Author Topic: Uttarakhand In High Earth Quake Zone-उत्तराखंड अति स्वेदन भूकंप जोन में  (Read 20127 times)

Anil Arya / अनिल आर्य

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एनसीआर समेत उत्तर भारत में भूकंप के झटके
अमर उजाला ब्यूरो
नई दिल्ली। कश्मीर से लेकर दिल्ली, एनसीआर तक पूरे उत्तर भारत में सोमवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए। दोपहर 3:19 बजे भूकंप के झटकों के बाद कश्मीर समेत कई जगहों पर दहशतजदा लोग अपने घरों से बाहर निकल आए और काफी देर तक घरों के बाहर ही रहे। हालांकि भूकंप में किसी तरह के जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है। 5.7 तीव्रता के इस भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के हिंदुकुश क्षेत्र में था।
जम्मू मौसम विभाग के निदेशक सोनम लोटस के मुताबिक कश्मीर में भूकंप की तीव्रता रिएक्टर पैमाने पर 5.7 दर्ज की गई है। उन्होंने बताया कि झटके तीन सेकंड तक महसूस किए गए। पुंछ में दोपहर को दो बार झटके महसूस हुए। इन झटकों ने कश्मीर घाटी के लोगों को 2005 के जलजले का मंजर भी याद दिला दिया, जब भूकंप से काफी तबाही हुई थी।
सोमवार को आया भूकंप हिमाचल, राजस्थान, उत्तराखंड और पंजाब में भी महसूस किया गया। हिमाचल में कांगड़ा और चंबा जिलों में लोग घरों से बाहर आ गए। दिल्ली, नोएडा तक भूकंप की तीव्रता का असर काफी कम हो गया था। इसलिए यहां पर बहुत हल्के झटके ही महसूस किए गए।
संयोग से यह भूकंप शनिवार को हुई सुपरमून की खगोलीय घटना के दो दिन बाद आया है। कई रिपोर्टों में सुपरमून से भूकंप की आशंका जताई गई थी, हालांकि विशेषज्ञ इन रिपोर्टों को खारिज करते रहे हैं।
5.7 तीव्रता वाले भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के हिंदुकुश क्षेत्र में था
दिल्ली, नोएडा हिमाचल उत्तराखंड, राजस्थान में महसूस किए झटके
http://epaper.amarujala.com//svww_index.php

Devbhoomi,Uttarakhand

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उत्तर भारत में कभी भी थरथरा सकती है धरती
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उत्तराखंड समेत उत्तर भारत के दिल्ली, यूपी, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश आदि के इलाके भूकंपीय मानचित्र के अनुसार जोन चार में होने से भूकंप आपदा के निशाने पर हैं.
आईआईटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि चूंकि मध्य हिमालय में लगभग तीन से चार हजार किमी लंबा फाल्ट ऐसा क्षेत्र है जहां कोई बड़ा भूकंप लंबे समय से नहीं आया है. इसलिए धरती के अंदर चल रही हलचल और भूगर्भीय प्लेटों के टकराव से उत्पन्न हो रही भारी ऊर्जा अभी धरती के गर्भ में ही इकठ्ठी हो रही है. यह कब चट्टानों को तोड़ते हुए रास्ता बनाकर भूकंप का रूप ले ले, कुछ कहा नहीं जा सकता. आईआईटी भूगर्भ विज्ञान विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक एवं वैज्ञानिक प्रो. एके पचौरी का कहना है कि सेस्मिक थ्योरी में दो स्थानों को माना गया है.

पहला जहां भूकंप आये हैं और दूसरा जहां कभी बड़ा भूकंप नहीं आया. उन्होंने बताया कि हिमालय क्षेत्र में 1905 के कांगड़ा भूकंप के बाद रिक्टर पैमाने पर आठ या इससे अधिक तीव्रता का भूकंप न आने से यह आशंका स्वाभाविक है कि उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश व इससे जुड़े मैदानी इलाकों में कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है. जबकि कई अन्य वैज्ञानिकों का कहना है कि उत्तरी भारत में भूकंप आने की आशंका को लेकर भी वैज्ञानिक एकमत नहीं रहे हैं.

एक अमेरिकन वैज्ञानिक रोजर वेलहम व उनकी समर्थक भारतीय लाबी का अनुमान है कि उत्तराखंड समेत उत्तरी भारत में कभी भी आठ या उससे अधिक तीव्रता का भूकंप आ सकता है. प्रो. पचौरी के अनुसार गढ़वाल क्षेत्र के उत्तरकाशी (1991), चमोली के (1993) के भूकंप हालांकि रिक्टर पैमाने पर छह से अधिक तीव्रता वालेरहे हैं. उनमें काफी जान माल का नुकसान उठाना पड़ा है. इसलिए इन दोनों बड़े भूकंपों के परिप्रेक्ष्य में वैज्ञानिकों का आकलन है कि इस क्षेत्र के जोन पांच के सबसे सम्भाव्य एवं जोन चार के अपेक्षाकृत कम संवेदनशील क्षेत्रों में भूकंप आने की आशंका बनी हुई है.


आईआईटी के भूकंप विभाग के ही प्रो. एमएल शर्मा के अनुसार जापान में भूकंप संबंधी उन्नत टेक्नोलॉजी विकसित होने के बावजूद वहां के वैज्ञानिक इस सुनामी की भविष्यवाणी नहीं कर सके. इसलिए भारतीय संदर्भ में देखें तो हमारी तैयारियां अथवा टेक्नोलॉजी बड़े भूकंपों की भविष्यवाणी को लेकर कहीं दूर तक सक्षम या तैयार नहीं दिखतीं. उन्होंने बताया कि 100-125 साल की अवधि में इस तरह की आशंका हमेशा बनी रहती है!

लेकिन इसमें सबसे बड़ी समस्या इतनी लंबी अवधि के सेस्मिक रिकार्ड की रेगुलर मॉनीटरिंग संभव नहीं हो पाई है. भूकंप आपदारोधी निर्माण तकनीक से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके नुकसान को प्रबंधन से ही घटाया जा सकता है.


http://www.samaylive.com/regional-news-in-hindi/uttarakhand-news-in-hindi/113156/roorkee-uttarakhand-north-india-delhi-uttar-pradesh-haryana-punj.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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North India rocked by 5.7 quake, no reports of casualties

Published on Mon, Apr 04, 2011 at 17:25   |  Updated at Mon, Apr 04, 2011 at 20:49   |  Source : PTI

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North India rocked by 5.7 quake, no reports of casualties

A "moderate" intensity earthquake measuring 5.7 on the Richter Scale with its epicentre at the Indo-Nepal border region shook North India on Monday evening but there was no immediate report of any loss of life or property.

Indian Meteorological Department officials here and in Chandigarh said the 5.7 magnitude earthquake struck at 5.02 PM and was of "moderate" intensity. However, the US Geological Survey Department put the magnitude at 5.4 in its website.

"The quake was epicentred at Indo-Nepal border," the the officials said, adding, "there will be no aftershocks."

"We are keeping our fingers crossed," they said.

Police and fire brigade said there was no report of any casualty or damage immediately in the national Capital.

The officials said tremors were felt for three seconds amid reports that people at several places came out in the open with the recent massive quake in Japan weighing in their minds.

Besides Delhi, Tremors were also felt in quake prone Uttarakhand state and in the Union territory of Chandigarh.

The earthquake jolted Dehra Dun, Nainital and other parts of the hill state of Uttarakhand, according to preliminary reports.

The US Geological survey said the epicentre was 130 km from Haldwani in Uttarakhand and 363 km from New Delhi. The depth of the quake was 12.5 km, it added.

Narora atomic power plant in Bulandsahar in Uttar Pradesh is located in seismic Zone IV.

Tremors were felt in Chandigarh but no loss of life or damage to property was reported from any part of the Union Territory.

At some places, people scampered out of their homes in panic, officials said.

The earthquake also jolted Dehra Dun, Nainital and other parts of the hill state of Uttarakhand.

http://www.moneycontrol.com/news/current-affairs/north-india-rocked-by-57-quake-no-reportscasualties_533898.html

Anil Arya / अनिल आर्य

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भूकंप के झटकों से सहमा पूरा उत्तर भारत - amarujala

Anil Arya / अनिल आर्य

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उत्तराखंड में एक वर्ष में आए भूकंप
तारीख केंद्र तीव्रता
22 फरवरी 2010 बागेश्वर 4.7
01 मई 2010 बागेश्वर 4.6
22 जून 2010 पिथौरागढ़ 4.7
10 जुलाई 2010 अल्मोड़ा 4.1
भूकंप आए तो ऐसे करें बचाव
घर का निर्माण भूकंपरोधी तकनीक से ही किया जाए। पुराने और कमजोर भवनों को भी इस तकनीक के जरिए सुदृढ़ किया जा सकता है।
घर में बक्से, फोटो फ्रेम, शीशे और भारी सामान ऊपर अथवा अलमारियों के ऊपर न रखें।
घर में सिलेंडरों, केरोसिन, पेट्रोल अथवा अन्य ज्वलनशील पदार्थों का भंडारण न करें।
भूकंप आने की स्थिति में भागें नहीं। जहां हैं, वहीं सुरक्षित स्थान तलाशें। मेज, पलंग अथवा चौखट के नीचे सुरक्षित रहा जा सकता है।
घर से बाहर हैं, तो किसी भवन के आसपास खड़े होने के बजाय कोशिश करें खुले स्थान पर रहें।
(जैसा राज्य आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के डा. केएन पांडे ने बताया)
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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This is alarming.. Not a good sign..


उत्तराखंड में एक वर्ष में आए भूकंप
तारीख केंद्र तीव्रता
22 फरवरी 2010 बागेश्वर 4.7
01 मई 2010 बागेश्वर 4.6
22 जून 2010 पिथौरागढ़ 4.7
10 जुलाई 2010 अल्मोड़ा 4.1
भूकंप आए तो ऐसे करें बचाव
घर का निर्माण भूकंपरोधी तकनीक से ही किया जाए। पुराने और कमजोर भवनों को भी इस तकनीक के जरिए सुदृढ़ किया जा सकता है।
घर में बक्से, फोटो फ्रेम, शीशे और भारी सामान ऊपर अथवा अलमारियों के ऊपर न रखें।
घर में सिलेंडरों, केरोसिन, पेट्रोल अथवा अन्य ज्वलनशील पदार्थों का भंडारण न करें।
भूकंप आने की स्थिति में भागें नहीं। जहां हैं, वहीं सुरक्षित स्थान तलाशें। मेज, पलंग अथवा चौखट के नीचे सुरक्षित रहा जा सकता है।
घर से बाहर हैं, तो किसी भवन के आसपास खड़े होने के बजाय कोशिश करें खुले स्थान पर रहें।
(जैसा राज्य आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के डा. केएन पांडे ने बताया)
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Awareness should be given time to time to the people through various programme.

Disaster Management should be fully equipped.

Devbhoomi,Uttarakhand

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चमोली में फिर भूकंप की आहट तो नहीं
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देहरादून। चमोली जिले में जमीन के भीतर लगातार चल रही हलचल बड़े भूकंप के संकेत हैं। चमोली के तपोवन और गोपेश्वर किसी बड़े भूकंप के केंद्र हो सकते हैं। ये चेतावनी भू-वैज्ञानिकों ने दी है।
वाडिया हिमालयन भू-विज्ञान संस्थान और आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों के संयुक्त अध्ययन में चमोली जिले में हलचल का तथ्य सामने आया है। यह अध्ययन मई, 2011 में किया गया था। अध्ययन के दौरान मेन सेंट्रल थ्रस्ट (एमसीटी) पर तपोवन (चमोली) और मेन बाउंड्री थ्रस्ट (एमबीटी) पर गोपेश्वर में सर्वाधिक भूकंपीय हलचल रिकार्ड की गई। दोनों समूहों के बीच दूरी 50 किमी है। वाडिया संस्थान के वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक डा. अजय पाल के अनुसार भूकंप की दृष्टि से 100 वर्ग किमी का क्षेत्र बेहद संवेदनशील चिह्नित किया गया है।
वाडिया, आईआईटी वैज्ञानिकों ने किया संयुक्त अध्ययन
गढ़वाल में 6.0 से अधिक तीव्रता के भूकंप
तिथितीव्रता
जून 19026.0
जुलाई 19266.0
अक्तूबर 19276.0
मार्च 19356.0
जून 19456.5
दिसंबर 19586.2
दिसंबर 19586.0
सितंबर 19646.2
जून 19666.0
अक्तूबर 19916.6
मार्च 19996.8

Source Amarujala

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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There is again earthquake tremor felt in Chamoli District.

भूकंप के झटके से दहशत
Dec 15, 06:06 pm


गोपेश्वर : भूकंप के झटके से चमोली में एक बार फिर दहशत फैल गई है। हालांकि भूकंप से कहीं कोई नुकसान नहीं हुआ है।

गुरुवार की प्रात: 5 बजकर 25 मिनट पर आए भूकंप के झटके से लोग दहशत में आ गये। चमोली जिले में आये इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.2 आंकी गई है। भूकंच का केंद्र दशोली ब्लॉक माना गया है। भूकंप से घरों में हल्की दरारें आई हैं। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदकिशोर जोशी ने बताया कि भूकंप से किसी भी प्रकार के नुकसान की जानकारी नहीं है।
 (Source - Dainik Jagran)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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People should be educated about safety measures to be taken during earthquake or while constructing houses.

 

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