Author Topic: Teri Ankhu Dekhi-New Uttarakhandi Music Album-तेरी आन्खियू नयी म्यूजिक एल्बम  (Read 12761 times)

Sanjay Pal

  • Newbie
  • *
  • Posts: 28
  • Karma: +0/-0

संजय जी..

कल मैंने इस एल्बम को देखा यु टियूब में! बहुत अच्छा लगा .. खासकर मेरापहाड़ गाना जो उत्तराखंड के सुन्दरता के बारे में ब्यान करता है!

इस Album का निर्देशन भी आप ने किया है, कैसा रहा आप का अनुभव निर्देशन के रूप में ! 

Dhanyabad Mehta bhai,

Jaisa ki sabhi jante hain ye mera pahla kam hai Singing/Acting/Direction/Writing. Naya hone ki wajah se kafi challenging raha sath ke sath interesting bhi raha.... Album main lagbhag sabhi songs theme based hain sabhi ko kafi research/RND ke bad likha wa impliment kiya hai... Umeed hai aap pasand karenge...

Regards
Sanjay Pal

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

Thanks Sanjay bhai for the detailed information about the Album.

I really like the song merapahad. This really promotes the patriotism of Uttarakhand. I think this is the first Uttarakhandi album where so many prominent singers are singing together.

Sad to know about the the information that our Senior Folk Music Singer could not give their voice and asked for huge amount of money.

This is a good and new initiative. I would also suggest you to sing kumoani songs in your coming album. It will wok to bridge the gaps whatsoever between both the region.

Namaskar Dagdyoun,


Album "Teri Aankhun Dekhi" is a effort of one year  of its production. Motive behind making this album is to set some standard in  Uttrakhandi Cinema in terms of Quality of Audio/Visuals. I seen many  Albums in Uttrakhand but never satisfied with the visuals and many time with the  audio too. If you compare our Cinema with Nepali/Aasemme you will feel that we  are very far from the quality/conceptualisation. Uttrakhandi cinema is not  doing good because our audience is not that active and aggressive towards it. It’s  a reason producers not invest much and produces low quality products.



In terms of Lyrics I tried my best to keep Swar Samrat  Narendra Singh Negiji's audience happy/satisfied. Negiji are my Idol for Lyrics and  sometimes for vocals too.


If you pick any album from industry apart from Negiji you  will see there are maximum number of songs are based on the Love theme or  boy/girl, no other subject sometime there could be 1 or 2. Now a days you can  see vulgarity in Uttrakhandi cinema whereas Uttrakhandi people never accepted  it. I tried to present songs for all age groups and generation.


In this album there are eight songs. 1st song "Lagdi  Karina" which is for the youth. 2. song "Mero Pahd" is for all  Uttrakhand lovers. This song is promotes patriotism and unity among Uttrakhand.  3rd song is "Rangsyanu cha Songu" is  an irony. 4th song "Aao Laadi" is based  on parents and child relationship. 5th song is "Teri Aankhun Dekhi"  again for youngsters based on true love. 6th song is "Na pi Na pi re bhai  Sharab" is a social messgae. 7th song "Bodha Gadhdesh" is about  migration and 8th song "Kailashpati Bhole" is a bhajan.


Why to buy “Teri  Aankhun Dekhi”:

Attraction No. 1:
2nd song "Mero Pahad" is a main attraction to this  album. It promotes patriotism and unity among Uttarakahnd. This one particular  song sung and acted by eight singers Sanjay Pal, Kalpana Chauhan, Ghajendra  Rana, Madhulika Negi, Manglesh Dangwal, Meena Rana, Chandra Singh Rahi and Laxmi  Pal.
In addition I also tried Narendra singh Negiji, Preetam  Bharatwanji & Heera Singh Ranaji to involve in this "Mero Pahad"  song. I personally met to all these pillars of Uttrakhand to make this song  more powerful and attractive but all they denied my request to work with. One  of them was costing 40,000/- for just two lines. As its all my own production I  was not able to afford this amount. I was trying to bring Jaspal Ranaji  (Shooter), Bachendri Palji and Uttrakhandi peoples from Bollywood industry in this song  but due to the budget I couldn’t.



Attraction No. 2:
Music of this album is very new. Directed by "Haroon  Madar".  He is from South India (Madras)  and did great job. Music carries all our tradition. Haroon himself is a good  singer his Garhwali Album "Jham-le-Seema" is coming soon, audio is  already released from Zazz Media.



Attraction No. 3:
Presentation of the Album, Graphics/Visualisation/Conceptualisation.



I thing I elaborated it too much J

 I hope you will like ”Teri  Aankhun Dekhi”. I request you to buy a copy and participate in improving  Uttrakhandi Cinema.


Regards
  Sanjay Pal

धनेश कोठारी

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 232
  • Karma: +5/-0
तेरी आंख्यों देखी के कुछ गाने एमपी ३ में सुने। इस दौर की हबड़ तबड़ से अलग सकून देने वाले गीत इसमें हैं। जिसके लिए पाल जी बधाई के पात्र हैं।

धनेश कोठारी

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 232
  • Karma: +5/-0

पहाड़ का आधुनिक चेहरा है 'तेरी आँख्यूं देखी'
•धनेश कोठारी
  रामा कैसटस् प्रस्तुत ऑडियो-वीडियो ''तेरी आँख्यूं देखी'' से गढ़वाली गीत-संगीत के धरातल पर बहुमुखी प्रतिभा नवोदित संजय पाल और लक्ष्मी पाल ने पहला कदम रखा है। संजय-लक्ष्मी गढ़वाली काव्य संग्रह 'चुंग्टि' के सुप्रसिद्ध रचनाकार स्वर्गीय सुरेन्द्र पाल जी की संतानें हैं। लिहाजा 'तेरी आँख्यूं देखी' को भी पहाड़ के सामाजिक तानेबाने में अक्षुण्ण सांस्कृतिक मूल्यों को जीवंत रखने की कोशिश के तौर पर देखा और सुना जा सकता है।
एलबम का एक गीत 'मेरो पहाड़' इसका बेहतरीन उदाहरण है।न्यू रिलीज 'तेरी आँख्यूं देखी' का पहला गीत 'तु लगदी करीना' पहाड़ी 'करीना' से प्रेम की नोकझोंक के जरिये नई छिंवाल को मुग्ध करने के साथ ही 'बाजार' से फायदा पटाने के मसलों से भरपूर है। मनोरम वादियों की लोकेशन पर फैशनपरस्त स्टाइल में सजी इस कृति को अच्छे गीतों की श्रेणी में शामिल किया जा सकता है। हां, पिक्चराईजेशन में नेपाली वीडियोज का असर साफ दिखता है। गढ़वाली संगीत में स्क्रीन पर ऐसे प्रयोग अभी नये हैं। जिन्हें पहाड़ का आधुनिक चेहरा भी कहा जा सकता है।
प्रसिद्ध देशगान 'मिले सुर मेरा तुम्हारा' की तर्ज पर रचा गया एलबम का दूसरा गीत 'मेरो पहाड़' उत्तराखण्ड का राज्यगान होने की सामर्थ्य रखता है। इस गीत से संजय पाल ने रचनाकर्म के क्षेत्र में नई संभावनाओं को भी रेखांकित किया है। इसमें उत्तराखण्ड के सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक एवं पुरातात्विक रंगों का खूबसूरत समावेश दर्शाता है कि संजय के पर्दापण का मकसद सिर्फ 'बाजार' को 'लूटना' नहीं है, बल्कि वह पहाड़ की वैभवशाली 'अन्वार' को दुनिया को भी दिखाना चाहता है। गीत के दृश्यांकन में यह दिखता भी है। इस रचना से संजय ने अपने पिता प्रसिद्ध कवि स्वर्गीय सुरेन्द्र पाल की विरासत को संभालने की जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है।
सचमुच, पहाड़ सैलानियों को जितने सुन्दर और मोहक दिखते हैं, उतना ही सच है यहां का 'पहाड़' जैसा जीवन। कारण सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार की मौलिक जरुरतों के इंतजार में 'विकास' आज भी 'टकटकी' बांधे है। सो, यहां जिंदा रहने के मायनों को समझा जा सकता है। तीसरा गीत ‘रंगस्याणु च सौंगु’पहाड़ के ऐसे ही वर्तमान की प्रतिनिधि रचना है। बेहतर रचना के बावजूद गायकी इसका असर कम करती है। ‘औ लाडी खुट्टी बढ़ौ’गीत हर माँ-बाप की उम्मीदों में एक कामयाब बच्चे की कल्पना की कहानी कहता है। वे उसी कामयाब बेटे में बुढ़ापे की आशायें भी तलाशते हैं। इस संकलन का सुन्दर और मार्मिक गीत होने के साथ ही यह प्रस्तुति हर बेटे से आह्वान भी करती है कि, .... औ लाडी थामि ले औ... ।
शीर्षक गीत ‘तेरी आँख्यूं देखी’में नवोदित अभिनेत्री पूनम पाण्डेय के कशिश पैदा करते चेहरे-मोहरे के बावजूद यह प्रेमगीत खास प्रभाव नहीं छोड़ता है। विश्वाश की नींव पर रचे गये इस गीत के दृश्यांकन में कई शॉर्ट्स में प्रकाश के प्रभाव के प्रति लापरवाही या कहें अधकचरापन साफ झलकता है।
स्वर्गीय सुरेन्द्र पाल की कविता ‘ना पी ना पी’के स्वरबद्ध कर संजय ने अपने पिता के साहित्यिक अवदान को ताजा किया है। कह सकते हैं कि यह पूर्वजों को श्रद्धांजलि भी है। गीत पहाड़ में शराब के कारण उत्पन्न त्रासद स्थितियों की चित्रात्मक प्रस्तुति है। ऐसे गीत भले ही इस संवेदनशून्य समाज में जुबानी सराहना पाते हैं, किंतु दूसरी ओर सांझ ढलते ही कई सराहने वाले नशे में ‘धुत्त’होकर इन्हें अप्रासंगिक भी बना डालते हैं। तब भी कवि/गीतकार का संदेश रचनाकार की सामाजिक प्रतिबद्धता को अवश्य जाहिर करता है। यही उसका धर्म भी है।
’जननी जन्मभूमिश्च: स्वर्गादपि गरियसि’की उक्ति निश्चित ही ‘बौड़ा गढ़देश’गीत पर लागू होती है। पहाड़ अपने नैसर्गिक सौंदर्य के साथ ही जीवंत सांस्कृतिक ताने-बाने के लिए भी जाना जाता है। जहां मण्डांण क थाप पर सिर्भ थिरकन ही नहीं पैदा होती बल्कि कल्पना के कैनवास पर यहां आस्वाद में गाढ़े-चटख रंग बिखर जाते हैं और इन्हीं रंगों में मिलता है बांज की जड़ों का मीठा पानी, थिरकता झूमैलो, रोट-अरसा की रस्याण, ग्योंवळी सार्यों की हरियाली, मिट्टी की सौंधी सुगंध और इंतजार करती आंखें। मीना राणा के स्वर इस गीत को कर्णप्रिय बनाते हैं।
शिव की भूमि उत्तराखण्ड में आज तक शिव जागे हैं यह नहीं, लेकिन लोकतंत्र के साक्षात ‘स्वयंभू शंकर’राजनीति की चौपाल में जरुर जागे हुए विराट रुप में अवतरित हैं। उन्होंने अपने नजदीकी भक्तों के अलावा बाकी को ‘खर्सण्या’बनाकर नियति के भरोसे छोड़ा हुआ है। अराध्य शिव को जगाता यह आखिरी गीत ‘कैलाशपति भोले’यों तो लोकतंत्र के कथानक से अलग भक्ति का ही तड़का है, मगर त्रिनेत्र के खुलने की ‘जग्वाळ’वह भी अवश्य करता है।’
'तेरी आँख्यूं देखी'’नवोदित संजय के साथ प्रख्यात लोकगायक चन्द्रसिंह राही, मीना राणा, लक्ष्मी पाल, मधुलिका नेगी, कल्पना चौहान, गजेन्द्र राणा और मंगलेश डंगवाळ के स्वरों से सजी है। गीत स्वर्गीय सुरेन्द्र पाल और संजय-लक्ष्मी के हैं। संगीत संयोजन में हारुन मदार ने रुटीन म्यूजिक से अलग नयापन परोसा है। वीडियो को निर्देशन संजय के साथ विजय भारती ने संभाला है। सो कह सकते हैं कि नये प्रयोगों के कारण श्रोता-दर्शकों की बीच ‘तेरी आँख्यूं देखी’ को पहचान मिलनी ही चाहिए।

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22