Author Topic: Water Crisis In Uttarakhand : पानी की समस्या से जूझता उत्तराखण्ड  (Read 18070 times)

Rajen

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ग्रामीणों ने दी सामूहिक आत्मदाह की धमकी  (Jagran News)  Dec 12, 07:37 pm

 
 द्वाराहाट: धरमगांव में पेयजल समस्या को दूर करने की मांग को लेकर ग्रामीणों का जल संस्थान कार्यालय में धरना प्रदर्शन व तालाबंदी का कार्यक्रम रविवार को पांचवें दिन भी जारी रहा। ग्रामीणों ने वार्ता को पहुंचे प्रशासन व विभागीय अधिकारियों की टीम को बैरंग लौटा दिया। ग्रामीणों ने समस्या दूर नहीं होने पर 16 दिसंबर को सामूहिक आत्मदाह की धमकी दी है।

धरना स्थल पर आयोजित सभा में ग्रामीणों ने समझौते के अनुसार पेयजल योजना से 75 प्रतिशत इंजीनियरिंग कालेज व 25 प्रतिशत पानी गांव को उपलब्ध कराने की मांग उठाई। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि जल संस्थान ने गांव की योजना से अवैध कनेक्शन बांटे हैं तथा गांव में असमान पेयजल वितरण किया जा रहा है। रविवार को प्रशासन व विभागीय अधिकारियों की टीम ने समस्या दूर करने के लिए योजना का संयुक्त स्थलीय निरीक्षण करने का आश्वासन दिया। लेकिन ग्रामीणों ने वार्ता को पहुंची प्रशासन व जल संस्थान के अधिकारियों की टीम को बैरंग लौटा दिया तथा गांव की पेयजल समस्या दूर होने तक आंदोलन जारी रखने का निर्णय लिया। टीम में तहसीलदार एनएस रौतेला, जल संस्थान के अधिशासी अभियंता केवी गुप्ता, सहायक अभियंता केएस खाती शामिल थे। ग्रामीणों ने धमकी दी कि शीघ्र समस्या का समाधान नहीं किया गया तो 16 दिसबंर को सामूहिक आत्मदाह किया जाएगा। इसी क्रम में ग्रामीणों ने आज सोमवार को द्वाराहाट पंप हाउस बंद करने का निर्णय लिया। इस अवसर पर ग्राम प्रधान संतोष बिष्ट, जिला युवक समिति अध्यक्ष मनोज अधिकारी, नवल नैनवाल, भूपेंद्र सिंह अधिकारी, उमेद अधिकारी, हेम चंद्र मठपाल, धीरेंद्र अधिकारी, सुरेंद्र सिंह, गणेश चंद्र मठपाल, डीके जोशी, कैलाश चंद्र पाठक, भक्तदर्शन सिंह, नीरज अधिकारी, आरएन गोस्वामी, त्रिलोक सिंह, विजेंद्र सिंह, रमेश चंद्र आदि उपस्थित थे।




Devbhoomi,Uttarakhand

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गौलापार में सूखे हलक, हाहाकार
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हल्द्वानी: गौलापार के दर्जनों गांवों को जलापूर्ति करने वाला नलकूप खराब हो गया है। इससे हालात विकट हो चुके हैं। 10 हजार से अधिक की आबादी पेयजल के लिए तरस गई है। प्यास बुझाने के लिए ग्रामीणों को कोसों दूर भटकना पड़ रहा है, जो नाकाफी साबित हो रहा है।

दरअसल, जगतपुर में लगा एकमात्र नलकूप गौलापार क्षेत्र को पीने का पानी मुहैया कराता है। मगर उसके खराब हो जाने से आपूर्ति ध्वस्त हो गई है। इससे क्षेत्र के ग्राम कुंवरपुर, जगतपुर, सिला भाबर, दौलतपुर, बसंतपुर, जगतपुर, दानीबंगर, सीतापुर, कालीपुर, जोधपुर, किशनपुर रैक्वाल, लक्ष्मपुर, बांसखेड़ा, मदनपुर आदि गांवों के लोग पानी को तरस गये हैं।

बीडीसी सदस्य किरन डालाकोटी, संध्या डालाकोटी, ग्राम प्रधान कुबेर बर्गली आदि ने बताया, लोग यहां तक कि बच्चे भी कोसों दूर से पेयजल के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं। ग्रामीणों ने विभागीय अफसरों से नलकूप जल्द दुरुस्त करने की मांग उठाई है।

संक्रामक रोगों का खतरा

गौलापार के ग्रामीण नहर व सिंचाई नलकूपों से जैसे-तैसे पेयजल व्यवस्था तो कर रहे हैं। मगर नहरों के पानी से संक्रामक रोगों की आशंका भी बढ़ रही है।

'गौलापार में पेयजल की वैकल्पिक व्यवस्था सिंचाई के लिए बने नलकूपों से कर दी गयी है। जिन गावों में पेयजल संकट की शिकायत आ रही है, वहां टैंकर भेजे जा रहे हैं। जल्द ही नलकूप की मरम्मत कर जलापूर्ति शुरू कर दी जाएगी।'

dinik jagran

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Let us see how much it works :
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RBF project to come up in more hilly towns of UttarakhandShishir Prashant  | 2011-04-30 00:32:00
 
Faced with acute drinking water shortage, the Uttarakhand government has decided to provide drinking water in several other hilly towns through river bank filtration (RBF) scheme which has ignited hopes to end the perennial problem in the hill state.

“We have identified six towns in the hilly areas of Uttarakhand where we would be supplying drinking water through the RBF scheme in future,” said Uttarakhand Jal Sansthan Secretary Appraisal P C Kimothi, the sole state-run drinking water supplying agency. The decision came after scientists and engineers successfully installed the riverbank filtration network at four hilly towns of Satpuli, Augustmuni, Karanprayag and Srinagar where they are working very well. “We have seen the RBF projects in these areas and found them in good condition,” said Thomas Grishek, Professor, the University Of Applied Sciences Dresden, Germany, which provided the know-how regarding the RBF project in Uttarakhand.

The RBF is an age-old European technique under which soil in the riverbeds naturally removes harmful microbes and organic material as water passes through it. Through this process, the filtered groundwater is obtained from aquifers that are hydraulically connected to rivers and lakes. Wells are dug on river banks to pump safe water out.

Under the Rs 7-crore project of providing  safe drinking water, sanctioned by the Centre, the Uttarakhand Jal Sansthan has identified six more towns  — Gochar, Rudraprayag, Gopeshwar, Almora, Bageshwar and Pithoragarh.

http://www.sify.com/finance/rbf-project-to-come-up-in-more-hilly-towns-of-uttarakhand-news-news-le4a6Sehjag.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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हलिया

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डीएम कार्यालय पर दी आमरण अनशन की चेतावनी  (जागरण समाचार) May 26, 07:05 pm

  गोपेश्वर, जागरण कार्यालय : ढाई करोड़ रुपये की प्रस्तावित पोखरी पेयजल पुनर्गठन योजना पर कार्य शुरू न होने पर नाराज अखिल भारतीय मानवाधिकार समिति के उत्तराखंड प्रभारी हरिकृष्ण किमोठी के जिलाधिकारी कार्यालय पर आमरण अनशन करने की चेतावनी दी है।

जिलाधिकारी को दिये गए ज्ञापन में किमोठी का कहना है कि 3000 से अधिक आबादी वाले क्षेत्र पोखरी में लोग पिछले 8 सालों से इस योजना के निर्माण की मांग कर रहे हैं, लेकिन शासन-प्रशासन की अकार्यकुशलता के कारण अभी तक यह योजना स्वीकृत ही नहीं की गयी है। यही वजह है कि आज भी पोखरी के लोग एक-एक बूंद पानी के लिए दर-दर भटक रहे हैं। मानवाधिकार समिति के उत्तराखंड प्रभारी किमोठी ने पोखरी हापला मोटर मार्ग की समस्या भी जिलाधिकारी के समक्ष रखी। उन्होंने कहा कि पूर्व मंत्री स्व.नरेंद्र सिंह भंडारी के अथक प्रयासों से इस मोटर मार्ग का निर्माण किया गया, लेकिन अब इसके रख-रखाव की जिम्मेदारी से संबंधित विभाग मुंह मोड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले दस सालों से इस मोटर मार्ग पर डामरीकरण नहीं हो पाया है। यह भी बताया कि पोखरी कर्णप्रयाग सड़क पर डामरीकरण का कार्य किया जा रहा है, लेकिन उसकी गुणवत्ता अत्यंत घटिया है। इस डामरीकरण की गुणवत्ता की जांच की मांग भी उन्होंने की। किमोठी ने कहा कि क्षेत्र के किमोठा गांव को संस्कृत गांव घोषित किया गया है, लेकिन धरातल पर यहां संस्कृत के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ है। जिससे संस्कृत का प्रचार प्रसार नहीं हो पा रहा है। कहा कि यदि जल्द ही उनकी इन समस्याओं का निराकरण न किया गया तो, वह जिलाधिकारी कार्यालय पर आमरण अनशन शुरू कर देंगे।



हलिया

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स्रोत एक, योजनाएं तीन, सब प्यासी  (जगरण समाचार) May 26, 07:05 pm

  गोपेश्वर, जागरण कार्यालय : कर्णप्रयाग ब्लाक के ग्राम सभा चमोला में एक ही स्रोत से तीन योजनाएं बनाई गई। अब हालत यह है कि योजनाएं ग्रामीणों की प्यास बुझाने के बजाय खुद ही प्यासी रह गई हैं। स्वजल विभाग की कारस्तानी देखिए कि गैरोली गदेरा के इस पेयजल स्रोत में पानी की कमी के बाद भी सैनू गांव के लिए यहीं से नई योजना स्वीकृत कर दी गई और यह भी देखने की कोशिश नहीं की कि स्रोत पर पानी है भी या नही। अब विवाद के बाद नींद से जागा स्वजल विभाग बिना पानी के गैरोली गांव के नीचे सिमली शैलेश्वर मोटर मार्ग से सटे बरसाती स्रोत से ही योजना को जोड़कर अपने कर्तव्यों को इतिश्री करने का प्रयास कर रहा है।उल्लेखनीय है कि जल संस्थान द्वारा 1982 में चमोला-सैनू, गैरोला तल्ली के लिए पेयजल योजना बनाई थी। बाकायदा इस योजना से ग्रामीणों को पेयजल भी उपलब्ध होता था। स्वजल विभाग की ओर से 2007 में चमोला व गैरोला तल्ली के लिए अलग-अलग पेयजल योजना प्रस्तावित की गई। 12 लाख 11 हजार 5 सौ दो रूपये से 21 सौ मीटर पेयजल योजना का निर्माण 2010 में पूर्ण कर लिया गया। तीनों योजनाओं के निर्माण का स्रोत एक ही था। अब एक ही स्रोत से जल संस्थान के साथ-साथ स्वजल की योजना संचालित होती रही, तथा सैनू, चमोला व तल्ली गैरोली के मध्य पानी की कमी को लेकर विवाद आम हो गया। हद तो तब हो गई जब स्वजल ने पेयजल विवाद के बाद भी सैनू गांव के लिए भी इसी टैंक से 2008-09 में 13 लाख 78 हजार 3 सौ 53 रूपये की ढाई किलोमीटर लंबी पेयजल योजना प्रस्तावित कर दी। इसका निर्माण शुरू हुआ तो ग्रामीणों के विरोध के बाद स्वजल को गलती का एहसास हुआ। लेकिन तब तक लाखों रूपये की 7 सौ मीटर पाईप लाईन बिछ चुकी थी। इस पर स्वजल ने इस स्रोत को सूखा घोषित कर एक नये स्रोत से इस लाईन को जोड़ने की योजना बनाई , परन्तु इस स्रोत के मात्र बरसाती स्रोत होने के चलते सैनू गांव के लिए बन रही लाखों की पेयजल योजना लोगों की प्यास बुझाने के बजाय खुद ही प्यासी रह गई। अब विभाग भी मान रहा है कि स्रोतों पर पानी की किल्लत से स्वजल की पेयजल योजना खटाई में है। आलम यह है कि स्वजल द्वारा चमोला, तल्ली गैरोली सहित सैनू के लिए बनाई गई पेयजल योजना के पाईप मानकों के अनुसार जमीन में नहीं गाड़े गये हैं, और ये पाईप हवा में झूलकर स्वजल की कार्यकुशलता की कहानी खुद बखान कर रहे हैं। हालांकि इस बात का किसी के पास जवाब नहीं है कि हवाई सर्वे के आधार पर सरकार के लाखों रूपये के वारे न्यारे के लिए कौन जिम्मेदार है।

''सैनू में पुराने स्रोत पर पानी की कमी के चलते इस योजना के लिए नया स्रोत खोज लिया गया है। उसमें पानी की क्षमता के आंकलन किया जा रहा है ताकि यह तय हो सके कि इस स्रोत पर हमेशा पानी उपलब्ध है या नहीं।''

अखिलेश डिमरी

सामुदायिक विकास विशेषज्ञ

स्वजल परियोजना चमोली

''पेयजल योजना के स्रोत पर पानी की कमी किसी से छुपी नहीं है। ऐसे में अधिकारी पेयजल योजना का निर्माण कर सरकारी धन की बर्बादी कर रहे हैं।''
जनार्दन चमोली, पूर्व प्रधान

ग्राम चमोला

आंकड़ों में गांव की आबादी-

चमोला- जनसंख्या-122 , पेयजल डिमांड- 8 हजार 2 सौ 5 लीटर प्रतिदिन।

गैरोली तल्ली- जनसंख्या-108, पेयजल डिमांड-3 हजार 8 सौ 41 लीटर प्रतिदिन।

सैनू- जनसंख्या-519, पेयजल डिमांड- 38 हजार 7 सौ 3 लीटर प्रतिदिन।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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This is summer season when water crisis is on peak. Nishak Govt is just not bothered about the
public grievances.

BJP Govt is busy for 2012 election only.


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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दिन प्रतिदिन पानी की पहाडो में बहुत बड़ी समस्या हो रही है! इस विषय पर जागरूकता लानी जरुरी है

Devbhoomi,Uttarakhand

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पेयजल संकट से जूझ रहा बगोड़ीबूंद-बूंद पानी को तरस रहे ग्रामीण, खच्चरों से पेयजल के ढुलान की मांग

चिन्यालीसौड़ । बगोड़ी गांव का पेयजल स्रोत सूखने से ग्रामीण बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से खच्चरों द्वारा गांव में पानी का ढुलान करने की मांग थी लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया। अब वे दो किमी दूर भैणगढ़ से पानी ढोकर किसी तरह अपनी प्यास तो बुझा रहे हैं लेकिन मवेशियों के लिए पानी जुटाना मुश्किल हो रहा है।


बगोड़ी की जलापूर्ति के लिए छापरा गाड से पेयजल योजना बनाई गई है। इस साल गर्मी बढ़ने के साथ ही योजना का स्रोत सूख गया इससे गांव में पेयजल आपूर्ति ठप हो गई।

 गांव के वन पंचायत सरपंच कुंवर सिंह, अतर सिंह और सोहन सिंह आदि ने बताया कि तहसील प्रशासन को एक माह पहले समस्या से अवगत करा दिया गया था। ग्रामीणों ने गांव में खच्चरों से जलापूर्ति की मांग की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

 अब ग्रामीण दो किमी दूर भैणगढ़ से पानी ढोकर किसी तरह काम चला रहे हैं। उनका कहना है कि पेयजल व्यवस्था शीघ्र दुरुस्थ न होने पर आंदोलन किया जाएगा।

आखोड़ गांव में सूखा प्राकृतिक जलस्रोत


गोपेश्वर। विकासखंड घाट के ग्राम पंचायत पगना से सटे आखोड़खेत में बहुत पुराने प्राकृतिक जलस्रोत ने ग्रामीणों का साथ छोड़ दिया है। इस प्राकृतिक जलस्रोत के पानी पर ही आखोड़खेत के करीब 250 परिवार निर्भर थे। अब इसके सूखने से गांव में पेयजल के लिए त्राहि-त्राहि मची हुई है।

ग्रामीण दूसरे गांवों से पेयजल आपूर्ति कर रहे हैं। शुक्रवार को जिला पंचायत सदस्य संदीप चमोला की अगुवाई में स्थानीय ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से भेंट कर उन्हें पेयजल की समस्या से अवगत कराया। ग्रामीणों ने गांव में शीघ्र एक पेयजल लाइन बिछाने की मांग की है।

 ग्राम प्रधान पगना हरमा देवी, ग्रामीण दिलवर सिंह राणा, बालक सिंह, चैत सिंह, मोहन सिंह, कमला देवी, अनुसूया सिंह, नंदन सिंह, भरत सिंह, भवानीराम तथा अषाड़ सिंह ने डीएम को दिए ज्ञापन में कहा कि उन्हें करीब दो मील दूर दूसरे गांवों से पेयजल लाना पड़ता है। कई ग्रामीण चरपाणी स्रोत से पेयजल ढो रहे हैं। कहा गया कि गांव में स्वेप मोड़ के तहत एक पेयजल योजना स्वीकृत तो है, लेकिन उस पर अभी तक कार्य शुरू नहीं हो पाया है।
सुक्की टॉप पर सूखे स्टेंड पोस्ट

उत्तरकाशी। गंगोत्री राजमार्ग पर स्थित सुक्की टॉप में पेयजल योजना का स्टेंड पोस्ट सूखा पड़ा होने के कारण होटल-ढाबा व्यवसायी दो किमी दूर से पानी लाने को मजबूर हैं। लाइन लीकेज के कारण स्टेंड पोस्ट पर पानी न आने से हर्षिल, गंगोत्री घूमने आए यात्रियों को पानी के लिए व्यवसायियों से मिन्नतें करनी पड़ रही है।

सुक्की गांव के लिए बनी पेयजल योजना से जल संस्थान ने सुक्की टॉप पर खुले होटल-ढाबों और यात्रियों की सुविधा के लिए स्टेंड पोस्ट लगाया है। गंगोत्री यात्रा मार्ग पर दोनों ओर साइन बोर्ड लगाकर 100 मीटर आगे शुद्ध पेयजल उपलब्ध है की सूचना भी दी गई है लेकिन कई जगह लाइन लीकेज के कारण स्टेंड पोस्ट तक पानी नहीं पहुंच रहा है। ढाबे वाले भी जसपुर बैंड या नीचे दो किमी दूर सुक्की गांव से बाल्टियों में पानी भरकर ला रहे हैं।

इस स्थिति में वे यात्रियों को ज्यादा पानी देने में आनाकानी करते हैं। जल संस्थान अधिकारियों का कहना है कि फीटर से लाइन ठीक करने को कहा गया है।



Amatujala
 

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पिथौरागढ़/डीडीहाट। विकास की दौड़ के दावों के बीच लोगों को अब हर रोज पेयजल को भी तरसना होगा। मुख्यालय में अब हर दिन के बजाय एक दिन छोड़कर पेयजल मिला करेगा। इस बीच शनिवार को भी लोगों को पानी की आपूर्ति नहीं होने से भारी दुश्वारी झेलनी पड़ी।


सहायक अभियंता विनय जोशी का कहना है कि जिला मुख्यालय में 11.70 लाख लीटर के सापेक्ष महज पांच लाख लीटर पानी ही मिल पा रहा है। जल स्तर कम होने के अलावा बिजली की दिक्कत भी परेशानी पैदा कर रही है। अब एक दिन छोड़कर पानी की आपूर्ति करने की बात कही है। इसी क्रम में आज विभाग ने लुन्ठ्यूड़ा, खड़कोट, सेहा समेत नगर के कई हिस्सों के लोगों को पानी नहीं मिला।


उधर डीडीहाट में भी पेयजल की समस्या थमने का नाम नहीं ले रही है। क्षेत्र के अनेक जल स्रोत सूख गए है।  जिला मुख्यालय के अनेक स्थानों में शनिवार को पानी नहीं आया, जिससे लोग बेहाल रहे। पांच किलोमीटर के दायरे में फैले डीडीहाट नगर के लिए मुख्य रूप से ननपापू और भनड़ा के 14 प्राकृतिक जल स्रोतों से पेयजल की आपूर्ति होती है।

इन स्रोतों में चार से नाममात्र का पानी मिल रहा है, जबकि पांच स्रोत पूरी तरह से सूख चुके हैं। नलों में मात्र 10 मिनट तक पानी दिया जा रहा है। जल संस्थान के डीडीहाट डिवीजन के अधिशासी अभियंता एनके भार्गव ने बताया कि पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए दो टैंकरों में चिन्हित किए गए 19 स्थानों में हर दूसरे दिन टैंकरों के माध्यम से पानी भेजा जा रहा है।
फोटो 19 पीटीएच 9 पी

डीडीहाट में टैंकर से पानी भरते लोग।चंपावत में नौले से पानी भर कर लाती ग्रामीण महिलाएं।

पेयजल टैंक में पड़ी दरार  ग्रामीण अंचलों में भी गहराया संकट



Amarujala
 

 

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