Author Topic: When Villages Will Be Connected To Road? - पहाड़ के गावो मे कब पहुचेगी सड़क?  (Read 16864 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मोटर मार्ग की मांग को लेकर अनशन शुरूMar 02, 02:16 am

बागेश्वर। कांडा-मंतोली मोटर मार्ग के निर्माण की मांग को लेकर ग्रामीणों ने क्रमिक अनशन शुरू कर दिया है। कालिका मंदिर में चलाये जा रहे क्रमिक अनशन में पहले दिन प्रधान उत्तम सिंह व दान सिंह बैठे है। ग्रामीणों ने शासन प्रशासन पर जबरन मोटर मार्ग का निर्माण रोके जाने का आरोप लगाते हुए चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया तो आमरण अनशन शुरू किया जाएगा।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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only bad news.

17 killed as bus falls into gorge in Uttarakhand
Dehradun (PTI): Atleast 17 persons were killed and four injured on Thursday when a bus fell into a deep gorge in this district of Uttarakhand, sources said.

The private bus, carrying nearly 40 passengers, was going to Vikasnagar from Tyuni area when the incident occurred at Kuanu area, the sources said.

Senior police officials along with rescue teams have rushed to the site of the accident.

An official statement said that 17 bodies have been recovered.

Chief Minister B C Khanduri expressed grief at the incident and directed local District Magistrate Dehradun Rakesh Kumar to immediately provide financial assistance to the next of kin of the deceased and medical facility to the injured.

पंकज सिंह महर

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पिथौरागढ़। देश की आजादी के 60 वर्ष बीत जाने के बाद भी प्रदेश में कई गांव ऐसे है, जहां न बिजली है नहीं पानी। शिक्षा के लिए जो व्यवस्था अंग्रेज कर गये थे गांव के लोग आज भी उसी पर निर्भर है। चिकित्सा व्यवस्था की बात तो कौन कहे। गांव के लोगों ने चुनावों के दौरान मतपेटियां पहुंचाने के लिए आने वाले हैलीकाप्टर तो देख लिये,लेकिन गांव के लोगों को रोड के दर्शन आज तक नहीं हुए।

हिमालय पर्वत श्रृखंलाओं के बीच करीब साढे़ आठ हजार फिट की ऊंचाई पर बसे नामिक गांव में 107 परिवार बसे हुए है। करीब सात सौ की आबादी वाले इस गांव में पानी, बिजली, चिकित्सा शिक्षा की व्यवस्था नहीं है। आजादी से पूर्व अंग्रेजों ने इस गांव में एक जूनियर हाईस्कूल खोला था। आजादी के 60 वर्षो बाद भी इस विद्यालय का उच्चीकरण नहीं हो सका है। गांव के बच्चों को जूनियर हाईस्कूल से आगे की शिक्षा लेने के लिए कई किलोमीटर दूर स्थित विद्यालयों में जाना पड़ता है। करीब एक दशक पूर्व गांव को ऊर्जीकृत करने के लिए विद्युत लाइन बिछायी गयी थी, पांच वर्ष पूर्व आयी प्राकृतिक आपदा में यह विद्युत लाइन ध्वस्त हो गयी थी तब से आज तक इस लाइन को ठीक नहीं किया गया है। वर्तमान में गांव अंधेरे में डूबा हुआ है। दो दशक पूर्व गांव के लिए बनायी गयी पेयजल योजना भी वर्तमान में ध्वस्त पड़ी हुई है। योजना को ठीक करने के लिए भी अभी तक कोई पहल नहीं हुई है। गांव के लोग चार किलोमीटर दूर से पानी ढो रहे है।

नामिक के ग्राम प्रधान हयात सिंह परिहार का कहना है कि सीमांत गांव में सरकार ने चुनावों के दौरान हैलीकाप्टर उतार कर ग्रामीणों को हैलीकाप्टर तो दिखा दिया,लेकिन गांव को आज तक सड़क से नहीं जोड़ा है। गांव के लोगों को आज भी सड़क तक पहुंचने के लिए पच्चीस किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री और जिला प्रशासन को अलग-अलग पत्र भेजकर गांव के समस्याओं के समाधान की मांग की है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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सड़क की मांग पर भाकड़पंत में क्रमिक अनशन शुरूApr 23, 02:23 am

बागेश्वर। शिल्पकार संघर्ष समिति भाकड़पंत ने मोटर मार्ग की मांग को लेकर क्रमिक अनशन शुरू कर दिया है। ग्रामीणों ने लोक निर्माण विभाग पर स्वीकृत मोटर मार्ग का निर्माण न करने तथा जनता की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है।

पंचायत घर सिटोली में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि वर्ष 07 में मोटर मार्ग स्वीकृत किया गया था। जिसका निर्माण कार्य रोका जा रहा है। जिलाधिकारी को सौंपे ज्ञापन में ग्रामीणों ने कहा है कि भाकड़ पंत गांव में 40 निर्धन, भूमिहीन अनुसूचित जाति के परिवार निवास करते है। कुछ जनविरोधी लोग सड़क के निर्माण को रोक रहे है। वर्ष 05 में सलिंगखेत बैंड से भाकड़पंत गांव के लिए सड़क स्वीकृत की गयी लेकिन इसे भी स्थगित कर दिया गया। विगत वर्ष पुन: एससीपी के तहत जिला योजना में 1 किमी सड़क स्वीकृत की गयी लेकिन इसकी सर्वे इस प्रकार करायी गयी जिससे भाकड़पंत गांव को लाभ नहीं मिल पा रहा है। बार बार सड़क सुविधा से वंचित रखने से क्षुब्ध लोगों ने पंचायत घर में क्रमिक अनशन प्रारंभ कर दिया है। अनशन में पवन कुमार व जीवन राम बैठे है।

पंकज सिंह महर

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लैंसडौन (पौड़ी गढ़वाल)। धुमाकोट के रिखणीखाल प्रखंड में सड़कों की स्थिति दयनीय बनी हुई है। जिससे भविष्य में किसी बड़ी दुर्घटना होने की संभावना से इंकार नही किया सकता है। हैरत की बात है कि ग्रामीणों ने इस और शासन-प्रशासन का ध्यान कई बार उत्कृष्ट करवाने के बावजूद आज तक कोई ठोस कार्यवाही नही हो पाई है।

रिखणीखाल-किल्बौखाल मार्ग में सिमाखेत के निकट पुस्ता पिछले एक वर्षो से क्षतिग्रस्त हो रखा है। मार्ग में पुस्ता क्षतिग्रस्त होने के कारण यहां से गुजरने वाले वाहनों में यात्रा करने वाली सवारियां अपनी जान जोखिम में डालकर यात्रा करने को विवश है। इस बात की जानकारी प्रशासन को होने के बाद भी वह इसे सही नही करवा रहा है। ग्राम प्रधान किल्बौ अनिल रावत ने बताया कि इस बावत वे लोनिवि के आला अधिकारियों को कई बार लिखित व मौखिक अवगत करवा चुके है। लेकिन विभाग इस ओर कोई ध्यान नही दे रहा है। उन्होने रोष व्यक्त करते हुए कहा है कि जब सूबे के मुख्यमंत्री की विस में दयनीय सड़कों के प्रति विभाग का ये रवैया है तो अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर सड़क की परिकल्पना सहज ही की जा सकती है। उन्होने सूबे के मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर इस मार्ग की दयनीय स्थिति को सुधारने की मांग की है।

Risky Pathak

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DharmGhar----Naachni Road ka prastaav 3-4 saal phle ho gya thaa... But Is pe kaam start bhot dheere ho rha hai...

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Himansu Ji,

Situation is the same every where in UK. After being utttarakhand a separate state, everybodby was expecting fast development and road link to thier village areas but unfortunately, nothing such could happen.

We have also also following a road link to our village for ast 5 yrs or so. After running pillar to post, we have been able to get the survey of our areas only


DharmGhar----Naachni Road ka prastaav 3-4 saal phle ho gya thaa... But Is pe kaam start bhot dheere ho rha hai...

हेम पन्त

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पहाड़ की खतरनाक मोड़ों पर हुई दुर्घटना में मरे लोगो की स्मृति में बने यह स्मृतिपटल आम तौर पर हर मोड़ पर बने मिल जाते हैं...


Rajen

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पंत जी इसे मत दिखाओ यार। इसे देख कर पहाडों में गाड़ी चलाते समय सर्दियौं में भी पसीना आ जाता है। 8)

पहाड़ की खतरनाक मोड़ों पर हुई दुर्घटना में मरे लोगो की स्मृति में बने यह स्मृतिपटल आम तौर पर हर मोड़ पर बने मिल जाते हैं...



पंकज सिंह महर

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राजेन दा ने बिल्कुल सही फ़रमाया है, अल्मोड़ा से घाट पहुंचने तक मेरी भी जान सुख जाती है, मैं तो पत्नी को भी बोलने के लिये मना कर देता हूं। एक ही बात याद रखता हूं, सावधानी हटी, दुर्घटना घटी।
       सिर्फ स्मृति पटल ही नहीं, कई जगहों पर जहां ज्यादा दुर्घटनायें होती थीं, वहां पर अब मंदिर भी बना दिये गये हैं। गुरना माता का मंदिर उन्हीं में से एक है।

 

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