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Uttarakhand Progress In Sports - उत्तराखंड खेलो मे प्रगति

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Anil Arya / अनिल आर्य:
पूर्व फुटबालर श्याम थापा का सम्मान किया
अमर उजाला ब्यूरो
देहरादून। यूनियन बैंक ने पूर्व अंतरराष्ट्रीय फुटबालर श्याम थापा को सम्मानित किया।
शुक्रवार को राजपुर रोड स्थित बैंक में सम्मान समारोह आयोजित किया गया। बैंक के डीजीएम जेपी बहुगुणा ने श्याम थापा को सम्मानित किया। इस अवसर पर अपने अनुभव बताते हुए फुटबालर श्याम थापा ने कहा कि दून में खिलाड़ियों ने खेल के प्रति रुचि तो है, लेकिन स्तर बढ़ नहीं पा रहा है। उन्होंने कहा कि फुटबाल को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है कि सरकारी स्तर पर फुटबाल के लिए कुछ कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा कि एक समय देहरादून का फुटबाल में नाम हुआ करता था। लेकिन इस समय कोई भी खिलाड़ी उस स्तर तक नहीं पहुंच पाया है।
इस अवसर पर प्रबंधक प्रदीप सिंह, ब्रजेश्वर शर्मा, दिनेश चंद्र लखेड़ा आदि मौजूद थे।
यूनियन बैंक की ओर से सम्मान समारोह
दून की फुटबाल को लेकर चिंतित हैं थापा
http://epaper.amarujala.com//svww_index.php

हलिया:
संडे नई दुनिया (13-19 फरवरी) से साभार: 


http://www.naidunia.com/Details.aspx?id=220263&boxid=29892166

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
 
This is our progress in Sports.
 
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 उत्तराखंड का नेशनल शूटर टमाटर की खेती करने को मजबूर   
देहरादून | राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में शूटिंग रेंज में पदकों की झड़ी लगाने वाले पंकज चौहान की आजीविका अब खेती पर ही टिकी है। राज्य गठन के दस साल बाद भी न तो प्रदेश की कोई स्पष्ट खेल नीति बन पाई है और न ग्रामीण क्षेत्रों की खेल प्रतिभाओं को उभारने की दिशा में कोई ठोस कदम उठाया गया है। नतीजा, यह कि राष्ट्रीय निशानेबाजी में 13 स्वर्ण, 12 रजत व 4 कांस्य पदक जीतने वाले पंकज चौहान जैसे खिलाड़ी की प्रतिभा दम तोड़ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों की खेल प्रतिभाओं को बेहतर मंच देने के सरकारी दावों की हकीकत जाननी हो, तो जौनसार-बावर क्षेत्र की दुर्गम तहसील त्यूणी के बृनाड़ गांव चले आइए। राष्ट्रीय स्तर की शूटिंग रेंज में पदकों की झड़ी लगाने वाला निशानेबाज यहां टमाटर की खेती करता दिखाई देगा। खेती उनका शौक नहीं, बल्कि मजबूरी है। पंकज ने वर्ष 1997 से 2002 तक विभिन्न राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग ले कई पदक जीते। अक्टूबर 1997 में जीवी मावलंकर शूटिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक और स्टैंडर्ड पिस्टल जूनियर वर्ग प्रतियोगिता में रजत पदक भी जीता। 1998 में 41वीं राष्ट्रीय निशानेबाजी स्पर्धा में पंकज ने 4 स्वर्ण पदक और अहमदाबाद में हुई छठी ऑल इंडिया जेबीजी शूटिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। राणा इंस्टीट्यूट चैंपियनशिप के सीनियर वर्ग की एयर पिस्टल में पंकज ने प्रथम स्थान हासिल किया, जबकि इसी साल मद्रास में एनआर स्टैंडर्ड पिस्टल प्रतियोगिता में अंतरराष्ट्रीय शूटर जसपाल राणा के रिकॉर्ड की बराबरी भी की। यह उनकी यादगार उपलब्धि है। छात्र जीवन में वॉलीबॉल के अच्छे खिलाड़ी रहे बताते हैं कि 1996 में अंतराष्ट्रीय शूटर जसपाल राणा से हुई एक मुलाकात ने उन्हें शूटिंग के लिए प्रेरित किया। मध्यवर्गीय परिवार का होने के कारण उनके लिए यह राह आसान नहीं थी। वर्ष 1998 में आइटीबीपी से नौकरी का प्रस्ताव आया। मगर, योग्यता के अनुरूप पद नहीं मिलने पर प्रस्ताव ठुकरा दिया। अब खेती के सहारे रोटी का जुगाड़ कर रहे हैं। बकौल पंकज यह सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में छिपी सभी खेल प्रतिभाओं की दास्तां है। जिस राज्य में दस साल बाद भी खेल नीति न बन पाई हो, वहां एक खिलाड़ी के लिए टमाटर उगाने की मजबूरी आश्चर्य की बात नहीं।
 
http://www.pressnote.in/sports-news_124783.html

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा:

It is really shocking to the see the news that our sports person forced to such work.

Shame- 2. UK Govt.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

Due to lack of basic facilities, many talented player are not be get opportunities to perform at national and international level.

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