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Reason For Forest Fire - उत्तराखंड में आग ज्यादा, पानी कम: कारणों कि खोज

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

It it necessary to save forest from fire...

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

उत्तराखंड के  हाल ठीक नहीं है। 
कभी बादल फटने से टूटा उत्तराखंड,
कभी राजनीतिक अस्थिरता से उजड़ा उत्तराखंड
अब बचा खुचा आग में स्वाहा उत्त्तरखण्ड। 
रहम करो प्रभु - देव भूमि को दावानल से बचाओ। 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
गर्मी की ऋतु में उत्तराखंड के जंगलों में हर साल आग लगती है और करोड़ो की वनसम्पदा का नुकसान होता है लेकिन इस साल यह दावानल कुछ ज्यादे ही भयंकर रूप धारण किये हुए है। कई गांव आग के खतरे में है। मेरा वचपन और नव-जवानी का कुछ समय उत्तराखंड में ही बीता है। हम भी कई बार आग बुझाने जंगलों में जाया करते थे और एक बार तो आग के चपेट में आ गए थे और बाल बाल जान बची थी। आग लगने का मुख्य कारण है चीड़ के पेड़ों से गिरने वाली नुकीली पत्तियां जिसे स्थानी भाषा में पिरुड कहते है। यह पिरुड काफी मात्रा में पेड़ों से सूख कर गिरती रहती है गर्मी के ऋतू में। हलकी सी भी चिंगारी से भयंकर आग का रूप ले लेती है और साथ में हवा तेज चलती है और आग तेजी से फैलती है। बाँझ , देवदार और अन्य पेड़ पानी के अच्छे श्रोत माने जाते है वही चीड़ के पेड़ आग का मुख्य कारण है। उत्तराखंड के जंगलों में अधिकतर पेड़ चीड़ के ही मिलते है। लेकिन कुदरत को कौन चैलेंज कर सकता है। कुदरत ने चीड़ के पेड़ ही उत्तराखंड को दिए अब सब पेड़ों को देवदार नहीं बनाया जा सकता है फिर भी जंगलों में लगने वाले आग से बचने के पूर्व में प्रयास किये जाने चाहिए।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
again there is news of wild fire in Sri Nagar Garhwal.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
पहाड़ो में पानी का कम होना गंभीर चिंता का विषय है।

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