Uttarakhand > Development Issues - उत्तराखण्ड के विकास से संबंधित मुद्दे !

Proposal For Train Till Bageshwar - टनकपुर से बागेश्वर तक रेल लाईन का प्रस्ताव

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satinder:
What is the current status ?
After the June 2013 Tragedy,
Any changes ?

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

We don't know when this rail line will reach to hill station. Only surveys are being conducted so far.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

उत्तराखंड के लिए क्या ले आई 'प्रभु' की रेल

रेल मंत्री सुरेश प्रभु के बजट में उत्तराखंड के लिए पूर्व घोषित योजनाओं को अमली जामा पहनाने पर ज्यादा जोर दिया गया। बजट में पूर्व घोषित ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन के लिए 150 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, हालांकि इसे कम बताया जा रहा है।

देवबंद-रुड़की और हरिद्वार-लक्सर रेल लाइन के लिए भी बजट में नए सिरे से प्रावधान किए गए हैं, हालांकि ये पुरानी घोषणाएं है। दून में मोहकमपुर सहित चार रेलवे ओवरब्रिज के लिए प्रावधान किया गया है और यह राहत दे सकता है। हालांकि यह भी है कि ये सारी पुरानी घोषणाएं हैं। बजट में हरिद्वार स्टेशन को पर्यटन मंत्रालय के सहयोग से विकसित करने का इरादा जाहिर किया गया है। यह तीर्थ नगरी के लिए राहत भरी खबर हो सकती है।

ऋषिकेश-कर्ण प्रयाग मार्ग
परियोजना 4295 करोड़ रुपये की है। मार्च 2014 तक इस परियोजना पर केवल 11 करोड़ रुपये खर्च किए जा सके। 2014-15 में इस पर संशोधित परिव्यय 20 करोड़ किया गया। अब 2015-16 के लिए प्रस्तावित परिव्यय 150 करोड़ रुपये रखा गया है।

देवबंद-रुड़की परियोजना
देवबंद-रुड़की रेल परियोजना पर अभी तक करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपये खर्च किए जा चुकेहैं। इस पर पीपीपी के तहत इस परियोजना के लिए 50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

लक्सर -हरिद्वार मार्ग दोहरीकरण
हरिद्वार-लक्सर रेल लाइन के दोहरीकरण के लिए कुल 140 करोड़ रुपये का प्रावधान

हरिद्वार में 24 कोच की ट्रेन को चलाने की सुविधाओं का विकास
हरिद्वार-देहरादून के बीच 18 कोच की ट्रेन को चलाने की सुविधाओं का विकास

सड़क सुरक्षा ओवर ब्रिज
लक्सर-सहारनपुर
लक्सर-देहरादून
मोहकमपुर क्रोसिंग
राइवाला देहरादून
ट्रेक नवीनीकरण
लक्सर-देहरादून
राइवाला-ऋषिकेश
देहरादून, ऋषिकेश में धुलाई और लाइनों के स्थिरीकरण की सुविधा का विकास
दून के ओक ग्रोव स्कूल में 50 शैय्या की डॉरमेटरी
हरिद्वार रेलवे स्टेशन का पर्यटन मंत्रालय के सहयोग से विकास

ज‌िसने क‌िया न‌िराश
प्रदेश की सबसे बड़ी मांग रेल नेटवर्क के विस्तार को लेकर थी। इस बार सुरेश प्रभु ने रेल नेटवर्क के विस्तार से किनारा कर प्रदेश को मायूसी ही किया। पिछले सौ साल में प्रदेश में रेल एक इंच भी आगे नहीं खिसक पाई है।

राज्य गठन के बाद ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन पर काम शुरू हुआ पर इसकी रफ्तार धीमी है। इस बार बजट में इस रेल लाइन के लिए 150 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। पर पिछले बजट में चार धाम की रेल संबद्धता के लिए सर्वे का ऐलान किया गया था पर इस बार इस पर बिल्कुल ही खामोशी है।

यह संबद्धता प्रदेश के लिए तीर्थाटन के साथ ही सीमा सुरक्षा और सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इसका कोई भी जिक्र न होना प्रदेश को निराश कर सकता है। इसके अलावा करीब एक दर्जन पुरानी घोषणाएं हैं जिनका कोई हवाला रेल बजट में नहीं है।

दून रेलवे स्टेशन को आदर्श रेलवे स्टेशन के रूप में विकसित करने की बहुत पुरानी घोषणा है लेकिन बजट में इसका उल्लेख नहीं है। ऐसे में रेल बजट को प्रदेश सरकार और सत्तारूढ़ दल ने भी निराशाजनक करार दिया। इस बार भाजपा के पांच सांसदों का प्रतिनिधित्व होने के कारण भी प्रदेश को उम्मीद थी कि उनके हिस्से कुछ जरूर आएगा।

पहाड़ के विकास और राष्ट्रहित में भी सीमांत राज्यों को ज्यादा से ज्यादा रेलमार्ग से जोड़ा जाना चाहिए। यह मांग हमने रेल मंत्री से की थी, लेकिन एक बात साबित हो गई कि केंद्र की भाजपा सरकार ने उत्तराखंड के साथ ही अपने पांचों लोकसभा सांसदों को भी तवज्जो नहीं दी है। मैं राज्य के लिए हमेशा पैरवी करता रहूंगा और एक बार फिर रेल मंत्री से जाकर मिलूंगा।
-हरीश रावत, मुख्यमंत्री उत्तराखंड

भाजपाइयों ने बताया प्रगतिशील रेल बजट
इस बजट में विकास की असीम संभावनाएं हैं। बीच-बीच में भी निर्णय होंगे। ढांचागत विकास होगा तो नई रेल, नए स्टेशन भी बनेंगे। नई परियोजनाएं भी आएंगी। इसलिए यह बजट बहुत उपयुक्त है।
-भगत सिंह कोश्यारी, नैनीताल से भाजपा सांसद

रामनगर से चौखुटिया व गैरसैंण तक रेल लाइन के सर्वेक्षण की मंजूरी मिली है। यह मार्ग 230 किमी लंबा होगा। दून-सहारनपुर, ऋषिकेश-दून व कालसी-दून रेलमार्ग की लाइन बिछाने का काम अपने हाथ में ले लिया है। उत्तराखंड में रेल कार्यों के लिए केंद्र ने 304 करोड़ दिए हैं। 334 करोड़ यात्रियों की सुविधा के लिए भी प्रदेश के हिस्से आए हैं। मैकेनिकल कार्यों के लिए भी धनराशि दी गई है।
-तरुण विजय, राज्यसभा में भाजपा सांसद

रेल यात्रा को सुरक्षित बनाना ही सबसे बड़ा काम है। जो पुराने प्रोजेक्ट उत्तराखंड में लंबित हैं, इस बजट से उन्हें पूरा करने में मदद मिलेगी। यह एक प्रगतिशील रेल बजट है।
-तीरथ सिंह रावत, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष

बेहतर बजट वही होता है जो व्यवस्थागत चीजों को संतुलित करे और जन सुविधाएं उपलब्ध कराए। यह रेल बजट इसी तरह का है। यह बजट मुकम्मल है और इससे पुरानी घोषणाएं धरातल पर उतर सकेंगी।
-त्रिवेंद्र सिंह रावत, पूर्व राष्ट्रीय सचिव

।http://www.dehradun.amarujala.com/feature/politics-dun/rail-budget-and-uttarakhand-hindi-news-1/page-2/

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
टनकपुर-बागेश्वर रेल मार्ग निर्माण की मांग को लेकर किया प्रदर्शन

टनकपुर-बागेश्वर रेल मार्ग निर्माण की मांग को लेकर रेल मार्ग निर्माण संघर्ष समिति ने तहसील में प्रदर्शन किया। इस मौके पर संघर्ष समिति के सदस्यों ने कहा कि जब तक उनकी मांग को पूरा नहीं किया जाता है संघर्ष जारी रखा जाएगा।


रविवार को बागेश्वर तहसील परिसर में टनकपुर-बागेश्वर रेल मार्ग निर्माण संघर्ष समिति की बैठक आयोजित की गई। समिति की अध्यक्ष नीमा दफौटी की अध्यक्षता और महासचिव खड़क राम आर्या के संचालन में आयोजित बैठक में वक्ताओं ने कहा कि अंग्रेजी शासनकाल में प्रस्तावित रेल मार्ग निर्माण की मांग को लेकर पिछले एक दशक से आंदोलन किया जा रहा है।

बावजूद इसके आज तक सामरिक महत्व की रेल लाइन को उपेक्षित ही रखा गया है। वक्ताओं ने कुछ दिन पूर्व रेल मंत्री द्वारा सर्वे करने पर भी सदस्यों से कहा था कि सर्वे के नाम पर जनता को ठगा नहीं जाना चाहिए। बैठक में बागेश्वर की चिकित्सा व्यवस्था बदहाल होने, सस्ता गल्ला की दुकानों में राशन नहीं मिलने, तहसील बागेश्वर में रजिस्ट्रार का पद रिक्त होने के कारण पैदा हो रही समस्याओं पर भी चर्चा की गई। कहा कि जब तक उनकी मांगों को सुना नहीं जाता रेल निर्माण संघर्ष समिति अपना संघर्ष जारी रखेगी। इसके बाद सभी सदस्यों ने नारेबाजी भी की। प्रदर्शन करने वालों में गिरीश पाठक, हयात सिंह मेहता, केवल सिंह, प्रवीण सिंह, प्रताप सिंह, मोहन चंद्र जोशी, शोबन सिंह, खीम सिंह, महेंद्रसिंह, नरसिंह, रतन सिंह, मालती पांडे, राधा लोहनी, विद्या कांडपाल, मीरा रौतेला, भवानी दफौटी, खष्टी दफौटी सहित दर्जनों सदस्य शामिल थे।




। रेल निर्माण संघर्ष समिति की बैठक में 28 को प्रस्तावित भारत बंद को समर्थन नहीं देने का ऐलान किया गया। कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काले धन पर लगाम लगाने के लिए पांच सौ और एक हजार रुपए के नोट बंद किए हैं। यह अच्छा प्रयास है। नोट बंदी का विरोध वह लोग कर रहे हैं जिनके पास काला धन है। कहा कि रेल संघर्ष समिति प्रधानमंत्री के इस फैसले के पक्ष में है।


http://www.amarujala.com/uttarakhand/bageshwar/tanakpur-bageshwar-perform-demanding-rail-construction

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