Author Topic: Uttarakhand Kranti Dal-उत्तराखंड क्रांति दल के पतन का मूल्याकन  (Read 21110 times)

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

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कैलाश जी चर्चा ही इस बात की है पुराने लीडर कुछ नहीं कर रहे हैं कैसे परिवर्तन लाया जाय क्युकी UKD  विकाशवादी विचार धरा की है ये वही लोग हैं जिन्होंने स्टार पेपर के हाथ से जंगल बचाया है , ये वो लोग हैं जिन्होंने भ्रस्ताचार के खिलाप डेल्ही तक दुस्तक दी ( कनकटा बैल) ये वही लोग हैं जिन्होंने नशा मुक्ति के लिए उतना बड़ा आन्दोलन किया, उत्तराखंड को तो जो भी मिला आन्दोलन से ही मिला आगे भी आन्दोलन से ही मिलेगा नहीं तो आप घोटाले देख ही रहे हैं देश को आजादी भी आन्दोलन से ही मिली आन्दोलन नहीं होता तो आज भी अंग्रेजो के गुलाम होते

हुक्का बू

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उत्तराखण्ड क्रान्ति दल ने वर्तमान  सरकार में जो सहभागिता की, वह भी इसीलिये की कि जनता को राष्ट्रपति शासन या दोबारा चुनावों का सामना न करना पड़े। क्योंकि उस समय भाजपा के पास आज का जैसा बहुमत नहीं था। उस समय भाजपा ३४ सीट लेकर सबसे ज्यादा संख्या बल वाली पार्टी थी, इसलिये सरकार बनाने के लिये जनभावनाओं का सम्मान करते हुये( क्योंकि भाजपा को ही जनता ने ज्यादा समर्थन दिया था) उक्रांद ने इसे नौ बिन्दुओं पर अपना समर्थन दिया था-

१- दीक्षित आयोग को अविलम्ब भंग करके गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाये जाने की प्रक्रिया प्रारम्भ की जाय।

२- राज्य से पलायन रोकने के लिये कारगर एवं व्यवहारिक रोजगार नीति बनाकर अविलम्ब लागू की जाय।

३- पर्वतीय जनपदों के लिये अलग औद्योगिक नीति बनाकर उसे लागू किया जाय तथा पर्वतीय जनपदों में औद्योगिक शून्यत को समाप्त करने हेतु अविलम्ब कारगर कदम उठाये जांय।

४- उत्तराखण्ड में २००१ की जनसंख्या के आधार पर हुये परिसीमन को स्थगित करने तथा इस राज्य के लिये जनसंख्या के साथ-साथ क्षेत्रफल को भी परिसीमन हेतु मानक बनाने के लिये विधान सभा से प्रस्ताव पारित कर भारत की संसद को भेजा जाय।

५- उत्तर प्रदेश के विकल्पधारियों की वापसी की प्रक्रिया को अविलम्ब प्रारम्भ किया जाय।

६- भारत के संविधान के अनुच्छेद- ३७१ के तहत जल-जंगल-जमीन पर राज्यवासियों के हक-हकूकों की रक्षा हेतु विशेष व्यवस्था सुनिश्चित की जाय।

७- राज्य के मूल निवासियों को स्थाई निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत किये जाने की बाध्यता से तत्काल मुक्त किया जाय तथा स्थायी निवास प्रमाण पत्र की बाध्यता हेतु स्पष्ट मानक तय किये जांय।

८- राज्य आन्दोलनकारियों की वर्तमान भेदभावपूर्ण चिन्हीकरण प्रक्रिया को स्माप्त कर १९७९ से राज्य आन्दोलन में सक्रिय सभी आन्दोलनकारियों को चिन्हित करने की व्यवहारिक एवं प्रभावी प्रक्रिया प्रारम्भ की जाय।

९- राज्य के व्यापक हित में उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड के बीच परिसम्पत्तियों के बंटवारे के सभी मामले अविलम्ब तय किये जांय।

इसके अतिरिक्त २००७ के चुनावों के लिये उत्तराखण्ड क्रान्ति दल का घोषणा पत्र तथा इस पार्टी का इतिहास निम्न लिंक पर है।
http://www.merapahadforum.com/uttarakhand-at-a-glance/ukd-regional-party/

 यह चीजे मैं इसलिये कोट कर रहा हूं कि बिना पूरी जानकारी, इतिहास और दस्तावेजों के अध्ययन किये बिना कोई भी राय किसी के बारे में कायम नहीं की जानी चाहिये। क्योंकि जब पार्टी का मूल्यांकन किया जा रहा है तो उसकी हर सार्रगर्भित चीज का मूल्यांकन किया जाना चाहिये। इण्टरनेट पर सरकारी प्रायोजित खबरों को आधार बना किसी चीज का मूल्यांकन किया जाना कदापि उचित नहीं होगा।

KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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Dajyu, Jab aap ye mante hee ho ki UKD ke bass kaa kuch rah nahi gaya hai to fir bhi UKD kyon? ???
agar theek karane ki hee baat hai to BJP ki bhi baat karo aur Congress ki bhi karo......Sudhaar to kishi me bhi sambhaw ho sakta hai.....

Rahi baat Nasha Mukti aur Jangalo ki to aaj inki halat to apko mujhse jyada pata hogi...

कैलाश जी चर्चा ही इस बात की है पुराने लीडर कुछ नहीं कर रहे हैं कैसे परिवर्तन लाया जाय क्युकी उकड  विकाशवादी विचार धरा की है ये वही लोग हैं जिन्होंने स्टार पेपर के हाथ से जंगल बचाया है , ये वो लोग हैं जिन्होंने भ्रस्ताचार के खिलाप डेल्ही तक दुस्तक दी ( कनकटा बैल) ये वही लोग हैं जिन्होंने नशा मुक्ति के लिए उतना बड़ा आन्दोलन किया, उत्तराखंड को तो जो भी मिला आन्दोलन से ही मिला आगे भी आन्दोलन से ही मिलेगा नहीं तो आप घोटाले देख ही रहे हैं देश को आजादी भी आन्दोलन से ही मिली आन्दोलन नहीं होता तो आज भी अंग्रेजो के गुलाम होते

हुक्का बू

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उक्रांद का मैं पैदाइशी समर्थक हूं क्योंकि मैने अपने घर में लगातार उक्रांद के बड़े नेताओं को विचार-विमर्श और रणनीति करते पाया और बचपने से ही इसकी विचारधारा मुझे अच्छी लगी और मुझ में रच-बस गई। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि मैं इस पार्टी के हर कृत्य को सही ठहरा दूं।

मैं भी पार्टी के वर्तमान क्रिया-कलापों से सन्तुष्ट कतई नहीं हूं। पहली बात यह कि आज की तारीख में सभी जगह यह बात आती है कि प्रदेश में भाजपा की सरकार है, कहीं भी यह उल्लेख नहीं होता कि भाजपा-उक्रांद की गठबंधन की सरकार है। जब कि यह बात पार्टी के अस्तित्व से संबंधित है।
२- जब भाजपा की आज ३७ सीटें है और दो निर्दलीयों का उसे समर्थन है और प्रदेश के समक्ष राजनीतिक अस्थिरता का सवाल नहीं है तो ऐसी स्थिति में उक्रांद ने जिन नौ बिन्दुओं पर समर्थन दिया था उसमें से पर्वतीय औद्योगिक नीति के अलावा किसी और बिन्दु पर न तो कोई काम हुआ न होने की संभावना है। इसलिये उन्हें सरकार के लिये इस पर दबाव बनाना चाहिये या फिर नैतिकता के आधार पर सरकार से समर्थन वापस ले लेना चाहिये।
३- उक्रांद का यह इतिहास रहा है कि उसने कंटीले झाडि़यों, ऊचे-नीचे डांडों को कांट-छांटकर रास्ता बनाया और अन्य राजनीतिक दलों को भी उसी रास्ते पर चलने को मजबूर किया है। लेकिन आज वह सत्ता सुख की चाह में उस कंटीली और भटकीली राह पर चल रही है, जिसमें आखिरी में खाई ही है और कुछ नहीं।

हुक्का बू

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कैलाश जी, भाजपा और कांग्रेस के ही भरोसे रहते तो यह राज्य भी मिल चुका था और हम लोगों को उत्तराखण्डी का तमगा भी मिल चुका था।

क्या आपको यह मालूम भी है कि इस पार्टी ने कितनी लम्बी लड़ाई लड़ी है। क्या आपको मालूम है कि उक्रांद के स्व० विपिन त्रिपाठी, स्व० इन्द्रमणि बड़ोनी, दिवाकर भटट, काशी सिंह ऐरी, गुरुजन सिंह गुन्ज्याल, ज्यादा दूर मत जाइये चारु तिवारी, जंतवाल आदि-आदि लोगों ने घर-बार-कैरियर को दांव पर लगाकर उत्तराखण्ड आन्दोलन को एक दिशा और दशा दी है।

इस पार्टी की प्रासंगिकता इसलिये भी है, क्योंकि इसका जन्म ही उत्तराखण्ड के लिये हुआ और उत्तराखण्ड ही इसका मिशन, विजन सब कुछ है। यह जरुर है कि भटकाव हो रहा है, हर जगह होता है, हर पार्टी अपने संक्रमणकाल से गुजरती है, यह भी गुजर रही है। मुझे यह कहने को कोई अतिश्योक्ति नजर नहीं आती कि उत्तराखण्ड का भविष्य सिर्फ और सिर्फ उक्रांद के हाथों में ही सुरक्षित है और कहीं भी नहीं।

सुधीर चतुर्वेदी

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AAJ NAHI TO KAL U.K.D JARUR JITAIGI ........................... YAHA KI JANTA BHI BOLAIGI KUCH NAYA HO JAYAI

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

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सर माफ़ी चाहूँगा मैंने ये नहीं कहा की UKD के पास कुछ नहीं है उसके पास तो सबकुछ है एक अच्छी विचारधारा है कुछ मनाग्मेंट बिगाड़ा है तो वो ठीक किया जा सकता है वो क्षेत्रीय पार्टी है क्षेत्र से नियांतरित हो सकती है बीजेपी & कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है इनका कण्ट्रोल क्षेत्र के हाथ मैं नहीं है अगर आप इतना बड़ा सोचते हैं तो फिर बीजेपी कांग्रेस क्यों ओबामा की मोनोपोली को शुधारो ना, कृपया मूल विषय को ना भटकायें. उसी पर विचार दें तो अच्छा रहेगा 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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I am highly impressed the views of Hukka Bubu about UKD.

We have to find out where actually they collapsed.  One of the reasons seem to me is ego problem within the party leaders. The election agenda and other polices of the party were not properly defined.

Somewhere a race started within the Party for assuming higher post before they could get any seat. Unfortunately, the election results have not been in their favour.

Another reason in my opinion of losing election of UKD was due to not having the right candidates contesting election in many District. They did not give ticket to right candidates who were well known faces. 

सुधीर चतुर्वेदी

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अगर U .K .D  को आगे बड़ना है तो उसे अपनी पुरानी विचार धारा पे आना होगा  ...................... ऐशा नहीं की ये जीतते नहीं ये जीतती है जैशे चम्पावत मे जिला पंचायत उपा धयक्षा यु.के.डी. से  है, NAME YAD NAHI AA RAHA HAI UNKA  ............... और इन लोगो को युवा लोगो को आगे बडाना चाहिये

KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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Hukka bu ji aap baar-baar स्व० विपिन त्रिपाठी, स्व० इन्द्रमणि बड़ोनी, दिवाकर भटट, काशी सिंह ऐरी, गुरुजन सिंह गुन्ज्याल, ji kaa naam lekar kya batana chahte ho? unke dwara kiye gaye karyo ke baare me mere khayal se yaha par sabhi log jante hain....

yaha par baat ho rahi hai UKD ke wartmaan sthitiyo ki jiska kaaran aaj kai hee UKD karykarta hain jo apne hee dal ke logo ko sangtheet nahi kar paa rahe hain to wo kya Rajya kaa vikas karenge...

Kishi bhi ache sangthan ki pahchan ye hoti hai ki wo naye leaders creat kare jo aaj ki samay me UKD ke bas ki baat nahi hai.....
Agar congress aaj ki date me sirf aur sirf Mahatma gandhi, Jawahar lal nehru, lal bahadur shashtri ji etc ke karyo ko lekar Rajneeti karegi to mujhe nahi lagta hai ki wo bhi bahut lambe samay tak apne ko bacha paayegi.......Kishi bhi succesfull parties ki success kaa yahi karan hota hai ki wo naye-naye leaders creat karti hain....

Lekin aap UKD wale aisha nahi kar paa rahe ho ishliye UKD ki sthiti saal dar saal kharab hoti jaa rahi hai... 

कैलाश जी, भाजपा और कांग्रेस के ही भरोसे रहते तो यह राज्य भी मिल चुका था और हम लोगों को उत्तराखण्डी का तमगा भी मिल चुका था।

क्या आपको यह मालूम भी है कि इस पार्टी ने कितनी लम्बी लड़ाई लड़ी है। क्या आपको मालूम है कि उक्रांद के स्व० विपिन त्रिपाठी, स्व० इन्द्रमणि बड़ोनी, दिवाकर भटट, काशी सिंह ऐरी, गुरुजन सिंह गुन्ज्याल, ज्यादा दूर मत जाइये चारु तिवारी, जंतवाल आदि-आदि लोगों ने घर-बार-कैरियर को दांव पर लगाकर उत्तराखण्ड आन्दोलन को एक दिशा और दशा दी है।

इस पार्टी की प्रासंगिकता इसलिये भी है, क्योंकि इसका जन्म ही उत्तराखण्ड के लिये हुआ और उत्तराखण्ड ही इसका मिशन, विजन सब कुछ है। यह जरुर है कि भटकाव हो रहा है, हर जगह होता है, हर पार्टी अपने संक्रमणकाल से गुजरती है, यह भी गुजर रही है। मुझे यह कहने को कोई अतिश्योक्ति नजर नहीं आती कि उत्तराखण्ड का भविष्य सिर्फ और सिर्फ उक्रांद के हाथों में ही सुरक्षित है और कहीं भी नहीं।

 

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