Author Topic: Uttarakhand Suffering From Disaster - दैवीय आपदाओं से जूझता उत्तराखण्ड  (Read 71067 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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मौत के मुहाने पर 412 परिवार
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नई टिहरी

आशा डूब गई और आशंका सच निकली। जिसका डर था वही हुआ। टिहरी जिले का सरोट डोबन गांव सोमवार सुबह जब सोकर उठा तो बाहर का नजारा देख स्तब्ध रह गया। खेतों को डुबोकर टिहरी बांध की झील का पानी आंगन की ओर बढ़ रहा था। अब हर किसी को चिंता है तो अपनों की जिंदगी की। रौलाकोट, नकोट, गडोली, छाम, जसपुर, गोजमेर समेत 25 गांवों के हालात सरोट डोबन से अलग नहीं। चार सौ बारह परिवार मौत के मुहाने पर बैठे हैं। सब के सब अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। इतने सालों में न मुआवजा मिला और न विस्थापन की कोई व्यवस्था हो पाई। टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन ने उन्हें मझधार में फंसा दिया है।

कई गांव ऐसे हैं जिनमें झील का जल स्तर बढ़ने से भूस्खलन भी शुरू हो गया है। बांध प्रभावित खांड धारमंडल के बरफ सिंह, उदय सिंह का कहना है कि झील का जल स्तर बढ़ने पर उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। पटागली गांव के प्रेम सिंह असवाल, दिनेश सिंह, गोविन्द सिंह, शेर सिंह, वीर सिंह, पूनम देवी, फगणी देवी, सौदर सिंह, पूरण सिंह का कहना है कि उनका सब कुछ झील में समा जाने के बाद उनके पास कुछ नहीं बचा है। ऐसे ही बांध प्रभावित पिलखी गांव के सुरेश गिरी, रामगोपाल बिजलवाण व स्यांसू के चिरंजी सिंह पुरसोड़ा की चिंता है कि इंसान तो बचा लिए जाएंगे, लेकिन उनके मवेशियों का पूछने वाला कोई नहीं है। बांध प्रभावित डोबन गांव के सुरेश नौटियाल, प्रेम नौटियाल व सरोट गांव के कुंदन सिंह, बलवीर सिंह, भगीरथ, शांति, किशोरी ने बताया कि रात-रात वह लोग सो नहीं पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते टीएचडीसी व पुर्नवास विभाग उनके विस्थापन को आगे आता तो आज उन्हें यह दिन नहीं देखने पड़ते।

कैसे कटेंगे लंच पैकेट के सहारे दिन

नई टिहरी: बांध प्रभावितों के लिए टीएचडीसी का अब एक ही सहारा रह गया है और वह है लंच पैकेट। बांध प्रभावितों को वर्तमान में राहत के नाम पर फिलहाल लंच पैकेट पहुंचाए जा रहे हैं।

Jagarn news

Devbhoomi,Uttarakhand

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आपदाग्रस्त क्षेत्रों के दौरे पर पहुंचीं सोनिया,लेकिन निशंक पोखरियाल साहब को ठंठ लगी है और वो सो रहे हैं =======================================================



कांग्रेस तथा राष्ट्रीय सलाहकार सुरक्षा परिषद की अध्यक्ष सोनिया गांधी उत्ताराखंड के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने पहुंचीं। सेना के विमान से जौलीग्रांट पहुंचीं श्रीमती गांधी तथा केंद्रीय रक्षा मंत्री एके एंटनी ने वायु सेना के हेलीकॉप्टर से प्रभावित क्षेत्रों के लिए उड़ान भरी।मंगलवार को कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा केंद्रीय रक्षा मंत्री एके एंटनी उत्ताराखंड में अतिवृष्टि के कारण तबाह हुए क्षेत्रों का जायजा लेने पहुंचे। सुबह करीब नौ बजकर पचास मिनट पर सेना के एक विमान से वे जौलीग्रांट हवाई अड्डे पर उतरे, जहां पहले से ही उनके लिए सभी तैयारियां पूरी की गई थीं। यहां सुबह से ही सेना के दो हेलीकॉप्टर तैयार खड़े थे। विमान से उतरते ही सोनिया गांधी तथा रक्षा मंत्री को सुरक्षा कर्मियों ने घेरे में लेते हुए दो अलग-अलग वाहनों से हवाई अड्डा परिसर में ही बने गेस्ट हाउस पहुंचाया, जहां करीब आधा घंटा विश्राम करने के बाद वे फिर से हवाई अड्डे पर पहुंचे। दस बजकर बीस मिनट पर वायुसेना के एक हेलीकॉप्टर में सवार होकर सोनिया गांधी तथा एके एंटनी ने प्रभावित क्षेत्रों के लिए उड़ान भरी। उनके साथ एक अन्य हेलीकॉप्टर ने भी उड़ान भरी, जिसमें सुरक्षा कर्मी तथा संबंधित मंत्रालयों के अधिकारी मौजूद थे। जौलीग्रांट हवाई अड्डे पर पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्ता तिवारी भी मौजूद थे, लेकिन उनकी सोनिया गांधी से भेंट नहीं हो पाई। इसके अलावा प्रदेश व संगठन से जुड़ा, कोई भी वरिष्ठ नेता यहां नहीं दिखा। सूत्रों के मुताबिक सोनिया गांधी ने उत्ताराखंड में गढ़वाल तथा कुमाऊं के तकरीबन सभी प्रभावित जनपदों का भ्रमण कर सरसावा से वापसी की। इस बीच, कहीं भी उन्होंने मीडिया से बातचीत नहीं की। हवाई अड्डे की सुरक्षा एसपीजी द्वारा बेहद कड़ी की गई थी। मीडिया को भी हवाई अड्डे से दूर रखा गया। इतना ही नहीं, दीवारों के बाहर से किसी तरह कांग्रेस अध्यक्ष को कैमरों मे कैद करने की कोशिश कर रहे मीडिया कर्मियों को भी वहां से हटा दिया गया।

 जागरण न्यूज़

Devbhoomi,Uttarakhand

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सो जाओ प्यारे पोखरियाल जी और पोखरियाल जी के चमचो चैन की नीद लो बहुत ही मजा आ रहा होगा आप को बरसाती रात को सोने में,,मानते हैं इस प्राकिर्तिक आपदा को आप या कोई भी नहीं रोक सकता है लेकिन आप कम कम से उत्तराखंड के पहाड़ों के उन गाँवों का दोरा तो करो पता तो कर सकते हो की वो जनता कैसी है किस हाल में जिस जनता से आप लोग चुनाव के समय भीख मांगने के लिए हात फैलाने जाती हो !

उस जनता की सुधि तो लो जिसके आगे कभी आप सभी सरकारी चमचों ने हाथ फैलाए थे! मालुम है की आप लोग नाकाम हो कुछ नहीं कर सकता हो लेकिन कम से कम रो तो सकते हो उन लोगों के साथ जिनका सब कुछ छीन लिया गया है !

केन्द्र से आपके धर्माधिकारी उन क्षतिग्रस्त इलाकों का जायजा लेने आये है गए हैं और उत्तराखंड के सरकारी कर्मचारी ,जो की जनता की सेवक है,घरों बरसाती मेंढक की तरह गहरी नींद में है !वाह रे उत्तराखंड की सरकार क्या बात है लेकिन एक बात साफ़ है!

 अगर इस असमय कोई भी सरकारी कर्मचारी,ये किसी भी कर्मचारी ने अगर इन पहाड़ी गांवों का,या क्षति ग्रस्त इलाकों के लोगों को अपने दर्शन दे दिए तो सायद इन सरकारी कर्मचारी को को भी नहीं बचा सकत है जनता के आक्रोश से वो बच कार वापस भी नहीं आएगा! इससे बेहतर की उत्तराखंड की सरकार अपने ही बिल में सोती रही तो अछा है ! आप लोगों के हाथ पैर तो सलामत रहेंगें अगले चुनाव में भीख मांगने कल इए !

Devbhoomi,Uttarakhand

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इस न्यूज़ चैनल पर ही देखो निशंक साहब को कैसे बोल रहे हैं बोल भी नहीं पा रहे हैं ठीक से,उत्तराखंडी भाषा की तो बात ही छोडिये ,आपको  तो अपनी  राष्ट्र भाषा hendi भी ठीक से बोलनी नहीं आ रही है ! और देखो कितने शानदार ऑफिस मैं बैठे हुए बात कर रहे हैंअगर आपको भी किस अपता ग्रस्त इअलाके में त्रिपाल के नीचे बरसाती काटनी पड़ती तो तब पता चलता की आते चावल का भाव क्या है !

http://s998.photobucket.com/albums/af103/merapahad_2010/Uttarakhandi%20videos/?action=view&current=76deadinUttarakhandfloodSoniavisitsstate.mp4

Devbhoomi,Uttarakhand

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पहाड़ कराह रहा था मंत्रिमंडल दावत उड़ा रहा था,ये हमारे सपनो का उत्तराखंड

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क्या यही सपना देखा था हमने,जब भी उत्तराखंड की जनता पर कोई भी दैवीय आपदा आती है तो उत्तराखंड के मंत्रिमंडल के सभी लोग इसीस तरह दावत उड़ाते हैं,जैसे की ये चुनाव जीत कर आने के बाद उड़ाते हैं और चुनाव जीतने के बाद इनको तो अपना चुनाव क्षेत्र भी भूल जाते हैं की हम किस क्षेत्र मैं भीक मांगने से जीते हैं !

जनता की परेशनियों को देखना तो भूल ही जाओ लेकिन चुनाव क्षेत्र भी भूल जाते है !वाह रै मंत्रिमंडल के मंत्री गणों, आपकी दावत ही मुबारक हो और हर उत्तराखंड वासी जो इस दैवीय आपदा से झूझ रहा है ओ  यही दुव्व करते है की ऐसे दावत आप लोग हमेशा करते रहें यही देवभूमि के हर उस आपदा से झूझने वाले की पुकार है !




प्रदेशभर में भूस्खलन, बादल फटने से हुई भारी जनहानि के प्रति सरकार पर आरोप लगाते हुए सांसद प्रदीप टम्टा ने कहा कि प्रदेश सरकार का संवेदनहीन चेहरा पूरी त्रासदी में देखने को मिला। सांसद ने कहा कि जब पूरा पहाड़ कई मौतों व आपदा से कराह रहा था प्रदेश के मुखिया मंत्रिमंडल विस्तार ही नहीं कर रहे थे बल्कि रात को डिनर में लजीज व्यंजनों का लुत्फ उठा रहे थे। आश्चर्य की बात तो यह है कि इतनी बड़ी घटना के बाद भी सरकार का कोई भी जनप्रतिनिधि पीड़ितों के बीच नहीं आया। जबकि मेरे संसदीय क्षेत्र के 4 जिलों में 4 मंत्रियों को प्रभारी मंत्री का दायित्व दिया गया है। उन प्रभारी मंत्रियों का दायित्व होता है कि वह क्षेत्र की जनता की दिक्कतों को देखें।

यहां सारे प्रभारी मंत्री गायब थे।सांसद टम्टा ने कहा कि पूरे संसदीय क्षेत्र में आपदा तंत्र नाम की उन्हें नजर नहीं आयी। पहले तो प्रकृति ने कहर बरपाया, अब राशन, पानी के अभाव का कहर आम आदमी पर पड़ रहा है। अब बात यह है कि आपदा पीड़ित ही नहीं आम आदमी के भी निवाले का संकट दिखाई पड़ने लगा है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार आपदा के लिए भरपूर पैसा दे रहा है। कहीं पर किसी प्रकार की धन की कमी आने की कोई गुंजाइश नहीं है। प्रदेश के मुखिया पर तंज कसते हुए प्रदीप टम्टा ने कहा कि जब पर्वतीय क्षेत्रों में दैवीय आपदा नहीं आयी थी

 तब भी मुख्यमंत्री ने 5 हजार करोड़ की मांग की। अब जबकि पूरा पहाड़ आपदा से त्रस्त है आज भी वहीं 5 हजार करोड़ दोहरा रहे हैं।सरकार को चाहिए कि वह आवास की बेहतर व्यवस्था के साथ पीड़ितों को 3 माह का राशन उपलब्ध कराए। इसके साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में पहाड़ को लूटने के लिए आयी कंपनियों को पीड़ितों की सहायता का जिम्मा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शहर के चारों ओर जो कहर बरपा है उसका एक बड़ा कारण अनियोजित निर्माण है। इस आपदा के लिए प्रकृति के साथ-साथ मानव जनित कारण भी जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि पहाड़ की स्थितियों को देखते हुए एक लैंड बैंक बनाने की जरूरत है। ताकि प्रभावितों को बसाया जा सके। वार्ता में उनके साथ महेश नेगी, बिट्टू कर्नाटक, भूपेन्द्र भोज आदि थे।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6742315.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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There is news from every corner of Uttarakhand loss due to rain.

लाहुर घाटी में 3 मकान ढहे, अतिवृष्टि से भारी तबाही
Sep 21, 07:16 pm
 

 
बागेश्वर: विगत तीन दिन तक हुई मूसलाधार बरसात के कारण लाहुर घाटी के हड़बाड़ गांव में तीन मकान ढह गये। मकान में रखा कीमती सामान दब गया। हड़बाड़ निवासी जगदीश सिंह होलरिया का दो मंजिला मकान ध्वस्त हो गया है। कैलाश पांडा तथा पंद्रहपाली निवासी मंगल सिंह का मकान ध्वस्त होने से उक्त तीनों परिवारों ने अन्यत्र शरण ली है। ग्राम जाख, पुरकोट, दाडि़मखेत, खुमटिया, जखेड़ा, गनीगांव, लमचूला, सोराग आदि गांवों के दर्जनों मकान भी आपदा की चपेट में हैं। पूर्व प्रधान आनंद परिहार, जगदीश सिंह होलरिया, उदे सिंह, पूरन राम, राजू होलरिया आदि ग्रामीणों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर प्रभावित परिवारों को मुआवजा तथा खतरे की जद में आये परिवारों को अन्यत्र बसाने की मांग की है। इधर गुरना कमस्यार में भी दैवीय आपदा से कई परिवारों को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। गुरना निवासी बहादुर सिंह पुत्र दौलत सिंह का चार कमरों का दोमंजिला मकान ध्वस्त हो गया है। सामाजिक कार्यकर्ता अर्जुन सिंह बनकोटी ने बताया कि कई मकानों में दरारें आ जाने से ग्रामीणों को खतरा बना हुआ है। इधर ग्राम घिरोली के जोशीगांव निवासी गोविंद सिंह बिष्ट के मकान में मलबा आ जाने से परिवार ने घर छोड़कर अन्यत्र शरण ले ली है। इस घटना में उनके मवेशी भी मारे गये हैं।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6742235.html

सत्यदेव सिंह नेगी

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उत्तराखंड में बारिश,बाढ़ से 200 मरेतीसरे दिन भी ठप रहा यातायात'बाढ़ पीड़ितों के लिए पैकेज जारी हो'image
उत्तराखंड में बाढ़ के कहर से अबतक 200 लोगों की मौत हो चुकी है।
उत्तरराखंड के गढवाल और कुमायूं मंडलों में गत दिनों की लगातार वर्षा के कहर से जारी मानसून के दौरान अब तक 200 व्यक्तियों की मौत हो चुकी है तथा कोटेश्वर विघुत परियोजना में पानी प्रवेश कर जाने से यह डूब गयी है।
राज्य सरकार ने राहत और बचाव के लिये केन्द्र से पांच हजार करोड रूपये की मांग की है।  उत्तराखंड में इस वर्ष आई प्रलयंकारी वर्षा ने भारी तबाही मचाई है जिसके चलते हजारों लोग बेघर हो गये हैं। राज्य की 90 फीसदी सडकें क्षतिग्रस्त हुई हैं और करोडों रूपये की खड़ी फसल, कच्चे पक्के मकान और मवेशीखाना नष्ट हो गये हैं।
आपदा प्रबंधन के सचिव डा. राकेश शर्मा ने बताया कि केन्द्र से मिले चार हेलीकाप्टरों में से दो से गढवाल और दो से कुमायूं मंडलों में राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है।

दूसरी ओर, टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन के महाप्रबंधक ए एल शाह ने कहा कि टिहरी झील के जलस्तर बढने से कोटेश्वर में निर्माणाधीन विघुत परियोजना परिसर में भी पानी प्रवेश कर जाने से यह डूब गयी है।

उन्होंने कहा कि टिहरी का जलस्तर 831. 45 मीटर पहुंच जाने के बाद उसमे से 1250 क्यूमेक्स पानी छोडा जा रहा है । टिहरी झील में 830 मीटर को खतरे का निशान माना गया है।
 
तीसरे दिन भी ठप रहा यातायात  राज्य में प्राकृतिक आपदा से ठप हुआ जनजीवन मंगलवार को भी सामान्य नहीं हो पाया।
देहरादून से हरिद्वार और दिल्ली तक का रेल व सड़क यातायात लगातार तीसरे दिन भी बहाल नहीं हो पाया। हरिद्वार में रेलवे ट्रैक पर आए मलबे को हटाने का काम जहां मंगलवार को भी जारी रहा वहीं रुड़की-हरिद्वार राजमार्ग भी मंगलवार को फिर बंद हो गया। लक्सर में भी सोलानी नदी की बाढ़ में डूबे इलाकों में राहत व बचाव कार्य जारी रहा और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। हरिद्वार के मोतीचूर इलाके में रेल की पटरियों से मलबा हटाने का काम मंगलवार देर शाम तक पूरा न हो पाने के कारण देहरादून से ट्रेनों का संचालन पूरी तरह ठप रहा।जनता एक्सप्रेस, वन डीएलएस, काठगोदाम एक्सप्रेस व एसी स्पेशल ट्रेनें जहां रद रहीं वहीं बाकी ट्रेनों को हरिद्वार व सहारनपुर स्टेशन से ही वापस रवाना होना पड़ा। उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आरएस बदलाकोटि ने रेलवे ट्रैक का निरीक्षण किया। लक्सर में ट्रैक पर पानी कम होने और मलबा हटाने के बाद मंगलवार को रेल यातायात बहाल हो गया। रेलवे विभाग ने बुधवार तक रेल यातायात सुचारु होने की उम्मीद जताई है। पिछले दिनों हुई मूसलाधार बारिश ने हरिद्वार के आसपास रेलवे ट्रैक को बाधित कर दिया। मोतीचूर रेलवे स्टेशन के पास सुरंग में पटरी पर पहाड़ी का मलबा आने से बीते रविवार से ही ट्रेनों का संचालन ठप हैं।रविवार सुबह सिर्फ जनता, एसी स्पेशल व काठगोदाम ट्रेनें ही दून पहुंच पाई थीं। बाकी ट्रेनें हरिद्वार व सहारनपुर से ही वापस हो गई थीं। आपात स्थिति को देखते हुए हरिद्वार में उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक बदलाकोटि समेत तमाम मंडल अधिकारियों ने डेरा डाल रखा है और ट्रैक पर मलबा हटाने का काम दिन-रात जारी है। महाप्रबंधक ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सुरंग के निकट हर समय दो गैंग तैनात रहें ताकि ट्रैक पर मलबा या कोई अन्य बाधा आए तो उसे तुरंत दूर किया जा सके। उन्होंने सुरंग पर सुरक्षा दीवार बनाने की भी घोषणा की।उधर, रुड़की-हरिद्वार राजमार्ग मंगलवार को फिर बंद हो गया। बढे़ड़ी गांव में बाढ़ का पानी भरा होने को लेकर ग्रामीणों ने जमकर हंगामा किया। प्रशासन ने राजमार्ग तोड़कर गांव का पानी निकाला जिसके बाद ग्रामीण शांत हुए। राजमार्ग पर दोनों ओर वाहनों की कतार लग गई जिन्हें बाद में रूट डायवर्ट कर निकाला गया। प्रशासन का कहना है कि राजमार्ग को जल्द चालू करने के लिए सड़क का निर्माण कार्य शुरू करा दिया गया है। तीन दिन से बंद रुड़की-हरिद्वार राजमार्ग को किसी तरह दिन-रात मरम्मत कराकर चालू करा दिया गया। रुड़की-हरिद्वार राजमार्ग से बीती रात ही वाहनों की आवाजाही शुरू कर दी गई थी, लेकिन प्रशासन के सामने उस समय खासी दिक्कत खड़ी हो गई जब बढ़ेड़ी गांव के लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया। ग्रामीण मांग कर रहे थे कि विगत तीन दिन से उनके गांव में जमा बाढ़ के पानी को निकाला जाना चाहिए।बाढ़ के पानी से गांव में महामारी का खतरा उत्पन्न हो गया है। प्रशासन ने मंगलवार को बढ़ेड़ी गांव का पानी निकालने के लिए राजमार्ग पर जेसीबी मशीन मंगाकर करीब दस फीट चौड़ाई में सड़क को कटवा दिया। राजमार्ग को मंगलवार से फिर बंद करा दिया गया है। हरिद्वार-रुड़की मार्ग के यातायात को वाया धनौरी-शंतरशाह  होकर निकाला जा रहा है। धनौरी मार्ग पर भी गहरे गड्ढे होने के कारण इस मार्ग से गुजरने वाले वाहनों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। सलेमपुर व दादूपुर मार्ग मंगलवार को भी ठीक नहीं हो पाया। गत सोमवार को सलेमपुर के पास सिडकुल की ओर से आने वाले नाले में भारी मात्रा में पानी के कारण करीब बीस फीट सड़क बह गई थी। बाढ़ का पानी पथरी पावरहाउस में घुस जाने से इसे बंद कर दिया गया था। गंगा व सोलानी नदी की बाढ़ में डूबे लक्सर क्षेत्र में राहत व बचाव कार्य जारी है। इस इलाके के बाढ़ प्रभावित सौ से भी अधिक गांवों में सेना, एनडीआरएफ व स्थानीय प्रशासन की टुकड़ियां काम पर जुटी हुई हैं। सेना के स्टीमर पानी से घिर ग्रामीणों को खाने-पीने का सामान पहुंचा रहे हैं। रायसी और बादशाहपुर गांव के राहत शिविरों में पांच हजार से भी अधिक लोग हैं। इस बीच तीन दर्जन से भी अधिक गांवों में बाढ़ का पानी तेजी से घट रहा है। इसके बावजूद 80 से भी अधिक गांवों में हालात बेकाबू हैं। डीएम आर मीनाक्षीसुंदरम व एसएसपी संजय गुंज्याल लक्सर में राहत व बचाव कार्य का स्वयं निरीक्षण कर रहे हैं।लक्सर कस्बे में मंगलवार को बाढ़ का पानी एक फुट तक घट गया। प्रशासन ने लक्सर के राधास्वामी सत्संग भवन को बाढ़ नियंत्रण कक्ष बनाया है। गांवों से पानी निकालने के लिए लक्सर शुगर मिल की बाउंड्री को तोड़ दिया गया। इससेकई गांवों में पानी कम हुआ है। लक्सर क्षेत्र के पंडितपुरी, गंगदासपुर, सोंपली, दल्लावाला, जोगीवाला व दाबकीखेड़ा सहित दर्जनों गांवों में बाढ़ का पानी निकालने का काम नहीं हो पा रहा है। इससे हजारों बीघा फसल भी बर्बाद हुई है। लक्सर में पटरियों से गाद व पानी हटा दिया गया है। रेलवे इंजीनियरों की एक टीम ने मंगलवार को लक्सर रेलवे स्टेशन व आसपास की पटरियों का निरीक्षण किया। इसके बाद टीम ने रेल यातायात बहाल करने की हरी झंडी दे दी। रेल निरीक्षक एसडी डोभाल ने बताया कि मंगलवार सुबह करीब पांच बजे हरिद्वार-दून रेलवे ट्रैक को साफ कर लिया गया था लेकिन सुबह अचानक पहाड़ी से भरभराकर पेड़ समेत भारी मात्रा में मलबा ट्रैक पर आ जाने से यातायात बहाल कर पाना संभव नहीं हो पाया। हरिद्वार-देहरादून रेल मार्ग बंद रहने से बांद्रा एक्सप्रेस, लाहौरी एक्सप्रेस व हेमकुंट एक्सप्रेस सहारनपुर जंक्शन से ही वापस गंतव्य को रवाना हो गर्इं।लिंक एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस, हावड़ा एक्सप्रेस व मसूरी एक्सप्रेस हरिद्वार रेलवे स्टेशन से गर्इं। लोगों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए रेलवे प्रबंधन ने पूछताछ के लिए चार नम्बर 2624003, 2624002, 2623171, 2622131 खोले हैं, जहां एक समय में तीन कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। साथ ही, ट्रेन के इंतजार में फंसे यात्रियों के लिए एडीआरएम ने प्लेटफार्म पर टेंट भी लगवाया है। रेलवे के अधिकारी रात में ट्रैक से मलबा हटाने का काम पूरा कर लिए जाने की संभावना जता रहे हैं।

सत्यदेव सिंह नेगी

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Re: Uttarakhand Suffering From Disaster - Sonia seeks liberal Central package
« Reply #107 on: September 22, 2010, 11:02:43 AM »
  Sonia seeks liberal Central package for flood-hit areas  NEW DELHI: Congress chief Sonia Gandhi on Tuesday made an aerial survey of the flood-hit areas of Uttarakhand and Uttar Pradesh and called for liberal assistance by the Centre to the people affected by inundation and cloudbursts in the two states.

Accompanied by defence minister A K Antony, she first reached Dehradun where Army officials briefed her about the extent of damage and the ongoing rescue operations after the landslide in Almora and some other areas of Uttarakhand.

Later on she surveyed the flood-ravaged districts of Bijnour, Muzaffarnagar, Rampur, Moradabad and Bareilly in Uttar Pradesh before returning to Delhi.

As soon as she came back to the Capital, the Congress chief talked to Prime Minister Manmohan Singh and suggested that the Centre assess the extent of damage in these areas and offer a liberal package to the two states to facilitate relief operations. The funds, she said, could be released through the National Calamity Relief Fund.


Read more: Sonia seeks liberal Central package for flood-hit areas - The Times of India http://timesofindia.indiatimes.com/india/Sonia-seeks-liberal-Central-package-for-flood-hit-areas/articleshow/6602490.cms#ixzz10EXBZe7r

हेम पन्त

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Two Army officers killed in avalanche
« Reply #108 on: September 22, 2010, 12:05:49 PM »
  Two Army officers, Lt-Col Poorana Chandra and Major Manish Gusain, were killed in an avalanche at Ghastoli area, near Mana pass in Chamoli district of Uttarakhand, on Sunday.

The Army on Tuesday said Col Chandra, of the 9 Para Field Regiment, and Lt-Col Gosain, of the 11 Kumaon Regiment, were part of the 41-member mountaineering expedition to Mt Kamet.

The "fierce'' avalanche struck when the team was at a 5,800-metre altitude camp on way to climbing the 7,756-metre Mt Kamet, the second-highest mountain in Garhwal after Nanda Devi, around 3.10 pm on Sunday.

"The avalanche hit the camp. While the others managed to escape, the two officers were buried under the snow and could not be rescued alive despite lot of effort,'' said an official.

"The bodies of the two officers were brought down to the advance base camp at 5,300-metre height on Monday. As soon as the weather clears, the bodies will be airlifted to Joshimath,'' he added.

Read more:
Two Army officers killed in avalanche - The Times of Indiahttp://timesofindia.indiatimes.com/india/Two-Army-officers-killed-in-avalanche/articleshow/6601773.cms#ixzz10EnaU5dI

Devbhoomi,Uttarakhand

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सांदणा गांव पर बना खतरा
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नई टिहरी: प्रतापनगर प्रखंड में बांध प्रभावित आंशिक डूब क्षेत्र में स्थित सांदणा गांव के ऊपर भारी भूस्खलन से गांव का अस्तित्व खतरे में है। यहां एक दर्जन मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जिससे ग्रामीण दहशत में हैं।

सांदणा गांव टिहरी बांध की झील से लगा आंशिक डूब क्षेत्र का गांव है। बारिश से गांव के ठीक ऊपर भारी भूस्खलन शुरू हो गया है, जिससे महिपाल सिंह, संदीप सिंह, रजपाल सिंह, बलवीर सिंह, अव्वल सिंह सहित एक दर्जन ग्रामीणों के मकान क्षतिग्रस्त हो गए। ग्रामीणों का आरोप है कि शासन-प्रशासन उनकी अनदेखी कर रहा है। प्रधान बलवंत सिंह रावत ने कहा कि यदि उनके गांव का शीघ्र विस्थापन न किया गया, तो ग्रामीण आंदोलन करेंगे।
jagran news

 

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