Author Topic: Women As Graam Pradhaan - महिला प्रधान सिर्फ नाम की: पति है पूरे ग्राम प्रधान  (Read 11886 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jakhi ji,

Bilkul sahi.. in some cases where village head are
illiterate, whole the work is looked after by their husband. But I have also seen some cases where women village heads are capable to doing their job but they are not given the opportunity to perform the duty.

Ha..ha. This is democracy.


मेहता जी सही कहा है आपने लेकिन इसका मतलब ये नहीं हैं की महिला प्रधान अशिक्षित है, सभी महिला प्रधान अशिक्षित नहीं हैं , कुछ हैं जो की पड़ना लिखना नहीं जानती हैं

लेकिन वो अशिक्षित होकर भी गाँव मैं और क्षेत्रों मैं सभाओं मैं बहुत अछि तरह से भाषण बाजी भी करती हैं जब की आज कुछ पड़े -लिखे पुरुष प्रधान भी लेकिन उन मैं ऐसे भी हैं जो की भाषण बाजी नहीं कर पाते हैं तो इसलिए उनकी जगह पर अशिक्षित महिलाएं ही उनका कार्य करते हैं!

और दूसरी  बात ये हैं की आजकल की महिला प्रधान केवल स्टैम्प बनकर रहा गयी है ,उसका एक कारण तो ये है की उसका पति पड़ा लिखा हो सकता है ओए बहुत इंटेलिजेंट हो सकता भी हो सकता है

, दूसरा कारण ये है की वो उसकी पत्नी यानी स्टैम्प नमक महिला प्रधान की आड़ मैं कुछ हेर-फेर करना  चाहता हो , या गाँव मैं जो प्रस्ताव पास होते हैं उनमेंसे कुछ अपने जेब डालना चाहते हैं!

 जिससे आजकल की महिला प्रधान जी केवल स्टैम्प ही लगाती है लेकिन काम -काज दौड़ -भाग पति ही करता है !क्योंकि पति को मालुम है कैसे हेरा-फेरी  करनी है !

पंचायती राज और लोकसभा ,राज्य सभा  मैं कोई फर्क नहीं है वही राजनीति और वही टिका-टिप्पणी पंचायती राज में भी होती है !यहाँ तक की गाँव में भी प्रधान के चुनाव के लिए पैसे से वोट ख़रीदे जाते हैं


jagmohan singh jayara

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उत्तराखंड की महिलाओं ने उत्तराखंड के सामाजिक विकास, राज्य प्राप्ति, चिपको आन्दोलन में बहुमूल्य योगदान दिया है.   आज महिलाएं ग्राम प्रधान के रूप में ग्राम सभाओं का प्रतिनिधित्वा कर रही हैं.  उत्तराखंड सरकार ने ५० प्रतिशत सीट पंचायती राज में महिलाओं के लिए आरक्षित की हैं.   रही बात  "पति भये प्रधान" चाहे पत्नी चुनाव जीती हों...ख्याल रहे जीवनसाथी साथ तो निभाएगा ही.   

"पति भये प्रधान"

हेरा फेरी वक्त की बात है,
क्या हमारे हाथ है,
भाग गए उत्तराखंड से दूर हम,
खाली गांवों में  "पति भये प्रधान",
बड़ी ख़ुशी की बात है,
क्या आपने भी,
उन्हें वोट नहीं दिया?
मुझे ख़ुशी होती है,
जब प्रधान के चुनाव,
उत्तराखंड में होते हैं,
कहते हैं प्रधान के प्रत्याशी,
दिदा, भुल्ला, काका,काकी,भाभी,
जरूर अवा घौर...रैबार छ हमारू,
अर हमतें जितावा,
बजेन्दी कूड़ी का द्वार भी खोलि जावा,
कनु कौथिग सी लगी  जांदु तब,
अपन्ना   प्यारा  गौं  मा,
सदानि रोऊ ता भलि बात छ.

रचना: जगमोहन सिंह जयारा "जिग्यांसू"
३.१२.२००९     

jagmohan singh jayara

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"पर्वतीय महिलाएं"

आज भी दम तोड़ती हैं,
घास काटते हुए'
जब फिसल जाता है पैर,
पहाड़ी ढलान पर,
और गिर जाती हैं,
गहरी खाई में.

 जंगलों में,
जंगली जानवरों के हमले से,
विषैले सांपों के काटने से,
पेड़ों की टहनी काटते हुए,
पेड़ से गिरने से,
कहीं पेड़ों को छूते,
बिजली के तारों द्वारा,
करंट लगने के कारण,
हो जाती है अकाल मृत्यु,
पर्वतीय महिलाओं की.

प्रसव पीड़ा में,
घायल अवस्था में,
अस्वस्थ होने पर,
उत्तराखंड सरकार की,
१०८ एम्बुलेंस सेवा,
राहत प्रदान करती है,
जो एक सार्थक प्रयास है,
पर्वतीय महिलाओं  और,
सभी  के लिए.

रचनाकार: जगमोहन सिंह जयारा "ज़िग्यांसू"
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
ग्राम: बागी-नौसा, चन्द्रबदनी, टेहरी गढ़वाल
E-mail: j_jayara@ yahoo.com
७.१२.२००९

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Excellent Poem Jayra Ji.

The only thing that they are not getting full opportunity for perform as a villaged Head or other post.


"पर्वतीय महिलाएं"

आज भी दम तोड़ती हैं,
घास काटते हुए'
जब फिसल जाता है पैर,
पहाड़ी ढलान पर,
और गिर जाती हैं,
गहरी खाई में.

 जंगलों में,
जंगली जानवरों के हमले से,
विषैले सांपों के काटने से,
पेड़ों की टहनी काटते हुए,
पेड़ से गिरने से,
कहीं पेड़ों को छूते,
बिजली के तारों द्वारा,
करंट लगने के कारण,
हो जाती है अकाल मृत्यु,
पर्वतीय महिलाओं की.

प्रसव पीड़ा में,
घायल अवस्था में,
अस्वस्थ होने पर,
उत्तराखंड सरकार की,
१०८ एम्बुलेंस सेवा,
राहत प्रदान करती है,
जो एक सार्थक प्रयास है,
पर्वतीय महिलाओं  और,
सभी  के लिए.

रचनाकार: जगमोहन सिंह जयारा "ज़िग्यांसू"
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ग्राम: बागी-नौसा, चन्द्रबदनी, टेहरी गढ़वाल
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७.१२.२००९

Devbhoomi,Uttarakhand

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It happens only in Democracy !!!!

In my village also there is women village head, most of the work is being looked after by her husband. Even though she is educated. Villager even call her husband as village head “Pradhan Ji”.

Women Village heads are not getting full opportunity to perform their duties.

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It happens only in Democracy !!!!

In my village also there is women village head, most of the work is being looked after by her husband. Even though she is educated. Villager even call her husband as village head “Pradhan Ji”.

Women Village heads are not getting full opportunity to perform their duties.


you are right sir i am totaly agree with you

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पति देव की इज्जत दांव पर!
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हरिद्वार। पत्नी मास्टर साहब, पत्नी चौधरी और पत्नी पूर्व प्रधान, पत्नी पूर्व जिला पंचायत सदस्य। महिला प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार पोस्टरों पर कुछ इस तरह उनकी पहचान बताई गई है। साफ है कि भले ही पत्नी चुनावी मैदान में हो लेकिन इज्जत पति की दांव पर लगी हुई है। खासकर उन मान्यवरों की जो महिला आरक्षित सीट होने के कारण चुनावी मैदान में नहीं उतर पाए। चुनाव प्रचार के दौरान पति अपने नाम और पद के आधार पर वोट मांग रहे हैं। जहां उनका पद काम नहीं आ रहा, वहां पत्नी की शिक्षा का बखान किया जा रहा है। जैसे बीएड, बीए ऑनर्स आदि। त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को लेकर प्रत्याशी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। ५० फीसदी आरक्षण मिलने के बाद जिला पंचायत में लगभग ८४ और प्रधान पद के लिए छह सौ से ज्यादा महिलाएं किस्मत आजमा रही हैं। लेकिन, मुश्किल यह है कि इनमें से कई महिलाएं चुनावी मैदान में नई खिलाड़ी हैं। महिला आरक्षित सीट न होने के कारण पति मैदान में नहीं उतर पाए तो उन्होंने मोरचा संभाल लिया। अब चुनावी समर में जीत की जिम्मेदारी पति देव पर है। क्षेत्र में राजनीति के कई दिग्गज खिलाड़ी माने जाने वाले राजनेता भी चुनावी मैदान में उतरीं अपनी पत्नियों के लिए जी जान से जुटे हुए हैं। ज्वालापुर, सीतापुर, जगजीतपुर सहित कई गांवों में लगे पोस्टर पूरी कहानी बयां कर रहे हैं। कोई महिला प्रत्याशी किन्हीं मास्टर साहब की पत्नी है तो कोई पूर्व प्रधान की। महिलाओं की शैक्षिक योग्यता को भी मतदाताओं के सामने रखा जा रहा है।
वोट दिलाने के नाम पर वसूली!
कई उम्मीदवार हो चुके हैं गांवों में सक्रिय दलालों का शिकार
स्र अमर उजाला ब्यूरो
हरिद्वार। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए मतदान से पहले कई क्षेत्रों में वोटों के दलाल सक्रिय हो गए हैं। अपने प्रभाव में सैकड़ों वोट होने का लालच दिखाकर कई प्रत्याशियों से वोट दिलाने के नाम पर रकम वसूली जा रही है।
जनपद के विभिन्न क्षेत्रों से इस तरह की सूचनाएं सामने आ रही है। पथरी थाना क्षेत्र के एक गांव में दो दिन पूर्व दो युवकों ने एक राजनीतिक दल द्वारा समर्थित प्रत्याशी से वोट दिलाने के नाम पर मोटी रकम वसूली। बाद में पता चला कि वे तीन अन्य प्रत्याशियों से भी वोट दिलाने के नाम पर रकम वसूल चुके हैं। बहादराबाद में भी जिला पंचायत सदस्य पद का एक निर्दलीय प्रत्याशी ऐसे ही धंधेबाजों का शिकार बन गया। उसे बाद में पता चला कि उससे १५ हजार रुपये वसूलने वाले दलाल दो दिन पहले भी एक अन्य प्रत्याशी को अपना शिकार बना चुके हैं।
मतदाताओं के नाम पर प्रत्याशियों से वसूली करने की सूचनाएं लगातार सामने आ रही हैं। लेकिन किसी भी प्रत्याशी अथवा मतदाता द्वारा शिकायत न किए जाने के कारण इस संबंध में कोई भी कार्रवाई प्रशासनिक स्तर पर नहीं की जा रही है।
एसडीएम हरबीर सिंह ने कहा कि सभी प्रत्याशियों और आम जनता से आदर्श आचार संहिता का पालन करने की अपील की गई है। सभी को इसमें सहयोग कराना चाहिए। यदि कहीं ऐसी शिकायतें सामने आती हैं तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

http://www.amarujala.com/state/Uttrakhand/8803-2.html

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गावो में महिला प्रधान को सिर्फ नाम के है!

सारा काम पुरुष अपना हथिया लेते है, महिला सिर्फ नाम मात्र के! दूसरी तरफ कई जगह देखा गया. कई महिलाये भी योग्य नहीं होता है चुनाव जीत जाते है आरंक्षण सीट के कारन .. लेकिन फिर उनके पति को काम संभालना होता है !


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अब तो गांवों के प्रधान भी राजनीति का खेल खेलने में माहिर  हो गे है,अगर पत्नी प्रधान है तो वो अपने पति के कंधे पर बन्दूल रखकर चलाएगी और अगर पति  प्रधान है तो वो पत्नी के कंधे पर बन्दूक रखकर चलाता है! राजनेता भी तो सिर्फ नाम के होते है काम के कोई है ही नहीं,यही प्रथा भी अब गांवों के प्रधान भी सीख रहे है !

 

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