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Do you feel that the Capital of Uttarakhand should be shifted Gairsain ?

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Author Topic: Should Gairsain Be Capital? - क्या उत्तराखंड की राजधानी गैरसैण होनी चाहिए?  (Read 191988 times)

खीमसिंह रावत

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पहाडों का विकास चाहिए तो, उत्तराखंड की राजधानी गैरसैण बनाये /
मेरे पहाड़ के जनता जनार्दन, इन राज नेताओं को सपनों से जगाये //

पंकज सिंह महर

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सरकार की सदबुधि के लिये हवन करते उक्रांद के वरिष्ठ नेता

चौखुटिया (अल्मोड़ा)। तीखे तेवरों के साथ उक्रांद के शीर्ष नेताओं ने 1994 के अलग राज्य आन्दोलन की तर्ज पर राजधानी के सवाल पर एक और आन्दोलन की चलाये जाने पर जोर देते हुए कहा कि उनका दल गैरसैंण को राजधानी घोषित किये बिना चैन से नहीं बैठेगा। इसके लिये आम जनता से संगठित ताकत के साथ आगे आने का आह्वान किया। इस दौरान वक्ताओं ने सियासी दलों पर भी जमकर प्रहार किये। राज्य स्थापना दिवस पर गैरसैंण के बीर चंद्रसिंह गढ़वाली परिसर में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए शीर्ष नेता काशी सिंह ऐरी ने स्थायी राजधानी के रूप में चंद्रनगर-गैरसैंण को जनता की भावनाओं का मुद्दा बताते हुए दो टूक ऐलान किया कि गैरसैंण के अलावा किसी भी कीमत पर अन्यत्र राजधानी स्वीकार नहीं की जायेगी। कहा कि चयन आयोग की रिर्पोट से साफ हो गया है कि गैरसैंण ही लोगों की पहली पसंद है। काबीना मंत्री दिवाकर भट्ट ने गैरसैंण राजधानी को प्रदेश की आम जनता की भावनाओं से जुड़ा प्रश्रन् बताया एवं कहा कि उक्रांद ने 1992 में ही गैरसैंण में राजधानी का शिलान्यास कर ऐतिहासिक कार्य किया है। अब इस सवाल पर और अधिक देर नहीं होनी चाहिये। पार्टी के केन्द्रीय अध्यक्ष नारायण सिंह जंतवाल ने अपने संबोधन में भाजपा व कांग्रेस पर प्रहार किये एवं कहा कि ये पार्टियां तरह-तरह के शगूफे छोड़कर जनता को दिग्भ्रमित करने पर लगे है, ताकि लोग कुमाऊं व गढ़वाली के नाम पर बंट जायें।



पंकज सिंह महर

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गैरसैंण, जागरण कार्यालय: गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग को लेकर उत्तराखंड क्रांति दल के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने रविवार को गैरसैंण में उपवास रखकर उसे राजधानी घोषित किए जाने तक संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया। दल के केंद्रीय अध्यक्ष नारायण सिंह जंतवाल ने भाजपा और कांग्रेस को उत्तराखंड विरोधी करार देते राजधानी मुद्दे पर सरकार की चुप्पी को जनता के साथ धोखा बताया। इस मौके पर उक्रांद ने सरकार की सद्बुद्धि के लिए हवन किया। संकल्प सभा में कैबिनेट मंत्री दिवाकर भट्ट ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा प्रदेश के राशन कोटे को कम किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। राज्य के 6 लाख 31 हजार बीपीएल परिवारों के साथ न्याय नहीं कर पाने के कारण उन्होंने मंत्रालय को छोड़ने का फैसला किया। श्री भट्ट ने सरकार में शामिल रहते हुए अपने प्रयासों के संबंध में कहा कि भू-विधेयक के माध्यम से जहां माफिया पर शिकंजा कसा गया है, वहीं बड़े बांधों का विरोध कर हमने सरकार को चेताया है। दल के शीर्ष नेता काशी सिंह ऐरी ने लड़ाई जारी रखने सरकार की सद्बुद्धि .. की बात कही। विधायक पुष्पेश त्रिपाठी ने आगामी चुनाव में भाजपा से दूरी बनाये रखने को आवश्यक बताया। सभा से पूर्व स्थानीय रामलीला मैदान में सरकार की सद्बुद्धि के लिए पार्टी नेताओं ने हवन का आयोजन किया गया। सभा में लोक वाहिनी के डा. शमशेर सिंह बिष्ट, पूर्व अध्यक्ष बीडी रतूड़ी, डा. मदनमोहन नवानी, सतीश सेमवाल, सुभाष पाण्डे, भैरव लखचौरा, मोहन घुघतियाल, गोविन्द अधिकारी, अशोक शुक्ल, सत्येन्द्र विश्नोई, जसबीर जग्गी, विजया ध्यानी आदि ने सम्बोधित किया। पौड़ी, द्वाराहाट, चम्पावत, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा से बड़ी संख्या में कार्यकर्ता पदयात्रा कर यहां पहुंचे। मंत्री की भूमिका पर सवाल गैरसैंण: गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने के मुद्दे पर उक्रांद ने सरकार की सद्बुद्धि के लिए जो हवन किया, उसमें कैबिनेट मंत्री दिवाकर भट्ट की मौजूदगी से कई सवाल उठ रहे हैं। जिस सरकार के लिए यह हवन हो रहा है, उसमें उत्तराखंड क्रांति दल भागीदार है। उक्रांद के दिवाकर भट्ट बतौर मंत्री सरकार में शामिल हैं। ऐसे में हवन में शामिल होकर श्री भट्ट क्या संदेश देना चाह रहे हैं, यह सवाल यहां अंदरखाने उठा।
 

पंकज सिंह महर

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देहरादून, जागरण संवाददाता : गैरसैण को राजधानी बनाने समेत विभिन्न मुद्दों पर कई संगठनों ने स्थापना दिवस के दिन सीएम आवास कूच किया। प्रदर्शनकारियों को हाथीबड़कला के निकट बैरीकेडिंग लगाकर रोक लिया गया। बाद में प्रदर्शनकारियों ने सिटी मजिस्ट्रेट के जरिए मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। रविवार को उत्तराखंड परिवर्तन अभियान समेत कई संगठनों के कार्यकर्ता कचहरी परिसर स्थित शहीद स्थल में एकत्र हुए। शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद आयोजित सभा में वक्ताओं ने गैरसैण को अविलंब राजधानी घोषित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि भाजपा और कांग्रेस ने जनता को छलने का कार्य किया है। ऐसे में गैरसैण को राजधानी घोषित करने के लिए एक और आंदोलन करना पड़ेगा। सभा के बाद प्रदर्शनकारियों ने सीएम आवास की ओर कूच किया। जुलूस कलेक्ट्रेट से होता हुआ पहले गांधी पार्क पहुंचा। यहां पर कुछ देर रुकने के बाद जुलूस आगे बढ़ा। प्रदर्शनकारी गैरसैण को राजधानी बनाने, हीरो होंडा श्रमिकों को न्याय दिलाने, राज्य की जमीन को मुनाफाखोरों से मुक्त कराने और आंदोलनकारियों का दमन रोकने की मांग कर रहे थे। हाथीबड़कला पुलिस चौकी पर पुलिस ने बैरीकेडिंग लगाकर प्रदर्शनकारियों को रोक लिया। यहां पर प्रदर्शन सभा में तब्दील हो गया। सभा के बाद प्रदर्शनकारियों ने एडीएम मसूरी और सिटी मजिस्ट्रेट जीएस गुणवंत को मुख्यमंत्री को प्रेषित ज्ञापन सौंपा। प्रदर्शन करने वालों में उत्तराखंड परिवर्तन अभियान के संयोजक पीसी तिवारी, महिला मंच की जिलाअध्यक्ष निर्मला बिष्ट शामिल थे।
 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Our poll on the subject.

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खीमसिंह रावत

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UKD ka hi jajba tha ki hamane Uttarakhand le liya/ raj rashtiya dal kar rahe hai/
UKD ne rajdhani ka bibul bajaya hai to safalata ke liye meri shubh kamanaye/ tatha
fura ka fura samarthan hai/

 

पंकज सिंह महर

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राजधानी मुद्दे पर सीएम का घेराव करेगी सीपीआई

देहरादून। गैरसैंण को राजधानी बनाए जाने के मुद्दे पर भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) ने आंदोलन तेज करने की घोषणा कर दी है। इसके तहत 14 नवंबर को गौचर मेले के उद्घाटन पर मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी का घेराव किया जाएगा। इसके अलावा सीपीआई सूबे के जिला मुख्यालयों में धरना-प्रदर्शन करेगी। इसके तहत देहरादून में बुधवार को जिला मुख्यालय में धरना दिया जाएगा।

मंगलवार को हाथी बड़कला स्थित पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में पार्टी के प्रांतीय सचिव समर भंडारी ने कहा कि गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग पर भाकपा कार्यकर्ता गोपेश्वर जिला मुख्यालय में आमरण अनशन पर बैठे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा व कांग्रेस ने गैरसैंण के मुद्दे पर जनता को अंधेरे में रखा हुआ है। सरकार दीक्षित आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं कर रही है। इसके चलते इस मुद्दे पर भाकपा और उसके सहयोगी 14 नवंबर को गौचर मेले के उद्घाटन मौके पर सीएम का घेराव करेंगे। उन्होंने कहा कि यदि यूकेडी गैरसैंण के मुद्दे पर उनका साथ नहीं देती तो जनता के सामने उसकी अवसरवादी छवि सामने आएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के बजाय माओवाद के नाम पर लोगों के बीच दहशत का माहौल बना रही है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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तेज हो रही है राजधानी आंदोलन की धारNov 16, 11:01 pm

गोपेश्वर (चमोली)। गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन तेज होता जा रहा है। जिला पंचायत सदस्य भरत सिंह कुंवर और ढाक के पूर्व प्रधान मोहन लाल बजवाल का अनशन रविवार को भी जारी रहा।

बस स्टेशन पर नगर पालिका प्रतीक्षालय में बीते एक महीने से स्थाई राजधानी गैरसैंण को लेकर आमरण अनशन चल रहा है। स्थानीय पुलिस प्रशासन पर आंदोलन को तोड़ने का आरोप भी लग रहा है। आंदोलनकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार नहीं चाहती कि पहाड़ की राजधानी पहाड़ में हो। इसलिए प्रदेशभर में इस मसले पर चल रहे आंदोलन को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। आंदोलनकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खूंडूड़ी को राजधानी के मसले पर चुप्पी तोड़नी चाहिए। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता आनंद सिंह राणा ने कहा कि आंदोलनकारी कल्याण परिषद की अध्यक्ष सुशीला बलूनी का यह कहना कि राजधानी गैरसैंण में नहीं बनायी जानी चाहिए दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने का कि श्रीमती बलूनी की राजनीति राज्य आंदोलन के नाम पर चल रही है और आंदोलन के नाम पर ही उन्हें सरकार में राज्य मंत्री का दायित्व सौंपा गया है। राणा ने कहा कि श्रीमती बलूनी गैरसैंण राजधानी का विरोध कर राज्य आंदोलन की मूल भावना को ठेस पहुंचाने का काम कर रही है।


jagariya/जगरिया

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राजनीति नहीं निर्णय करो, राजधानी गैरसैंण घोषित करो।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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राजधानी के मुद्दे पर उक्रंाद का धरनाNov 19, 01:22 am

देहरादून। उत्तराखंड क्रांति दल ने गैरसैण को राजधानी बनाए जाने की मांग को लेकर गांधी पार्क में धरना दिया। इस मौके पर दल के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष बीडी रतूड़ी ने कहा कि उनके विधायक भी सरकार पर इस मुद्दे को लेकर दबाव बनाएंगे।

मंगलवार को दल की जिला कार्यकारिणी के नेतृत्व में पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार गांधी पार्क में धरना दिया। इस मौके पर श्री रतूड़ी ने कहा कि उक्रांद गैरसैण को राजधानी बनाए जाने को संकल्पबद्ध है। उन्होंने कहा कि सरकार पर इसके लिए लगातार दबाव बनाया जाएगा। जरुरत पड़ने पर इसके लिए दल जल्द ही आगे की रूपरेखा तय करेगा। धरने में जिलाध्यक्ष दिनेश बडोला, वरिष्ठ यूकेडी नेता विवेकानंद खंडूड़ी, ओमी उनियाल, हरीश चंद पाठक व संजय मल्ल आदि उपस्थित थे।


 

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