Author Topic: Uttarakhand Education System - उत्तराखण्ड की शिक्षा प्रणाली  (Read 40656 times)

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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Uttarakhand education standards to be improved a lot.

There many schools where basic infrastructure is available.. Govt must focus upon improving standard of education.

हेम पन्त

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Govt. to provide the basic amenities in all schools by May 31
« Reply #71 on: May 20, 2011, 05:55:33 AM »
Govt schools in U''khand to get basic amenities by May 31
PTI | 
Dehra Dun, May 19 (PTI) Acting under Supreme Court order, the Uttarakhand government has directed its education department to ensure potable water, toilet and electricity facilities in all the 17,142 schools in the state within a month. Chief Secretary Subhash Kumar has asked the officials to carry out a fresh school-wise survey and ensure a fixed time frame for the purpose, an official release today said.Uttarakhand School Education Director C S Gwal said the apex court had directed all the state governments to provide the basic amenities in all schools by May 31. Kumar directed the officials concerned to make rain water harvesting compulsory in schools situated very far from water sources. The Chief Secretary said all schools should be provided electricity under Rajiv Gandhi Rural Electrification scheme.PTI DPT

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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Poor education standard is one of the major factors in migration from hill areas of Uttarakhand. People were expecting fast development in this front after formation of Uttarakhand separate state. However, disappointment is there as the migration is on peak.

There are many schools Uttarakhand where either teachers are not available or in some cases there are very less occupancy of students in schools.

This needs to be looked into.


Anil Arya / अनिल आर्य

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तो बीएड कालेज होंगे ब्लैक लिस्टेड
अगर इस शिक्षा सत्र में सरकारी कालेज शिक्षकों के मानकों को पूरा नहीं करते
देहरादून। जल्द ही एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय के बीएड कालेजों में एडमिशन के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित होगी। इस प्रवेश परीक्षा के आधार पर छात्र-छात्राओं को सेल्फ फाइनांस सरकारी बीएड कालेज में भी एडमिशन मिलेगा, लेकिन अगर ये कालेज शिक्षकों का मानक पूरा नहीं करेंगे तो विश्वविद्यालय इनको ‘ब्लैक’ लिस्ट में डालेगा।
नियमानुसार 100 सीट वाले बीएड कालेज में एक विभागाध्यक्ष के अलावा सात शिक्षक होने चाहिएं। क्योंकि मानक के अनुसार छात्र शिक्षक का अनुपात 14:1 का है। एनसीटीई के नियमानुसार ये तमाम शिक्षक स्थायी होने चाहिए। एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय से संबद्ध डाकपत्थर, उत्तरकाशी, कोटद्वार, देहरी खाल, नैनी डांडा, बेरीनाग समेत कुल आठ बीएड कालेज हैं। लेकिन सेल्फ फाइनांस सरकारी बीएड कालेजों में इन नियमों का उल्लंघन हो रहा है। स्थायी शिक्षक रखे जाने के एनसीटीई के नियम के बावजूद इन कालेजों में संविदा के आधार पर शिक्षक रखे जा रहे हैं। हालांकि एनसीटीई में इन शिक्षकों को स्थायी के रूप में दर्शाया गया था। सेल्फ फाइनांस बीएड कालेज एसोसिएशन के सचिव सुनील अग्रवाल ने कहा कि प्राइवेट और सरकारी कालेजों में मानकों के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। जबकि प्राइवेट बीएड संस्थानों को अलग सूची में रख स्पष्ट तौर पर निर्देशित था कि इसके लिए विश्वविद्यालय जिम्मेदार नहीं होगा। क्योंकि कुछ कालेजों को कोर्ट से स्टे मिला हुआ था।
एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसके सिंह ने कहा कि मानक पूरा नहीं करने वाले सरकारी सेल्फ फाइनांस बीएड कालेजों को अलग सूची में रखा जाएगा।
http://epaper.amarujala.com/svww_index.php

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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I agree.

Pooor education standard is one of the reasons of migration from hills.

 

Anil Arya / अनिल आर्य

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नया पोर्टल शिक्षा विभाग को बनाएगा पारदर्शी
देहरादून। महकमे की गतिविधियों को पारदर्शी और सरल बनाने के लिए उत्तराखंड का शिक्षा विभाग नया पोर्टल बनाने जा रहा है। इसका जिम्मा मध्य प्रदेश एनआईसी की उसी टीम को दिया है, जिसने एमपी एजूकेशन पोर्टल तैयार किया है। जाहिर है उत्तराखंड एजूकेशन पोर्टल पर मध्य प्रदेश के शिक्षा पोर्टल की झलक दिखाई देगी। नए पोर्टल पर हर सूचना, जीओ, पालिसी, वरिष्ठता सूची, रिजल्ट आदि उपलब्ध कराया जाएगा।
एमपी एजूकेशन पोर्टल देश के बेहतरीन पोर्टल के तौर पर जाना जाता है। इस पर महकमे से जुड़ी सभी जरूरी सूचनाएं, जानकारियों के साथ ही विद्यार्थियों, शिक्षकों, अभिभावकों, कर्मचारियों और आम लोगों की जरूरत की ज्यादातर सूचनाएं उपलब्ध हैं। पिछले दिनों सचिव शिक्षा, मनीषा पवार ने वीडियो कांफ्रेंसिंग करके मध्य प्रदेश एनआईसी के टीम से बातचीत की। टीम से जुड़े लोग दो दिनों से देहरादून में हैं। शुक्रवार को शिक्षा सचिव के साथ टीम के सदस्यों ने मुलाकात की। उनसे पोर्टल संंबंधी सूचनाओं के बारे में बातचीत की और महकमे की जरूरतों की जानकारी ली। सचिव शिक्षा ने बताया कि पोर्टल पर जल्द ही काम आरंभ हो जाएगा। दो से तीन महीने में पोर्टल तैयार कर सभी आवश्यक सूचनाएं अपलोड कर दी जाएंगी। पोर्टल को खासतौर पर छात्रों व महकमे के लोगों के हिसाब से तैयार किया जाएगा। ताकि छोटी सूचनाओं को अनावश्यक रूप से उन्हें सचिवालय या निदेशालय का चक्कर न काटना पड़े।
•मध्य प्रदेश की एनआईसी तैयार करेगी पोर्टल, टीम देहरादून पहुंची
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rajendrakimothi

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aaj se 20 sal pahale sarkari skulo me chhatra garib kintu medhavi hote the.aaj in skulo me parane wale chhatra dhan avam budhi dono se garib hai.

Anil Arya / अनिल आर्य

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एक छात्र पर 16681 हजार रुपये खर्चती है उत्तराखंड सरकार
शिक्षा पर सर्वाधिक खर्च कर रहा राज्य
देहरादून। राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों पर उत्तराखंड सरकार प्रति माह करीब 16,681 हजार रुपये खर्च करती है। यह देश के अन्य राज्यों की अपेक्षा सबसे ज्यादा है। मुफ्त शिक्षा, शिक्षकों और स्टाफ पर बढ़ रहा व्यय और प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियां काफी हद तक जिम्मेदार हैं।
केंद्र सरकार की ओर से शिक्षा विभाग को भेजे गए आंकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड में कक्ष एक में प्रवेश लेने वाले प्रत्येक बच्चे पर 16,681.01 रुपये का व्यय भार आ रहा है। इसमें बच्चे को दी जाने वाली यूनिफार्म, अन्य पाठ्य सामग्री और शिक्षकों-स्टाफ के वेतन हैं। ये आंकड़े फाइनेंस कमीशन की ओर जारी किए गए हैं। अन्य राज्यों की अपेक्षा यहां ज्यादा खर्च का कारण अत्यधिक शिक्षकों की नियुुक्ति उन्हें दिया जा रहा छठा वेतनमान है। भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से यहां गांवों की बीच की दूरी काफी है। इसलिए लगभग हर गांव में एक स्कूल खोला गया है। इनमें विद्यार्थियों की संख्या भी सीमित है। करीब पांच सौ ऐसे स्कूल हैं, जिनमें 30 से भी कम छात्र हैं। लेकिन, शिक्षा मुहैया कराने के लिए सरकार स्कूल चला रही है। फिलवक्त राज्य में 15644 प्राथमिक विद्यालय, 4296 उच्च प्राथमिक विद्यालय, 1087 हाईस्कूल और 1352 इंटर कालेज हैं। शिक्षा का अधिकार कानून द्वारा दिए गए नए मानकों के आधार पर अभी और नए विद्यालय खोले जाने प्रस्तावित हैं। इनमें शिक्षक व अन्य स्टाफ भी भर्ती होंगे। इससे यह खर्च और बढ़ना तय है।
मैदानी राज्यों में स्थिति कुछ भिन्न है। उप्र में ही प्रति बच्चे पर 3715.80 रुपये खर्च होता है। जबकि, मध्य प्रदेश सरकार 4338.64 रुपये खर्च करती है। पर्वतीय राज्यों की कमोबेश एक जैसी ही स्थिति है। सिक्किम में 12327.49 रुपये, नागालैंड में 14667.58 रुपये और मिजोरम में हर बच्चे पर 12663.67 रुपये खर्च होता है। पड़ोसी राज्य हिमाचल में भी सरकार 16389.76 रुपये प्रति विद्यार्थी खर्च करती है। अरुणाचल प्रदेश में भी औसतन खर्च 11 हजार रुपये प्रति छात्र बैठ रहा है। http://epaper.amarujala.com/svww_index.php

Anil Arya / अनिल आर्य

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एलटी भर्ती में वेटिंग लिस्ट वालों को भी मौका
देहरादून। एलटी भर्ती परीक्षा दे चुके अभ्यर्थियों के लिए खुशखबरी है। तय मेरिट और कट ऑफ लिस्ट में नहीं आ पाए अभ्यर्थियों के भी एलटी के पदों पर भर्ती होने की संभावना है। विद्यालयी शिक्षा विभाग एलटी भर्ती परीक्षा के परिणाम की वेटिंग लिस्ट से नाम लेकर शिक्षकों के बढ़े पदों को भरने की कवायद कर रहा है। विद्यालयी शिक्षा विभाग ने 1962 एलटी पदों की वैकेंसी घोषित की थी। इतने ही पदों का भर्ती प्रस्ताव दिया और परीक्षा हुई। इस वर्ष राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (रमसा) में 58 जूनियर हाईस्कूल को उच्चीकृत कर हाईस्कूल बनाया गया है। इससे एलटी के तकरीबन 300 नए पद सृजित हुए हैं। इन पदों के लिए अलग से भर्ती प्रस्ताव बनाने और परीक्षा कराने की प्रक्रिया में वक्त लगेगा। इससे बचने को महकमा एलटी की हाल में हुई भर्ती परीक्षा के रिजल्ट की वेटिंग लिस्ट से नाम लेकर पदों को भरने का फैसला किया है।
शिक्षा मित्रों के लिए बीटीसी की जगह डीएलएड
देहरादून। शिक्षा मित्रों को इन सर्विस ट्रेंड करने का फार्मूला विद्यालयी शिक्षा विभाग के हाथ लग गया है। दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के माध्यम से शिक्षा मित्रों को डीएलएड (डिप्लोमा इन लर्निंग एजूकेशन) का दो वर्षीय पाठक्रम कराया जाएगा। डीएलएड अब बीटीसी का विकल्प बनेगा। अवकाश लिए बगैर स्कूलों में पढ़ाते हुए शिक्षा मित्र इस दो वर्षीय पाठक्रम को पूरा कर सकेंगे। अनट्रेंड शिक्षा मित्रों को ट्रेंड करने की बीटीसी प्रशिक्षण की वर्तमान व्यवस्था में विद्यार्थियों को नुकसान हो रहा है। इस समस्या से निजात के लिए ही शिक्षा विभाग ने दूरस्थ शिक्षा प्रणाली से डीएलएड का विकल्प एनसीटीई को भेजा था। एनसीटीई ने प्रस्ताव को कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दे दी है। यह व्यवस्था सिर्फ उन 2374 शिक्षा मित्रों के लिए अनुमोदित है, जो राज्य के विभिन्न स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। डीएलएड का कोर्स दो वर्ष (चार सेमेस्टर) का होगा।
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विनोद सिंह गढ़िया

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21 स्कूलों में बच्चों का राज, एक भी शिक्षक नहीं

Story Update : Thursday, July 14, 2011    12:01 AM

कपकोट। सभी साक्षर बनें। सर्व शिक्षा अभियान। मिड-डे-मील। आंगनबाड़ी केंद्र। बालिकाओं को नि:शुल्क शिक्षा और न जाने क्या-क्या योजनाएं सरकार ने चला रखी हैं साक्षरता दर को शत प्रतिशत हासिल करने के लिए। लेकिन फिर भी पहाड़ों पर शिक्षा की हालत दयनीय है। स्थिति इतनी बदतर है कि क्षेत्र की 21 पाठशालाओं में बच्चों को पढ़ाने के लिए एक भी शिक्षक नहीं है। यही नहीं पेठी की पाठशाला भोजनमाता के भरोसे है जबकि 171 स्कूल ऐसे भी हैं जहां शिक्षा व्यवस्था एकल शिक्षक के भरोसे है। ऐसे में शत प्रतिशत साक्षरता हासिल कैसे होगी और कब होगी यह कह पाना मुश्किल है। सत्र शुरू होने के बाद से इन स्कूलों में एक धेला भी पढ़ाई नहीं हुई। इधर, अभिभावकों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही शिक्षकों की तैनाती नहीं की गई तो आंदोलन किया जाएगा।
शासन और शिक्षा विभाग की उदासीनता के चलते कपकोट ब्लाक की प्राथमिक शिक्षा भगवान भरोसे चल रही है। जिन 21 पाठशालाओं में एक भी शिक्षक नहीं है, वहां बच्चों की पढ़ाई जूनियर हाईस्कूल से शिक्षकों के आने पर ही होती है। अमूमन देखा गया है कि बच्चे तो रोजाना समय पर 7.30 बजे स्कूूल पहुंच जाते हैं लेकिन छह में से तीन दिन या कभी-कभी दो दिन तो शिक्षक आते ही नहीं। ऐसे में बच्चे खेलकूद कर छुट्टी के बाद 12 बजे घर लौट जा रहे हैं। वहीं जिन 171 स्कूलों दूणी, राकसी, कन्यूटी, लीली, गैनाड़, चरक्युड़ा, तिमिलाबगड, दूणीपोथिंग, शोभाकुंड, खोलीखेत, तोली, सुमटी, जिमखोला, फरसाली पल्ली, भैरूं, पांकड़, परगड़, नरगड़ा, गडेरा फुलई, गैरखैत, पुड़कुनी, कन्यालीकोट, स्यालढुंगा, लामाबगड़, उडियारी, ठांगधार, चौड़ास्थल, पेठी, सौंग, पुलीउसिंग, सलिंग, कफलानी, रीठाबगड़, खलझूनी नवीन, मुनार, बरमती, तरसाल, समडर, भराकाने, तीख, बदियाकोट, जातोली आदि में शिक्षा व्यवस्था एकल अध्यापक के भरोसे है वहां भी बच्चों की पढ़ाई कैसे चल रही होगी, इसका अंदाजा लगाया ही जा सकता है। इन स्कूलों में पांच से 39 तक बच्चे पंजीकृत है। यह विद्यालय भी वक्त बेवक्त ही खुलते हैं। इन स्कूलों के शिक्षक विभागीय बैठकों, प्रशिक्षण और एमडीएम की व्यवस्था में लगे होने के कारण पढ़ाई को ज्यादा समय नहीं दे पा रहे हैं। वहीं यदि बात करें पेठी की पाठशाला की तो वहां की शिक्षा व्यवस्था भोजनमाता के भरोसे है। वही स्कूल संचालित कर रही हैं। बच्चों का भविष्य अंधकारमय देखते हुए चिंतित अभिभावकों ने चेतावनी दी है कि यदि शिक्षकों की तैनाती शीघ्र नहीं हुई तो आंदोलन किया जाएगा। बीआरसी समन्वयक बीएस कर्म्याल ने बताया कि विद्यालयों की स्थिति के बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है।

उच्चाधिकारियों को बताई है स्थिति : एडीईओ

बागेश्वर। अपर जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक मदन सिंह रावत ने कहा कि बीटीसी और शिक्षामित्रों का प्रशिक्षण चल रहा है। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद ही तैनाती होगी। समस्या से उच्चाधिकारियों को पहले ही अवगत कराया है।

सीएम और शिक्षा मंत्री को बताई है समस्या :  गड़िया

कपकोट। विधायक शेर सिंह गड़िया ने बताया कि उन्हाेंने शिक्षकों की तैनाती के लिए मुख्यमंत्री और शिक्षामंत्री से बात की है। इस समय बीटीसी और शिक्षामित्रों का प्रशिक्षण चल रहा है। प्रशिक्षण के पूरा होने के बाद ही स्थिति में सुधार देखने को मिलेगा। कहा कि स्थिति गंभीर है लेकिन थोड़े इंतजार के बाद काफी सहूलियत होगी। उन्होंने कहा कि उपचारात्मक कार्यक्रम के तहत कुछ राहत मिलेगी।

http://www.amarujala.com/city/Bagrswar/Bagrswar-16315-114.html

 

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