Author Topic: Your Dream State Uttarakhand - आपके सपनो का राज्य उत्तराखंड  (Read 22003 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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अभी तक इस कुकर्मियों की सपने दिखने की आदत छूटी नहीं,कुते की पूंछ पाइप के रखने के बाद भी टेढ़ी ही होती है
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पोखरियाल निशंक ने प्रदेशवासियों को नववर्ष की शुभकामनाएं देते हुए देश व प्रदेश के उज्ज्वल, सुखमय भविष्य, समृद्धि एवं निरंतर प्रगति की कामना की है। नववर्ष की पूर्व संध्या पर अपने संदेश में उन्होंने कहा कि 2010 आम आदमी की बेहतरी और खुशहाली के लिए जाना जाएगा। इस वर्ष शुरू की गई कल्याणकारी योजनाएं 2011 में क्रियान्वित की जाएंगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 2010 में सरकार ने अनेक जनहित और कल्याणकारी कदम उठाये हैं। सरकार ने आम आदमी तक सस्ता राशन पहुंचाने का बीड़ा उठाया और इसकी दरों में अभूतपूर्व कमी की। विभागों में रिक्त पदों पर प्रोन्नति के लिए कार्मिकों को सेवा अवधि में छूट, विभिन्न विभागों की नियमावली में संशोधन के फैसले लेकर युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान किये। स्टाफिंग पैटर्न लागू करने से साथ ही वर्ष 2000 तक कार्यरत दैनिक वेतनभोगी, संविदा कर्मी और वर्कचार्ज कर्मियों को नियमित करने का फैसला भी लिया। रोजगार के अवसरों में 21 हजार नौकरियों के द्वार खोले गये और उत्तार प्रदेश से आने वाले 4 हजार पुलिस कर्मियों के स्थान पर स्थानीय नौजवानों की भर्ती का निर्णय भी लिया। यह वर्ष युवाओं के लिए महत्वपूर्ण रहा है।

उन्होंने कहा कि 2010 में राष्ट्रीय स्तर पर उत्ताराखंड की विभिन्न स्तरों पर प्रशंसा की गई। केंद्रीय योजना आयोग के अध्ययन के अनुसार घरेलू पर्यटकों की संख्या की दृष्टि हिमालयी राज्यों में उत्ताराखंड प्रथम स्थान पर और देश के समस्त राज्यों में सातवें स्थान पर रहा है। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी ठोस कार्य हुए जिसे राष्ट्रीय स्तर पर योजना आयोग द्वारा सराहा गया और देश में उत्ताराखंड को प्रथम स्थान पर रखा। कुंभ मेले का सफल आयोजन और आपदा मानकों में भारी वृद्धि भी इस वर्ष की उपलब्धि रही। सरकार आम आदमी की बेहतरी और खुशहाली के लिए वचनबद्ध है।

इनसेट

राज्यपाल ने भी दी मुबारकबाद

देहरादून : राज्यपाल माग्र्रेट आल्वा, विधानसभा अध्यक्ष हरबंस कपूर, सांसद सतपाल महाराज और पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी व नारायण दत्ता तिवारी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल, कैबिनेट मंत्री दिवाकर भट्ट, शहरी विकास अनुश्रवण परिषद के उपाध्यक्ष पुष्कर सिंह धामी व भारत सरकार ग्रामीण विकास मंत्रालय के सतर्कता एवं अनुश्रवण् समिति, उत्ताराखंड के सदस्य नीरज कौशिक ने भी प्रदेश और देश के नागरिकों को नववर्ष पर बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।

राज्यपाल श्रीमती मा‌र्ग्रेट आल्वा ने अपने संदेश में कहा, 'मैं आप सभी के लिए मंगलमय व समृद्धशाली नववर्ष की कामना करती हूं। यह नवंर्ष हमारे समाज में शांति व एकता के साथ आनंद व समृद्धि लाए। हम सभी साथी नागरिकों की सेवा के प्रति अपने आप को समर्पित करें और अपनी मातृभूमि की उन्नति के लिए कार्य करें।'

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7115001.html

Devbhoomi,Uttarakhand

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क्या ऐसा सपना देखा था हमने की ये होगा हमारे सपनों का उत्तराखंड
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चौखुटिया: विकास खंड अंतर्गत बसनलगांव में बालिका को पड़ोस के ही युवक ने हवस का शिकार बना लिया। घटना रविवार देर सायं की बताई गई है। पीडि़ता के पिता द्वारा दर्ज तहरीर के आधार पर राजस्व ने आरोपी को हिरासत में ले लिया गया है। जबकि बालिका को मेडिकल परीक्षण के लिये अल्मोड़ा को रेफर कर दिया गया है।


विकास खंड अंतर्गत भैल्टगांव ग्राम पंचायत के बसनलगांव निवासी एक व्यक्ति ने राजस्व पुलिस में दर्ज प्राथमिकी में आरोप लगाया है कि गांव के ही एक युवक चंदनराम ने गत सायं करीब 6 बजे के आसपास उनकी 11 साल की पुत्री को अपने घर में ले जाकर बंद कमरे में उसके साथ बलात्कार किया। लड़की की चीख पुकार सुन पड़ोस वालों ने कमरे में पहुंच कर किसी तरह उसकी जान बचाई।


इधर क्षेत्रीय पटवारी अमरनाथ सिंह बिष्ट ने बताया कि बालिका को आज मेडिकल के लिये यहां अस्पताल में लाया गया, सुविधाएं न होने से जिसे चिकित्सक ने रानीखेत को रेफर कर दिया। बाद में फिर उसे मेडिकल के लिये अल्मोड़ा ले जाया गया है। आरोपी को पकड़ लिया गया है। लड़की के बयान व मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।   
 

Source Dainik Jagran

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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My dream state Uttarakhand still too far. We had many development dreams after formation of Uttarakhand State but non of them came true so far.

Sad.. sad.

Hemant Kapkoti

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प्यारे मित्रो ....जैसा उत्तराखंड हमे चाहिए वैसा उत्तराखंड ना जाने हमे कब मिलेगा. सरकार कोशिश तो कर रही है विकाश कार्य करने की.. जितना विकास कार्यो के लिए धन आता है अगर वो सारा का सारा विकाश कार्यो में ही खर्च किया जाए तो हमारा उत्तराखंड जरूर तरक्की करेगा...लेकिन हाईरे  ये bharastchar .....ऊपर से लेकर नीचे तक सब के सब कमीशन खा जाते है...मेरे गाँव कपकोट की ही बात लीजिये ....यहाँ  ४-५ महीने पहले ही गूल बने  है और जरा उन गुलो की हालत देखिये. सब जीर्ण शीर्ण हो गए है और तो और १ महीने पहले ही उन गुलो मे दोबारा cement डाला गया है वो भी टूट गया.. मै कहता हू की अगर पहली बार में ही अच्छा cement और material use लिया जाता तो दोबारा उस पर रूपया खर्च करनी की जरूरत ही नहीं थी.. और वो  रूपया कही और काम आ जाता ......अगर ऐसा ही सब जगह होता रहा तो हो गयी तरक्की ...जरा बागेश्वर से कपकोट मोटर मार्ग की हालत देखिये ..इतने गड्ढे है की गाडी की वाट लग जाती है ... पानी, बिजली, स्कूल, रोजगार आदि कई समस्या वैसे की वैसे है I पता नहीं कब हमें हमारा सपनो का उत्तराखंड मिलेगा     

kundan singh kulyal

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मैं अपने गाँव की बात करूँगा सच तो ये हैं हमारा गाँव मैं जो भी विकास हुवा ओ उत्तरप्रदेश के समय से ही हुवा हैं जब से उत्तराखंड बना हैं मुझे तो नहीं लगता की हमारे गाँव मैं कुछ नए विकास के कार्य हुवे कोई काम होता भी होगा तो एक साल से पहले ही टूट जाता होगा या फिर कागजों मैं ही विकास होता होगा इन ११ सालों मैं पुरे गाँव मैं से किसी एक को भी राज्य सरकार मैं नौकरी नहीं मिली नुकसान बहुत हुवा विकाश कुछ भी नहीं ११ साल पहले गाँव मैं पीने का पानी तो आता था आज ओ भी नहीं आता हैं जीतनी दूर हम स्कूल पढ़ने पैदल जाते थे आज भी बच्चे उसी स्कूल मैं पढ़ने जाते हैं जितना समय राजधानी पहुचने मैं लगता था आज उससे भी अधिक समय लगता हैं पोस्ट ऑफिस हो या अस्पताल आदि सभी के लिए इतनी ही दूरी तय करनी पढ़ती हैं जीतनी ११ साल पहले थी  इसी बात से पता लगता हैं की कितना फायदा हुवा हमको इस राज्य बनने से फायदा हुवा तो शराब लेन के लिए बहुत दूर जाना पड़ता था आज ओ नजदीक ही मिल जाती हैं उत्तराखंड राज्य बनने से कुछ लोगों को जरूर फायदा हुवा जो नेताओं के पीछे लगे रहते थे आज ओ नेता हैं ठेकेदार जरूर धनी हो गए हैं सरकारी कर्मचारी तो अपने को नौकर कम नेता ज्यादा सझाते हैं  इससे तो हम उत्तरप्रदेश मैं ही अछे थे उत्तराखंड राज्य का जो सपना था की हमारा उत्तराखंड बनेगा तो हमारा विकास होगा हम कितने मुर्ख थे की इतना भी पता नहीं था की सपने कभी सच नहीं होते............

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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What's on your mind?
Mahi Singh Mehta आप के हिसाब से अलग राज्य बनने  के बाद उत्तराखंड के कितना प्रतिशत विकास किया है ? मेरे हिसाब से 5% से भी कम !Like ·  · Share · 35 minutes ago
  • Umesh Kandpal, Santosh Singh, Linda Moura and 5 others like this.
    • Raghuveer Negi ho to gya vikas 22 hazar karor ka karz sir par lad gaya33 minutes ago · Like
    • Parvesh Pokhriyal Pauri Garhwal nahi ji..lagbag 25-30%32 minutes ago · Like · 2
    • Bipin Chandra Joshi mere hisab se to -5 % kiya, palayan itna hua ki gaon khali ho gye, jab hm jaise kattar uttarakhandi apna mulk chhod chuke hai to samany insan to palayan krega hi krega,32 minutes ago · Like · 1
    • Mahi Singh Mehta बिलकुल सही.. लिखा आपने! मेरे हिसाब से मैंने 5% भी ज्यादे लिखा है !31 minutes ago · Like · 1
    • Anilraj Tiwari राईट बात ………।30 minutes ago · Like · 1
    • Eklvya Bhargava Vikas kahan se hoga? Aapke yahan ka managment hi sahi nahi hai. Himalay jise ki paryatan ke vishw nakshe par chamka sakte the uska vinaash jaari hai.30 minutes ago · Like
    • Nandan Singh Mahara pure pradesh ka to nahi pr mere gaaw ki road ki halat gud , hai,29 minutes ago · Like
    • Eklvya Bhargava Dam ban rahe hai nadiyo ko toda maroda ja raha hai pahad ko kaata jaa raha hai.29 minutes ago · Like
    • Eklvya Bhargava Gandagi ke dher lage hue hai. Har jagah.28 minutes ago · Like
    • Eklvya Bhargava Wo log paryatan vibhag me hai jinka isase dur dur ka koi nata nahi hai.28 minutes ago · Like
    • Mahi Mehta Mere hisab se - 5%//27 minutes ago · Like
    • Eklvya Bhargava Chote rajyo ki sabse badi samsya revenue hai. Chattisgarh aur jharkhand ko chod diya jaye to any jagah mushkil hai.kyon ki har jagah mines nahi hai.26 minutes ago · Like
    • Bipin Chandra Joshi galti hamari v hai mehta ji bar bar uttarakhandi hone ka dawa krte hai, gairsain rajdhani bnane ki bat krte hai aandolan me sirf ekdiwasiy bhasan pratiyogita bn jati hai, aankhir kb tak sirf vichar hi rakhate rhen hai ham, aao na milkar sangharsh krte hai, hame mahatma gandhi nhi mil sakte to kya ho gya bhagat singh, udham singh, shridev suman, nirmal pandit, kalu mahra to mil sakte hai na, matlab ye hai ki aao 1 aandolan karen jisme khun pasina sb baha diya jay26 minutes ago · Like
    • Rahul Himanti Pandey daiju vikaash  ke  naam  par  kuch  nahi  huwa  hain pahad  mein   mein pahad  ke  hi  chakar  kaat  raha  hun aaj  kal  kabhi   almora    kee goun to  kabhi    pithoragah  sab  jaga  rakee  kar  raha  hun.....  bus phone  aur  light  ke  alwaa  kuch  nahi  pahucha  hain....  phone  pe bhi  uttrakahand  govt  tex  le rahi  hain privete compniess  se tex  lene ke  baad  bhi  vikas  nahi  ho  paa  raha  hain....  pata nahi  daiju  kiya  hoga  pahad  ka  bhagwan jaane.....  bahut dukhi  hun phad  ko  dekhkar... sab  chor  hain  neta  log...25 minutes ago · Like
    • Eklvya Bhargava Bipin bhayi itane aandolan ke baad to uttrakhand bana hai fir aur kitne andolan karne padenge.23 minutes ago · Like
    • Eklvya Bhargava Kya rajdhani badlne se samsya hal ho jayegi? Vikad ke liye paisa lagta hai revenue kahaan se laoge? Kabhi socha hai? Jo aapke paas hai usi ko sahi tarah se sahej kar rakho use saji se upyog karo.21 minutes ago · Like
    • Eklvya Bhargava Nepal ko dekho isi himalay se kitna reveue banata hai.20 minutes ago · Like
    • Bipin Chandra Joshi bhargava ji uttarakhand sirf bna hai to mukhymantri bdalane k liye, hame aisa uk nhi chahiye jo vikas k nam pr dhagi ka shikar ho, hme aisa uk chahiye jahan se log palayan na kren blki palayan kr chuke log v wapas aa jayen or apni roji roti apni matrabhumi me kamayen aisa uk chahiye14 minutes ago · Like

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तराखंड को विशेष राज्य का दर्जा, पर फंड नहींउत्तराखंड को पूर्वोत्तर राज्यों की भांति केंद्र सरकार ने विशेष राज्य का दर्जा तो दे दिया है लेकिन आर्थिक मदद के मामले में भेदभाव बरकरार है। ताजा मामला शिक्षा विभाग का है।

मानव संसाधन मंत्रालय ने अन्य विशेष राज्यों की तर्ज पर उत्तराखंड को सर्वशिक्षा अभियान में 90 फीसदी आर्थिक योगदान देने से इंकार कर दिया है।

मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री मंत्रीप्रसाद नैथानी ने राज्य को केंद्र द्वारा आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के संदर्भ में सर्वशिक्षा अभियान के तहत फंड पैटर्न पूर्वोत्तर के राज्यों की तर्ज पर 90:10 किए जाने की मांग की थी।

जवाब में मंत्रालय ने कहा कि कैबिनेट ने केवल पूर्वोत्तर के राज्यों को ही केंद्र की ओर से सर्वशिक्षा अभियान मद में 90 फीसदी फंड देने का फैसला लिया है। इस आधार पर उत्तराखंड को अन्य राज्यों की भांति ही फंड दिया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि कुछ समय पूर्व ही हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड को पहाड़ी राज्य होने के कारण विशेष दर्जा दिया गया किंतु केंद्र ने आर्थिक मदद के मामले में पूर्वोत्तर के पहाड़ी राज्यों की तर्ज पर अभी तक आर्थिक मदद नहीं उपलब्ध कराई है। एसएसए में इन दोनों राज्यों को दस प्रतिशत अधिक मदद दी जा रही है जो कि पूर्वोत्तर के राज्यों से काफी कम है।

शिक्षा मंत्री नैथानी ने आरटीई के तहत कुछ अन्य मामलों में भी मंत्रालय से सहयोग की मांग की थी। उन्होंने वर्ष 2009 के पहले बीएड कर चुके बेरोजगार युवकों को भी प्राइमरी शिक्षक के रूप में भर्ती की अनुमति देने को कहा था।

इस पर मंत्रालय ने कहा है कि उत्तराखंड सहित 13 राज्यों को यह छूट दी गई है कि टीईटी परीक्षा पास करने वाले बेरोजगारों को शिक्षक के रूप में भर्ती की अनुमति होगी। ऐसे में बीएड पास बेरोजगार भी टीईटी परीक्षा पास करके प्राइमरी टीचर बन सकते हैं।

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Devbhoomi,Uttarakhand

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Kya ye sapna dekha tha uttarakhand ke logon ne

उत्तराखंड ने देश को बड़े-बड़े नायक दिए लेकिन इसके एवज में यहां के लोगों को कुछ नहीं मिला। क्रिकेट की ही बात की जाए तो सीनियर इंडिया से लेकर जूनियर इंडिया का विश्वकप उत्तराखंड के युवा महेंद्र सिंह धोनी और उन्मुक्त चंद के दम पर जीता गया। इसके बावजूद न तो धोनी के गांव की हालत बदली और न उन्मुक्त चंद के। खड़कूभल्या गांव के रहने वाले उन्मुक्त चंद के गांव की हालत भी बेहद खराब है। लोग राशन के लिए पांच किलोमीटर भागते हैं। मामूली दवा बिजली के बिजली के बिल जमा कराने को 38 किमी दूर जाना पड़ता है।


जिला मुख्यालय से तकरीबन 38 किलोमीटर दूर खड़कूभलिया गांव पिछडे़ गांवों से किसी मायने में अलग नहीं है। यहां की जिंदगी बेहद कठिन है। गांव में एक प्राइमरी स्कूल है। इसमें 25 बच्चे पढ़ते हैं। मध्याह्न भोजन बनाने के लिए भोजन माता को एक किलोमीटर दूर से पानी ढोना पड़ता है। गांव में पंचायत घर तो है लेकिन इसकी इमारत जीर्णशीर्ण है।



सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की सुविधा उन्हें अपने गांव में नहीं मिलती। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें करीब पांच किलोमीटर पैदल चलकर रामेश्वर की सस्ता गल्ले की दुकान से राशन लाना पड़ता है। बिजली का बिल जमा करने के लिए पिथौरागढ़ की दौड़ लगानी पड़ रही है।

कई बार तो बिल से अधिक रकम पिथौरागढ़ आने और जाने में ही लग जाती है। ग्रामीण डाकघराें में बिजली बिल जमा करने की सुविधा की मांग कर रहे हैं। पर कोई सुनवाई अब तक नहीं हुई है।

Source Amarujala

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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फिर पानी की टंकी पर चढ़े बेरोजगार - Uttarakhand

स्कूलों में नियुक्ति की मांग पर अमल न होने से नाराज बीपीएड प्रशिक्षित बेरोजगार शनिवार को मिट्टी तेल लेकर एक बार फिर बन्नू स्कूल रेसकोर्स के पास पानी की टंकी पर चढ़ गए।

बेरोजगारों ने पहले सीएम आवास के बाहर आत्मदाह की चेतावनी दी थी, लेकिन ऐन वक्त पर उन्होंने कार्यक्रम बदल दिया। सूचना मिलते ही टंकी के नीचे पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई। पुलिस ने टंकी के नीचे गेट बंद कर दिया है, ताकि और कोई टंकी पर न चढ़ पाए।

बीपीएड, एमपीएड प्रशिक्षित बेरोजगार एसोसिएशन के सदस्य नियुक्ति की मांग को लेकर 17 सितंबर वर्ष 2013 से आंदोलनरत हैं। पानी की टंकी पर चढ़े संगठन के प्रदेश अध्यक्ष सुंदर धोनी ने कहा कि दो सितंबर को मुख्यमंत्री ने नियुक्ति का आश्वासन दिया था।

सीएम के आश्वासन पर ही बेरोजगार पानी की टंकी से उतरे थे, लेकिन अभी तक शासनादेश जारी नहीं हो पाया है। धोनी ने कहा कि� सरकार ने रविवार तक कोई कदम नहीं उठाया तो बेरोजगार किसी भी हद तक जा सकते हैं।

टंकी पर चढ़ने वालों में नमृता बोरा, दिग्दर्शन रावत, सीमा वल्दिया, अंजू, अनिल राज, विजय सेमवाल, विरेंद्र शाह, मनोज शामिल हैं। बाकी बेरोजगारों ने टंकी की नीचे धरना शुरू कर दिया है। धरना देने वालों में देवेंद्र कोरंगा, सूरज सिंह बुटोला, मुकेश सुंद्रियाल, पुष्पा टाकुली, सोहन सिंह, रेखा नेगी, सुरेंद्र मेहरा आदि शामिल हैं।

शिक्षामंत्री से नाराज हैं बेरोजगार
बेरोजगारों ने कहा कि शनिवार को वे शिक्षा मंत्री से मिले थे, लेकिन मंत्री ने आश्वासन देने के बजाय उन्हें सचिवालय जाने को कहा। इससे नाराज होकर बेरोजगारों ने अब आर-पार की लड़ाई का ऐलान किया है।

ताला तोड़कर टंकी पर चढ़े बेरोजगार
जल संस्थान के कर्मचारी साहब सिंह ने बताया कि टंकी की सीढ़ी पर ताला लगा था, जिसे तोड़कर बेरोजगार टंकी पर चढ़ गए। बेरोजगारों ने भीतर से अपना ताला लगा दिया है। http://www.dehradun.amarujala.com/news/dehradun-local/city-news-dun/bped-trained-protest-against-government-hindi-news/hai der

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dream state is too far for Uttarakhand people.

 

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