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Do you feel that the Capital of Uttarakhand should be shifted Gairsain ?

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Author Topic: Should Gairsain Be Capital? - क्या उत्तराखंड की राजधानी गैरसैण होनी चाहिए?  (Read 191144 times)

Rajen

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कांग्रेस व भाजपा ने उलझाया राजधानी मुद्दा:       (Jagran News) Nov 21, 12:49 am

श्रीनगर (पौड़ी गढ़वाल)। भाकपा माले के उत्तराखंड प्रभारी राजा बहुगुणा ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा ने राजधानी के मुद्दे को उलझा दिया है।

श्रीनगर में पार्टी की गढ़वाल लीडिंग टीम की बैठक को संबोधित करते उन्होंने कहा कि दीक्षित आयोग पर जनता की गाढ़ी कमाई का साठ लाख रुपए खर्च हो गया और उसकी रिपोर्ट भी अभी तक सार्वजनिक नहीं हुई। राजधानी के मुद्दे पर गोपेश्वर में चल रहे आंदोलन को भाकपा माले के समर्थन की घोषणा करते हुए राजा बहुगुणा ने कहा कि राज्य निर्माण आंदोलन का आधार भी रोजगार का मुद्दा था। दो साल तक नियुक्तियों पर रोक लगाकर सरकार उस मूल भावना को समाप्त कर रही है। उन्होंने कहा कि किसानों और छात्रों, युवाओं के मध्य भाकपा माले के कार्यो में और तेजी लायी जाएगी। सभी क्षेत्रों में पार्टी का नए सिरे से भी गठन होगा। भाकपा माले की केन्द्रीय कमेटी के सदस्य राजेन्द्र प्रथोली ने कहा कि मालेगांव में विस्फोट करने वाले संगठनों पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। इस मौके पर भाकपा माले के गढ़वाल मंडल प्रभारी कैलाश पांडे, ललित मोहन चौकियाल, जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय पार्षद मदनमोहन चमोली और आइसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंद्रेश मैखुरी ने भी विचार व्यक्त किए।

Rajen

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गैरसैंण राजधानी को लेकर अनशन जारी (Jagran) Nov 22, 10:07 pm

रुद्रप्रयाग। राज्य की स्थाई राजधानी गैरसैंण बनाए जाने को लेकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला महामंत्री ललिता प्रसाद भट्ट एवं हर्षवर्धन पुरोहित का मुख्यालय में अनशन शनिवार को भी जारी रहा। उधर, आंदोलन को और उग्र बनाने के लिए 25 नवम्बर को उत्तराखंड संघर्ष समिति से जुडे़ लोगों की बैठक आयोजित की गई है।

राजधानी निर्माण संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले भाकपा जिला महामंत्री ललिता प्रसाद भट्ट एवं पार्टी नेता हर्षवर्धन पुरोहित ने गत शुक्रवार से विकास भवन रुद्रप्रयाग में अपना आमरण अनशन शुरू किया था। शनिवार को भी भाकपा नेताओं का अनशन जारी रहा। शनिवार को धरने पर समर्थन देने वालों में शिल्पकार सभा के जिलाध्यक्ष प्रेमलाल भारती, सजन सिंह राणा, धर्मानंद ममगाई, आरएस रावत, रामप्रसाद भट्ट, जनवादी महिला समिति की प्रांतीय उपाध्यक्ष उमा नौटियाल समेत कई शामिल थे।

पंकज सिंह महर

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अनशनकारी छत पर चढ़ा प्रशासन में हड़कंप

गोपेश्वर : स्थायी राजधानी गैरसैंण की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन में मंगलवार को प्रशासन की टीम जब आंदोलनकारियों को उठाने पहुंची तो एक अनशनकारी विश्राम घर की छत पर चढ़ गया। युवक ने चेतावनी दी कि उसे नीचे उतारने का प्रयास किया गया तो, वह छलांग लगाकर जान दे देगा। यह नजारा देखते ही पुलिस प्रशासन के हाथ पैर फूल गये। विश्राम गृह की छत पर बैठे मानव अधिकार संगठन के हरिकृष्ण किमोठी की भूख हड़ताल छत पर ही दसवें दिन भी जारी रही। देर शाम लगभग साढ़े सात बजे पुलिस ने किमोठी को छत से उतारा। इसके बाद वह पुन: धरना स्थल पर बैठ गया। उधर, पुलिस ने अनशन पर बैठे अनिल शैलान के स्वास्थ्य में गिरावट होने पर उसे अस्पताल में दाखिल करा दिया। उसकी जगह चैतसिंह कोटवाल ने अनशन शुरू कर दिया। प्रशासन के लिए यह आंदोलन परेशानी का सबब बनने लगा है।
 

पंकज सिंह महर

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काशीपुर: विधानसभा अध्यक्ष हरबंश कपूर ने कहा कि राजधानी का मसला जल्द सुलझना चाहिए। उन्होंने कहा कि विधानसभा भवन किसी भी प्रदेश का प्रतीक चिह्न होता है, लेकिन राज्य की स्थापना के आठ वर्ष बाद भी उत्तराखंड इससे महरूम है। उन्होंने माना कि कामचलाऊ विधानसभा में कामकाज प्रभावित होता है। श्री कपूर मंगलवार को सायं एक निजी कार्यक्रम में शिरकत करने भीमताल जाते समय कुछ देर के लिए मंडी समिति अतिथि गृह में रुके। इस दौरान पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि राजधानी आयोग की रिपोर्ट भी आ चुकी है। अब स्थाई राजधानी का मसला सुलझ जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि राजधानी से जुड़ी विभिन्न मूलभूत सुविधाओं के निर्माण के लिए 12वें वित्त आयोग से प्रदेश को एक अरब रुपये मिलने हैं। इस रकम को 2010 तक खर्च करना अनिवार्य होगा। ऐसे में अगर स्थाई राजधानी का मसला नहीं सुलझता है, तो यह रकम लैप्स हो जाएगी और यह प्रदेश के लिए भारी नुकसान साबित होगा। उन्होंने माना कि सीडीओ कार्यालय में चल रहे कामचलाऊ विधानसभा भवन में कामकाज प्रभावित होता है। हां और न की लॉबी तक नहीं है। ऐसे में कभी संवैधानिक संकट उत्पन्न हो गया तो दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
 

Mukesh Joshi

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उक्रांद के हाथ से फिसला गैरसैण का मुद्दाNov 27, 10:41 pm

रुद्रप्रयाग। राजधानी गैरसैण बनाने का मुद्दा उत्तराखंड क्रांति दल के पाले से खिसकता जा रहा है। उक्रांद सरकार में सहयोगी होने के बावजूद राजधानी के प्रति दल का रुख नरम है, वहीं वर्तमान समय में भाकपा द्वारा चमोली व रुद्रप्रयाग में राजधानी को लेकर चलाए गए आंदोलन व इसको मिल रहे समर्थन ने उक्रांद के माथे पर चिंता बढ़ा दी है।

राज्य की लड़ाई के दौरान राज्यवासियों ने जिस जोश से राज्य की मांग की गई थी, उसी जोश के साथ राज्य की राजधानी पहाड़ी में ही गैरसैण को बनाने को लेकर भी आवाज उठाई थी, लेकिन केंद्र सरकार ने नए राज्य की घोषणा तो की पर इसकी स्थायी राजधानी की घोषणा नहीं की। और अस्थायी राजधानी के रूप में देहरादून की घोषणा कर दी गई। अब राज्य निर्माण के आठ वर्ष बाद भी तीन सरकारें बनने के बाद भी राजधानी की घोषणा नहीं हो पाई है, ऐसे में क्षेत्रीय दल होने के नाते उक्रांद राजधानी गैरसैण को लेकर लगातार आवाज उठाता रहा है, और पहाड़ हितैशी बता कर इस मुद्दे को क्षेत्रीय दल होने के नाते अपना बताता रहा है। लेकिन वर्तमान समय में भाजपा समर्थित प्रदेश सरकार के साथ सहयोगी के रूप में सत्ता में काबिज होने के बाद भी उक्रांद राजधानी को लेकर दबी जुबान से दल के अस्तित्व को ही खतरा पैदा कर सकता है। एक ओर जहां उक्रांद राजधानी गैरसैण को अपना अहम मुद्दा मानता है, वहीं अब तक वह इस सरकार पर दबाव बनाने में पूरी तरह असफल साबित हुआ है।

दूसरी ओर पिछले एक माह से चमोली में और अब पिछले छह दिनों से रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय में भाकपा के आंदोलन ने राजधानी के इस अहम मुद्दे को उक्रांद की झोली से हटा कर अपनी झोली में डालने में काफी हद तक सफलता हासिल की है।

हालांकि भाकपा नेताओं का कहना है कि राजधानी गैरसैण का मुद्दे को उनकी पार्टी ही उठाती रही है। अनशन पर बैठे व भाकपा के जिला मंत्री ललिता प्रसाद भट्ट का कहना है कि उक्रांद ने राजधानी का मुद्दा कभी भी सही तरह नहीं उठाया। इसको लेकर दल ने हमेशा भ्रम फैलाने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि भाकपा पूरी इमानदारी के साथ आंदोलन लड़ रही है। वहीं उक्रांद के पूर्व केन्द्रीय कार्यकारी अध्यक्ष श्रीकृष्ण भट्ट का कहना है कि राजधानी के मुद्दे पर उक्रांद गंभीर है।

Mukesh Joshi

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देहरादून में अस्थाई राजधानी बनने के बाद बढ़े अपराध:पंतNov 27, 10:38 pm

गोपेश्वर/कर्णप्रयाग (चमोली)। महिला मंच की अध्यक्ष कमला पंत ने कहा कि देहरादून को अस्थाई राजधानी बनाने के बाद सिर्फ अपराधों का ही ग्राफ बढ़ा है।

पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि स्थाई राजधानी गैरसैंण में ही होनी चाहिए। जिससे प्रदेश का विकास हो सकेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश बनने के बाद नौकरशाही, नेताओं, मंत्रियों व माफिया को देहरादून इसलिये उपयुक्त लगता है क्योंकि हर सुविधाओं के उपयोग के लिए देहरादून पूरे राज्य में सर्वश्रेष्ठ है।

उन्होंने कहा कि मंच 15 वां स्थापना सम्मेलन आगामी 20 दिसम्बर को नगर निगम सभागार देहरादून में आयोजित करेगा। जिसमें राज्य आन्दोलन व महिला मंच के गठन से लेकर अब तक के स्वरूप पर व्यापक चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जहां स्थानीय स्तर पर बेरोजगारी,नौजवानों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए ठोस प्रयास करने होंगे। जल-जंगल-जमीन का उपयोग व उपभोग आम जनता के पक्ष में हो। और उसके ही नियंत्रण व देख-रेख में यह परिसंपत्तियां बनी रहें इसके लिए कार्य योजना बनाए जाने की जरूरत है।

कर्णप्रयाग। उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति के केंद्रीय सचिव जेपी पांडे ने कहा कि गैरसैंण राजधानी बनने के बाद ही उनका आदोलन समाप्त होगा। पांडे ने कहा कि पहाड़ की राजधानी पहाड़ में बनने से ही पर्वतीय जनपदों के लोगों का समग्र विकास हो सकता है और इसी अवधारणा को लेकर राज्य की स्थापना की गई थी। उन्होंने कहा कि आज सूबे में बेरोजगारी, मंहगाई,कमीशनखोरी चरम सीमा पर है और विभागों में पद खाली होने के बाद भी यहां के शिक्षित प्रशिक्षित युवकों को रोजगार नहीं दिया जा रहा है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Uttarakhand: Stir to make Gairsain capital
« Reply #156 on: December 09, 2008, 10:24:19 AM »
DEHRADUN: Unable to make the BC Khanduri government declare Gairsain as the capital of the hill state, the Uttarakhand Sanyukt Sangharsh Samiti 
launched the "Gairsain Rajdhani banao, Uttarakhand bachao'' agitation.

On Sunday, the samiti activists burnt an effigy of the government as a mark of anger and anguish of the Uttarakhand movement activists. Samiti's president Dhirendra Pratap accused the state government of deliberately delaying the declaration of Gairsain as permanent capital in place of Dehradun, which is a temporary capital of the state. He warned the CM against playing with the hopes and aspirations of the "simple people'' of the state who have "sacrificed their time and lives for the development of the 16,000 villages of the state''. "Now, when the Dixit Commission has come out with a report on the permanent capital after a gap of eight years, the government is trying to minimize the importance of the issue,'' he alleged.

Pratap asked the CM to respect the sentiments of the people and table a Bill on this sensitive issue in the forthcoming assembly session starting from December 15.

The Samiti has declared that similar programmes would be held to pressurize "the irresponsible government'' of Uttarakhand to immediately declare Gairsain as the permanent capital of the state.

Referring to government's decision not to make public contents of the Dixit report, Pratap said the state government was keeping "a criminal silence'' on the vital issue

Rajen

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राजधानी बदलने में देरी पर, राज्य सरकार का पुतला जलाया  (Jagran news) Dec 11, 11:39 pm




गाजियाबाद, जागरण संवाद केंद्र : उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति के तत्वाधान में बृहस्पतिवार को राज्य सरकार का पुतला जलाया गया। जिसमें समिति के अध्यक्ष धीरेन्द्र प्रताप के नेतृत्व में गाजियाबाद के चौधरी चरण सिंह तिराहे पर उत्तराखंड की अस्थाई राजधानी देहरादून के स्थान पर गैरसैण को स्थाई राजधानी बनाए जाने में उत्तराखंड की सरकार द्वारा हो रही देरी के विरुद्ध प्रवासी उत्तराखंडियों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए राज्य सरकार का पुतला जलाया। इस अवसर पर समिति के सदस्यों ने 'गैरसैण राजधानी बनाओ, उत्तराखंड बचाओ' के नारे भी लगाए। समिति ने भाजपा उत्तराखंड क्रांति दल गठबंधन सरकार के प्रति रोष जताया और उत्तराखंड सरकार पर 80 लाख उत्तराखंडी जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का आरोप भी लगाया। समिति के अध्यक्ष धीरेन्द्र प्रताप ने ऐलान किया कि अगर उनकी इस मांग को जल्द उत्तराखंड सरकार द्वारा नहीं माना गया तो उनकी समिति उत्तर प्रदेश, हरियाण, दिल्ली के सातों संसदीय क्षेत्रों में भाजपा सरकार के पुतले जलाकर भाजपाई विश्वासघात का पर्दाफाश करेगी। एक जनवरी को उत्तराखंड सरकार के खिलाफ विश्वासघात विरोधी दिवस के रूप में मनाएगी।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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The Report of Rajdhani Aayog has not been made public by the Govt. This is also a matter of concern.



राजधानी बदलने में देरी पर, राज्य सरकार का पुतला जलाया  (Jagran news) Dec 11, 11:39 pm




गाजियाबाद, जागरण संवाद केंद्र : उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति के तत्वाधान में बृहस्पतिवार को राज्य सरकार का पुतला जलाया गया। जिसमें समिति के अध्यक्ष धीरेन्द्र प्रताप के नेतृत्व में गाजियाबाद के चौधरी चरण सिंह तिराहे पर उत्तराखंड की अस्थाई राजधानी देहरादून के स्थान पर गैरसैण को स्थाई राजधानी बनाए जाने में उत्तराखंड की सरकार द्वारा हो रही देरी के विरुद्ध प्रवासी उत्तराखंडियों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए राज्य सरकार का पुतला जलाया। इस अवसर पर समिति के सदस्यों ने 'गैरसैण राजधानी बनाओ, उत्तराखंड बचाओ' के नारे भी लगाए। समिति ने भाजपा उत्तराखंड क्रांति दल गठबंधन सरकार के प्रति रोष जताया और उत्तराखंड सरकार पर 80 लाख उत्तराखंडी जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का आरोप भी लगाया। समिति के अध्यक्ष धीरेन्द्र प्रताप ने ऐलान किया कि अगर उनकी इस मांग को जल्द उत्तराखंड सरकार द्वारा नहीं माना गया तो उनकी समिति उत्तर प्रदेश, हरियाण, दिल्ली के सातों संसदीय क्षेत्रों में भाजपा सरकार के पुतले जलाकर भाजपाई विश्वासघात का पर्दाफाश करेगी। एक जनवरी को उत्तराखंड सरकार के खिलाफ विश्वासघात विरोधी दिवस के रूप में मनाएगी।

Rajen

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राजधानी (गैरसैण)  के लिए आन्दोलन जोर पकड़ता जा रहा है.

 

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