मौत के मुहाने पर 412 परिवार
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नई टिहरी
आशा डूब गई और आशंका सच निकली। जिसका डर था वही हुआ। टिहरी जिले का सरोट डोबन गांव सोमवार सुबह जब सोकर उठा तो बाहर का नजारा देख स्तब्ध रह गया। खेतों को डुबोकर टिहरी बांध की झील का पानी आंगन की ओर बढ़ रहा था। अब हर किसी को चिंता है तो अपनों की जिंदगी की। रौलाकोट, नकोट, गडोली, छाम, जसपुर, गोजमेर समेत 25 गांवों के हालात सरोट डोबन से अलग नहीं। चार सौ बारह परिवार मौत के मुहाने पर बैठे हैं। सब के सब अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। इतने सालों में न मुआवजा मिला और न विस्थापन की कोई व्यवस्था हो पाई। टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन ने उन्हें मझधार में फंसा दिया है।
कई गांव ऐसे हैं जिनमें झील का जल स्तर बढ़ने से भूस्खलन भी शुरू हो गया है। बांध प्रभावित खांड धारमंडल के बरफ सिंह, उदय सिंह का कहना है कि झील का जल स्तर बढ़ने पर उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। पटागली गांव के प्रेम सिंह असवाल, दिनेश सिंह, गोविन्द सिंह, शेर सिंह, वीर सिंह, पूनम देवी, फगणी देवी, सौदर सिंह, पूरण सिंह का कहना है कि उनका सब कुछ झील में समा जाने के बाद उनके पास कुछ नहीं बचा है। ऐसे ही बांध प्रभावित पिलखी गांव के सुरेश गिरी, रामगोपाल बिजलवाण व स्यांसू के चिरंजी सिंह पुरसोड़ा की चिंता है कि इंसान तो बचा लिए जाएंगे, लेकिन उनके मवेशियों का पूछने वाला कोई नहीं है। बांध प्रभावित डोबन गांव के सुरेश नौटियाल, प्रेम नौटियाल व सरोट गांव के कुंदन सिंह, बलवीर सिंह, भगीरथ, शांति, किशोरी ने बताया कि रात-रात वह लोग सो नहीं पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते टीएचडीसी व पुर्नवास विभाग उनके विस्थापन को आगे आता तो आज उन्हें यह दिन नहीं देखने पड़ते।
कैसे कटेंगे लंच पैकेट के सहारे दिन
नई टिहरी: बांध प्रभावितों के लिए टीएचडीसी का अब एक ही सहारा रह गया है और वह है लंच पैकेट। बांध प्रभावितों को वर्तमान में राहत के नाम पर फिलहाल लंच पैकेट पहुंचाए जा रहे हैं।
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