Uttarakhand > Development Issues - उत्तराखण्ड के विकास से संबंधित मुद्दे !

Poll – Do u Think Migration Rate has increased in Uttarakhand

<< < (2/4) > >>

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
 
हम दिल्ली में गणतंत्र दिवस एव स्वतंत्रता दिवस के दिन हर बार उत्तराखंड सरकार मुख्य राष्ट्रीय समाचार पत्रों में अपनी बहुत-२ उपलबधिया प्रकाशित करती रहती है जो धरातल पर बहुत कम नजर है आता है!
 
ये सारी  उपलबधिया जनता ने बताना चाहिए ना कि सरकार को अपनी पीठ अपने आप नहीं थपथपाना चाहिए! अगर ये सारा वास्तविक है तो क्यों पलायन की दर इतनी ज्यादे है !
 
क्यों पहाड़ो में .. गाव दिन प्रति दिन खाली होते जा रहे है !
 

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा:
मै उत्तराखंड हूँ,  मेरी नजर में यह बड़ा है! मेरे इस नक्से में समाने वाले सारे जिले खासकर पहाड़ी जिले बड़े पीड़ित है, जिस तरह से लोग मुझे छोड़ के जा रहा है !

मै दुखी हूँ, देख रहा हूँ कौन क्या कर रहा है यहाँ!  जिस कारण से मेरा निर्माण किया था (उत्तराखंड राज्य) वो अपना साकार नहीं हुवा!

मैंने मुख्य मंत्री जायदे देखे है यहाँ पर विकास कम !

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा:
Pahad se logo ka playan hona Ek Bahut bada issue. Rajya ke banane ka baad aashwanka lagayee ja rahee thee kam hoga playan but it has increased.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

Uttarakhand Sir,

The condition of your state is bad. Migration pace is increasing rapidly. After formation of the state, people were hoping for some kind of employment resources.
 


--- Quote from: apnauttarakhand on February 19, 2010, 10:43:19 PM ---मै उत्तराखंड हूँ,  मेरी नजर में यह बड़ा है! मेरे इस नक्से में समाने वाले सारे जिले खासकर पहाड़ी जिले बड़े पीड़ित है, जिस तरह से लोग मुझे छोड़ के जा रहा है !

मै दुखी हूँ, देख रहा हूँ कौन क्या कर रहा है यहाँ!  जिस कारण से मेरा निर्माण किया था (उत्तराखंड राज्य) वो अपना साकार नहीं हुवा!

मैंने मुख्य मंत्री जायदे देखे है यहाँ पर विकास कम !



--- End quote ---

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

If the situation is like this, then people will force to leave pahad.


===============================

छाना खरकोटा के वाशिंदे पेयजल से महरूम

जैंती (अल्मोड़ा) : आजादी के 6 दशक बाद भी मल्ला सालम के हरिजन बाहुल्य गांव छाना खरकोटा के वाशिंदे बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। कफलटानी, ग्वाल, कुड़ी, सेई पसेला, एवं सुन्दर पानी तोकों में आज तक पेयजल योजना न बन पाने से इन तोकों के ग्रामीणों को अपने व मवेशियों के लिए मीलों दूर गाड़-गधेरों से पानी ढोने में सारा दिन बीत जाता है। ग्रामीण महिलाएं जहां दिन भर खेतीबाड़ी का काम करती है वहीं रात-रात भर जाग कर प्राकृतिक स्रोतों से पीने के पानी का जुगाड़ करते है। यहां के प्रधान चनी राम के अनुसार सन् 1975 में एलएसजीडी द्वारा एक स्कीम पीपलधारा जल स्रोत से निर्मित की गयी। लाखों खर्च करने के बावजूद जल स्रोत के सूख जाने से अपने प्रारम्भिक चरणों में योजना फेल हो गयी। इस योजना के पुनर्गठन करने के लिए दशकों से आंदोलन ग्रामीणों को जल महकमे ने एक बार फिर चकमा दिया। विभाग ने वर्ष 1995 में योजना का पुनर्गठन का काम शुरू किया व इसमें धारीगाड़ गधेरे को जोड़ा। लगभग 42 लाख खर्च करने के बावजूद इसमें वर्षो पुराने जंग खाए पाइपों को ही जोड़ दिया एवं बीएफजी इनटेक सहित सभी कामों को अधूरा ही छोड़ दिया। योजना इस तरह से बनायी कि जिससे कफलटानी, ग्वाल कुड़ी, सेई पखैला व सुन्दरपानी तक पानी चढ़ ही नहीं सकता। बावजदू इसके जैली सिमेला, मगरौं में भी पेयजल कुछ ही महीने मिल पाया। ताज्जुब इस बात का है जितनी बार ग्रामीणों ने अनशन आदि करके पेयजल की मांग की, उतनी बार विभाग ने इसकी मरम्मत के नाम पर लाखों के वारे न्यारे किए। परिणामस्वरूप 190 परिवारों को छाना खरकोटा ग्राम पंचायत में आज तक पेयजल सुलभ नहीं हो पाया। पूर्व सरपंच माधो सिंह का आरोप है कि विभाग का अदना सा कर्मचारी बार-बार शिकायत के बावजूद इस मसले को गम्भीरता से लेना तो दूर योजना को देखने तक नहीं आया। बहरहाल पीने के पानी से बेहाल ग्रामीणों ने एक बार पुन: आंदोलन का मन बनाया है।

Navigation

[0] Message Index

[#] Next page

[*] Previous page

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 
Go to full version