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विस्थापित पहाड़ी क्या उत्तराखंड वापस लौटना चाहिगे ? Wud U like to Return UK ?

Yes
52 (91.2%)
No
3 (5.3%)
never
2 (3.5%)

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Voting closes: February 07, 2106, 11:58:15 AM

Author Topic: Would You Return To UK - विस्थापित पहाड़ी क्या उत्तराखंड वापस लौटना चाहिगे?  (Read 17699 times)

सत्यदेव सिंह नेगी

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मेहता जी हम भी अभी हाल में ही देवता के बुलाने पर ही सब लोग गाँव होके आये


मै कल एक मेल ग्रुप में अपने उत्तराखंड के किसी भाई का मेल पड़ रहा था जिसमे उन्होंने अपने किसी पैत्रिक देवता के बारे में जानकारी मागी थी क्यों की उनको अपने ईष्ट देवता की पूजा करवानी थी!

कई बार हम इस फोरम के माध्यम से पहाड़ के बहुत से युवा लोगो से मिलते है जो दिल्ली में होने में बाद भी कई दशक से अपना घर पहाड़ में नहीं गए है! जब कि दिल्ली से उत्तराखंड की दूरी बहुत ज्यादे भी नहीं सिर्फ १ दिन का रास्ता ज्यादे से ज्यादे !

कभी-२ यह जानकार दुःख भी होता है, लोग अपने मिटटी को छोड़कर शायद लगता है हमेशा के लिए ही आ गए है !

धन्य है पहाड़ के देवता कही -२ अपने लोगो को खीच कर पहाड़ तो लेकर आते है!  और फिर धन्य हो दिल्ली या अन्य शहरो की गर्मी ... गर्मी के मारे लोग अपने गाव तो जाते है!

बहुत से लोगो का अब मानना है कि वो अपने गाव में भी एक आवास बनायंगे जिसे वो बहुत पहले छोड़ के आ गए थे!





Lalit Mohan Pandey

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महाराज मै तो सिर्फ शरीर से ही delhi मै हु, मन तो पहाड़ मै ही है... उसका एक reason पहाड़ से लगाव है तो दूसरा ईजा बाबु (parents) का पहाड़ मै होना है.
लेकिन इस अधूरे मन से delhi मै रहने का नुकसान ये हो रहा है की यहाँ settlement नहीं हो पा रहा है १० साल हो गए है delhi मै अभी तक ना तो कही घर देखा ना ही खरीदने की सोची.. जब भी ऐसा विचार मन मै आता है तो लगता है की एक बार मकान ले लिया तो वापस पहाड़ जाना मुस्किल हो जायेगा. लेकिन हर month किराया देते हुए लगता है की यार ये क्या कर रहा हु मै...... भगवान ही मालिक है महाराज हमारा भी....   

Devbhoomi,Uttarakhand

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दोस्तों चाहे कोई  कहीं भी रहे ,अगर उसके तार देवभूमि उत्तराखंड के जुड़े  हुए हैं तो एक वापस अना ही अड़ता है चाहे वो दुनिया के किसी भी कोने में रहे,अगर वो आना भी न चाहे तो भी इस देवभूमि के देवी-देवता उसे यहाँ अपने क़दमों में सर जुकाने के लिए एक बार जरूर बुलाएगा !



There are many people who wish to return back to their root but unfortunately development as it is. The condition of road, health issues, education standard, job opportunities are the same what is was 10 yrs back.

Everybody has nostalgic feeling and there are many people who wish to even event in the state but State government is just sleeping. Corrupt Govt and corrupt people are a big hindrance in the path of development.

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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Why not. I would like to definitely return to Uttarakhand. If employment opportunities are available there.

kundan singh kulyal

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हाँ लौटना चाहिए...
मैं भी हमेश यही सोचता हु की अभी भी समय हैं कुछ समय और अपने पहाड़ से दूर बिता लिया तो फिर मुस्किल हो जायेगा|
मैने कई बार यह योजना बनाई पर सफल नहीं रहा जब भी पहाड़ जाता हू तो पूरी योजना फेल हो जाती हैं कहाँ शहरों की जिंदगी कहाँ पहाड़ों का जीवन बहुत मुस्किल हैं ये बातें कहने सुनाने मैं ही अच्छी लगती हैं| फिर मन मैं एक ही बिचार आता हैं की चार दिन की जिंदगी है इतने खुबसूरत पहाड़ों मैं जन्म लिया क्या यहाँ फिर मरने के लिए ही आयंगे.....
 बहुत मुस्किल हैं इस दोड़ती हुई दुनिया के साथ चलना क्युकी हम भी तो उसी कतार मै खड़े हैं अगर पहाड़ लौट भी जाएँ तो वहां रहकर करंगे क्या सोचने के लिए तो बहुत कुछ हैं हकीकत तो और ही हैं पहाड़ों का जीवन पहाड़ जैसा ही हैं सुबिधायें तिल जैसी समस्याएं पहाड़ जैसी.
भले ही कुछ भी है जैसी भी हैं अपनी जन्म भूमि हैं कोशिस जारी हैं घर लौटने की देखो कब संभव हो पाता हैं आधे तो लौट चुके हैं आधा बाकी हैं जो भी करंगे जैसे भी रहंगे अब जियंगे अपने पहाड़ मैं..... एक बार तो लम्बे समय तक रहकर जरूर देखंगे कि हम पहाड़ मैं रहने लायक बचे भी हैं कि या खली सोच ही सकते हैं कहना आसन हैं करना बहुत मुस्किल फिर भी एक बार कोशिस जरूर करंगे
जय जन्म भूमि तुझे शत शत प्रणाम, जय देवभूमि जय मेरा पहाड़.............

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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People are ready to go back but during these 11 yrs there is no development visible on ground due to which migration rates has even become double.

In fact stopping migration from hill was one of the major reasons which the demands of people forming new state.


heera dhanai

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वह मेरी मात्र भूमि है आज नहीं तो कल जाना ही है. हमारी जन्म भूमि सबसे सुंदर और सबसे अलग है.
इसके जैसा कोई नहीं. ये सच है कि वहां की परिस्थितियां जीवन यापन के लिया कठिन है पर मुस्किल नहीं
मै तो कुछ साल और अपनी धरती से दूर हूँ उसके बाद वापस अपने मिटटी के साथ रहूँगा.
मै तो यही कहूँगा जो भी अपने पहाड़ से दूर है वो एक बार तो अपने पहाड़ जाकर रहे.
जय देव भूमि उत्तराखंड

Devbhoomi,Uttarakhand

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हाहाहा हर कोई यही कहता है कि हर  किसी को लौटना चाहिए लेकिन लौटता कोई नहीं है जितने भी यहाँ पर ये सब कहानियां लिख रहे है सबसे पहले हमें लौटना पड़ेगा,तभी हम दूसरों को कह सकता है ! के खुद तो हम अपनी जन्म भूमि छोड़ चुके हैं दूसरों को नसीहत दे रहे हैं कि वापस अपने देवभूमि उत्तराखंड लोट जाओ !

Raje Singh Karakoti

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हाहाहा हर कोई यही कहता है कि हर  किसी को लौटना चाहिए लेकिन लौटता कोई नहीं है जितने भी यहाँ पर ये सब कहानियां लिख रहे है सबसे पहले हमें लौटना पड़ेगा,तभी हम दूसरों को कह सकता है ! के खुद तो हम अपनी जन्म भूमि छोड़ चुके हैं दूसरों को नसीहत दे रहे हैं कि वापस अपने देवभूमि उत्तराखंड लोट जाओ !

एक पुरानी कहावत के अनुसार " जिनके घर शीशे के होते हैं उन्हें दुसरो पर पत्थर नहीं मारने नहीं चाहिए"
आप खुद तो अपना देश छोड़ कर परदेश मैं पड़े हैं और ऊपर से दुसरो को नसीहत दे रहे हैं
अरे दो वक़्त की रोटी तो यहाँ पर भी है फिर क्या रखा है परदेश मैं ??

 

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