Uttarakhand > Development Issues - उत्तराखण्ड के विकास से संबंधित मुद्दे !
Race For Chair - क्या ऐसे ही होगा उत्तराखंड राज्य का सपना साकार?
हेम पन्त:
आज निशंक जी के मन्त्रीमण्डल का विस्तार होना है, देखते हैं किस-किसको मन्त्री बनाया जाता है....
Devbhoomi,Uttarakhand:
गांवों में पर्यावरण के संरक्षण की चुनौतियां एवं निराकरण
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि के कुलसचिव प्रो। उदय सिंह रावत ने कहा कि स्थानीय लोगों के साथ पहाड़ के प्रवासी नागरिकों को भी अपने गांवों की सुध लेनी होगी। गांवों का विकास हुए बिना प्रदेश का सर्वागीण विकास नहीं हो सकता है।
रविवार को कठूड़ गांव में गढ़वाल विवि के प्रौढ़ सतत शिक्षा विभाग द्वारा 'गांवों में पर्यावरण के संरक्षण की चुनौतियां एवं निराकरण' विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते कुलसचिव डा। यूएस रावत ने कहा कि भारतीय संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण निहित है। पर्यावरण संरक्षण के लिए जब तक प्रत्येक परिवार पूर्ण मनोयोग से साझे प्रयास नहीं करता, पहाड़ में प्रकृति, समाज और जीवन के अस्तित्व पर पर्यावरण रूपी खतरे मंडराते रहेंगे।
लैंगिक भेदभाव को दूर करने पर विशेष बल देते हुए डा. उदय रावत ने कहा कि पहाड़ में महिलाओं को आगे बढ़ने के पर्याप्त अवसर भी देने चाहिए। इस दौरान प्रौढ़ सतत शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रो. संपूर्ण सिंह रावत ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्राम स्तर पर जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों को सक्रिय पहल करनी होगी। सतत शिक्षा केन्द्रों के कार्यो पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने विचार गोष्ठी के उद्देश्यों के बारे में भी बताया। मुख्य वक्ता और संस्कृति कर्मी गणेश खुगशाल ने कहा कि ग्राम स्तर पर ऐसी विचार गोष्ठियां पर्यावरण संरक्षण को लेकर सार्थक संवाद का माध्यम भी बनती हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण महिलाओं को अपने विकास के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है।
पंचायत प्रणाली का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पुरुष प्रधान समाज में अब भी महिलाएं नई पहल नहीं कर पा रही हैं। जल, जंगल, जमीन की सुरक्षा के लिए महिलाएं अभी भी दहलीज लांघने को तैयार नहीं हैं। डाल्यों का दगड़्या के संस्थापक अध्यक्ष डा. मोहन सिंह पंवार ने परंपरागत लोकज्ञान और आधुनिक विज्ञान के मध्य अर्थपूर्ण सामंजस्य पर बल दिया। डा. पंवार ने कहा कि जल संरक्षण के साथ मिश्रित वनों का विकास जरूरी है। डा. पंवार ने कहा कि स्वच्छता और आजीविका के संसाधनों को बढ़ाने को लेकर गांवों में संगठित प्रयासों की जरूरत है, जिसके लिए गढ़वाल विवि के सतत शिक्षा केन्द्र सशक्त माध्यम भी बन सकते हैं। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए राइंका खोला के प्रधानाचार्य प्रमोद धस्माना ने गांवों के प्रदूषित होते जल स्रोतों के संरक्षण और उनकी स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत बतायी।
नई पीढ़ी को सामाजिक और भौतिक पर्यावरण के संरक्षण के प्रति जागरूक करने को लेकर बहुआयामी प्रयास किए जाने चाहिए। कोट के ज्येष्ठ प्रमुख सुरेन्द्र सिंह रावत, कठूड़ के क्षेत्र पंचायत सदस्य धर्मवीर सिंह नेगी, युवक मंगल दल के अध्यक्ष अरविंद शाह, ग्राम प्रधान कठूड़ बसंत नेगी ने भी गोष्ठी में विचार व्यक्त किए। विभाग के प्रवक्ता राकेश भट्ट ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। क्षेत्रीय समन्वयक कमलेश नैथानी ने कार्यक्रम का संचालन किया।
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
This is the scene..... of development.
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चम्बा में खुशी तो रुद्रप्रयाग में गम
रुद्रप्रयाग। जिले में विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर महीनों तक चला आंदोलन सरकार पर बे-असर ही रहा। इससे जिले वासियों के हाथ मायूसी ही लगी। उधर चम्बा में छात्र नेताओं ने इसी मुद्दे पर मुख्यमंत्री और विधायक टिहरी का आभार जताते विवि बादशाहीथौल में खोलना छात्र हित में बताया है।
जिले में एफिलिएटिंग विश्वविद्यालय की स्थापना करने को लेकर विगत तीन माह से जिला मुख्यालय के साथ ही ब्लाक स्तर पर भी आंदोलन चला। परंतु सरकार ने टिहरी जिले के बादशाहीथौल को ही विश्व विद्यालय स्थापना के लिए उचित बताया। सरकार के इस फैसले से जिले वासियों के चेहरों पर मायूसी भी साफ देखने को मिल रही है। क्योंकि बमुश्किल ही एक ऐसा अवसर मिला था जब जिले के खाते में कोई बड़ी उपलब्धि आ सकती थी, परंतु ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। वहीं दूसरी ओर विवि स्थापना को लेकर राज्य सरकार के फैसले से यहां लोगों में विरोध के स्वर भी उभरने लगे हैं। कल तक जो लोग भाजपा सरकार से खुश थे, आज उनमें जिले के साथ किए गए भेदभाव से नाराजगी है। विवि स्थापना संघर्ष समिति के मुख्य संयोजक लक्ष्मण सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार ने जो फैसला लिया वह जिले के साथ अन्याय है। सामाजिक कार्यकर्ता राजेन्द्र प्रसाद भट्टकोटी का कहना है कि विवि स्थापना के लिए रुद्रप्रयाग जिले को ही प्राथमिकता दी जानी चाहिए थी, बादशाहीथौल में विश्वविद्यालय बनाना सरकार का मनमाना रवैया है।
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6268979.html
Uttarakhandi-Highlander/मी उत्तराखंडी छियो:
विकास तो किया नहीं उत्तराखंड में नेताओ ने लेकिन ५ मुख्यमंत्री जरुर बन गये इन ११ सालो में! स्पष्ट है लोगो को केवल मुख्यमत्री की कुक्रसी चाहिए!
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
खंडूरी व निशंक की लड़ाई दिल्ली पहुंचीनई दिल्ली/अमर उजाला ब्यूरो। Story Update : Wednesday, February 08, 2012 4:48 AM
[/t][/t] उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी और पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के बीच जारी शह और मात का खेल अब दिल्ली पहुंच गया है। भाजपा नेतृत्व से निशंक के मिलने के बाद अब खंडूरी भी दिल्ली पहुंच गए हैं। माना जा रहा है कि अब वे भी भाजपा नेतृत्व से मिलकर अपना पक्ष रखेंगे।
खंडूरी वैसे तो बुधवार को होने वाली राष्ट्रीय गंगा नदी घाटी प्राधिकरण की बैठक में शामिल होने आए हैं, लेकिन वे भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से भी मिलेंगे। खंडूरी के समर्थकों का आरोप है कि चुनाव के दौरान निशंक ने भितरघात किया। इससे भाजपा को नुकसान हो सकता है। दूसरी ओर निशंक का आरोप है कि चुनाव के सकारात्मक नतीजे नहीं आने पर खंडूरी गुट हार का ठीकरा उनसे सर फोड़ने की कोशिश में जुट गया है। इसलिए निशंक दिल्ली आकर पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी समेत कई वरिष्ठ नेताओं से मिलकर उन्हें अपनी सफाई दे गए। अब खंडूरी दिल्ली में हैं और माना जा रहा है कि वे पार्टी नेतृत्व को निशंक के खिलाफ शिकायतों का पुलिंदा थमाएंगे।
(news source - amar ujala)
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