कर्मी और सुमगढ़ हादसे की यादें ताजा हुई
बागेश्वर। बुधवार की रात बादल फटने के कारण हुई अतिवृष्टि ने भारी तबाही मचाई है। इससे उबरने में ग्रामीणों को लंबा वक्त लग सकता है। पिंडारी मार्ग बंद हो जाने के कारण क्षेत्र के 20 हजार ग्रामीण शेष दुनिया से कट चुके हैं। जिससे भविष्य में आवश्यक वस्तुओं की किल्ल्त पैदा हो सकती है। इस घटना ने लोगों को कर्मी और सुमगढ़ हादसे की याद दिला दी।
बादल फटने के बाद दो घंटे तक हुई तेज बारिश के कारण पोथिंग, चीराबगड़, सीरी, बमसेरा, नौकोड़ी, पनौरा, भराड़ी, दुलम, असों, खार बगड़, परमटी, किरौली, खड़लेख, तुड़तुड़िया, हरसिंग्याबगड़, खैरखेत, रैथल, गोलूना, बड़ेत, देवलचौंरा आदि गांवों सहित सरयू के किनारे हजारों नालों भूमि पर खरीफ की फसलें या तो दब गई हैं अथवा भूमि रेगिस्तान का रूप ले चुकी है। मवेशियों के मरने से किसान परेशान हैं। इसके अलावा पुलिया, पंचायत घर, विद्यालय भवन, सिंचाई पंप, सिंचाई नहर तथा पेयजल योजनाओं सहित तमाम सरकारी संपत्तियों को व्यापक क्षति पहुंचने की खबर है। कई स्थानों पर रास्ते टूट जाने से स्कूलों का संपर्क भंग हो चुका है। जिला मुख्यालय सहित शेष इलाकों को जोड़ने वाले भराड़ी, पिंडारी ग्लेश्यिर मोटर मार्ग का एक बड़ा हिस्सा तल्ली थानी पर बह जाने के कारण नौकोड़ी घाटी के खाईबगड़, फुरमुला, हरसिंग्याबगड़, सीरी, शामा, सरयू घाटी के दुलम, रीठाबगड़, बांसे, भानी, सिलिंग, सौंग, मुनार, सूपी, तरसाल, पतियासार आदि क्षेत्र अलग-थलग पड़ गए हैं। इन सुदूरवर्ती इलाकों में संचार, विद्युत तथा परिवहन सेवाएं पहले से ही बदहाल हैं। उच्च हिमालय से लगे इन गांवों में परिवहन का कोई दूसरा जरिया भी उपलब्ध नहीं है। जिलाधिकारी डा. वी षणमुगम का कहना है कि सुदूरवर्ती क्षेत्रों में सितंबर तक के राशन का कोटा पहले ही भेज दिया गया था। पिंडारी सड़क को छोटे वाहनों के संचालन के लिए खोलने के प्रयास किए जाएंगे। कहना है कि अधिक समय तक संपर्क भंग रहा तो इलाके में आवश्यक चीजों की किल्लत पैदा हो सकती है। ऐसी ही तबाही कर्मी और सुमगढ़ हादसे के दौरान भी हुई थी। सौभाग्य से जनहानि टल गई।
स्रोत : अमर उजाला