Poll

Do you feel that the Capital of Uttarakhand should be shifted Gairsain ?

Yes
97 (70.8%)
No
26 (19%)
Yes But at later stage
9 (6.6%)
Can't say
5 (3.6%)

Total Members Voted: 136

Voting closed: March 21, 2024, 12:04:57 PM

Author Topic: Should Gairsain Be Capital? - क्या उत्तराखंड की राजधानी गैरसैण होनी चाहिए?  (Read 192720 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Beautiful Gairsain.. Snow fall. This is the best place for capital tourism point of view also.




Gairsain, in Uttarakhand, is being pitched as the new summer capital of the State. A team led by Garhwal MP Satpal Maharaj conducted an aerial survey to locate a suitable site for the summer capital of the State on Sunday.
 
 
 
 

 Satpal Maharaj, senior Congress leader had requested the government in the State to declare Gairsain as the permanent summer capital of Uttarakhand. He had said in April this year, “We want the new government to raise this matter and declare Gairsain as the State’s permanent summer capital.
 
 The step will not only help in the development of areas in and around Gairsain, but will also make it convenient for people to approach the capital faster. Gairsain is centrally located and can be reached on time from even rural belts of the State.”
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विनोद सिंह गढ़िया

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भराड़ीसैंण में बनेगा विधानभवन
तकनीकी समिति से हरी झंडी मिलने पर लिया गया फैसला

नया विधानभवन गैरसैंण के भराड़ीसैंण में बनेगा। तकनीकी समिति से हरी झंडी मिलने के बाद यह फैसला किया गया है। नए विधानभवन को पर्वतीय शिल्प में ढाला जाएगा। इसके साथ ही विधायक आवास, विधानसभा सचिवालय, अफसरों और अन्य कर्मियों के लिए भी यहां व्यवस्था की जाएगी।
बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल को स्थल चयन के लिए बनी विशेषज्ञों की कमेटी ने रिपोर्ट सौंपी। प्रभारी सचिव राजस्व डीएस गर्ब्याल की अध्यक्षता में गठित समिति ने 498 एकड़ क्षेत्र में फैले भराड़ीसैंण को सबसे उपयुक्त स्थल पाया। इससे पहले विस अध्यक्ष की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने भराड़ीसैंण सहित कालीमाटी, नागार्जुन सैंण, रिठिया सिंटोली, हरगढ़सैंण स्थलों का परीक्षण करने के लिए विशेषज्ञ कमेटी को निर्देश दिए थे।
विधानसभा में विशेषज्ञ कमेटी के साथ बैठक के बाद विस अध्यक्ष ने बताया कि विधानभवन के लिए निर्माण एजेंसी जल्द फाइनल कर ली जाएगी। भवन निर्माण को 22 करोड़ रुपये 13वें वित्त आयोग के उपलब्ध हैं। शेष धन की भी व्यवस्था कर ली जाएगी। आयोग ने विधानभवन के निर्माण को 87 करोड़ की व्यवस्था की है। इससे पहले हुई बैठक में मुख्य सचिव आलोक कुमार जैन, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री डीके कोटिया, तकनीकी समिति के अधिकारी शामिल थे।

कहां है भराड़ीसैंण ?

चमोली जिले की तहसील गैरसैंण में स्थित भराड़ीसैंण का नाम स्थानीय ईष्ट देवी भराड़ी के नाम पर पड़ा है। यह स्थान समुद्रतल से करीब 2300 मीटर की ऊंचाई पर है। दिवालीखाल से चार किमी दूर दूधातोली की पर्वत श्रृंखलाओं की तलहटी में बसा यह सुंदर स्थान है। तहसील मुख्यालय से इसकी दूरी16 किमी है। पश्चिम में हिमालय की बंदर पूंछ चोटी के दर्शन होते हैं। पूर्व में रानीखेत के मनोरम दृश्य दिखते हैं। देहरादून से इसकी दूरी तकरीबन ढाई सौ किमी है।

भराड़ीसैंण ही क्यों ?

पहली बात तो यह कि इतनी ज्यादा समतल भूमि (498 एकड़) एक साथ पहाड़ में मिलनी मुश्किल है। इस स्थान पर सुगम आवागमन के साथ पर्याप्त पानी आदि की सुविधा भी है। मौसम भी बेहद खुशगवार रहता है। ग्रीष्मकालीन राजधानी बनने के लिए यह स्थल बेहद उपयुक्त है। यहां का तापमान 28 डिग्री से ऊपर कभी नहीं जाता। जाड़े में बर्फबारी होती है और पारा शून्य डिग्री तक चला जाता है। हालांकि बिजली पर्याप्त नहीं है, लेकिन 40 किलोमीटर लंबी डबल फीडर लाइन बिछाने को पांच करोड़ रुपये खर्च कर विद्युत आपूर्ति सुचारू हो जाएगी।

साभार : अमर उजाला

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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In fact a good news after a long gap.

We don't need any further political conspiracy here. The building must be made within a specified timeline so that Political conspirator dont able to play any trick.

भराड़ीसैंण में बनेगा विधानभवन
तकनीकी समिति से हरी झंडी मिलने पर लिया गया फैसला

नया विधानभवन गैरसैंण के भराड़ीसैंण में बनेगा। तकनीकी समिति से हरी झंडी मिलने के बाद यह फैसला किया गया है। नए विधानभवन को पर्वतीय शिल्प में ढाला जाएगा। इसके साथ ही विधायक आवास, विधानसभा सचिवालय, अफसरों और अन्य कर्मियों के लिए भी यहां व्यवस्था की जाएगी।
बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल को स्थल चयन के लिए बनी विशेषज्ञों की कमेटी ने रिपोर्ट सौंपी। प्रभारी सचिव राजस्व डीएस गर्ब्याल की अध्यक्षता में गठित समिति ने 498 एकड़ क्षेत्र में फैले भराड़ीसैंण को सबसे उपयुक्त स्थल पाया। इससे पहले विस अध्यक्ष की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने भराड़ीसैंण सहित कालीमाटी, नागार्जुन सैंण, रिठिया सिंटोली, हरगढ़सैंण स्थलों का परीक्षण करने के लिए विशेषज्ञ कमेटी को निर्देश दिए थे।
विधानसभा में विशेषज्ञ कमेटी के साथ बैठक के बाद विस अध्यक्ष ने बताया कि विधानभवन के लिए निर्माण एजेंसी जल्द फाइनल कर ली जाएगी। भवन निर्माण को 22 करोड़ रुपये 13वें वित्त आयोग के उपलब्ध हैं। शेष धन की भी व्यवस्था कर ली जाएगी। आयोग ने विधानभवन के निर्माण को 87 करोड़ की व्यवस्था की है। इससे पहले हुई बैठक में मुख्य सचिव आलोक कुमार जैन, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री डीके कोटिया, तकनीकी समिति के अधिकारी शामिल थे।

कहां है भराड़ीसैंण ?

चमोली जिले की तहसील गैरसैंण में स्थित भराड़ीसैंण का नाम स्थानीय ईष्ट देवी भराड़ी के नाम पर पड़ा है। यह स्थान समुद्रतल से करीब 2300 मीटर की ऊंचाई पर है। दिवालीखाल से चार किमी दूर दूधातोली की पर्वत श्रृंखलाओं की तलहटी में बसा यह सुंदर स्थान है। तहसील मुख्यालय से इसकी दूरी16 किमी है। पश्चिम में हिमालय की बंदर पूंछ चोटी के दर्शन होते हैं। पूर्व में रानीखेत के मनोरम दृश्य दिखते हैं। देहरादून से इसकी दूरी तकरीबन ढाई सौ किमी है।

भराड़ीसैंण ही क्यों ?

पहली बात तो यह कि इतनी ज्यादा समतल भूमि (498 एकड़) एक साथ पहाड़ में मिलनी मुश्किल है। इस स्थान पर सुगम आवागमन के साथ पर्याप्त पानी आदि की सुविधा भी है। मौसम भी बेहद खुशगवार रहता है। ग्रीष्मकालीन राजधानी बनने के लिए यह स्थल बेहद उपयुक्त है। यहां का तापमान 28 डिग्री से ऊपर कभी नहीं जाता। जाड़े में बर्फबारी होती है और पारा शून्य डिग्री तक चला जाता है। हालांकि बिजली पर्याप्त नहीं है, लेकिन 40 किलोमीटर लंबी डबल फीडर लाइन बिछाने को पांच करोड़ रुपये खर्च कर विद्युत आपूर्ति सुचारू हो जाएगी।

साभार : अमर उजाला

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We need capital Gairsain. There is no further politics on this issue further.
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Uttarakhand govt in a fix over demands for Gairsain as the capital
Shishir Prashant / New Delhi/ Dehradun Jan 07, 2013, 00:20 IST

With the Uttarakhand government’s decision to construct two new Vidhan Sabha buildings at Gairsain and Dehradun, a controversy is brewing in the hill state over Gairsain to replace Dehradun as its capital.

A section of the statehood activists, who are opposed to Dehradun as an interim capital, are up in arms against the government’s decision to build a new Vidhan Sabha building at a Railpur locality here.

 
     
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The activists comprising Uttarakhand Mahila Manch have asked the government to make Gairsain, a nondescript town in the hilly Chamoli district, as a permanent capital of the state. Vidhan Sabha Speaker Govind Singh Kunjwal, a protégé of union water resources minister Harish Rawat, has also stirred a hornet’s nest by advocating Gairsain be made the summer capital of the hill state.

Kunjwal’s advocacy of summer capital in Gairsain has put Chief Minister Vijay Bahuguna in a fix. “The chief minister is upset because Kujwal did not consult him on the issue,” said a senior Congress leader.

A section of senior Congress leaders especially from plains are reading too much in the controversy generated over the capital issue. “I don’t want to comment on the summer capital issue. But Vidhan Sabha building should also remain in Dehradun,” said the state’s Sports Minister Dinesh Agarwal, an MLA from Dharampur area in Dehradun.

The chief minister on Sunday sought to steer clear the controversy, saying his first priority would be to construct a Vidhan Sabha building and make necessary infrastructure facilities at Gairsain. “It will take a three-year time to build infrastructure facilities and a new Vidhan Sabha at Gairsain. We will see what can be done after three years,” said Bahuguna.

The controversy arose in the wake of the government’s recent decision to shift Vidhan Sabha building to a new place at Raipur area in Dehradun. The present Vidhan Sabha building is constructed at a location, that is considered to be a river bed area which creates traffic snarls during assembly sessions in the city.

Besides, the government has also decided to lay a foundation stone of a new vidhan sabha building at Gairsain on January 14 to organise a one-assembly session during summers. Congress chief Sonia Gandhi is expected to visit Gairsain on January 14 over the issue.

विनोद सिंह गढ़िया

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आखिर कि छु इनर मंशा ?  निगुराट क ले क्वे हद हुं।


गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी की मांग स्पीकर ने उठाई, सीएम ने की खारिज
गैरसैंण पर साफ नहीं किसी की भी मंशा


गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की विधानसभा अध्यक्ष की मांग को मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने सिरे से खारिज कर दिया। उनका कहना है कि सरकार ने गैरसैंण में कैबिनेट बैठक कराने के बाद अब विधानसभा का एक सत्र वहां आहूत करने का फैसला लिया है। यह सरकार का पहला कदम है। बाकी क्या होगा, भविष्य बताएगा।गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने और पर्वतीय क्षेत्रों में विकास नहीं होने संबंधी स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल का बयान आते ही रविवार सुबह मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा कुंजवाल के घर पहुंच गए। आधा घंटा दोनों के बीच गुफ्तगू हुई। बातचीत कुंजवाल के बयानों के इर्द-गिर्द ही रही। हालांकि सरकारी तौर पर दोनों के बीच गैरसैंण में विधानभवन के शिलान्यास कार्यक्रम पर बातचीत होना बताया गया। लेकिन मीडिया से मुखातिब होने पर सीएम का सारा फोकस गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी या स्थायी राजधानी पर ही रहा। कहा कि जनभावना को देखते हुए सर्वसम्मति बनने के बाद ही गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन या स्थायी राजधानी पर फैसला लिया जाएगा। फिलवक्त वहां विधानभवन बनने जा रहा है। 14 जनवरी को उसका शिलान्यास है। सीएम ने कहा कि विकास एक सतत प्रक्रिया है। चाहे जितना काम हो, कुछ न कुछ रह ही जाता है। सरकार भी विकास की गति को लेकर संतुष्ट नहीं है। अभी बहुत काम होने हैं।गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की मांग को सीएम द्वारा लगभग खारिज कर दिए जाने से स्पीकर की नाराजगी भी खुलकर सामने आ गई। उन्होंने परोक्ष रूप से इसे जाहिर करने की बजाए कहा कि इस बार मीडिया के सामने अपनी बात कह दी। आगे से पहले मुख्यमंत्री से ही कहेंगे। कुंजवाल का यह कथन स्पष्ट कर रहा है कि गैरसैंण और पर्वतीय क्षेत्र के विकास को लेकर उनके बयान पर सरकार की प्रतिक्रिया से वे बहुत खुश नहीं हैं। वहीं, इस मामले के तूल पकड़ने के साथ ही विपक्षी भाजपा को मुद्दा हाथ लग गया।भाजपा के विधायक मदन कौशिक ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र में गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का प्राइवेट संकल्प रखा था। लेकिन सत्तापक्ष के साथ नहीं देने से बहुमत से यह संकल्प गिर गया था। अब विधानसभा अध्यक्ष ने खुद इस मसले को उठा दिया है। नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट का कहना है कि गैरसैंण पर सरकार को अपनी स्थिति साफ करनी चाहिए। साल में सिर्फ एक सत्र आहूत करने भर के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर विधानभवन बनाने का औचित्य क्या है? सरकार बताए। भट्ट ने सरकार से गैरसैंण पर श्वेतपत्र जारी करने की मांग की है।

साभार : अमर उजाला

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Bharat Rawat Surendra Singh Rawat
 गैरसैंण से कम कुछ भी स्वीकार नहीं
 
 आंदोलनकारियों को गैरसैंण में स्थायी राजधानी के अलावा कुछ भी स्वीकार नहीं। राज्य के हित में भी यही है कि देहरादून में नया विधान भवन बनाने के बजाय, गैरसैंण में ही सारी व्यवस्थाएं जुटाई जाएं। यही नहीं, जल, जंगल, जमीन को बचाने के लिए हिमाचल की तरह यहां भी धारा-371 का प्रावधान हो। तभी राज्य गठन का औचित्य साकार हो सकता है। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच व महिला मंच की संयुक्त बैठक में रविवार को इन्हीं बिंदुओं पर चर्चा हुई। कहा गया कि एक तरफ सरकार खराब आर्थिक स्थिति का हवाला देकर कर्मचारियों को हड़ताल से वापस लौटने की सलाह दे रही है, वहीं दो-दो विधान भवन बनाकर उसे पैसे की बरबादी की चिंता नहीं। यदि आर्थिक स्थिति इतनी ही खराब है तो क्यों नहीं मंत्रियों के विदेश दौरों व लग्जरी गाडि़यों में घूमने के शौक पर अंकुश लगाया जाता। वक्ताओं का कहना था कि हिमाचल प्रदेश को नजीर की तरह पेश करने वाली प्रदेश सरकार को वहां के पूर्व मुख्यमंत्री यशवंत सिंह परमार के आदर्शो पर चलने की कोशिश भी करनी चाहिए। उन्होंने राज्य में जल, जंगल व जमीन को बचाने के लिए धारा-371 लागू करने की वकालत की। बैठक में मूल निवास के सवाल पर भी चर्चा हुई। कहा गया कि अस्मिता से जुडे़ इस सवाल को यूं ही छोड़ देना शहीद आंदोलनकारियों का अपमान है। ऐसे तो बांग्लादेशी व माओवादी भी इस राज्य के मूल निवासी बन बैठेंगे। सभी संगठनों ने इन सवालों पर उक्रांद के 10 जनवरी को प्रस्तावित बंद के प्रति पूर्ण समर्थन जताया। राज्य आंदोलनकारी मंच के अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी की अध्यक्षता में हुई बैठक में मंच के पूर्व अध्यक्ष रवींद्र जुगरान, जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती, ओमी उनियाल, रामलाल खंडूड़ी, मोहन सिंह रावत, निर्मला बिष्ट, कमला पंत, पूर्ण सिंह लिंगवाल, शकुंतला नेगी, सुलोचना भट्ट, सरदार हरजीत सिंह, चंद्रगुप्त विक्रम, विनोद नौटियाल समेत बड़ी तादाद में आंदोलनकारियों ने शिरकत की।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Mahi Mehta First Photo of Proposed Capital of uttarakhand Gairsain. Snow covered. this is the recent pic. Second photo of Naini Sani Airport, Pithorgarh Distt. Unfortunately, no flight could take off from this Place. Same is the situation of Gochar. we have to see whether Uttarakhand Govt make stone foundation in Gairsain on 14 Jan 13 or not as there is some Controversy brewing up for Gairsain. Some of the hill leaders are not agreeing for Gairsain to be made capital of uttarakhand..Namely Harish Rawat ji... who is also member of this group.Like ·  · Unfollow Post · Yesterday at 11:29pm
  • Seen by 14Udaya Pant likes this.
  • Bharti Pant Gahtori are u in favour of Gairsain....if yes tell me the positives please.......11 hours ago · Unlike · 2
  • Udaya Pant Gairsain is agreed capital..I thought present UK govt decided to have summer sessions of Assembly there already! I like the place personally and lived there from '62 to '65....Abt Pithoragarh Air Strip..perhaps it was made for the birds only to fly over ;)))))9 hours ago · Edited · Like · 1
  • Bharti Pant Gahtori agreed ho gaya kya.........?...kaise jayenge wahan9 hours ago · Like · 1
  • Udaya Pant It is very central and deals with the aspirations of people of the capital of hill state in the hills..in student days when we all used to be either members or sympathizers of UKD..this was selected..later supported by Kaushik Committee (UP). It is in Garhwal but so close to Kumaon..those are the positives:)9 hours ago · Like
  • Udaya Pant Ranikhet ke paas- Bhikiyasain se abt one and half hours; Garud se Gwaldam-Simli-Adibadri-Gairsain about 2 1/2 hours.baaki ke liye..Google maps/earth hai na!9 hours ago · Edited · Like
  • Bharti Pant Gahtori pata nahi.........central hona har cheez ka solution nahi.........its so difficult to reach...............chalo bade logon ne decide kar hi liya hai to hum kyun dimaag lagayen..................:D:D9 hours ago · Like
  • Mahi Mehta In fact, we have kept this gairsain issue through merapahadforum.com and every year we also organize a rally at Gairsain in order to make Gairsain permanent capital of Uttarakhand. We also conducted a online survey wherein 89% people wish that capital should be moved to Gairsain. Even Haridwar, Dehradun and plain areas people are in favour of Gairsain.2 hours ago · Like
  • Sunil Negi Sir, when I was associated with late H.N. Bahuguna a stalwart of indian politics , he always used to say that unless the political and economic power is not decentralised and the fruits of developments are not distributed amongst the person living in the most remote corner of the state or country, the purpose of actual independence will not be achieved. We have attained separate entit as a state in 2000, but the fruits of development have not reached the villiages and hence there is tremendous influx towards the cities called palaayan. Villages are badly being emptied as there is tremendous dearth of jobs and health fescilities in the villages, block headquarters or the towns of UK. Even the capital of DD has no good hospital. People are dying on the way. The concept of making Gairsain the actual capital of UK therefore is to transfer the economic and political power to the interiors of the state so that the actual voter is benefitted economically, politically, socially, educationally, scientifically, industrially and from the medical point of view as there will be inside development. The same trend of development will then move to other areasc of the interiors of UK and we will get ourselves rid of the so called elite taste and culture that had actually engulfed the taste, temperament and brains of our buareaucrats who are enjoying the actual fruits of comforts and luxories in Dehradun and do not want to go towards the villages. Therefore the call of the time is tosooner or later shift the capital to Gairsain and the recent step of constructing a VIdhan Bhawan is a constructive step in that direction. Let's allow building of this Vidhan Bhawan first and then increase our pressure on the government to make Gairsain a fullfleged capital of UK.about an hour ago · Like · 1
  • Bharti Pant Gahtori Just one question........does that place has the ability to expand  as the need arises area wise  and how will that place cater to the problem of unemployment if nothing except tourism and other small scale industries can only develop is such hilly are...See More41 minutes ago · Edited · Like
  • Sunil Negi See, now we have a separate hilly state. And a separate hilly state concept becomes fruitful only when the fruits of development reach the interiors and it can happen only when the industries, hospitals, offices, smal and cottage productive units, educ...See More43 minutes ago · Unlike · 1
  • Mahi Mehta i second your views negi ji..  secondly, uttarakhand is the only Hilly State of India whose Capital is in plain area. Gairsain was a proposed capital since state struggle days. when uttarakhand state was formed, it was said that within 6 months or one ...See More3 minutes ago · Like

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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देवसिंह रावत गैरसैंण को राजधानी घोषित करने के लिए सरकार पर भारी दवाब
 
 देहरादून में नयी विधानसभा भवन बनाना उत्तराखण्ड के साथ विश्वासघात
 
 मकर संक्रांति के दिन प्रदेश सरकार गैरसेंण में एक विधानसभा भवन का शिलान्यास करने जा रही है। परन्तु सरकार देहरादून का अंध मोह नहीं छोड़ पा रही है। भले ही प्रदेश कांग्रेस सरकार गैरसेंण को ग्रीष्म कालीन राजधानी घोषित करने से भी कतरा रही हो परन्तु गैरसेंण को प्रदेश की राजधानी बनाने के लिए जनता की तरफ से निरंतर दवाब बढ़ता ही जा रहा है। राज्य गठन समर्थकों की तरफ से ही नहीं अपितु कांग्रेस व भाजपा के राज्य समर्थक नेताओं को भी एक बात अब समझमें आने लगी है कि बिना गैरसेंण में राजधानी बने हुए प्रदेश की जनांकांक्षाओं को साकार नहीं किया जा सकता है। खासकर जिस नासमझी व अदूरदर्शिता से प्रदेश सरकार गैरसेंण में विधानसभा भवन बनाने की खबर से प्रफुल्लित उत्तराखण्डियों से विश्वासघात करके इसकी आड़  में देहरादून में भी विधानसभा का नया भवन बनाने का नापाक काम कर रही है, उससे उत्तराखण्ड के हितैषी व समर्पित राज्य आंदोलनकारियों में गहरा आक्रोश है। सबसे अहम बात अब प्रदेश के लोगों को समझ में आ गयी है कि न तो प्रदेश के जनप्रतिनिधी बने हुक्मरान व नहीं प्रदेश के विकास को दीमक की तरह चाट रहे नौकरशाह तथा प्रदेश के पूरे तंत्र  को अपने इशारों पर नचाने वाले माफिया टाइप के जल-जंगल-भूमि व शराब के अवैध कार्यो में लगे माफिया जनभावनाओं के खिलाफ प्रदेश की राजधानी को गैरसेंण बनाने के बजाय हर हाल में देहरादून में अपने ऐशौ आराम के लिए थोपे रखना चाहते हैं। ये लोग गैरसेंण राजधानी बनाने के विरोध में उन लोगों को अपना मोहरा बना रहे हैं जो उत्तराखण्ड  राज्य गठन के विरोध में रहे। जो यहां पर पहाड़  व मैदान की द्वेष फेला कर उत्तराखण्ड की शांति को भंग करना चाहते है। जिन लोगों को इतिहास ही दागदार रहा और जो माफियाओं के इशारे पर प्रदेश को लूट खशोट कर बर्बाद  करना चाहते है वे ही लोग गैरसेंण राजधानी बनाने का विरोध कर रहे हैं। इनके कारनामों की अब तक जांच करायी जाय तो ये इन लोगों के काले कारनामें जनता के सामने बेनकाब हो जायेंगे।
 जब वर्तमान सरकार ने आधे अधूरे मन से गैरसैंण में विधानसभा का एक सत्र चलाने व वहां पर विधानसभा भवन बनाने का ऐलान किया तो जनता ने इससे पूरी तरह से खुश न होने के बाबजूद उनको ऐसा लगा कि देर सबेर आखिर इसी नीव से प्रदेश की स्थाई राजधानी गैरसेंण में कभी न कभी तो बनेगी। परन्तु जैसे ही प्रदेश सरकार ने गैरसेंण में 14 नवम्बर को विधानसभा भवन का शिलान्यास करने के साथ साथ देहरादून में भी विधानसभा भवन के लिए नयी जगह ढ़ूढने का ऐलान किया, जनता की आशाओं पर मानो बज्रपात के समान ही हुआ। जनता मे गहरा आक्रोश छा गया। जनता प्रश्न कर रही है कि आखिर देहरादून में नयी विधानसभा भवन बना कर जनता के साथ विश्वासघात क्यों कर रही है सरकार। जब तक गैरसैण में विधानसभा भवन आदि भवनों का सही निर्माण नहीं होता तब तक देहरादून में वर्तमान विधानसभा भवन ही काफी है। सरकार द्वारा देहरादून में नये विधानसभा भवन बनाने का विचार ही जनता प्रदेश के साथ विश्वासघात से कम नहीं मान रही है।
 प्रदेश विधानसभाध्यक्ष ने दो टूक शब्दों में सरकार से गैरसेंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने की मांग की। अपनी मांग को प्रदेश के लिए नितांन्त जरूरी बताते हुए विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन रोकने व विकास के लिए सरकार गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करना जरूरी है। श्री कुंजवाल ने कहा कि मैदान व पहाड़ के संतुलित विकास में समान नीति अपनाई जानी चाहिए। उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों में सड़क, विद्यालय व चिकित्सालय सहित विकास का पूरा ढ़ाचा ही चरमराने   पर गहरी चिंता प्रकट की।  उन्होंने अफसोस प्रकट किया कि राज्य बनने के 12 साल बाद भी पर्वतीय क्षेत्रों का विकास ओर तीब्र होने के बजाय वहां विकास अवरूद्ध ही नहीं अपितु जो कुछ पहले हुआ था वह भी पटरी से उतर गया है। वहीं दूसरी तरफ भाजपा ने भी विधानसभा में सरकार की मंशा भांपते हुए श्रेय लेने के लिए विधानसभा में गैरसेंण को ग्रीष्म कालीन राजधानी घोषित करने का प्रस्ताव रखा था। जिसे कांग्रेस ने नकार दिया था। अब प्रदेश विधानसभाध्यक्ष ने सरकार द्वारा गैरसेंण में ग्रीष्मकालीन राजधानी न बनाये जाने के ऐलान के बाद गैरसेंण में ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की मांग करना कांग्रेस के अंदर चल रही गैरसैंण मुद्दे पर बर्चस्व की छीडी जंग को ही बेपर्दा करता है। प्रदेश की कांग्रेसी राजनीति में जिस प्रकार से हरीश रावत व सतपाल महाराज के गुटों में लम्बे समय से बर्चस्व की सीधी जंग रही है। इसमें अभी तक हरीश रावत का पलड़ा भारी रहा।  जिस प्रकार से हरीश रावत गुट ने देखा की गैरसेंण विधानसभा भवन बनाने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री बनने की जंग की तरह सतपाल महाराज ने हरीश रावत गुट को पछाड़ दिया हो। इसी से सबक लेकर अब हरीश रावत गुट ने भी गैरसेंण मुद्दे पर सतपाल महाराज व विजय बहुगुणा की सांझी रणनीति को पछाड़ने के लिए गैरसेंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की मांग कर डाली। गौरतलब है कि विधानसभाध्यक्ष गोविन्द सिंह कुंजवाल हरीश रावत गुट के प्रमुख सिपाहेसलार है। उनके द्वारा की गयी मांग को हरीश रावत की राजनीति का एक सोचा समझा दाव माना जा रहा है। कांग्रेस में सत्ता संघर्ष का यह तिकड़म से अगर प्रदेश के लोगों को  गैरसैंण राजधानी बनाने की राह मेें एक कदम आगे बढ़ाता है तो यह प्रदेश के हित में ही होगा। खासकर ऐसे समय जब जनभावनाओं को रौंद कर पूरी व्यवस्था व राजनैतिक दल गैरसेंण राजधानी बनाने के बजाय देहरादून के मोह में बुरी तरह से उलझे हुए है। ऐसे में गैरसेंण को राजधानी बनाने की दिशा में आधा अधूरा कदम भी किसी आशा की किरण से कम नहीं है। परन्तु जनता को सावधान होना होगा। इनके झांसे में फंसने के बजाय देहरादून में राजधानी थोपे रखने के लिए बनाये जा रहे नये विधानसभा भवन का पुरजोर विरोध करना होगा। गैरसैंण में प्रदेश की राजधानी बनाने की मांग को ले कर शहीद हुए बाबा मोहन उत्तराखण्डी सहित राज्य गठन के सभी शहीदों को यही सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी। गैरसेंण केवल प्रदेश की जनांकांक्षाओं को साकार करने की केन्द्र विन्दू व विकास की राह ही नहीं अपितु लोकशाही का भी प्रतीक बन गया है। यह जो कुकृत्य व विश्वासघात प्रदेश के अब तक के हुक्मरानों ने प्रदेश के हक हकूकों व मान सम्मान के साथ किया उसका भी एक प्रकार से प्रायश्चित होगा। शेष श्री कृष्ण कृपा। हरि ओम तत्सत्। श्री कृष्णाय् नमो।

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उत्तराखंड में राजधानी का मुद्दा फिर गरमाया

शिशिर प्रशांत / देहरादून January 06, 2013

उत्तराखंड विधानसभा के लिए दो नए भवन बनाने की हो रही तैयारी के बीच एक बार फिर यहां राजधानी का मुद्दा गरमाने लगा है। राज्य की मौजूदा राजधानी देहरादून और पहाड़ी क्षेत्र में स्थित गैरसैण में राज्य विधानसभा का नया भवन बनाने का प्रस्ताव है।

अलग राज्य के गठन के लिए शुरू से अभियान चला रहे एक गुट का कहना है कि देहरादून को अंतरिम राजधानी बनाया गया था। इन लोगों ने देहरादून के रायलपुर क्षेत्र में नए विधानसभा भवन के निर्माण का विरोध शुरू कर दिया है। उत्तराखंड महिला मोर्चा ने सरकार से कहा है कि गैरसैण को ही स्थायी राजधानी बनाया जाना चाहिए। गैरसैण मूल रूप से पहाड़ी इलाके के चमोली जिले में स्थित है।

विधानसभा के अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल भी गैरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने के पक्ष में हैं। विधानसभा अध्यक्ष ने गैरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की वकालत कर राज्य के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को परेशानी में डाल दिया है। एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कहा, 'मुख्यमंत्री से चर्चा किए बगैर कुंजवाल द्वारा इस तरह की मांग उठाए जाने से वह खासे नाराज हैं।'

हालांकि कांग्रेस के कुछ नेता इस मुद्दे पर कुछ भी साफ-साफ कहने से बच रहे हैं। राज्य के खेल मंत्री और देहरादून शहर के धर्मपुरा क्षेत्र से विधायक दिनेश अग्रवाल कहते हैं, 'हम ग्रीष्मकालीन राजधानी के मुद्दे पर कुछ भी टिप्पणी करना नहीं चाहते हैं।' (business)

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गैरसैंण में राजधानी सबसे बड़ा झूठ'
Updated on: Wed, 09 Jan 2013 08:50 AM (IST)
 

'गैरसैंण में राजधानी सबसे बड़ा झूठ'

जागरण ब्यूरो, देहरादून

गैरसैंण में विधानसभा भवन समेत अन्य सरकारी भवनों के शिलान्यास से ऐन पहले सत्तारूढ़ कांग्रेस में एक नया बवाल उठ खड़े होने के संकेत हैं। बहुगुणा कैबिनेट के वरिष्ठ सदस्य और अपनी बेबाकी के लिए पहचाने जाने वाले कृषि व चिकित्सा शिक्षा मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने कहा है कि कोई भी नेता अगर यह कहता है कि गैरसैंण में राजधानी बनाई जाएगी, तो यह आज का सबसे बड़ा झूठ है।

पिछले कुछ महीनों से लगातार गर्मा रहे गैरसैंण मुद्दे पर अब एक नया मोड़ आने की संभावना है। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने टिहरी संसदीय सीट के उपचुनाव से पूर्व ही गैरसैंण को लेकर अपना एजेंडा सार्वजनिक कर दिया था। इसके बाद तीन नवंबर को गैरसैंण में कैबिनेट बैठक आयोजित की गई। साथ ही, गैरसैंण में विधानसभा भवन का निर्माण व साल में एक विधानसभा सत्र गैरसैंण में आयोजित करने की घोषणा भी की गई। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विपक्ष की ओर से गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का निजी संकल्प सदन में लाया गया, लेकिन सत्तापक्ष ने यह संकल्प गिरा दिया, जिस पर विपक्ष ने गैरसैंण को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल भी उठाए।

इस बीच भराड़ीसैंण में विधान भवन के लिए भूमि चिन्हित की जा चुकी है और 14 जनवरी को मकर संक्रांति को विधानसभा भवन के शिलान्यास की तैयारी भी जोरशोर से चल रही है। साथ ही, देहरादून में भी नया विधानसभा भवन बनाने के लिए रायपुर में चिन्हित भूमि का विधानसभा अध्यक्ष व मुख्यमंत्री मुआयना कर चुके हैं। विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की अपनी राय भी सार्वजनिक कर चुके हैं। हालांकि मुख्यमंत्री ने गैरसैंण में विधान भवन व ढांचागत विकास होने के बाद इस मसले का हल निकालने की बात कही है।

इस सबके बीच मंगलवार को सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने साफ लफ्जों में यह कहकर, कि अगर कोई नेता यह कहता है कि गैरसैंण में राजधानी बनाई जाएगी या बनाई जानी चाहिए, तो यह सबसे बड़ा झूठ होगा। हालांकि उन्होंने इसे अपनी निजी राय बताया। डा. रावत ने कहा कि इस तरह की बातों से जनता में भ्रम फैल रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह की बातें करने वाले तब क्यों चुप्पी साधे रहे जब देहरादून में नए राजभवन, मुख्यमंत्री आवास, सचिवालय भवन, अफसरों की आवासीय कालोनी जैसे निर्माण कार्य हो रहे थे। इस स्थिति में आज यह कहना कि गैरसैंण को उत्तराखंड की राजधानी बनाया जाएगा, झूठ के अलावा कुछ नहीं।

 

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