Uttarakhand > Development Issues - उत्तराखण्ड के विकास से संबंधित मुद्दे !

Women As Graam Pradhaan - महिला प्रधान सिर्फ नाम की: पति है पूरे ग्राम प्रधान

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

Umesh Ji,

You are right. We can say . it happens only in Democracy.. but there should some oppose of such mal-practice from public side.



--- Quote from: umeshbani on June 23, 2009, 12:26:45 PM ---बात पंचायती राज के ही नहीं  देश के सबसे बड़े सदन  में  तक ऐसा ही है
अनपढ़ और कम पढ़ा लिखा जब  MP बन जाता है तो वो अपना काम खुद करता है नहीं........ तो एक अनपढ़ और कम पढ़ी लिखी ग्राम प्रधान से क्या अपेक्षा रखोगे ?
जो अपना और अपने ग्राम का नाम ढंग से ना लिक पाए तो वो और काम केसे करेगा वो तो आरक्षित सीट का कमाल होता है कि
रधुली आमा ग्राम प्रधान होती है और उसका पति या  बेटा  .......  काम करता है ......  नाम रधुली आमा का काम हरदा का .........


[
--- End quote ---

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

People should give some chance to Women Pradhan also to do their job. However, they can always guide them where ever they need any support but is not appropriate to do all the work hiself and make Women Pradhan only a stamp.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:


During my recent visit, i observed that women Village Heads in various areas, including my village, were just like a pupet.

All the work is being done by their husbands.

Women must be get maximum opportunities.

Devbhoomi,Uttarakhand:
मेहता जी सही कहा है आपने लेकिन इसका मतलब ये नहीं हैं की महिला प्रधान अशिक्षित है, सभी महिला प्रधान अशिक्षित नहीं हैं , कुछ हैं जो की पड़ना लिखना नहीं जानती हैं

लेकिन वो अशिक्षित होकर भी गाँव मैं और क्षेत्रों मैं सभाओं मैं बहुत अछि तरह से भाषण बाजी भी करती हैं जब की आज कुछ पड़े -लिखे पुरुष प्रधान भी लेकिन उन मैं ऐसे भी हैं जो की भाषण बाजी नहीं कर पाते हैं तो इसलिए उनकी जगह पर अशिक्षित महिलाएं ही उनका कार्य करते हैं!

और दूसरी  बात ये हैं की आजकल की महिला प्रधान केवल स्टैम्प बनकर रहा गयी है ,उसका एक कारण तो ये है की उसका पति पड़ा लिखा हो सकता है ओए बहुत इंटेलिजेंट हो सकता भी हो सकता है

, दूसरा कारण ये है की वो उसकी पत्नी यानी स्टैम्प नमक महिला प्रधान की आड़ मैं कुछ हेर-फेर करना  चाहता हो , या गाँव मैं जो प्रस्ताव पास होते हैं उनमेंसे कुछ अपने जेब डालना चाहते हैं!

 जिससे आजकल की महिला प्रधान जी केवल स्टैम्प ही लगाती है लेकिन काम -काज दौड़ -भाग पति ही करता है !क्योंकि पति को मालुम है कैसे हेरा-फेरी  करनी है !

पंचायती राज और लोकसभा ,राज्य सभा  मैं कोई फर्क नहीं है वही राजनीति और वही टिका-टिप्पणी पंचायती राज में भी होती है !यहाँ तक की गाँव में भी प्रधान के चुनाव के लिए पैसे से वोट ख़रीदे जाते हैं

Devbhoomi,Uttarakhand:


"जब लालू प्रसाद याधाव जी, I.I.M  में भाषण और दे सकते हैं पढाई  की निति बता सकते" तो गांवों अशिक्षित महिला प्रधान क्यों नहीं बन सकती है, गाँव में कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं जो की अशिक्षित होने के बावजूद भी पड़ी लिखी महिन्लाओं से अच्छा विकास करने की क्षमता रखती है !

और अशिक्षित महिलाओं को प्रधान की कुर्शी  पर कौन बिठाता है,उनका ही पति,वो शिक्षित पति ही अपनी अशिक्षित पत्नी को प्रधान के उमीद्वार के रूप में आगे पेश करता है क्योंकि वो शिक्षित होने बावजूद भी प्रधान की कुर्शी पर नहीं बैठ सकता है !
अशिक्षित महिलाएं चाहे किसी से भी पड़ने लिखने का काम करवाती हो विकास तो फिर भी होता है,मेरे गान में जो प्रधान जी हैं वो भी कोई ख़ास पड़े लिखे नहीं है !

और न ही उनकी पत्नी पड़ी-लिखी है,लेकिन गाँव का विकास तो हो ही रहा है लेकिन राज शाम को घर दो तीन ब्योड़े बैठे होते हैं,रोज प्रधान जी के घर मों पार्टी होती हैं,पत्नी बिचारी भी वही अशिक्षित स्टैम्प हैं ,जैसा पति कटा है वैसे ही स्टैम्प मार देती है !

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