इनके अपने हित सर्वोपरी थे l
 
 ये अब कालिख पोतने वालो को सम्मनित करने तक ही सीमीत नहीं बल्कि इन्होने हमारे राज्य निर्माण आन्दोलन एवं सामाजिक आंदोलनों में अपना महती योगदान देंने वाले निस्वार्थ लोगो पर भी व्यकितगत रूप से कीचड़ भी उछालने का कार्य शुरू कर दिया हैं, हमारे राज्य के संसाधनों को किसी निजी कम्पनी के हाथो में बेचने का विरोध करने वालो को, इस मसलो पर हम सबको जागृत करने वालो पर,निस्वार्थ हो इस राज्य के भविष्य की बात करने वालो पर, इस राज्य के संशाधनो को पंचायतो को सौपने की बात करने वाले पर, इस राज्य के संशाधनो पर स्थानीय लोगो के हक की बात करने वालो के खिलाफ अनर्गल प्रचार किया जा रहा है l हममें बहुत से लोग श्री शमशेर सिंह बिष्ट जी,श्री शेखर पाठक जी , श्री राजीव लोचन शाह जी, श्री संजय कोठियाल जी एवं जिनका इन्होने पोस्ट में नाम नहीं लिखा है श्री चारु तिवारी जी से व्यक्तिगत रूप से परिचित है तथा बहुत से जनसरोकारों के मुद्दों पर उनके साथ काम कर चुके हैं , जिनकी मंशा पर कभी शक नहीं किया जा सकता और ना ही कभी इनके काम ऐसे रहे है l
 
 राज्य की जनता को बरगलाने वाले उत्तराखण्ड जनमंच में वे लोग है जो उत्तराखण्ड में जल विद्युत परियोजना बनाने वाली निजी कंपनियों के समर्थक हैं और इनके कलमी लठैत बने हुए है ? ये वो लोग है जो उत्तराखण्ड में बाल ठाकरे और राज ठाकरे बनकर हमें बताएँगे कि निजी कंपनियों के बनाए बाँधो से ही विकास होता है.........इस राज्य में आज और भी बहुत से ज्वलंत मुद्दे है जो इन्हें दिखाई नहीं देते ! राज्य में शिक्षा का पूरी तरह से निजीकरण कर बाजारीकरण करने वाले , पहाड़ से पलायन के लिये पूर्ण रूप से जिम्मेदार हमारे नीति नियंता इन्हें दिखाई नहीं देते, जिनके वास्तव में मुँह काले किये जाने चाहिये, ये उन्ही के कीचड़ उछालना जानते है जो इस राज्य के लिये मरते खफते.........
 
 आप भी पढ़े ये माहोल को अपने पक्ष में करने के लिये कैसे कैसे तरीके अपनाते है......नीचे दी गयी पोस्ट इनकी आईडी http://www.facebook.com/uttrakhand.janmanch?sk=wall में दिनांक 3-अगस्त-2012 को लगी हुई है........
 
 Sanju Shamsher Bist (परिचय : भगवान करे फर्जी फेसबुक आईडी ना हो)
 
 ऐसा लगता है कि खुद को भारतीय इतिहास का महान पत्रकार मानने वाले राजीवलोचन शाह, छात्रों को पढ़ाने में रुचि रखने के बजाय खुद की मार्केटिंग करने वाले शेखर पाठक, जनसंघर्षों के जरिये जुगाड़ बाजी करने में महान राजनीतिक शिल्पकार शमशेर सिंह बिष्ट और निशंक फैन क्लब के अहम सदस्य संजय कोठियाल का मानसिक संतुलन गड़बड़ा गया है। इनमें राजीव लोचन शाह हैं जिन्होने बलिया नाले पर अतिक्रमण किया हुआ है जो इसे नियमित कराने को लेकर निशंक से लेकर खंडूड़ी तक सबके कदमों में नाक रगड़ते रहे। इन्ही के साथ्ी संजय कोठियाल हैं जिन्होने निशंक राज में लाखों रुपये के विज्ञापन लूटे और निशंक का प्रशस्ति गान करते रहे। शाह और कोठियाल दोनों में एक समानता है तो दोनों ने पत्रकारिता में एक-एक शिखंडी पाले हुए हैं। जब किसाी पर हमला कराना होता है तो ये अपने शिखंडियों को आगे कर देते हैं। इन सबको भरत झुनझुनवाला का मुह काला करने को लेकर सबसे ज्यादा मिर्च लगी हुई है। इसलिए नहीं कि इन्हे झुनझुनवाला से कोई बहुत मोहब्बत है बल्कि इसलिए कि खल पुरुष राजेंद्र सिंह और रवि चोपड़ा इनके वित्तपोषक हैं। वो इनके लिए पैसे का जुगाड़़ करते हैं। अब राजेंद्र सिंह और रवि चोपड़ा इनसे अपने पैसों का हिसाब मांग रहे हैं। यदि पैसा खाया है तो परियोजना समर्थकों के खिलाफ कुछ करना पड़ेगा। इसलिए इन्होने दिल्ली में अपने एक चेले के जरिये विदेशी फंडिंग एजेंसी के पैसों के जरिये गांधी पीस फाउडेंशन में एक प्रोग्राम कराया जिसमें इस गैंग आफ थ्री को ही बुलाया गया था। संजय को नहीं बुलाया। संजय को मीडिया एडवोकेसी के पैसों से उपकृत किया जाएगा।
 इन्हे भरत झुनझुनवाला का काला मुह तो दिख रहा है पर इन्हे ये नहीं दिख रहा है कि चैरास में आम लोगों के हालात क्या हैं। ये राजेंद्र सिंह और रवि चोपड़ा के मोह में जीते जागते धृतराष्ट्र बन चुके हैं। इन्हे यह नजर ही नहीं आ रहा है कि यदि श्रीनगर और लोहारीनागपाला पनबिजली प्रोजेक्ट नहीं बने तो पर्यावरण को ज्यादा नुकसान तो होगा ही साथ ही हतारों लोगों पर इसका बुरा असर पड़ेगा। झुनझुनवाला चैरास के लोगों के हितों पर प्रहार कर जो हिंसा कर रहे थे वह इन चारों को नजर नहीं आती। कारण यह है कि ये लोगएनजीओ चलाने वाले बाहरी लोगों के हाथ बिके हुए है। यह पहाड़ के और चैरास के लोगों के साथ गद्दारी है। अभी तो सिर्फ भरत झुनझुनवाला को ही लोगों ने दंडित किया है वह दिन दूर नहीं जब इन चारों का भी पहाड़ के लोग यही हश्र करेंगे।
 
 आप खुद फैसला करें कौन सही कौन गलत .......?

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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arkashi  photo by


Kheemanand Joshi24 minutes ago

Utt

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गांव, सड़क, पुल सब कुछ बह गया पहाड़ों की बारिश में

उत्तर भारत में अनियमित बारिश का दौर जारी है। शनिवार को भारी बारिश के कारण उत्तराखंड में जहां छह लोगों की मौत हो गई वहीं जम्मू एवं कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन के कारण राजमार्ग क्षतिग्रस्त हो गया। नेपाल द्वारा छोड़े गए पानी के कारण उत्तर प्रदेश के छह जिलों में भयंकर बाढ़ आ गई। उधर, दिल्ली, बिहार एवं उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में सूखे का दौर जारी है।


उत्तराखंड में कुदरत की मार किसी तबाही से कम नहीं है। यहां एक साथ तीन तीन जगहों पर बादलों ने तबाही मचाई है। बादल फटने से उत्तराखंड के साथ हिमाचल प्रदेश के भी कई इलाकों में जमकर बारिश हुई है जिसके चलते कई इलाकों में बाढ़ आ गई है।

 कुदरत का सबसे ज्यादा कहर दिखा उत्तराखंड में ही दिखा है। यहां उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ में पानी मौत बनकर बरसा है।
शुक्रवार देर रात जब उत्तरकाशी के लोग गहरी नींद में थे तभी तेज आवाज के साथ बादल फटा और इसके बाद तो मानो सैलाब आ गया।

उत्तरकाशी के स्वर्णघाट और संगम चट्टी में आई तबाही ने दर्जनों लोगों की जान ले ली। सड़कें, मकान, गाड़ियां और यहां तक कि टनों वजनी लोहे के पुल तक बह गए। सबसे ज्यादा नुकसान गंगाघाटी इलाके में हुआ।

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उत्तरकाशी और चमोली में तबाही का तांडव मचाने के बाद बारिश और बाढ़ का पानी आगे बढ़ रहा है। कई इलाकों में भूस्खलन और चट्टान गिरने के चलते रास्ते बंद हो गए हैं जिसकी बजह से पीड़ित लोगों तक मदद नहीं पहुंच पा रही है। स्थानीय लोगों के साथ साथ पर्यटक भी अचानक आई आफत के शिकार हुए हैं। कई जगह सड़क धंसने के बाद चार धाम और गंगोत्री यात्रा रोक दी गई है।

नैनीताल में कोशी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिसे देखते हुए प्रशासन ने किनारे बसे गांवों में अलर्ट जारी कर दिया है। हरिद्वार में गंगा भी खतरे के निशान के ऊपर बह रही है।
हिमाचल में भी कुदरत ने जमकर तबाही मचाई है। मनाली के सोलंगनाला के नजदीक बादल फटने से आई बाढ़ की वजह से करीब सौ करोड़ रुपये की संपत्ति के नुकसान की आशंका है। अचानक आई बाढ़ की वजह से पलचान के करीब सड़क बहने से मनाली-लेह मार्ग पूरी तरह बंद हो गया है। हजारों लोग जहां-तहां फंस गए हैं।
रास्ते बंद होने की वजह से मनाली और रोहतांग पास घूमने गए हजारों पर्यटक मुसीबत में हैं। मनाली-कुल्लू राष्ट्रीय राजमार्ग से एक शव बरामद किया गया है। फिलहाल करीब 100 करोड़ के नुकसान का अनुमान है।

कश्मीर के कठुआ और जम्मू में शनिवार को बाढ़ में 22 लोग फंस गए, जिन्हें बाद में पुलिस और ग्रामीणों ने सुरक्षित बाहर निकाल लिया। कश्मीर के रामबन सेक्टर में हुए भूस्खलन के कारण शनिवार को श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर वाहनों की आवाजाही रोक दी गई।


भू स्खलन के चलते वैष्णो देवी यात्रा पर भी असर पड़ा है। यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे यात्रा से पहले यातायात नियंत्रण कक्षों से संपर्क करें। बाढ़ के चलते चिनाब, तवी आदि ज्यादातर नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है।


पहाड़ों पर हो रही बारिश का असर मैदानों में भी दिख रहा है। हरियाणा के यमुनानगर में यमुना के जलस्तर में उछाल आने से सैकड़ों एकड़ फसल तबाह हो गई है। औधरी गांव में तीन लोग पानी में फंस गए जिन्हें बाद में सुरक्षित निकाल लिया गया। हथनी कुंड बैराज में पानी का स्तर लगातार बढ़ रहा है। प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है।

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पहाड़ी इलाकों में ही नहीं, मैदानी इलाकों में भी नदियां खतरे के निशान के आसपास बह रही हैं। ऋषिकेश में गंगा पिछले दो दिन की बारिश के बाद उफान पर है, इसके किनारों पर बने सभी घाट पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं। प्रशासन की ओर से इलाके में अलर्ट जारी कर दिया गया है। भारी बारिश की वजह से चार धाम यात्रा भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है।



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