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Author Topic: Uttarakhand now one Decade Old- दस साल का हुआ उत्तराखण्ड, आइये करें आंकलन  (Read 28057 times)

सत्यदेव सिंह नेगी

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पहाड़ को राजनीती खा गयी साब
पहाड़ी ठगा गया बारंबार

जय उत्तराखंड

जय भारत

Devbhoomi,Uttarakhand

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पोखरियाल जी अपना मुहं तो धो नहीं सकते हैं और चले दूसरों का मुहं धुलने
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छत्ताीसगढ़ विकास में सबसे आगे: निशंक
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 मुख्यमंत्री डा.रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि छत्ताीसगढ़ ने जीडीपी विकास दर में देश में पहला स्थान हासिल कर दस वर्षो के अपने सफर को मजबूती दी है। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री रमन सिंह को साधुवाद दिया।

छत्ताीसगढ़ राज्य स्थापना की दसवीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित राज्योत्सव समारोह के शुभारंभ अवसर पर डा.निशंक ने कहा कि मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्ताीसगढ़ ने अपनी विकास यात्रा को काफी तेजी से आगे बढ़ाया है। 2009-10 में छत्ताीसगढ़ की जीडीपी विकास दर 11.49 प्रतिशत है, जो देश में सबसे अधिक है।

उन्होंने कहा कि उत्ताराखंड, छत्ताीसगढ़ के साथ अस्तित्व में आया, वह विकास की दौड़ में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है। उत्ताराखंड की विकास दर 9.41 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि छत्ताीसगढ़ तथा उत्ताराखंड जैसे राज्यों की सफलता यह दर्शाती है कि इन राज्यों के गठन का निर्णय सही था। उन्होंने कहा कि उत्ताराखंड की विकट भौगोलिक स्थितियां हैं। सारी चुनौती के बावजूद राज्य विकास के मामले में अग्रणी है। उन्होंने कहा कि उत्ताराखंड में गांवों के चहुंमुखी विकास को तवज्जो दी गई है। अटल आदर्श ग्राम योजना शुरू की गई है। युवाओं को स्वावलंबी बनाया जा रहा है। पर्यटन को रोजगार और राज्य की आय का मुख्य साधन बनाने की योजना है।

छत्ताीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह तथा झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने भी छोटे राज्यों के विकास के परिप्रेक्ष्य में विचार रखे। समारोह के मुख्य अतिथि राज्यपाल शेखर दत्ता थे।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6852423.html

Jagmohan Azad

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डॉ.रमेश पोखरियाल 'निशंक'की उपलब्धियों से भयभीत हो रही हैं कांग्रेस
उत्तराखंड दिवस से पहले सरकार को बदनाम करने की साजिश रच रहा हैं विपक्ष
     24 जून 2009 को जब उत्तराखंड के राजनैतिक पटल पर डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक ने इस राज्य के सबसे युवा और कर्मठ मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी तो,राज्य में एक बार फिर से युवा सोच का विकास निरधारित हुआ था। लोगों को पहली बार एक युवा सोच का नेतृत्व मिला। जिसका निश्चित तौर पर फ्याद भी हुआ और हो भी रहा है। डॉ.निशंक ने जब इस नवोदित राज्य की बागडोर अपने हाथों में ली थी। तब राज्य की क्या स्थिति थी। यह किसी से छुपा नहीं था,फिर चाहे वह विकास का फलक हो,या दूसरी सुख-सुविधाओं की बात हो। हम ज़मीनी धरातल पर खुद को देख तो पा रहे थे। लेकिन हमारी यात्रा निरंतर किसी न किसी तरह से रुक-रुक के आगे बढ़ रही थी।
इसमें कोई दो राय नहीं की निशंक के सामने चुनौतियां तमाम थी और निवारण ना के बारबर। लेकिन निशंक ने अपने युवा नेतृत्व के साथ जब उत्तराखंड के सुफल परिणाम का रथ थामा तो,आज उसका परिणाम हम सबके सामने है। लेकिन कहते हैं कि जब-जब कोई भी व्यक्ति विशेष सफला का झंडा थामें सबसे आगे-आगे चल रहा होता हैं तो,यकीनन उसकी टांग खिचने वाले बहुत लोग निरंतर उसके आगे पिछे चलने शुरू कर देते है। जो काम निश्चित तौर पर उत्तराखंड के कुछ पूर्व माननीयों ने किया तो कुछ विपक्ष की भूमिका में रहा। इसके सबके बावजूद निशंक ने जिस विकास के झंडे को थामा था। उसे किसी भी किमत में झूकने नहीं दिया।
कई बार तो उन्हें उन्हीं के सहयोगियों ने बार-बार गिराने की पूरजोर कोशिश की,तो कई बार विपक्ष उन्हें लंगड़ी देते हुए देखा गया। लेकिन इसमें नुकसान विकास पुरुष निशंक का नहीं बल्कि उन्हीं लोगों का हुआ। जो निरंतर डॉ.निशंक की विकास यात्रा में रोड़ा बन रहे थे। शायद यही वजह भी रही की,निशंक को इन तमाम विरोधियों ने कई बार कई ऐसे आरोप के घेरे में धकेलना चाह जिसमें गिरने के बाद व्यक्ति शायद की कभी सभल पाएं। डॉ.निशंक के इस छोटी से यात्रा में कभी उन पर किचड़ उछाला गया तो,कभी कुछ तथाकथित पत्रकारों को इनके स्टिंग के जिम्मेदार सौंपी गयी। जब इससे भी कुछ फ्यादा नहीं हुआ तो,उनके कुछ ऐसे केसों में फसाने की पूरी-पूरी कोशिश की गयी। जिनके फाइलें सुधारे के लिए निशंक ने खुद ही प्रयास किया था। यही नहीं निशंक को घेरने को लेकर पक्ष से विपक्ष तक के कुछ ऐसे चेहरे भी सामने आएं,जिन पर निशंक ने सबसे ज्यादा विश्वास किया था। लेकिन इन तमाम घटनाओं के बावजूद डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक कभी भी अपने हाथ में ली हुई उत्तराखंड की विकास यात्रा की मिशाल को बुझने नहीं दिया।
यही कारण तो हैं कि निशंक सरकार ने अपने कुशल वित्तीय नियोजन का पिरचय देते हुए केंद्रीय योजना आयोग से उत्तराखंड राज्य के लिए लगातार दूसरी बार बढ़ी हुई वार्षिक योजना मंजूर करायी। वित्तीय वर्ष 2010-11 के लिय यह योजना 6800 करोड़ रुपये की है,जो गत वर्ष की तुलना में 1225.50 करोड़ अधिक है। साथ ही राज्य को 360 करोड़ रुपए की अतिरिक्त केंद्रीय सहायता भी निशंक के माध्यम से ही राज्य को मिली है यह भी डॉ.निशंक का सुफल प्रयाल ही था कि उनकी कुशल वित्तीय प्रबंधन के लिए तेहरवें वित्त आयोग से उत्तराखंड को 1000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता भी प्रोत्साहन के रुप में मिली। यही नहीं उत्तराखंड राज्य आज देश के अग्रणी राज्य में गिना जा रहा है। उत्तराखंड 2009-10 वित्तीय वर्ष में स्थिर मूल्यों पर 9.41 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि दर के साथ छत्तीसगढ़ 11.49,और गुजरात 10.53 के बाद तीसरा सबसे तेजी से विकास करने वाला राज्य ही नहीं बना,बल्कि केंद्रीय योजना आयोग द्वारा इंवायरमेंट परफॉरमेंस इंडेक्स में 0.8086 अंक के साथ देश में प्रथम स्थान पर है। हिमाचल प्रदेश 7308 और चण्डीगढ़ 0.7185 अंक के स्थान पर है। केंद्रीय योजना आयोग द्वारा कराये गए इस अध्ययन में उत्तराखंड वनों के संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में भी प्रथम स्थान पर है। यह सब इसलिए सफल हुआ की डॉ.निशंक ने अपने नेतृत्व में उत्तराखंड में जो विकास की नींव रखी,उसको एक सुफल परिणाम तक भी पहुंचाया।
डॉ.निशंक के कुशल वित्तीय प्रवंधन की यदि बात की जाएं तो,पूर्ववत्ती सरकार के समय जहां प्रति वर्ष लगभग 4750 करोड़ रुपये राजस्व आय प्राप्त होती थी। अब वह बढ़कर लगभग 9150 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष हो गयी है। राज्य कुशल वित्तीय प्रबंधन को देखते हुए ही 13वें वित्त आयोग ने राज्य का निर्धारित परिव्यय स्वीकार करने के साथ ही एक हाजर करोड़ रुपये की अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की। डॉ.निशंक सरकार ने उत्तराखंड के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम जो उठाया वह है। राज्य में रोजगार के अवसरों को उत्थान करना,जिसके लिए यहां औद्योगिक निवेश का निरधारण होना। हमारे राज्य के लिए सबसे सुखद घटना थी। वर्ष 2007 तक राज्य में 24 हजार 516 करोड़ रुपये का औद्योगिक निवेश हुआ। विगत तीन साल में ही 30 हजार करोड़ रुपये से अधिक का औद्योगिक निवेश हुआ। इसके साथ ही युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए आशीर्वाद योजना भी शुरु की गयी। इस अनूठी योजना के तहक निजी क्षेत्र की कंमनी अशोक लीलैण्ड दूरस्थ क्षेत्रों के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति के साथ-साथ विश्व स्तरीय इंजीनियरिंग प्रशिक्षण दे रही है। इससे वर्ष में 1000 होनहार बच्चों का लक्ष्य और लगभग 400 बच्चे को प्रशिक्षण देने का काम चल रहा है। जिसमें अब गाडविन ग्रुप और संस और एलुमिनस समूह भी शामिल हो गए है। इसी के साथ विशेष पर्वतीय औद्योगिक नीति लागू की गई है। जिससे निरंतर पहाड़ों से हो रहे पलायन पर निश्चित तौर पर अंकुश लगा है। जो अपने आप में पहाड़ों के लिए श्रेयकर ही नहीं बल्कि सम्मान की बात हैं कि यहां का युवा अब मैदान नहीं बन रहा है।
यह भी डॉ.निशंक के सुफल प्रयासों का ही नतीजा रहा कि आज उत्तराखंड का ऊर्जा प्रदेश के तौर पर जाना जाने लगा है। निशंक सरकार के प्रयासों से ऊर्जा के क्षेत्र में पहली बार ऐसी पारदर्शी ऊर्जा नीति बनायी गई। जिसमें स्थानीय लोगों की अधिक से अधिक सहभागिता हो सके। स्वचिन्हित योजनाओं के माध्यम से जहां सरकार को पांच लाख रुपये प्रति मेगावाट के हिसाब से आमदनी होगी वहीं इन परियोजनाओं पर पहला अधिकार भी राज्य सरकार को ही होगा। बिजली उत्पादन के क्षेत्र में राज्य में 40 हजार मेगावाट क्षमता चिन्हित की गयी है। घराट आधारित योजनाओं को भी बढ़ावा दिया गया है,ताकि पर्वतीय क्षेत्रों में स्थानीय लोग इससे लाभाविंत हो सकें। और यह सब उत्तराखंड के जनमानस को वास्तविक धरातल पर दिख रहा है। जो बार-बार इस बात को कोड कर रहे हैं कि ऐसा पहली बार हुआ है,निशंक के कार्यकाल में हुआ है।
स्वास्थ्य सेवाओं की अगर बात की जाएं तो,निश्चित तौर पर पं.दीनदयाल उपाध्याय देवभूमि 108 आपातकालीन सेवा उत्तराखंड में संजीवनी संकटमोचन जीवनदायनी जैसी विभिन्न नामों से चर्चित है। इसके लिए डॉ.निशंक के योगदान को उत्तराखंड के जनता कभी नहीं भूल पाएगी। इस सेवा ने उत्तराखंड के कई पीडितों को जीवन का एक नया अध्याय प्रदान किया,तो नवजीवन को एक नया कुनबा। दुर्गम एवं अति दुर्गम क्षेत्र में प्रदेश की जनता को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार द्वारा सभी चिकित्सा सुविधायुक्त सचल चिकित्सा वाहन शुरू किये जा रहे है। गरीब एवं मेधावी छात्रों को 15 हजार न्यूनतम वार्षिक शुल्क पर राजकीय मेडिकल कालेज श्रीनगर एवं हल्द्वानी में एम.बी.बी.एस की डिग्री दी जा रही है। इसी के साथ सुदूर पर्वतीय क्षेत्र के लोगों को विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार द्वारा दूरस्थ क्षेत्रों में विषेशज्ञ चिकित्सकों की तैनाती भी की गयी है।
डॉ.रमेश पोखरियाल 'निशंक'सरकार की कुछ और उपलब्धियों की बात अगर की जाएं तो गंगा संरक्षण परियोजना-'स्पर्श गंगा'एक नायाब पहल है। इस ऐतिहासिक एवं स्वप्निल परियोजना के तह्त गंगा के अमृत स्वरुप जल की नैसर्गिकता बनाये रखने को धरातल पर युद्ध स्तर पर अभियान चलाया गया। इसमें एन.सी.सी.,एन.एस.एस.,युवा मंगल दल समेत बड़ी संख्या में स्वंयसेवी संगठन भागीदारी कर रहे है। इसके लिए गंगा में प्लास्टिक का प्रयोग नहीं करने,गंगा में कूड़े को प्रवाहित नहीं करने,कूड़े को जैविक व अजैविक अलग-अलग रखने,जैविक कूड़े की खाद बनाने,अजैविक कूड़े को पुनरचरक्रण हेतु स्वच्छको को देने,कूड़े के प्रबंधन से ऊर्जा के साथ-साथ अन्य संसाधनों की बचत करने तथा कूड़े को संसाधन के रुप में प्रयोग करने का संकल्प लिया गया है। इसी के साथ 17 दिसंबर 2009 को गंगा सफाई दिवस घोषित करते हुए जहां मां गंगा व अन्य सहायक सदानीरा नदियों को स्पर्श गंगा परियोजना के तह्त साफ करने का बी़ड़ा उठाया गया तो 17 मई 2010 को गंगोत्री से स्पर्श गंगा के तह्त ही निर्मल गंगा-स्पर्श गंगा का शुभारम्भ किया गया। इस अभियान को गंगोत्री के अलावा अन्य तीन धामों में भी संचालित किया गया। इसी का परिणाम हैं की स्पर्श गंगा कार्यक्रम एक जन अभियान के रुप में अब मारिशस,गंगा से गंगा तलाव तक पहुंच चुका है। जिस इस परियोजना में वैज्ञानिक शोध पर भी बल देन पर बल दिया जा रहा है।
निशंक सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धियों में रहा महाकुम्भ 2010 जिसने निशंक को विश्व के मानस पटल पर नोबेल की श्रेष्ठ पदवी में लाकर खड़ा कर दिया और पक्ष और विपक्ष दोनों ही डॉ.निशंक की इस उपलब्धि के सामने खुद को छोटा महसूस करने लगे। जिसके कारण वश ही इन्होंने इस आयोजन पर भी तरह-तरह के सवाल उठाने खड़े कर दिये। लेकिन सफलता कब कहां किसी के रोकने से रुकती है। सदी के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन कुम्भ मेला 2010 का सफल आयोजन इस छोटे से नवोदित राज्य के लिए बहुत बड़ी चुनौती थी। लेकिन इसका सफल संचालन निशंक सरकार की बड़ी उपलब्धि रही। इस कुम्भ में एक दिन में पौने दो करोड़ के आसपास श्रद्धालुओं की सकुशल अगुवाई और विदाई निःसदेह चुनौतीपूर्ण थी,लेकिन उत्तराखंड सरकार ने इस चुनौती को एक नए अध्याय के तौर पर दुनिया के सामने रखा और इसकी दुनिया भर में प्रशंसा की गयी। शिकागों के बिजनेस स्कूल के विशेषज्ञों की टीम ने इसे विश्व की सबसे बड़ी मैनेजमेंट एक्सरसाइस करार दिया। यही नहीं यह पहला मौका था,जह कुम्भ में आये श्रद्धालुओं का सटीक आंकड़ा उपग्रह के जरिए मिला। पहली बार भारतीय अंतरिक्ष विभाग इसरो के उपग्रहों के माध्यम से हमने 14 अप्रैल के शाही स्नान में शामिल तीर्थ यात्रियों का आंकलन किया। इसमें 1 करोड़ 63 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया और 14 जनवरी 2010 तक चले इस कुम्भ मेले में लगभग आठ करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान कर पुण्य अर्जित किया। जिससे पूरी दुनिया ने सराहा।
उत्तराखंड में सुशासन की बात करें तो राज्य में नई कार्य संस्कृति के तह्त वीडियों कांफ्रेसिंग के जरिए जनपद अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थानीय समस्याओं का यथाशीघ्र समाधान का बीढ़ा डॉ.निशंक के माध्यम से उठाया गया। इससे धन एवं समय दोनों की बचत भी हो रही है। सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे मुख्यालय आने के बजाया वीडियों कांफ्रेसिंग के माध्यम से समीक्षा बैठकों में प्रतिभाग करें। साथ ही सभी विभागाध्यक्ष अधिक प्रभावी माध्यम से जनपदों में विकास की योजनाओं का अनुश्रवण करें। इसके अतिरिक्त ई-गर्वनेस के माध्यम से सुशासन को बढ़ावा देते हुए प्रदेश सरकार ने तहसील स्तर पर पं.दीन दयाल उपाध्याय जनाधार ई-सेवा शुरु की है,जिसमें आम आदमी को सरकार से जुड़ी विभिन्न जानकारियां आसानी से उपलब्ध हो रही है। जनता से संवाद बढ़ाने के साथ ही सरकार जनता के द्वार अभियान शुरु किया गया है। इस माध्यम से मुख्यमंत्री स्वयम् लोगों की परेशानियों को सुन रहे हैं,और उनका तुरंत निवार्ण करने का निर्देश भी दे रहे है।
रोजगार के अवसरों की बात करें तो आज से पांच-छै साल पहले जिस तरह से पहाड़ निरंतर मैदान बन रहे है। इस दिशा में राज्य सरकार ने उत्तराखंड के नौजवानों को पहाड़ में रोजगार के अवसर देकर एक नया परिवेश तैयार किया है। और इसी के चलते पहाड़ से निरंतर हो रहे पलायन पर अंकुश भी लगा है। इसी के तह्त सरकारी भर्तियों में किसी भी प्रकार की अनियमितता को रोकने के लिए भी सरकार द्वारा कारगर कदम उठाए गये है। पारदर्शी नियुक्ति प्रक्रिया शुरु की गयी है। साक्षात्कार की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है। यही नहीं अभ्यार्थियों को लिखित परीक्षा में उत्तर शीट की कार्बन प्रति परीक्षा के पश्चात अपने साथ ले जाने की अनुमति भी दी गयी है। नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता के लिए परीक्षा परिणाम को वेबसाइट पर उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गयी,ताकि परीक्षर्थी कार्बन कॉपी से अपने अंको का मिलान कर सके। उत्तराखंड में इस प्रकार नियुक्ति में निशंक सरकार ने एक अभिनव पहल शुरु की है। इसके साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश के रोजगार कार्यालयों में पंजीकरण को भी अनिवार्य कर दिया गया है। समाज के अंतिम व्यक्ति तक जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए निशंक सरकार ने विकास से जुड़ी अनुपम पहल के तह्त कई योजनांए शुरु की है। जिनमें डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी मुख्यमंत्री निर्मल शहर पुरस्कार योजना,मुख्यमंत्री युवा संचालित सामुदिक केंद्र योजना,मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना,मुख्यमंत्री हरित प्रदेश विकास योजना,मुख्यमंत्री संरक्षित उद्यान विकास योजना,मुख्यमंत्री जड़ी-बूटी विकास योजना,मुख्यमंत्री चारा विकास बैंक योजना,मुख्यमंत्री खाद्य सुरक्षा योजना,मुख्यमंत्री ग्रामीण संयोजकता योजना और मुख्यमंत्री सुदूर स्वास्थ्य सुदृढ़ीकरण योजना,पं.दीन दयाल उपाध्याय पथ प्रकाश योजना शामिल है। इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य राज्य में सड़क व्यवस्था,वन क्षेत्र में वृद्धि,उद्यान तथा जड़ी-बूटी विकास,चारा विकास बैंक,खाद्य,स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों में विशेष रुप से कार्य करना है। जिससे सीधे-सीधे उत्तराखंड के लोगों को जो़डा़ गया है। ताकि उनका उनको अधिकार मिल सके।
इन तमाम योजना के साथ ही अटल आदर्श ग्राम योजन,जिसके तह्त ग्रामिण स्तर पर बिजली,पानी,चिकित्सा स्वास्थ्य,शिक्षा और पेयजल आदि मूलभूल सुविधाएं ग्रामिणों को जल्द से जल्द उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। इसी तरह जन से जुड़े वन और कृषि एवं जड़ी-बूटी उत्पादन को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। वन से जुडे़ जन के तह्त राज्य में 12085 वन पंचायतें गठिक की गई है। इन वन पंचायतों में महिलाओं की अधिकाधिक भागीदारी सुनिश्चित की गई है। वन पंचायतों के माध्यम से वनों के संरक्षण एवं संवर्द्धन का कार्य किया जा रहा है। इनमें चारा विकास,चार वृक्ष विकास,औषधीय पादपों का विकास और मृदा व जल संरक्षण संबंधी कार्यक्रम भी चलाएं जा रहे हैं,इसी के साथ सरकार ने वनों को पर्यटन से जोड़ने का एक सुफल प्रयास भी किया है। इसके लिए इको पार्क विकसित किए जा रहे है। इससे पर्यटक जहां वनों का नैसर्गिक आंनद ले रहे,वहीं उन्हें वृक्षारोपण के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है। कृषि एवं जड़ी-बूटी उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए उत्तराखंड सरकार ने कृषक महोस्तव की शुरुआता की है। जिससे कृषि योजनाओं का सीधा लाभ किसानों तक पहुंच पाएं। सरकार द्वारा किसानों के लिए खाद,बीज,कृषि उपकरण आदि के क्रय पर 50 से 90 प्रतिशत छूट की योजनाएं चलायी गया है। गांव-गांव कृषक रथ के माध्यम से किसानों की समस्याओं को समाधान किया जा रहा है। जड़ी-बटी के प्रोत्साहन के लिए जड़ी-बूटी की खेती पर लागत मूल्य का 50 प्रतिशत,अधिकतम एक लाख रुपये की व्यवस्था भी की गयी है। भौगोलिक जलवायु व जैविक विविधता वाले इस हिमालयी राज्य में विभिन्न फल,सब्जी,पुष्प व मसाला फसलों की अपार संभावनाओं को देखते हुए बागवानी विकास परिषद का गठन किया गया है।
पर्यटन के क्षेत्र में भी निशंक सरकार ने जिस ऊचांई को छुआ हैं,वह आज किसी से छुपा नहीं है। चारधाम यात्रा में प्रति वर्ष लाखों तीर्थ यात्री देश-विदेश से इस देवभूमि में आते है। इनके लिए सभी आधारभूत व्यवस्थाएं करना निश्चित तौर पर एक चुनौतीपूर्ण कार्य हैं,लेकिन सरकार ने चारधाम यात्रा मार्ग पर बिजली,पानी,शौचालय और यातायात की चौकस व्यवस्था कर,तीर्थयात्रियों को नायाब तौफ दिया। साथ ही तीर्थयात्रियों से स्थानीय उत्पादों की बिक्री के माध्यम से कम से कम पांच सौ करोड़ रूपये की आय आर्जित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। चारधाम की तर्ज पर अब पंचप्रयाग,पंचबदरी एवं पंचकेदार पर्यटन सर्किट भी विकसित किए जा रहे है। कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर अवस्थापना सुविधाओं को मजबूत किया जा रहा है।उत्तराखंड देश का ऐसा विशिष्ट राज्य है,जहां लगभग प्रत्येक परिवार से कोई न कोई सदस्य सेना में है। सैनिकों,भूतपूर्व सैनिकों तथा उनके परिजनों को पूर्ण सम्मान प्रदान करने के उद्देश्य से अनूठी पहल शुरू की गयी है। उत्तराखंड देश का पहला राज्य है,जहां सेवानिवृत्त सैनिकों को दिए जाने वाली धनराशि में कई गुना वृद्धि की गई है। सरकार ने जय जवान आवास योजना की भी शुरुआत की है। जिसके तह्त बनने वाले आवास के लिए निःशुल्क भूमि देने का निर्णय लिया गया है। जो देश में एक अनूठी पहल है। पर्यावरण संरक्षण में भूतपूर्व सैनिकों की सहभागिता सुनिश्चित करने एवं उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के लिए राज्य में चार इको टॉस्क फोर्स का गठन किया गया है।
डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक के भागीरथी प्रयासों से आयुष ग्राम,मातृ शक्ति,जैसे अभियान चलाए जा रहे है तो। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में सड़क परिवहन को सुदृढ़ किया जा रहा है। वाहनों के पंजीयन,परमिट,फिटनेस से लेकर संग्रहण कार्यों का समूचा कम्यूटरीकरण करने वाला यह देश का पहला राज्य है। प्रदेश में पर्यटन विकास को बढ़ावा देने,आपदा राहत कार्यों में सुगमता तथा औद्योगिक विकास को गति देने के उद्देश्य से सरकार ने हैली सर्विसेज का बढ़ावा दिया है। इसके लिए जगह-जगह पर हैलीपैड बनाएं जा रहे है। हैली सर्विसेज को प्रोत्साहित किए जाने से स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिल रहे है। सड़कों का जिस तरह का जाल बिछाया जा रहा है। उसकी झलक पर्वतीय सुदूर क्षेत्रों में आज देखी जा सकती है। निशंक सरकार ने 250 से कम तथा 250 से 500 तक जनसंख्या वाले ग्रामों को चिन्हित किया हैं,ताकि आम आदमी को अधिक से अधिक सुविधा मिल सकें।पत्रकार के तौर पर अपने जीवन की यात्रा शुरू करने वाले डॉ.निशंक ने साहित्य-संस्कृति के क्षेत्र में जिस तरह से उत्तराखंड को एक विकास पटल पर बैठा दिया है। इसे सदियों तक याद किया जाएगा,फिर चाहे वह संस्कृत का राजभाषा का दर्जा दिलाने की बात हो,या फिर उत्तराखंड के साहित्कारों,लोक कलाकारों के सपनों को साकार करने की सोच हो,उत्तराखंड सरकार ने हर मुकाम पर इनके सपनों को पंख लगाए है। यही नहीं यह डॉ.निशंक की उत्तराखंड की विकास यात्रा के जो विजन 2020 तैयार किया है। यह यदि साकार होता हैं तो निश्चित तौर पर उत्तराखंड का जन-मानस इसे एक उज्जवल भविष्य के तौर पर दिखेगी। इस के तह्त जब हरित प्रदेश के साथ-साथ स्वस्थ्य,सुसंस्कृति व सुशिक्षित ही नहीं बल्कि आदर्श राज्य का एक विजन भी तैयार होगा। जिसके लिए विजन 2020 की अवधारणा विकसित की गयी है। विजन 2020 के क्रियांवयन के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन भी किया गया है।
इन तमाम उपलब्धियों के साथ हेल्थ स्मार्ट कार्ड,नन्दा देवी कन्या योजना,गौरा देवी कन्याधन योजना सरकार द्वारा उत्तराखंड के जनमानस के लिए चलायी जा रही है। जिसका सीधा-सीधा फ्याद प्रदेश की जनता विशेष तौर पर जरुरबंदों को मिले इसके लिए शासन-प्रसाशन के अधिकारियों को विशेष निर्देस दिए गए है।
रोजगार के क्षेत्र में उत्तराखंड के अभी तक के इतिहास में जो अद्भुत भूमिका तैयार हुई है। वह आज तक कभी नहीं हुआ था। पहली बार लगभग 21 हजार नौकरियों के द्वारा स्थानीय बैरोजगारों के लिए खोले गए है,जिनमें 12 हजार समूह '',4 हाजर शिक्षत तथा 490 विभिन्न औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में अनुदेशक शामिल है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश से आने वाले 4 हजार पुलिस कर्मियों के स्थान पर अब उत्तराखंड में चार हजार नौजवानों की भर्ती का रास्ता भी साफ हो गया है। समूह '' के कई पदों को लोक सेवा आयोग की परिधि से बाहर रखा गया है। विभिन्न विभागों में होने वाली भर्ती के लिए अब राज्य के सेवायोजन कार्यालय में पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। साथ ही चयन प्रक्रिया में मुख्यतः उत्तराखंड की ऐतिहासिक,सांस्कृतिक,सामाजिक,भौगोलिक परिवेश से संबंधित जानकारी की अनिवार्यता भी कर दी गया हैं,ताकि स्थानीय युवाओं को मौका मिल सके।
इसके बावजूद उत्तराखंड में कांग्रेस और पक्ष के कुछ चेहरे डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक की इन उपलब्धियों पर सवाल उठाते है। जिससे जाहिर हो जाता हैं कि यह चेहरे प्रदेश के विकास के बारे में कुछ करना ही नहीं चाहते। अगर ऐसा होता तो,कांग्रेस के सबसे ज्यादा उत्तराखंड में सत्ता के गलियारों में रहने के बावजूद उनके समय में राज्य की दुर्गति नहीं होती। हम विकास के जिस पथ आज निरंतर आज आगे बढ़ रहे है। उसका श्रेय निश्चित तौर पर निशंक सरकार को जाता है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए की वह चाहिए राज्यआदोलनकारियों की बात हो,उत्तर प्रदेश से जुड़ी परिसम्पतियों की बात बीजेपी ने इन मुद्दों को सुलाझाने में जिस तरह का कार्ययोजना तैयार की इस तरह से पहली ऐसी योजना कभी नहीं बनायी गयी थी। पिछले उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा ने जिस तरह से भंयकर रुप अखतियार किया। उसे पूरे विश्व ने देखा और देख भी रहा है। ऐसे समय में उत्तराखंड सरकार जिस तरह से आपदा से पीड़ित लोगों से साथ खड़ी रही,इससे निश्चित तौर पर राज्य की जनता में बीजेपी के प्रति एक नयी सोच पैदा हुई है। क्योंकि इस आपदा के समय में जब मुख्यमंत्री अपने पूरे प्रशासन के साथ राहत कार्य में जुटे थे। ऐसे में कांग्रेस पीड़ितों के आंसुओं पर भी राजनैतिक रोटियां सेकने से नहीं चुक रही है। जिससे साफ जाहिर हो जाता हैं,कि कांग्रेस को उत्तराखंड के जन-मानस की चिंता कम खुद की राजनैति चमकाने की चिंता ज्यादा है। लेकिन अब समय दूर नहीं है,उत्तराखंड की जनता विकास के धरातल पर कांग्रेस के असली चेहरों को पहचान चुकि हैं,और यकीनन वह इसका जबाब कांग्रेस को 2012 में देगी।
- जगमोहन 'आज़ाद'
    


 
   
   
      

Mahi Mehta

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Dear Mr Jamohan,

This is not the issue between Nishank and congress party. We are going to analysis the 10 yrs development in Uttarakhand. if Uttarakhand state has not progressed during these 10 yrs, Nishank ji also responsible for this.

I would request all members to come and have a lengthy discussion here.

हेम पन्त

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भ्रामक आंकड़े सामने रख कर कोई भी सरकार सच को झुटला नहीं सकती. प्रदेश के नेता अपने इन्टरव्यू में चाहे जितने भी आर्थिक विकास दर या प्रति व्यक्ति आय के आकर्षक आंकड़े बता दें लेकिन हकीकत यह है कि उत्तराखण्ड उस दिशा में आगे नहीं बढ रहा है जिसकी उम्मीद पर इसका निर्माण किया गया था.

सीमान्त क्षेत्रों और अन्दरूनी इलाकों में राज्य बनने के बाद कोई परिवर्तन नहीं आया है. देहरादून, रुद्रपुर या हरिद्वार, हल्द्वानी के विकास को उत्तराखण्ड का विकास बताना पहाड़ के लोगों के साथ नाइन्साफी है. हम अभी भी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं हैं. पलायन कम होने की जगह बढता जा रहा है. पहाड़ों में रोजगार के साधन बिलकुल भी नहीं बढे हैं. उत्तराखण्ड की स्थाई राजधानी निर्धारित नहीं हो पायी है. इन सब सवालों का जवाब कौन देगा?

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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On 31 Oct 2010, we had organized debate on 10 yrs of Uttarakhand at Constitutional Club at Rafi Marg New Delhi wherein we invited various Political Leaders including Centre Minister Harish Rawat and other reputed personalities.

The long discussion was held on 10 yrs of Uttarakhand.  Most of the speakers expressed their grudge about the development work has done place in hill areas.

It was a discussion but what is the outcome. What is to be done is the main objective now. During these 10 yrs, we can say there hardly 5% development was seen in hill areas. We will discuss each and every aspect in length.

The final report and views will be sent to Honorable CM of Uttarakhand.

Mahi Mehta

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Hamari Vikas ke Aash- Kewal ek Hope hi rahi.

There was not much development visible but only during thes 10 yrs, we had 5 CM. In another word, it is CM producing State.

Devbhoomi,Uttarakhand

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क्या पाया क्या खोया ये कहावत उतराखंड पर भारी पद रही है,क्यों पाने का नाम तो सिर्फ नाम का ही है,इन दस सालों सिर्फ खोया ही खोया है,पाए है तो सीएफ 5 कुकर्मी सी यम  पाए हैं !

Sudarshan Rawat

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जिनसे हम छूट गये अब वो जहाँ कैसे हैं
शाखे गुल कैसे हैं खुश्‍बू के मकाँ कैसे हैं । 
ऐ सबा तू तो उधर से ही गुज़रती होगी
उस गली में मेरे पैरों के निशाँ कैसे हैं । 
कहीं शबनम के शगूफ़े कहीं अंगारों के फूल
आके देखो मेरी यादों के जहाँ कैसे हैं । 
मैं तो पत्‍थर था मुझे फेंक दिया ठीक किया
आज उस शहर में शीशे के मकाँ कैसे हैं । 

राही मासूम रजा
Thanks to hindi kunj
जब श्री TPS  रावत जी ने राजनैतिक सौदेबाजी के तहत धुमाकोट विधान सभा सीट खंडूरी जी को दी थी तब थोडा सा दुःख मगर ज्यादा ख़ुशी ये हुई थी की अब इस इलाके से कोई
मुख्यमंत्री आ रहा है अब तो विकास होके ही रहेगा मगर इसमें सिर्फ इन्ही दोनों महानुभावों का विकास हुआ राजनितिक ठगी कैसे होती है इसका हमें भी स्वाद लग गया
मैं नेगी ji आपकी बात से सहमत हूँ मैं घुमाकोट विधान सभा से हूँ, माननीय खंडूड़ी जी ने जब मुख्यमंत्री पद के लिए घुमाकोट से उप चुनाव लड़ा था तब उन्होंने धुमाकोट विधानसभा की जनता से वडा किया था की मैं विकास के मामले में धुमाकोट विधानसभा को उत्तराखंड की न.-१ विधानसभा बना दूंगा....
लकिन अफ़सोस के साथ कहना पद रहा है माननीय खंडूड़ी जी अभी भी धुमाकोट विधानसभा से विधायक हैं पर वहां का विकास और जनसमस्याएं जहाँ की तहां पसरी पड़ी है...!!

chandra prakash

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10 saal me 5 mukhyamantri (CM) ye kam vikas hua uttrakhand me.........hahaha  cm banane ke vikas me aggarser............uttrakhand

 

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