Author Topic: Suggest the Self Employment Sources in UK-तलाशे स्वरोजगार के सम्भावनाये यू के मे  (Read 12468 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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This is the news published in Dainik Jagra. But i have doubt about the figure.

लीसा दोहन कार्य से जिले में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से तकरीबन 60 हजार लोगों को रोजगार मिल रहा है। यही नहीं इस व्यवसाय में लोगों का बढ़ रहा रुझान इस बात का संकेत है कि ठीक ठाक मुनाफे वाला काम है। पूरे जिले में सवा दो लाख हेक्टेयर क्षेत्र में चीड़ के वन हैं। जिनमें 65 हजार क्विंटल लीसा प्रतिवर्ष दोहन हो रहा है। अच्छी बात यह है कि उत्पादन में हर साल 15 से 20 प्रतिशत इजाफा हो रहा है। जो लीसा व्यवसाय से जुड़े उद्यमियों के लिए अच्छी बात है। अकेले अल्मोड़ा जनपद में बढ़ रही लीसा व्यवसाय में भविष्य खोज रहे युवाओं की संख्या निरंतर बढ़ रही है। लीसा दोहन के लिए सिविल, पंचायत व आरक्षित वन क्षेत्र शामिल हैं। मोटे तौर पर वन पंचायतों के वनों से लीसे का दोहन 84 हजार क्विंटल व सिविल वन क्षेत्र से 68 हजार क्विंटल निकाला जा रहा है। आरक्षित वनों के चीड़ के वृक्षों से सवा दो लाख क्विंटल का शेष उत्पादन हो रहा है। लीसे के व्यवसाय के प्रति युवाओं का बढ़ता रुझान इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ने का संकेत हैं। विभागीय अधिकारियों के अनुसार लीसा गढ़ान के नीलामी में हर वर्ष संख्या बढ़ रही है। कहा जा सकता है कि स्वरोजगार की दिशा में लीसा व्यवसाय बेहतर जरिया बन रहा है।  इंसेट----
 इन दिनों लीसे का बाजार भाव साढ़े पांच हजार रुपया प्रति क्विंटल चल रहा है। इस वर्ष लीसा उत्पादन 65 हजार क्विंटल से बढ़कर लगभग 75 क्विंटल की संभावना है।
 - प्रेम कुमार, प्रभागीय वनाधिकारी, अल्मोड़ा वन प्रभाग
       
         
           
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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नौटी, चंपावत में लगेंगी नई चाय फैक्ट्रियां

अल्मोड़ा। चाय विकास बोर्ड के निदेशक तथा जिलाधिकारी अक्षत गुप्ता ने जिला कार्यालय सभागार में उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड की बैठक में चाय बोर्ड द्वारा  2012-13 में किए गए कार्यों की समीक्षा की। साथ ही 2013-14 के बजट आदि पर भी चर्चा की। उन्होंने नौटी(गढ़वाल) और चंपावत क्षेत्रों में शासन द्वारा स्वीकृत नई फैक्ट्रियों की स्थापना 15 अप्रैल तक कराने के निर्देश दिए। यह भी बताया गया कि चाय विकास बोर्ड के अंतर्गत काम कर रहे संविदा कर्मियों का वेतन बढ़ा दिया गया है।
उन्होंने बताया कि इन फैक्ट्रियों से तैयार अनुमानित 30,000 किग्रा चाय के विपणन के लिए गढ़वाल तथा कुमाऊं मंडल के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त कर दिए गए हैं। बैठक में बताया गया कि चाय की उच्च गुणवत्ता को दृष्टिगत रखते हुए चाय की बिक्री दरें संशोधित की जानी आवश्यक हैं। इस संबंध में निदेशक ने निर्देश दिए कि बिक्री दरों का आकलन प्रस्तुत किया जाए। वर्तमान में चाय पैकिंग मैटीरियल में सुधार करने के निर्देश दिए। निदेशक ने कहा कि वर्तमान में कार्यरत कार्मिकों तथा सुविधाओं से ही बोर्ड कार्यों का संचालन किया जाए। आगामी छह माह में बोर्ड अपनी प्रगति दिखाए ताकि उच्च स्तर के अधिकारियों से बोर्ड की अन्य समस्याओं के समाधान के लिए चर्चा की जा सके। बैठक में बताया गया कि बोर्ड में कार्यरत संविदा कर्मचारियों  के वेतन में बढ़ोतरी कर दी गई है तथा निदेशक के प्रयासों से चंपावत तथा नौटी में फैक्ट्री स्थापित की जा रही है।
निदेशक ने चाय बागान कौसानी की हरी पत्तियों की बिक्री दरों में बढ़ोतरी के निर्देश दिए। इस संबंध में अप्रैल प्रथम सप्ताह में शासन स्तर पर बैठक की जाएगी। इस निर्णय के आधार पर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। हरीनगरी क्षेत्र में भी बोर्ड शीघ्र अपनी फैक्ट्री स्थापित करने के लिए प्रयासरत है। बैठक में वित्त अधिकारी जी खोलिया, वैज्ञानिक प्रभारी डा. जीएस मेर, प्रबंधक बीपी पांडे, नवीन पांडे, देशमंड वर्कबेक, पीसीएस रौतेला आदि मौजूद थे। http://www.amarujala.com

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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this is a good idea.

फलों का जूस तैयार करेंगी महिलाएं
नौगांव : महिलाओं की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने को हिमालयन महिला स्वरोजगार ट्रस्ट ने आगामी कार्ययोजना को लेकर बैठक आयोजित की जिसमें आगामी जून में आनी वाली फसल चूलू का एकत्र कर उसके उपयोग पर चर्चा की गई।
ट्रस्ट से जुड़ी महिलाओं ने नौगांव स्यूरी कलेक्शन सेंटर, पुरोला नैटवाड़ के हुडोली तथा धारी कफनौल व चौसाल में महिलाओं के साथ बैठक आयोजित कर चूलू को एकत्र कर, उसके उचित दाम एवं विपणन को लेकर चर्चा की। जूस फैक्ट्री की संयोजक आनंदी राणा ने कहा कि पिछले माह इन गांवों की सैकड़ों महिलाओं के साथ उन्होंने जटा स्थित जूस फैक्ट्री में बुरांस, सेब व माल्टा का जूस बनाकर स्थानीय बाजार के साथ यात्रा से जुडे़ मार्गो पर विक्रय किया। तथा आगामी माह की कार्ययोजना में चूलू की चटनी व जूस महिलाओं के सहयोग से सेंटर में उतारा जायेगा। बैठक में आनंदी राणा, विनोद असवाल, आशा पंवार, बचना राणा, मधु रावत, रामप्यारी रावत, शांति बधानी आदि मौजूद रहीं।
(Dainik jagran)




विनोद सिंह गढ़िया

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[justify]'पहाड़ में कुछ नहीं' कहने वालों के लिए एक जवाब और हमारे बेरोजगार युवाओं के लिए एक जीवंत प्रेरक प्रसंग-

हौसले और मेहनत से सफलता चरण चूमती है, यह बात पनौरा कपकोट के गंगा सिंह कपकोटी ‘गंग दा’ के लिए सटीक बैठती है। कड़ी मेहनत से उनके खेत सोना उगल रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने गाय और भैंसें भी पाल रखी हैं। इस कारोबार से उन्हें साल में लगभग सवा चार लाख रुपये की आमदनी हो रही है।
पनौरा गांव के दिवंगत दलीप सिंह के 52 वर्षीय बेटे गंगा सिंह कपकोटी बचपन से ही मेहनती रहे हैं। कृषि, बागवानी, शाकभाजी और पशुपालन का कार्य उन्हें विरासत में मिला है। पहले खेतों में अपने खाने भर का होता था। हाईस्कूल की पढ़ाई के बाद वह कृषि के कार्य में जमकर जुट गए। उनके खेत में इस समय आम के डेढ़ सौ, माल्टा के 30, अमरूद के 20, केले के 400, कागजी नीबू के 20 और अखरोट के पांच पेड़ फल दे रहे हैं। इनकी बिक्री से साल भर में डेढ़ लाख की आमदनी हो रही है। 20 नाली के खेतों में फूल गोभी, बंद गोभी, प्याज, मूली, लाही, लहसुन, अदरक, हल्दी और मटर लहलहा रही है। सब्जी की बिक्री से भी साल भर में डेढ़ लाख रुपये की आय हो रही है। इसी तरह उनके पास तीन दुधारू भैंस और पांच थन वाली एक जर्सी गाय है। दूध और घी की बिक्री से उन्हें साल मेें सवा लाख रुपये की आय हो रही है। गंग दा सुबह चार बजे जागकर नित्यकर्म के बाद खेतों में जुट जाते हैं जबकि पत्नी हेमा देवी घर के काम निपटाकर उनका सहयोग करती हैं। बड़े बेटे मनोज ने भी इंटर के बाद इसी कार्य को अपना लिया है। गंग दा कहते हैं कि रोजगार के लिए पलायन से अच्छा तो शाकभाजी और पशुपालन के काम करना चाहिए।

कई बार सम्मानित हुए हैं गंग दा

बागेश्वर। पनौरा गांव के उद्यमी गंगा सिंह कपकोटी की मेहनत देखते हुए उन्हें उत्तरायणी मेला समिति बागेश्वर ने 2007, 08, कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में उन्हें 2009 में नेहरू युवा ग्राम विकास समिति हरिद्वार, हॉल्टीकल्चर टेक्नोलॉजी मिशन ने 2007 और इंडो हॉल्टीकल्चर टेक्नोलॉजी के प्रबंधक ने 2012 में प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।

दही और मट्ठा पीने को देते हैं गंग दा

बागेश्वर। पनौरा गांव के गंग दा के घर जो कोई भी जाता है, उसे चाय की जगह दही या मट्ठा पीने को मिलता है। घर जाते समय शाम के खाने भर शब्जी अवश्य दी जाती है। इसे वह अपना सौभाग्य मानते हैं।

साभार - गणेश उपाध्याय (अमर उजाला बागेश्वर)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Tourism is one of the sectors which can generate a lot of employment in hill areas.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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